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मेरे बेटे के दोस्त की माँ और मेरी प्रेमिका रागिणी - Desi Sex Videos

दोस्तों, मेरा नाम जैक है (बदला हुआ)। आप ने कामवासना पर मेरी और कहानी भी पढ़ी होगी। अगर नहीं पढ़ी हो तो मेरे नाम पर क्लिक करके आप पढ़ सकते है।

मैं फ़िलहाल राजकोट, गुजरात में रहता हूँ और ये कहानी राजकोट की ही है। ये कहानी बिल्कुल अजीबोगरीब तरीके से शुरू हुई थी। इसके सारे किरदार असली हैं, बस नाम थोड़े बदल दिए गए हैं ताकि कोई पहचान न सके।


आप पिछली कहानियों से जानते ही होगे की मैं खुद एक बिज़नेसमेन हूं। मेरी उम्र चालीस साल के आसपास है। हमारा एक बेटा और एक बेटी है, बेटे का नाम आकाश है।


मैं दिखने में स्मार्ट हूँ और अपनी उम्र से काफ़ी कम उम्र का लगता हूँ। मेरी औसत कदकाठी, साफ-सुथरा क्लीन शेव चेहरा है और काम की वजह से थोड़ा फिट रहता हूं। हर सुबह मेरी ड्यूटी बच्चों को स्कूल बस तक छोड़ने की है, तो मैं ही आकाश को स्कूल बस में बिठाकर ऑफिस जाता हूं। वो एरिया जहां हम रहते हैं, वहां के सारे बच्चे उसी बस से जाते हैं। उसी बीच एक औरत भी आती है अपने बेटे को छोड़ने। उसके बेटे की क्लास आकाश के साथ ही है, तो धीरे-धीरे हमारी उनसे बातचीत शुरू हो गई।


अब उस महिला के बारे में थोड़ा बताता हूं। उनका नाम मिसेज रागिनी मेहता (बदला हुआ) है। उम्र लगभग पैंतीस छत्तीस साल, कद पांच फुट से थोड़ा ज़्यादा होगा, थोड़ा भरा बदन, थोड़ा गदराया हुआ लेकिन आकर्षक। लंबे काले बाल, गोल चेहरा, गेहुंआ रंग – कुल मिलाकर वो मुझे हमेशा से बहुत सेक्सी लगती थी। हमेशा सलीके से पहनी हुई साड़ी में ही दिखती थी। उसकी पर्सनालिटी बहुत ग्रेसफुल थी की कहीं से उसके पहनावे और व्यवहार से छिछोरापन नहीं नज़र आता था।


उनकी आंखों में एक नरमी थी, और चलने का अंदाज ऐसा कि दूर से ही नजर पड़े।


रागिनी के पति दुबई में कोई कंपनी में नौकरी करते हैं। पहले वो भी दुबई ही रहती थी मगर उसके पति की जॉब बदलने से दूसरे एमिरेट्स जाना पड़ा जहाँ भारतीय बच्चों के लिए अच्छा स्कूल नहीं था और उसके ससुर की मृत्यु के बाद सास अकेली हो गई थी तो रागिनी ने ही अपने दस साल के बेटे राहुल और अपनी सास के साथ भारत में रहने का फ़ैसला किया था।


वैसे तो वो मूल रूप से पास के दूसरे शहर की रहने वाली हैं, लेकिन बच्चों की अच्छी पढ़ाई की वजह से यहां शिफ्ट हो गईं थी और यहाँ घर ले लिया था।


मेरा आकाश और उनका राहुल दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे। हमारी मुलाकातें सुबह बस स्टॉप पर ही होतीं, जब हम दोनों अपने बेटों को बस में चढ़ाते। रागिनी का घर हमारे घर से पैदल दस मिनट की दूरी पर था। हमारा मिलना-जुलना बस उतने तक ही सीमित रहता – न ज्यादा, न कम। मेरी पत्नी से उनकी कभी मुलाकात नहीं हुई, क्योंकि पत्नी कभी बेटे को छोड़ने नहीं आती थी। वो अपना रूटीन स्ट्रिक्ट रखती है।


फिर आया हाफ-ईयरली एग्जाम का रिजल्ट। राहुल के मार्क्स देखकर रागिनी बहुत परेशान हो गईं। आकाश ने अच्छे नंबर लाए थे, क्योंकि मैं खुद घर पर उसे पढ़ाता हूं। शाम को वक्त निकालकर होमवर्क चेक करता, कॉन्सेप्ट्स क्लियर करता। रागिनी ने बातों-बातों में मुझसे कहा कि मैं किसी अच्छे टीचर का नाम बताऊं राहुल के लिए। मैंने सोचा, क्यों न खुद ही मदद कर लूं। बोला, इस रविवार को मैं उनके घर आकर राहुल से बात कर लूंगा, देखूंगा कि प्रॉब्लम क्या है। आखिर मैं तो आकाश को खुद पढ़ाता ही हूं, और शाम को फ्री भी रहता हूं।


रविवार को मैं पत्नी और आकाश को लेकर शाम को रागिनी के घर पहुंचा। उन्होंने बहुत गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया – चाय-नाश्ता, बातें होने लगी। मेरी पत्नी और रागिनी पहली बार मिलीं थी, लेकिन जल्दी ही दोनों खुल गईं। हंसी-मजाक होने लगा। मैंने राहुल से बात की, होमवर्क देखा। पाया कि बच्चे को बस थोड़ी गाइडेंस की जरूरत है – कॉन्सेप्ट्स क्लियर न होने से कन्फ्यूजन था। वो स्मार्ट था, बस फोकस की कमी। पत्नी ने सुझाव दिया कि क्यों न मैं शाम को आकाश के साथ एक घंटा राहुल को भी पढ़ा दूं। मैं ऑफिस से छह बजे लौटता हूं, फिर सात से आकाश को पढ़ाता।


मैं ज्यादा उत्साहित तो नहीं था, लेकिन रागिनी ने कहा कि वो रोजाना उसे पढ़ाती हैं, लेकिन शनिवार-रविवार को अगर मैं थोड़ा टाइम निकाल लूं, खासकर मैथ्स और साइंस में, तो बहुत मदद हो जाएगी। मैं मान गया। ये अरेंजमेंट अप्रैल तक का था, यानी सालाना एग्जाम तक। बात पक्की होते ही हम घर लौट आए।


मेरे घर मेरे मेरी छोटी बेटी बहुत डिस्टर्ब करती रहती है, तो उसके घर ही पढ़ने का प्लान किया। अगले शनिवार शाम छह बजे मैं रागिनी के घर राहुल को पढ़ाने पहुंचा। उन्होंने मेरे लिए चाय और फ्रेश नाश्ता रखा – सैंडविच और गरमागरम चाय तैयार थी। पीने के बाद तरोताजा महसूस हुआ। राहुल तेज दिमाग का था, ग्रहण शक्ति अच्छी। दो घंटे पढ़ाया, होमवर्क दिया, और रविवार को फिर आने को कहा।


ये सिलसिला चलता रहा – हर शनिवार-रविवार। पढ़ाते-पढ़ाते जनवरी-फरवरी निकल गई। बच्चे की प्रोग्रेस अच्छी हो रही थी, रागिनी खुश रहने लगीं। कभी-कभी वो थैंक्स कहतीं, कभी छोटा-मोटा गिफ्ट दे देतीं।


मार्च का महीना आया। एक शनिवार शाम को मैं राहुल को पढ़ाने पहुंचा। उस दिन मेरी पत्नी आकाश को लेकर अपने भाई के घर दो दिनों के लिए चली गई थी – फैमिली गेट-टुगेदर था। रागिनी ने मुझे ड्रॉइंग रूम में बिठाया, पानी लाने अंदर चली गईं। पांच मिनट बाद लौटीं, ग्लास और बिस्किट लेकर। मैंने पूछा, राहुल कहां है? तो पता चला कि वो और उसकी दादी दो दिनों के लिए अपनी बुआ के पास जूनागढ़ चला गया है। जो यहाँ से क़रीब १०० किमी दूर है। आज उसके बुआ के बेटे का बर्थडे था, तो उसका प्रोग्राम था, और वीक एंड भी था तो स्कूल भी नहीं था।


मैं खड़ा हो गया, चलने को तैयार। रागिनी ने कॉफी पीने को कहा, तो रुक गया। उस दिन उन्होंने गुलाबी गाउन पहना था – हल्का फैब्रिक, बॉडी को लूजली कवर करता हुआ। पांच फुट की हाइट में उनका पूरा बदन गदराया हुआ लग रहा था, जैसे हर कर्व पर फोकस हो। बाल ढीले जूड़े में बंधे, कंधे पर लहराते। आज रागिनी कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रही थीं। शायद पहली बार अकेले में देख रहा था उन्हें, और घर पर बीवी भी नहीं थी। उनकी सेक्स अपील तो पहले से ही मुझे दीवाना बनाती थी, लेकिन आज का गाउन उनके गोल-गदराए बदन को इस तरह हाईलाइट कर रहा था कि मन में गंदे ख्याल घूमने लगे। वो पीछे मुड़कर किचन की तरफ गईं तो नितंबों की लचक, गोलाई – उफ, जैसे न्योता दे रही हो। फिर वो मुस्कुराहट, उभरे हुए स्तन जो गाउन के नीचे से झांक रहे थे।


मैं शादीशुदा था, एक बेटे का बाप, लेकिन आज वो पुरुष जाग गया जो कभी शांत नहीं होता। वो जो हमेशा गरम चूत की तलाश में रहता है। मन में रागिनी को लेकर कामुक विचार उमड़ने लगे – उसे नंगा करके छूना, चूमना। मेरा लंड कठोर हो गया, मैं उसे दबाते हुए बैठा रहा। अंदर-बाहर खींचतान चल रही थी, लेकिन वो शैतान सुनने को तैयार नहीं।


रागिनी की सेक्स अपील ने जैसे जादू कर दिया। अंदर का शैतान जाग उठा, लेकिन मैं बलात्कार जैसा कुछ नहीं करना चाहता था। फैसला किया कि उन्हें मानसिक रूप से तैयार करूंगा, ताकि वो अपनी मर्जी से मेरे साथ चुदाई का मजा लें।


जबरदस्ती का रिस्क नहीं लेना था – बीवी को पता चल गया तो घर टूट सकता था, सोसाइटी में बदनामी। हां, रागिनी को छोड़ना चाहता था, उसके गदराए बदन को नंगा करके मसलना, चाटना, चूमना। लेकिन सिर्फ उनकी रजामंदी से। मकसद सिर्फ मजा लेना था, उन्हें पूरी तरह संतुष्ट करना। कोई लंबी रिलेशनशिप नहीं, बस रागिनी जैसी रसीली औरत के साथ गरमागरम चुदाई का असली स्वाद चखना। उनकी आहें सुनना, कराहें सुनना, मेरा मूसल जैसा लंड उनकी फूली हुई चूत में घुसाकर जोरदार ठुकाई मारना – ये सब कल्पना में घूम रहा था, और वो सच होने वाली थी।


बातों-बातों में मैंने बता दिया कि आज घर पर अकेला हूं। रागिनी डिनर करके जाने को बोलीं। थोड़ी ना-नुकुर की, लेकिन रुक गया। असल में मैं भी ज्यादा से ज्यादा वक्त उनके पास बिताना चाहता था, उनके बदन को करीब से देखना, हुस्न का मजा लेना। पिछले दो महीनों में हम काफी खुल गए थे। कभी मजाक हो जाता, मैं उनकी ड्रेस या मेकअप पर कॉम्प्लिमेंट दे देता। वो हंसकर ले लेतीं।


उस शाम मैंने उसी का फायदा उठाया। किचन में उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो डिनर बना रही थीं – सब्जी काट रही, मसाले डाल रही। बात शुरू की।


एक नॉन-वेज जोक सुनाया, जोर से हंस पड़ीं। थोड़ी देर बाद दूसरा जोक। फिर हंसी, और बोलीं, “आप तो बहुत मजाकिया आदमी हैं।” मैं पीछे से उनके भारी नितंबों को देख रहा था – गदराई गांड, गाउन के नीचे लचक रही। बातचीत को धीरे से सेक्स की तरफ मोड़ा।


बच्चों के सेक्स एजुकेशन से लेके प्री-मैरिटल सेक्स, फ्री सेक्स सोसाइटी जैसी चीजों पर। मकसद उनका टेंपरामेंट जानना था। वो फ्रैंक थीं, बोलीं कि पति दुबई में हैं, भले की तीन चार महीने में एकाध हफ़्ते के लिए आ जाते है लेकिन जरूरत तो महसूस होती है, लेकिन खुलकर नहीं कहा। बस इशारा किया कि अकेलापन कठिन है।


रात नौ बज गए। डिनर हो गया – सिंपल घर का खाना था, लेकिन स्वादिष्ट खाना था। हमारी बातें फिल्मों पर थीं, फिर जोक्स की बौछार हुई । डिनर के बाद में घर लौटने को तैयार हुआ। मन में उम्मीद थी कि शायद आज रात कुछ हो जाए, लेकिन मुजे उसकी साइड से कुछ संकेत न दिखा। मैं उसके घर के बाहर निकला, और घर आ गया।


रास्ते भर सोचता रहा कि रागिनी को कैसे चोदा जाए। अगला दिन संडे था, घर पर अकेला। फैसला किया कि बहाना बनाकर जाऊंगा, ओपन अप्रोच लूंगा, रिस्क लूंगा। तभी याद आया की मेरा छोटा बैग घर पर भूल आया। किस्मत ने मेरा साथ दिया।


मेरी बैग में एक ब्लू फिल्म की USB पेन ड्राइव थी, जो दोस्त से ली थी। अकेले में देखने का प्लान था। दिमाग घूम गया, लेकिन मुजे रात ग्यारह बजे वापस जाना ठीक न लगा। वैसे भी मामला गरम था – आंखों में रागिनी का बदन घूम रहा। मैंने मेरे कपड़े उतारे, और नंगा हो गया।


मेरा लंड खड़ा था और रागिनी के नाम का प्री-कम टपक रहा। मैंने आंखें बंद कीं, कल्पना में उसे नंगा करके मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में पिचकारी मारी और में झड़ गया, और बिना कपड़ों के ही सो गया। लेकिन लंड रात भर सोया नहीं, बार-बार खड़ा हो जाता।

सुबह तैयार होकर ग्यारह बजे रागिनी के घर पहुंचा। मेरे मन में दो प्लान थे। सीडी लेना, और सीधे सेक्स के लिए मनाना। मैं रिस्क लेने को तैयार था, लेकिन उसको किसी भी हाल में चोदना था।


रागिनी ने दरवाजा खोला, वो मुस्कुराते हुए मुजे अंदर ले आईं। उसने क्रीम कलर की साड़ी और ब्लाउज पहना था। बाल अभी शैंपू किए थे, और कंधों पर बिखरे। ब्लाउज के पीछे से सफेद ब्रा की स्ट्रैप्स झांक रही, वो कामदेवी लग रही। उसके उरोज उभरे हुए, बड़े-गोले, साड़ी के ब्लाउज में कसे हुए थे।


“कहीं जा रही हो?” मैंने पूछा।


“नहीं, लेकिन जानती थी तुम आओगे,” मुस्कुराईं। “कल बैग और पेन ड्राइव छूट गई थी।”


वो बेबाक बोलीं। मैंने यूएसबी देखी। फिर मैंने कहा, “हां, मैं जल्दी में भूल गया। पेन ड्राइव?…तुम्हें कैसे पता कि उसमें पेन ड्राइव है?”


वो मुस्कुराईं, मगर कुछ न बोलीं। मुझे भनक हो गई। मैंने पासा फेंका, “कैसी लगी पेन ड्राइव ?”


उसने नजरें झुकाईं, मुस्कुराईं। मैं समझ गया की तीर सही निशाने पर लग गया है ।


रागिनी ने रात को पेन ड्राइव की वीडियो देख ली थी और वो गरम हो गई थीं। मैंने बिल्कुल टाइम वेस्ट नहीं किया, गरम लोहे पर हथौड़ा मारा।

मैं आगे बढ़ा, और उसे बाहों में भर लिया।


उसके रसीले होंठों पर, और गोल गालों पर मैंने चूम्बन की बौछार कर दी । उसका चेहरा गीला हो गया।


रागिनी का बदन अंगारे सा जल रहा था, वो भी मुजसे चिपट गईं। हम दोनों की सांसें गरम और तेज हो गई। उसका पूरा बदन मेरी बाहों में कसमस रहा और आंखें बंद हो गई।


मैंने उसको गर्दन पर, कण्ठ पर, कान के नीचे किस की और फिर होंठ बुरी तरह चूसे। रागिनी के अंदर की प्यासी औरत जाग उठी। उसने बिना विरोध के बदन को ढीला कर के मुजे सौंप दिया, और तेज सांसें लेने लगीं।


मेरा रास्ता साफ हो गया। मैंने उसको मेरी बाहों में उठाया और बेडरूम की तरफ चला। मैंने उसको बेड पर लिटाया, फिर उनके जलते बदन के हर अंग को चूमने लगा। मेरे धधकते होंठ और गीली जीभ उनके सुलगते बदन में आग डाल रहे थे। मैं उनके ऊपर चढ़ गया।


रागिनी के अंदर की प्यासी औरत मेरे पुरुष के सामने सरेंडर कर चुकी थी। उसकी आंखें बंद थी सिर्फ तेज सांसें महसूस हो रही थी। अब वो भी जवाब देने लगीं – मैंने मेरी जीभ उनके मुंह में घुमाई, तो उन्होंने अपनी गरम जीभ मेरे मुंह में डाल दी।


उफ्फ…मैं उसको चूसने लगा। तेज सांसों से उनकी भरी हुई छाती ऊपर-नीचे हो रही जो मेरे उबलते लावे में और उबाल ला रही थी।


मैंने मेरा पैंट, शर्ट, बनियन उतार दिया। उसने आंखें खोलीं, मेरी बालों भरी छाती देखी। तो मेरे बालों से भरी पौरुषि छाती पे अपनी नाजुक उँगलिया घुमाने लगी।


फिर मैंने उसकी साड़ी का आंचल हटाया और ब्लाउज के ऊपर से उसके उन्नत संतरे जैसे उभारों को सहलाया। हमारा अभी भी चूम्बन जारी था – उसके मुंह से सिसकारियां निकलीं, “आह्ह…इश्श…स्स्स…स्स्स…” साड़ी निकालने में उसने मेरी मदद की।


मैंने उसकी साड़ी उतारी। अब वो पेटीकोट और ब्लाउज में लेटी रहीं। ताज़ी नहाई हुई थी तो भीगे बालों में बेहद सेक्सी लग रही थी।


माने उसके ब्लाउज के बटन ऊपर से ही उसकी अंगूरी चुचियों को सहलाते हुए खोले और उसका ब्लाउज निकाल दिया। ब्रा के कप्स में बड़े दूधिया स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे सफेद कप में आइसक्रीम भरे हों।


मैंने उसकी ब्रा के बॉर्डर पर जीभ फेरी, उसके उन्नत उभारों को चाटा। वो पैर सिकोड़ने और फैलाने लगीं। उसके चेहरे पर नशे का नजारा था और आंखें गुलाबी, आवाज नशीली हो गई।


वो अब मेरा सिर अपनी चुचियों पर दबाने लगीं। मैंने उसकी चुचियों को ब्रा की कैद से आजाद किया, और पागलों की तरह गोल चुचियों को चूमने लगा। लग रहा था कि उसकी चुचियों को काफ़ी समय से किसी मर्द ने ना छुआ हो।


मैंने उसका एक-एक निप्पल बड़ी बड़ी मुंह में लेकर चूसने लगा। रागिनी जोर-जोर से सिसकारियां मारने लगीं, “आह्ह…ऑफ्फ…हुश्श…स्स्स…उफ्फ…”और मुजे लिपट गईं। अब उसने अपनी सारी शर्म हया छोड़ दीं, अब वो सिर्फ एक औरत थीं और मैं एक मर्द – जो प्रकृति ने बनाया है। मैं भूल गया था खुद को, मैं अब सिर्फ एक कामातुर स्त्री को चोदने वाला पुरुष था।


मैंने उन नायाब खरबूजों का रस करीब पांच मिनट तक चूसा। फिर रसीले होंठों की बड़ी आई। आह मेरी जीभ उसके मुंह थी, वो मुजे लिपटीं थी, और उसकी आंखें बंद थी और मुँह से सिसकारियां, “उफ्फ…ओह्ह…हुश्श…श्श…स्स्स…” निकल रही थी और पूरी गरमी से मेरा साथ दे रही थी ।


पांच मिनट बाद मैंने उसके पेट के खुले हिस्से को सहलाया, उसको गुदगुदी हुई और मचलने लगीं। मैंने वहां चूमना शुरू किया, मेरी जीभ की नोक उसकी गहरी नाभि में घुमाई। फिर पेटीकोट के ऊपर से उसकी नर्म जांघों पर और विशाल कूल्हों पर हाथ फेरा। मुजे लगा की उसने पैंटी नहीं पहनी थी या तो सोचा शायद स्ट्रिंग वाली पहनी थी जो उसकी चुत और गांड की दरारो में कहीं खो गई थी।


मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला, उसने अपने नितंब उठाकर पेटीकोट को गांड के नीचे से निकाल दिया। मेरा लंड टन-टनाने लगा –उसने सच में पैंटी नहीं पहनी थी।


रागिनी नंगी लेटी हमारी चुदाई का इंतजार कर रही थी। उसकी नाजिक सी चूत पर छोटे छोटे सफ़ाई से ट्रिम किए बाल, और बीच में चूत की लाइन – बिलकुल कुंवारी औरत की चुत सी लग रही।


मैंने उसकी झांटों में उंगली घुमाई, मेरी उँगली मेरी मुँह में डालके गीली की और उसके छोटे से छेद पर लगाई।


उफ्फ, कितनी गरम और गीली थी उसकी चुत। उसके चुत के पानी से झांटें भींगीं हुई थी । मेरा हाथ रखते ही, “आह्ह्ह…उफ्फ्फ…ईईईई…” सिसकारियां निकालने लगी। मैंने मेरी गीली उंगली अंदर डाली, “स्स्स…स्स्स…उफ्फ…” गरमी भट्टी सी और एकदम गद्देदार और कसी हुई चूत थी जो लग रहा था कि काफ़ी समय से किसी के लंड की राह देख रही थी जैसे एक प्रेमिका अपने प्रेमी की।


मैंने ज्यादा इंतजार न किया। उसकी जांघें फैलाईं, और चूत पर मेरे होंठ रख दिए। वी तड़प उठी, “आह्ह…उईई…मां…आह्ह…” मैंने उसके छोटे से दाने को अपनी उँगलियों से फैलाया तो दाना ऊपर आ गया। मैंने उसके दाने को जीभ से सहलाया और चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ अंदर डाली। उसकी चूत से मादक सुगंध आ रही थी और उसका पानी नमकीन लेकिन टेस्टी था।


मैंने उसको चार-पांच मिनट चाटा, वो कमर उछालकर चूत मुंह पर रगड़ रही थी, और अपना पानी बहा रही थी।


फिर बोलीं, “प्लीज…अब सहन नहीं हो रहा…” इतनी काम क्रीड़ा में वो पहली बार बोलीं।


मैं भी रुक न सका। पैर ऊपर उठाए, फैलाए, गांड के नीचे दो तकिए लगाएं। उसकी मोटी गांड के नीचे तकिया लगाने से चूत ऊपर उठी और खुल गई । उसका छेद छोटा और गुलाबी था। चूत के होठ बहुत छोटे थे जैसे कोई नव विवाहिता की चुत हो।


मैंने मेरा फनफनाता लंड उसकी चूत पर रखा और घिसा। मैंने लंड को उसके दाने पर दबाया, “ऑफ्फ…ऑफ्फ…अब मत तड़पाओ…” उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने छेद पर सेट किया, और अंदर की और अपने चूतड़ ऊपर करके दबाया। मेरा सुपाड़ा अंदर फस गया।


“आह्ह्ह…उफ्फ…” उसके चेहरे पर हल्का सा दर्द था, लेकिन चुप थी। मैंने दूसरा धक्का जोर से मारा तो मेरा आधा लंड अंदर चला गया। मैं कुछ देर रुका और उसके अंगूरी निप्पल चूसने लगा।


अब वो चूतड़ हिलाने लगी। मैं एक क्षण के लिए रुका, मेरा लंड पीछे खींचा और तीसरा धक्का धक्का लगाया – फक्…की आवाज के साथ मेरा पूरा पूरा अंदर चला गया।


“आह्ह्ह…मर गई…ईईईईई…” मैंने पूछा, दर्द हुआ?


“तुम्हारा कितना मोटा…इतना लंबा…दर्द तो होगा ही…

निकाल लूं?” मैंने उसे चिढ़ाया। “नहीं…ईईई…” उसने एक प्रेमिका की तरह मेरी छाती पे हल्के से मुक्का मारा। मैंने पूरा लंड चूत की गहराई में उतार दिया। उसकी गरम भट्टी सी चूत थी इतनी गद्देदार और कसी हुई चुत मैं पहली बार चोद रहा था।


“प्लीज…जोर से…और जोर से…” उसने गांड उठाकर ताल मिलाई। मेरा लंड गहराई तक जा रहा था।


थोड़ी देर बाद मैं जबरदस्त धक्के लगाने लगा। मैं मेरा पूरा लंड सुपाड़े तक बाहर निकालता और एक ही झटके के साथ पूरी गहराई तक उतार देता था। उसकी चूत की चिकनाहट से लेरा लंड उसकी पनियाई हुई चुत में आसानी से सरक रहा था।


अब उसने मेरे कूल्हे पकड़े और अपनी चुत की और खींचने लगी जैसे मेरे धक्को की गहराई का कंट्रोल पूरा अपने हाथ में लेना चाहती हो। ज़्यादा गहराई लाने के लिए मैंने एक हाथ से उसकी एक टाँग को मेरे कंधे पर ले लिया जिससे पूरा लंड अंदर बाहर हो रहा था और उसकी चुत भी चौड़ी होके फ़च फ़च आवाज़ के साथ दे रही थी।


“आह्ह्ह…उफ्फ…और जोर से…आह्ह…हाय…हाय…” थोड़ी देर में उसका बदन कड़क हो गया और उसने मुजे ज़ोर से जकड़ लिया, उसकी चूत अपने ही पानी से और गीली हो गई थी, मगर अभी भी मेरा लंड कसा हुआ था और धक्के लगा रहा था। वो पूरी तरह से झड़ गईं थी और शांत हो गई थी। उसकी कई दिनों की प्यास बुझ गई थी। ऐसी चालू था फिर भी वो पसीने में नहाईं हुई थी। थोड़े झटकों में मैं भी शांत हो गया था। आज हम दोनों ने जोरदार ठुकाई की थी। मैंने अपनी पत्नी को भी कई सालों से कभी इतना नहीं चोदा था। अभी भी मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में था। हम दोनों ऐसे पड़े थे जैसे परम शांति मिल चुकी हो और अब किसी चीज़ की इच्छा ही नहीं हो। हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे से लिपटे रहे।


उसके बाद रागिनी ऐसे ही सो गईं। चुदाई से उसकी बुर की गरमी उत्तर गई थी तो एकदम रिलैक्स हो गई थी। मेरे वीर्य से उसकी चुत की दीवारें नेहलाईं उठी थी। मेरा लंड ढीला हो गया तो पच्छ आवाज़ के साथ बाहर खिच लिया। मैंने उसकी चूत देखी तो चूत की दरारो से क्रीम बह रहा था। क्युकी पिछले पांच दिन बीवी की माहवारी थी और फिर भाई के घर चली गई थी तो ज़्यादा ही माल जमा हो गया था।


कल रात को मैंने मूठ मारके झाड़ा था मगर मूठ में चुत जैसा मजा कहा? मैंने देखा तो खून की बूंदें चादर पर और मेरे लंड पर लगी हुई थी जो चुदी चूत से न आनी चाहिए। मैंने उसको फिर चूमा।


थोड़ी देर बाद रागिनी उठीं और बाथरूम गईं। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे तो मैंने उसको सहारा दिया। उसकी चूत को प्यार से साफ किया। वो मेरे सामने ही कमोड पे बैठ के मूतने लगी। मूतने के बाद पिचकारी से अपनी चुत साफ़ की।


मैंने पूछा, “रागिनी…क्या ये गलत हुआ?”

वो चुप थी। फिर मैंने उसे मेरे चेहरे के करीब लिया।

वो बोली, “प्लीज…आज नहीं…”

मैं समझ गया – वो दर्द था या सोच।


मैंने कपड़े पहने। उसने भी अलमारी से लूस ट्राउजर और टीशर्ट दल लिया।

दरवाज़े के पास पहुचे तो वो बोली, “आकाश की मम्मी आ गई?”

मैंने बोला, “नहीं।”


रागिनी बोली, “रात को डिनर के लिए आना न?”

मैं समझ गया…


मैं डिनर के लिए रागिनी के घर गया और उस रात रागिनी को रात भर अलग-अलग आसनों में चोदा…


मेरी पत्नी के आने के बाद भी रेगुलर चोदने जाता हूँ, उसके लिए हमने टाइम का जुगाड़ कर लिया है। जब हमारे बच्चे स्कूल चले जाते है, उसकी सास सुबह २-३ घंटे मंदिर चली जाती है और मेरी बीवी अपनी जॉब पर, तो मैं तैयार होके उसके घर चला जाता हूँ, चुदाई करके मैं ऑफिस चला जाता हूँ। अब हम ऐसे रहते है जैसे मैं उसका पति हूँ …लेकिन उस रात की पहली चुदाई कुछ अलग ही थी..


रागिनी मेरे साथ से एक बार गर्भवती हो गई, क्युकी हम दोनों ही कोई सावधानी नही लेते थे…

मैने ही उसका पति बन कर गर्भपात करवा के लाया..अब वो मुजे अपना पति ही मानती है। मेरे लिए व्रत भी करती है।


मैं भी दोनों माँ बेटे का बहुत ख्याल रखता हूँ। अब वो पिल्स लेने लगी है और हफ़्ते में तीन चार बार हमारी चुदाई हो ही जाती है।


जब उसके पति आते है तब हमारी चुदाई बंद हो जाती है मगर उसके वापस जाने का हम दोनों बेसब्री से इंतज़ार करते है।

आप को मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी, मुजे मेल करे jack.infinium@gmail.com

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Vaah Jack, mast kahani hai. शब्दों का बेहतरीन इस्तमाल किया है।

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Hii Kanchan bhabhi kaisi ho

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