मेरा नाम देवी सिंह दीवान है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूं. मेरी शादी को काफी वक्त हो गया है और शादी के बाद ही मैं अपनी पत्नी को मुंबई ले गया था. मेरी उम्र करीब 55 साल है. अभी भी भोग और वासना का शौकीन हूं इसलिए आप मुझे ठरकी भी कह सकते हैं.
शराब और साकी का शौक रखने के साथ ही ठरकपन भी मेरे अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ है. घर में हर सुख सुविधा मौजूद है. मेरी पत्नी से मुझे दो लड़के और दो लड़कियां हुए. नाती-पोते सब हैं और परिवार काफी खुशहाल है.
मेरे एक बेटे का नाम परमजीतन्द्र है और दूसरे का सुरेन्द्र है. मैंने दोनों को ही शुरू से ही बिजनेस में लगा दिया था. वो दोनों भी व्यापार में अच्छा खासा पैसा कमाते हैं. दोनों की ही बहुएं शालीन और सुशील हैं. मैंने भी काफी समय तक मुंबई में रिसर्च एनालिस्ट का काम किया और अब यह काम मैं शौकिया तौर पर करता हूं.
मैंने अपना ऑफिस घर में ही बना रखा है. मैंने जो भी पैसा कमाया वो सब व्यापार में लगा दिया. लड़कों को भी साथ में ले लिया और वही दोनों अब सब कुछ सम्भालते हैं. खाली समय में मैं पोर्न वीडियो देख कर टाइम पास कर लेता हूं. मेरे कम्प्यूटर में एक से एक पोर्न वीडियो का कलेक्शन है जिसको देख कर मैं लंड को हिला कर मजा ले लेता हूं.
पोर्न वीडियो देखने के साथ ही मुझे सेक्स स्टोरी पढ़ने का भी काफी शौक है. इस काम में www.kamvasna.in मेरा अच्छा मनोरंजन करती है. इसकी कहानियां पढ़ कर मैं अति उत्तेजित हो जाता हूं.
मेरी पत्नी का नाम सरला है. उसकी एक बड़ी बहन भी है यानि कि मेरी साली. उसका नाम मैंने बदल कर राखी रख दिया है. वह गुजरात के वलसाड में रहती है. उसके पास चार लड़कियां हैं. पहली सरिता 35 साल की है, दूसरी कामिनी जो 32 साल की है, तीसरी पूर्णिमा जो 30 साल की है और चौथी रितिका है जो 28 साल की है.
इन चारों में से पहली तीन की शादी हो चुकी है लेकिन रितिका अभी कुंवारी है. बड़ी वाली लड़की के जमाई के साथ मेरे साढ़ू ने फैक्टरी खोल रखी है. बड़ी वाली लड़की सरिता ज्यादातर मायके में ही रहती है. मेरी साली राखी की उम्र 55 के ही करीब होगी और अभी तक उसके मन में एक बेटा पैदा करने की इच्छा थी.
उसने बड़ी लड़की की शादी के बाद दामाद और ससुर ने मिल कर केमिकल का बड़ा प्लांट लगा दिया था. वो दोनों ही उसको चलाते थे. मेरे साढ़ू का नाम परमजीत है और उसकी उम्र 60 के करीब हो चुकी है.
बात उन दिनों की है जब परमजीत का स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं रहता था. यहां पर सब तरह के टेस्ट करवाए लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था. उसके बाद मेरे पास मेरी साली राखी का फोन आया कि जीजाजी इन्हें किसी अच्छे डॉक्टर के पास दिखाना होगा.
दरअसल वो लोग परमजीत का इलाज विदेश में कराने की सोच रहे थे इसीलिये राखी ने मेरी मदद मांगी थी. मेरे मन में भी विदेश में घूमने की इच्छा थी इसलिए मैंने भी तुरंत हां कर दी थी. मेरी शादी को 25 साल से ज्यादा हो चुके थे और इन सालों में मैंने जिन्दगी के काफी मजे लिये थे.
मेरी साली का बदन अभी भी मुझे आकर्षित करता था. वो भरे हुए बदन की मालकिन थी. पोर्न देखने का शौक तो मुझे था ही इसलिए कई बार पोर्न देखते हुए मैं अपनी साली के बदन की कल्पना कर लिया करता था. दरअसल जब मेरी शादी हुई थी तो उसके पास दो महीने की बच्ची थी. तब से ही मैंने उसके लिए एक वासना अपने मन में दबा रखी थी मगर इतने सालों में कभी मौका नहीं मिला कि उसके बदन को भोग सकूं.
एक बार ऐसे ही रात को 12 बजे के करीब मैं अपने कम्प्यूटर में पोर्न वीडियो देख रहा था. मेरे हाथ में दारू का पैग भी था. आप तो जानते ही हैं कि जब आदमी पी लेता है तो उसके मुंह से सब सच ही निकलने लगता है.
उस वक्त बेसिक फोन होते थे. दारू पीते हुए मैंने अपनी साली को फोन लगा दिया. मैं सोच रहा था कि साढ़ू तो अभी गहरी नींद में सो रहा होगा. मैंने नशे की हालत में अपनी साली को सब कुछ खुल कर बोल दिया.
उसको साफ साफ कह डाला कि एक रात मैं जी भर कर तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं. मगर मेरी साली संस्कारी थी और उसने बिना कुछ उत्तर दिये ही फोन रख दिया. उसके बाद भी हम कई बार मिले लेकिन उसकी तरफ से कोई पहल नहीं हुई और वह बात ऐसे ही आयी-गयी हो गई.
अब हमें अमेरिका में फिर से साथ जाने का मौका मिल रहा था. हम लोग यहां से निकल गये. अमेरिकी दूतावास में पहुंच कर एक भारतीय कर्मचारी ने बताया कि मुझे वहां पर किसी जानकार जरूरत पड़ेगी. वैसे काम चलाऊ अंग्रेजी तो मैं बोल ही लेता था लेकिन फिर भी उसने कहा कि वहां की अंग्रेजी के अनुवाद के लिए मुझे आवश्यकता होगी ही होगी.
उसने एक नम्बर मुझे दे दिया. वहां अमेरिका में उस जानकार को हवाई अड्डे पर मिलने का समय भी बता दिया गया. हम नियत समय पर अमेरिका पहुंच गये. जानकार साथ था तो हमें ज्यादा कुछ दिक्कत नहीं हुई. आराम से अस्पताल में भी पहुंच गये. दिसम्बर का महीना था और काफी ठंड पड़ रही थी.
हमारे पास हमारे भारतीय वस्त्र थे. वहां की सर्दी को बेअसर करने के लिए वह वस्त्र पर्याप्त नहीं थे. अस्पताल में जाकर साढ़ू जी को एडमिट करवा दिया. हमें बताया गया कि दोपहर में मरीज से केवल एक बार ही मिला जा सकता है. जरूरी पैसा हमने काउंटर पर जमा करवा दिया.
उन्होंने कहा कि यदि किसी चीज की आवश्यकता होगी तो वो लोग हमें फोन करके बुला लेंगे. हमने अस्पताल की सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर दी.
वहां से निकल कर सोचने लगे कि किसी नजदीक के ही होटल में ठहरना पड़ेगा क्योंकि यदि अस्पताल से फोन आता है तुरंत पहुंचना पड़ेगा.
मगर हमारे साथ जो जानकार था उसने बताया कि यहां नजदीक में होटल मिलना बहुत मुश्किल है. फिर उसने हमें कुछ और व्यवस्था करने का आश्वासन दिया. उस बंदे ने तीन चार जगह फोन घुमा कर हमारे लिए पास ही के एक होटल में ठहरने की व्यवस्था करवा दी.
गेस्ट हाउस के लिए निकले ही थे कि तभी स्नोफॉल चालू हो गया. बर्फ गिरने लगी. वैसे भी मेरी साली राखी को भारत में भी बहुत सर्दी लगती थी. जबकि अमेरिका में तो तापमान लगभग जीरो डिग्री के आसपास चल रहा था. मेरी साली ने साड़ी पहनी हुई थी. उसका पूरा शरीर कांप रहा था.
तभी अनुवादक ने कहा- भाभी जी मैं आपके लिए दवाई लेकर आता हूं वरना आपकी तबियत खराब हो जायेगी.
साली ने सोचा कि कोई मेडिसिन लेने की बात कर रहा है ये. मगर वो बंदा तीन स्ट्रान्ग वाइन लेकर आ गया.
दरअसल वहां के लोग सर्दी से बचने के लिए वाइन का ही सहारा लेते हैं. मेरी साली ने जैसे ही उसको सूंघा तो वो बोली कि ये तो दारू है. मैं ये नहीं पी सकती.
तब जानकार ने समझाते हुए कहा कि अगर आपको यहां पर रहना तो आपको पानी की जगह पर ये ही इस्तेमाल करनी होगी.
अगर आपने मेरी बात को अनदेखा किया तो आपको भी हमें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा. उसके बाद उस जानकार ने वाइन के गुणों के बारे में भी बताया. यह भी समझाया कि यहां सर्द देश में सब यही पीते हैं. किसी तरह समझा बुझाकर हमने साली से वह पैग खाली करवा ही दिया.
उसके बाद मैंने आंख से इशारा करके एक और पैग मंगवा दिया. दो पैग खाली होने के बाद उनको सर्दी से कुछ राहत मिली. तब तक मौसम भी काफी साफ हो गया था. मेरे जानकार ने एक बोतल अलग से लेकर मुझे दे दी और बोला कि यह आप लोगों का कल तक का काम चला देगी.
उसने कहा कि कल वह हम लोगों को अन्य सामान की खरीदी भी करवा देगा. उसने हमको गेस्ट हाउस ले जाकर छोड़ दिया. कल फिर से मिलने का वादा करके वो चला गया. उसके बाद हम लोग अंदर चले गये. अब तक पहले वाले पैग का असर खत्म हो गया था और साली साहिबा को फिर से सर्दी ने घेर लिया था.
अंदर जाकर मैंने एक स्ट्रान्ग पैग बना दिया जिसे राखी ने तुरंत खाली कर दिया. उसके बाद मैंने भी दो पैग लगाये और फिर फ्रिज से बर्गर निकाल कर ओवन में गर्म करने के लिए रख दिये. गर्म करने के बाद हमने साथ में बर्गर खाये.
जब तक हम खाना खाकर फ्री हुए तो रात के 11 बज चुके थे. अब सोने के लिए देखना था. चूंकि बेड सिंगल ही था इसलिए मजबूरन दोनों को एक ही बेड पर सोना था. मुझे तो अपनी साली के साथ सोने में कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि मेरे अंदर तो बरसों की प्यास दबी हुई थी. वो प्यास आज मुझे बुझती हुई नजर आ रही थी.
दोनों ही नशे में थे इसलिए सोचने और समझने की शक्ति दोनों की ही खत्म हो चुकी थी. हम दोनों बेड पर लेट गये. लेटते ही मेरे लौड़े ने सलामी दे दी. लंड पैंट में तन कर खड़ा होने लगा. मैंने एक टांग पर दूसरी टांग चढ़ा कर उसको छिपाने की कोशिश भी लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
वासना बार-बार उभर कर आ रही थी. मैंने साली की तरफ देखा और साली ने मेरी तरफ देखा. दोनों ही एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे. मैंने वासना वशीभूत होकर उसको अपनी तरफ हिम्मत करके खींच ही लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
चूंकि मौसम खराब था और सर्दी भी थी. साथ ही वाइन का सुरूर भी था. इसलिए साली ने भी ज्यादा कुछ नहीं सोचा और मेरा साथ देना शुरू कर दिया. दोनों ही एक दूसरे के जिस्मों अपने में समाने की कोशिश करते हुए एक दूसरे से लिपटते हुए चूमा-चाटी में लग गये.
मेरी साली राखी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर उसको हाथ में लेकर मरोड़ना शुरू कर दिया. उसके अंदर भी एक प्यास सी जाग गई थी. मैंने भी फिर आव देखा न ताव और अपने सारे कपड़े जैसे फाड़ते हुए एकदम से नंगा हो गया.
नंगा होने के बाद जब मैं रजाई में घुसा तो साली ने लंड को हाथ में पकड़ कर कहा- अरे बाप रे! इतना बड़ा! इतना मोटा.
दोस्तो, मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा है. मेरी साली ने शायद अपने जीवन में पहली बार ऐसा लिंग हाथ में लिया था.
मेरी साली की उम्र भले ही 55 की है लेकिन वो देखने में 40 की लगती है. उसका साइज 38-36-42 है. मेरा लंड तो तनतना रहा था. उसको इस वक्त एक छेद की जरूरत थी. इसलिए मैंने सबसे पहले 69 की पोजीशन बनाने के बारे में सोचा. मैंने उसके मुंह की तरफ लंड किया तो उसने लंड को मुंह में भरने में देर न की और उसको चूसने लगी.
इधर मेरा मुंह उसकी चूत में जा लगा और उसकी चूत में जीभ डाल कर मैं उसकी चूत को जैसे मुख चोदन का मजा देने लगा. जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत में अंदर जा रही थी वैसे ही वो मेरे लंड पर दांत से काट लेती थी. मस्त चुसाई कर रही थी मेरे लौड़े की.
फिर पांच-सात मिनट के बाद जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो उसने लंड को मुंह से निकाल कर कहा- जीजाजी, आपके साढ़ू ने चुदाई से दस साल पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. अब देरी मत करो और इस मूसल को मेरी चूत में डाल दो. काफी बरसों से इसको ऐसा दमदार लंड नसीब नहीं हुआ है.
मैं उसकी चूत की तरफ आकर उसके क्लिट को हाथ से मसलने लगा. मेरा इरादा पहली बार में ही सटीक निशाना लगाने का था. धीरे-धीरे उसकी चूत के छेद को टटोल कर पहले मैंने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड के सुपारे को सेट कर दिया.
उसके बाद बड़ी ही धीमी गति के साथ मैंने जोर लगाना शुरू किया. चूत में चिकनाई भी पूरी थी और मेरे लंड ने कामरस निकाल निकाल कर उसके पूरा चिकना कर रखा था. साथ ही साली के मुंह की लार भी लगी हुई थी. इतनी चिकनाई होने के बाद भी जब लौड़ा उसकी चूत में घुसने लगा तो उसकी आंखों से पानी बह निकला.
जब लंड तीन इंच तक अंदर घुस गया तो मैंने एक जोर का धक्का मारा और उसके होंठों को मैंने अपने होंठों से जोर से दबा दिया. आधा लंड मेरी साली की चूत में समा गया था. वो बुरी तरह से कसमसाते हुए छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
उसके बाद मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा कर एक और जोरदार धक्का लगाया और मेरी साली राखी ऐसे तड़पने लगी जैसे जल बिन मछली तड़पने लगती है. ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लंड अंदर किसी दीवार के जाकर टकरा रहा था.
मैंने अब विराम दे दिया. पांच मिनट तक शिथिल होकर उसके ऊपर पड़ा रहा. वो कहती रही कि इतने मोटे लंड से मुझे नहीं करवाना है लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी. उसको समझाने लगा कि काफी सालों से उसकी चूत की चुदाई नहीं हुई है इसलिए थोड़ी तकलीफ हो रही है.
अगर तुमने मेरा साथ दिया तो तुम्हें मैं जवानी के दौर में फिर से वापस ले जाऊंगा. भरोसा रखो मेरी जान.
मेरे इतना समझाने पर वो मान गयी और बोली कि ठीक है.
वो बोली- लेकिन इतनी जोर से नहीं करोगे.
मैंने कहा- जैसे तुम कहोगी बिल्कुल वैसे ही करूंगा. बस तुम मेरा साथ दे दो.
दोनों की सहमति के बाद मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को हिलाना शुरू किया. चूंकि लंड बहुत लंबा और मोटा था इसलिए मेरा लौड़ा उसकी चूत में फंस गया था. दस मिनट लग गये लंड को अपनी गति में आने में. अब मेरी साली भी अपनी गांड को उठाने लगी थी.
उसको चूत चुदवाते हुए मजा आने लगा था. मैं तो था ही ठरकी इसलिए चूत चुदाई का पूरा आनंद ले रहा था. दोनों के ही मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जब मैं झटका देता तो साली जवाब देते हुए गांड को मेरी तरफ धकेलती.
दोनों की इस कुश्ती में सर्दी तो जैसे छूमंतर हो गयी थी. हमें पता भी नहीं चला कि कब रजाई हमारे जिस्मों से सरक कर नीचे गिर गई. रजाई के हटते ही उसका जिस्म कमरे की रोशनी में नहा गया. कसम से क्या जिस्म था उसका. पहली बार मैंने अपनी साली राखी को नंगी देखा था.
उसके बाद मैंने उसको डॉगी की पोजीशन में आने का इशारा किया. वो उठ कर मेरे सामने झुक गई. उसकी गांड को थाम कर पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया और उसकी चोटी के नीचे उसकी पीठ पर चुम्बन देना शुरू कर दिया मैंने.
साथ ही साथ मैं उसकी गांड में उंगली भी कर रहा था. अपने शरीर का भार उसके बदन पर डाल कर चुदाई के मजे ले भी रहा था और उसको पूरा मजा देने की कोशिश कर रहा था. उसकी पीठ पर दांत के निशान हो चले थे.
सोच रहा था कि एक बार इसको संतुष्ट कर दूं तो फिर आराम से चुदाई करूंगा. उसके बाद मैंने अपनी गति बढ़ा दी और लगातार 60 से 70 धक्कों में हम दोनों पानी छूटने की कगार पर पहुंच गये.
मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं अपने माल को?
वो बोली- पूछना क्या है, अंदर ही गिरा दो ना … हाय … आह्ह …
चार-पांच करारे धक्कों के साथ मेरी तोप ने उसकी चूत में गोले दागने शुरू कर दिये. पिचकारी दर पिचकारी अपनी साली की चूत को अपने लावा से भर दिया मैंने. वो भी पानी छोड़ चुकी थी और दोनों की ही धड़कनें कमरे को जैसे सिर पर उठाने को हो रही थीं.
बरसों बाद साली की चूत चुदाई करके मुझे आज परम सुख की अनुभूति हो रही थी. इधर साली के चेहरे के भाव भी कुछ ऐसे ही थे. वो भी परम आनंद में गोते लगा रही थी.
हम दोनों थक कर चूर हो गये थे और बिस्तर पर गिर पड़े थे. उसके पांच मिनट बाद ही फोन की घंटी बजनी शुरू हो गई. फोन उठा कर देखा तो हॉस्पिटल से कॉल आया था. समय रात के तीन बजे का था. पहली बार में पता लग गया कि कोई इमरजेंसी हो गई है. वरना इतनी रात को फोन नहीं आता.
फोन उठा कर बात की तो उन्होंने वहां से बताया कि आपके मरीज की मृत्यु हो चुकी है. कल दिन में आकर आप बॉडी ले जा सकते हैं. ये सुनकर मेरी जीभ जैसे मुंह में ही जम गई.
साली ने पूछा- क्या हुआ, किसका फोन था?
मैंने कह दिया- मेरे मित्र का मुंबई से फोन आया था.
मैं अभी साढ़ू की मौत को साली के सामने जाहिर नहीं होने देना चाहता था. मैं अपनी साली को और अपने साढ़ू की बॉडी को सकुशल इंडिया लेकर आना चाहता था. इसलिए मैंने फोन को ऑफ कर दिया.
उसके बाद मैंने दो पैग बनाये और सिगरेट जला ली. मेरे हाथ में बोतल थी और मेरा सोया हुआ सांप मेरी टांगों के बीच में लटक रहा था. मैं नंगे बदन ही बोतल लेकर बेड पर आकर बैठ गया.
साली के पति यानि मेरे साढू की मौत अमेरिका में हो गयी थी. उसकी बॉडी लेकर हम भारत आये और उनका संस्कार किया.
उसके बाद मैं व मेरी पत्नी दोनों कार द्वारा रात को ही रवाना होकर देर रात को बम्बई आ पहुंचे. घर जाकर हम दोनों ने एक नींद लेना सार्थक समझा. सोने से पहले हमेशा की तरह कच्ची गांठ लगा कर लुंगी पहन कर सोया, अंडरवियर रात को पहनने की आदत नहीं है क्योंकि रात्रि में जब पत्नी बिस्तर पर आती है, तब हम दोनों एकदम नंगे सोते हैं.
लुंगी तो बहाना था. थोड़ी सी हिलते ही खुल जाती है.
सोने से पहले वहां से लाई टेबलेट में से दो गोली पत्नी ने चुपके से गले में डाल कर पानी के साथ निगल लीं. थकावट के कारण कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला. रात को पत्नी बिस्तर पर आई या नहीं!
जब आंख खुली तो मेरे लंड को कुछ महसूस हुआ. उसको दोनों हाथ में पकड़ कर हिला कर जीभ द्वारा ऊपर का टोपा चाटने के कारण आंख खुल गई थी. मैंने यही समझा कि घर वाली ही होगी, ज्यादा आंख नहीं खोली, बस उसकी बांह पकड़ कर ऊपर बिस्तर में खींच लिया. उसे सीधा अपनी छाती पर ले लिया.
आह … ये क्या हुआ … आज वजन भी कम लगा … पकड़ने में भी उतनी मोटी नहीं लग रही थी. मैंने आंखें खोल कर देखा तो ये बड़े बेटे की बहू थी. बहू ने मेरा सर कस कर पकड़ लिया था और अपने होंठों से मेरे होंठों को मिला कर चुम्बन लेने में लगी थी. मैं कुछ समझता तब तक उसने मेरी जीभ को अपने दांतों के बीच पकड़ ली और जोर जोर से चूसने लगी.
आखिर मैं कोई औरत तो था नहीं … मर्द था. इस समय मुझे सेक्स की सख्त आवश्यकता थी. बहुरानी ने बाकी कुछ सोचने समझने का समय ही नहीं दिया. अब बहू भी समझ चुकी थी कि ससुरजी का कोई प्रतिरोध नहीं है.
वो पहले से ज्यादा खुलते हुए बोली- भड़वे आखिर इतना बड़ा लंड लेकर इस घर में रह रहा है, इसी घर में तेरी दो दो बहुएं हैं. कभी बताया क्यों नहीं. वो तो आज अच्छा हुआ मेरी देवरानी के भाई का एक्सीडेंट हो गया. सासुजी व देवरानी दोनों अस्पताल गए हुए हैं. अब कुत्ते ये बता, इतना बड़ा लंड तेरा है, तो तेरे लड़कों के छोटे लंड क्यों हैं. क्या वो तेरी औलाद नहीं हैं … किसी और के लंड की पैदाइश हैं?
बहू का इतना ही कहना था और इस वक्त ऐसे हालात में नारी जब पुरुष पर भारी पड़ रही हो, तो पुरुष को तुरंत एक्शन ले लेना चाहिए. अन्यथा पूरी जिन्दगी नारी, पुरुष पर हावी रहती है. इसलिए जब कभी भी ऐसा हो, तो औरत की जात को अपने ऊपर हावी होने से पहले ही उसे दबा देना चाहिए.
उसकी गालियां सुनकर मेरे पास एक ही तरीका था. एक झापड़ मैंने बहू के गाल के ऊपर दे मारा- साली हरामजादी कुतिया बहन की लौड़ी … तू मुझे ललकार रही है?
वो जोर जोर से पैर पकड़ कर माफी मांगने लगी थी- एक बार मुझे माफ कर दो.
इधर मैंने शराब की बोतल हाथ में लेकर दो चार घूंट खींचे.
‘ले साली अब तू भी दो चार घूंट पी ले.’ मैंने उसके मुँह में बोतल लगाई, उसे तीन चार घूंट पिला दी. वैसे हमारे परिवार में शराब खुले तौर पर सभी पीते हैं. मैंने कभी भी बंदिश नहीं रखी है. बहुत बार हम शाम को सपरिवार एक साथ बैठ कर दारू पीते हैं. बच्चे कभी कभी पीते हैं. हम दोनों पति पत्नी रोज शाम को पीते हैं. हम जब पीते हैं, तब हम हमारे कमरे में बैठ कर आराम से पीते हैं.
मैंने बहू को बोला- ले आज तेरी इच्छा पूरी कर देता हूं. वैसे भी सास का वजन कुछ ज्यादा बढ़ने के कारण वो मोटी हो गयी है. तू भी बड़के के साथ बड़ी मस्त चुदाई करवाती है. (बड़का मेरा बड़ा लड़का, छुटका छोटा लड़का)
मेरे पूरे घर में वाई फाई के हिडन कैमरे को इस तरह से सैट किए हुए थे कि इनके बारे में हम पति पत्नी के सिवाय किसी को मालूम नहीं था. जब मैंने कैमरे लगाए थे, उस समय पत्नी ने एतराज किया था लेकिन मैंने उसे मना लिया था.
कुछ दिन बाद पत्नी को भी बच्चों की चुदाई देखने में मजा आने लगा.
मैंने बहू से बोला- तुझे गांड चाटने का बहुत शौक है ना … चल साली तू आज मेरी भी गांड चाट कर बता.
वो बोली- बाबूजी … ये सब आपको कैसे पता?
मैं- वो सब मैं तुझे बाद में बताऊंगा.
वो बोली- पहले ये बता दो … आपका मूसल इतना मोटा और लम्बा कैसे है?
मैंने कहा- तू आम खा … गुठलियां मत गिन.
ये सुन कर बहू ने पहले जीभ से लंड को चाटना शुरू किया. वो लंड चाटते हुए मेरे अंडकोष को भी जीभ से चाटने लगी.
काफी देर चाटते अपने मुँह को दोनों टांगों के बीच लाकर मेरे पैरों को चौड़ा कर दिया. अब उसका मुँह मेरी गांड को आसानी से छू रहा था. उसने अपनी काफी जीभ बाहर निकाली और मेरी गांड के अन्दर घुमाने लगी.
“आंह …”
मेरे लिए यह एहसास पहली बार हो रहा था, जो आनन्द मुझे आज मिल रहा था … उसका बखान मैं शब्दों में नहीं कर सकता.
कुछ ही देर में मैं उत्तेजना की परकाष्ठा पर पहुंच चुका था. अब मेरी सहन शक्ति के बाहर था. मैंने अपनी बहू के कपड़ों को खींचना चालू किया. उसका ब्लाउज फट कर हाथ में आ गया.
अन्दर ब्रा पहनी हुई नहीं थी, उसकी गोलाइयां एकदम बड़ी साइज़ में ऊपर को ओर उठी हुई थीं. दो बच्चों की मां होकर भी गोलाइयां बड़ी मस्त थीं.
मैंने बहू के मम्मों को हाथ से सहलाना चालू किया. बहू ने तब तक अपना पेटीकोट खोल दिया था. अब वो पूर्ण नंगी थी. उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ देकर पेट तक ले आया. बहू ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर में लपेट लिया था. वो अब लंड के ऊपर बैठी थी. उसके दूध मेरे मुँह में आ रहे थे.
उत्तेजना के मारे मैं वहशी दरिन्दा बन चुका था. अमरीका से लायी दवाइयों के कारण मेरा मूसल पत्थर की तरह कड़ा था. उसके मम्मों को मुँह में बारी बारी से लेकर जोर जोर से चूसने लगा. कभी कभी दांत से काट भी लेता था. मम्मों से मुँह हटा कर मैं उसके गले पर चिकोटी काटने लगा.
इस तरह के प्रयास से बहू पूर्ण उत्तेजित हो चुकी थी. इस समय मुझे बाथरूम लगी हुई थी.
बाथरूम जाने के लिए उसे सामने से पैर के नीचे से पकड़ कर पेट तक ऊंचा ले लिया. बहू ने दोनों टांगें मेरी कमर से कस लीं. अब मेरे कड़क लंड पर उसकी गांड चिपकी हुई थी. मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर शॉवर चालू कर दिया. मैं दूसरी तरफ खड़े खड़े ही पेशाब करने लगा. तभी मन में अजीब ख्याल आया.
मैंने शॉवर बन्द करके उसे नीचे बैठाया. फिर मुण्डी को पकड़ कर उसके मुँह को लंड तक ले आया. दूसरे हाथ से बालों को कस कर पकड़ लंड उसके मुँह में डालने लगा. बहू समझ गयी और उसने अपना मुँह खोल दिया.
मैं धीरे धीरे पेशाब उसको पिलाने लगा. जैसे ही वो थूकती, पीछे से मैं जोर से उसके बालों को मरोड़ देता.
इससे बहू समझ गयी कि वो चली तो थी शेर बनने, अब गीदड़ बनना ही ठीक रहेगा.
सासु व देवरानी तो शाम तक आएंगी, बच्चे को स्कूल से आने में अभी चार घण्टे और लगेंगे. इन चार घंटों में उसे बचाने वाला कोई नहीं है. अब सिर्फ ससुर जैसा चाहें, वैसे करते रहने में फायदा है. पता नहीं आज मति क्यों मारी गयी थी, कहां इस जानवर के पल्ले पड़ गयी.
बहू ने धीरे धीरे थोड़ा मूत पीना चालू कर दिया. जब मैंने देखा कि अब हद से ज्यादा हो रहा है, तो मैं लंड को हिलाते हुए बाकी का पेशाब उसके शरीर पर करने लगा. जब पेशाब करना पूरा हो गया … तब मैंने उसे बाल खींच कर खड़ा किया. शॉवर चालू कर उसे सीने से चिपका लिया. दोनों हाथ उसकी बांहों में डाल दिए. बहू ने भी दोनों हाथ मेरे बांहों में डाले और होंठों से मुझे चूमने लगी. ऊपर शॉवर का ठंडा पानी, दो बदन चिपके हुए … आह बड़ा मजा आ रहा था.
करीब दस मिनट तक हम दोनों चुम्बन लेने के बाद फ्री हो गए. बहू ने शॉवर बन्द कर दिया और साबुन लेकर मेरे शरीर पर लगाने लगी. मेरे शरीर पर लगाने के बाद बहू के हाथ से साबुन लेकर मैं उसके शरीर पर लगाने लगा. साबुन लगाने के बाद दोनों एक दूसरे के साबुन से मैल उतारने लगे. वो मेरे लंड पर हाथ चलाने लगी, मैं उसकी चूत को मलने लगा.
इस तरह हम दोनों ने साबुन को पानी से धोया. फिर बहू की दोनों टांग चौड़ी करके लंड के सुपारे को चूत के छेद पर रख कर अन्दर पेलने की तैयारी की. मैंने बहू के चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ कर उठा लिया.
ऐसा करने से बहू एकदम जोर से चीख पड़ी- पापा मुझे छोड़ो!
उसकी आवाज कहीं पड़ोस में नहीं चली जाए, उससे पहले दोनों नितम्बों के पीछे एक हाथ से उसे साधे रखा … क्योंकि वो लम्बाई में मेरे से ठिगनी थी. मैंने दूसरे हाथ से सर के पीछे बालों को पकड़ कर होंठ से होंठ जकड़ दिए … ताकि उसकी आवाज बाहर नहीं जा पाए.
बहू मुझसे छूटने के लिए छटपटा रही थी. एक बार उसको धीरे से नीचे उतारा, तो खून दिखा. उसकी चूत फ़टी हुई थी.
बहू सिसकियां लेते हुए कहे जा रही थी- पापा मुझे माफ कर दो … मैं आज नहीं करवा सकती.
मैंने एक बार शॉवर को वापस चालू किया ताकि खून पानी के साथ बह जाए.
उधर मैंने बहू से कहा- इस बार तुम कहोगी वैसे धीरे धीरे करूँगा. अब एक बार जो दर्द होना था, वो हो गया. अब इसके आगे मस्ती ही मस्ती है. तुमने सोये हुए शेर को जगाया है, अब प्रेम से करवाओगी तो ठीक … वरना मुझे अपनी मर्जी करनी आती है. अब जब तक मेरा पानी नहीं छूटेगा, तब तक तुम्हें आज कोई नहीं बचा सकता. अब चाहे तेरी सासु या कोई भी आ जाए, अब चुदाई से पहले तेरी मुक्ति नहीं है. चलो ये तूने अच्छा ही किया … वैसे भी तुम्हारी सासु भी अगर देख लेगी, तो वो भी मना नहीं कर सकती. उसे मालूम है, जो मुझे चाहिये होता है, वो मैं पाकर ही रहता हूँ. अब तू तो मिली, साथ में छोटी वाली बहू छुटकी भी तेरे जरिये मुझे मिलेगी.
मैंने बाथरूम में ही चलते शॉवर के नीचे खड़े खड़े ही बहू को चोदना जारी रखा. बीस पच्चीस धक्कों में बहू की चूत ने फच फच कर पानी छोड़ दिया.
शॉवर का पानी से बहता खून रुक गया था. अब मैंने बहू को बाथरूम में ही लिटा दिया और उसे चोदना जारी रखा.
करीब आधा घंटा में बहू तीन बार पानी फेंक चुकी थी. मैं भी बस स्खलित होने वाला था. मैंने उसे बैठा कर गोदी में लिया. चूत पर लंड सैट करके उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर से लपेट लिया. उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ डाल कर उसे ऊपर नीचे करने लगा.
कुछ ही देर में बहू ने भी साथ देना चालू कर दिया. अब हम एक साथ स्खलित होने के कगार पर पहुंच गए. इस दरम्यान हमारी स्पीड बढ़ चुकी थी. बहू के मुँह से आवाजें निकल रही थीं, साथ में वो मेरे कंधे पर दांत से चिकोटी काट रही थी. सम्भवत मेरी नजर में ये उसकी पहली मस्त चुदाई थी.
फिर हम दोनों एक साथ स्खलित हुए. दोनों ने एक दूसरे को बांहों में जकड़ लिया.
जब तूफान गुजर गया तो बहू होंठों से चुंबन ले कर बोली- ओल्ड इज गोल्ड बाबूजी … पिछले दस साल में ऐसी चुदाई नहीं हुई … अब मेरी चुत दर्द कर रही है.
मैं बोला- जब चुदाई हो रही थी, उस समय दर्द कहां था?
वो बोली- चुदाई का मीठा अहसास ने दर्द को छिपा लिया था.
मैंने उसे दोनों हाथ से उठाया, बाथरूम में एक बार फिर शॉवर चला कर अच्छी तरह से धोकर कपड़े से पौंछा. गोद में उठा कर बिस्तर पर लाकर दवाई के बॉक्स से पेन किलर दीं. कुछ वैसलीन चुत पर लगाई. उसने दोनों हाथ से बांहों का हार बना कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
ये देख कर लगता था कि बहू का मन और चुदाई का था … पर वक्त देख कर अभी मुनासिब नहीं समझा.
मैंने कपड़े देकर पहनने को बोला.
बहू बोली- बाबूजी अब ये तो बता दो आप हमारी चुदाई कैसे देखते थे?
‘ये मत पूछ बड़की.’
फिर भी वो जिद करने लगी.
तब मैंने उससे बोला- औरत के पेट में बात पचती नहीं … क्या गारण्टी है कि तू किसी को नहीं बताएगी?
वो बोली- बाबूजी, अब आपकी चुदाई से जो मजा आज मिला है, वो अब आपके लड़के से नहीं मिलने वाला. कहां आपका मूसल सा लौड़ा … और कहां आपके बेटे की लुल्ली. अब मुझे आपको ही चोदना होगा वरना आप जानते ही हैं कि जिस्म की भूखी औरत क्या नहीं कर सकती.
जब कुछ कुछ विश्वास हुआ, तब भी फिर से एक बार उसे परखने की सोचा. मैंने पूछा- मैं कैसे मानूं कि तू किसी को नहीं कहेगी.
बहू बोली- आप मेरे साथ चलिए, मेरे साथ मेरे कमरे में चलें, मैं अपना वचन वहीं बताऊँगी.
अभी तक हम दोनों नंगे ही थे. मैंने उसकी गांड के नीचे से हाथ डाल कर गोदी में उठा लिया. दवाई के असर से स्खलित होने के बाद भी मेरा लंड मूसल की तरह बहू की चूत से टच हो रहा था. मैं उसे उठा कर उसके कमरे में ले गया. मैंने दोनों हाथ से उसे उठा कर अपनी छाती से लगाया और चलते चलते उसे चुम्बन से छेड़ने लगा. वो भी अपने दांतों से मेरी छाती की घुंडियों को काटने लगी … कभी गालों पर चुंबन देती.
मन ही मन मैं मजे लेता हुआ उसके द्वारा दिए गए दर्द को सहन कर रहा था. मैं उसको उसके कमरे में ले गया.
उसने सिंदूर की डिब्बी हाथ में लेकर देते हुए बोली- आज से आप मेरी मांग भर दो, अब से मैं आपको ही अपना पति मानती हूँ.
इतना कह कर वो मेरे पैरों में गिर पड़ी. उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
मैंने उसे उठा कर सीने से लगाते हुए कहा- मेरी भी इज्जत का सवाल है, मेरे बेटों की नजर में अपनी इज्जत कम नहीं करना चाहता.
अब वो हंस कर बोली- अभी आप बहुत ही बुद्धू के बुद्धू ठहरे.
मैं बोला- वो कैसे?
वो- पहले आप मेरी मांग भरिये, फिर आप मुझे अपने कमरे में ले चलिए.
उसकी मांग भर कर मैं उसे अपने कमरे में ले आया.
वो बोली- अब आप बेड पर लेट कर मुझे ऊपर ले लो.
उसने जैसा बोला, मैंने वैसा ही किया. उसने लंड को हाथ से पकड़ा और अपनी चूत में रखते हुए बोली- ये चुत जब जलने लगती है, तब दुनिया की कोई ताकत इस चुत को चुदाई करने से नहीं रोक सकती है. आपको औरत जात की पहचान नहीं है. जब तक उसकी इच्छा पूरी नहीं होती, तब तक उसे कोई नहीं चोद सकता. अगर उसे कोई पहचानने वाला नहीं हो.
मैं- मतलब?
वो बोली- औरत अपनी इज्जत कभी जाने नहीं देती, जब इज्जत का डर नहीं हो तो वो कहीं भी चुद जाती है. औरत उसी की हो जाती है, जो उसको खुश रख सके. अब आज से आप ही मुझे खुश रख सकते हैं.
इतनी देर की बातों में उसने मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर डाला और ऊपर नीचे होने लगी.
मैंने पूछा- बहू सुन.
वो बोली- अब बहू मत बोलो, अब रानी बोलो. जब भी अकेले हो, उस समय मैं आपको राजा और आप मुझे रानी बोलोगे. और हां … इस चुदाई की अभी किसी को मालूम नहीं होना चाहिये. अब आप बता दो कि आप हमारी चुदाई को कैसे देखते थे?
मेरा मन अभी संतुष्ट नहीं हुआ. मैंने उसे कुछ नहीं बताया.
वो बोली- तब आपको मालूम ही होगा कि आपका बेटा सप्ताह में एक बार ही मेरी चुदाई करता है. वो भी जब, जब मैं उसकी लुल्ली को हिला कर तैयार करूं तब … और आपको ये भी मालूम होगा कि बड़ी मुश्किल से पांच मिनट में लुल्ली झाड़ कर अलग हो जाते हैं. उसके बाद भी मैं उनकी बैठी हुई लुल्ली को चूत पर हिलाती हूँ.
अब मुझे विश्वास हो गया. उसकी चूत में रखे लंड, सहित उठा कर मैं अपने कमरे में बने अन्डर ग्राउण्ड कमरे में ले गया. नीचे एक ही बेसमेन्ट में कमरा था. कमरे के एक हिस्से में सेफ रखी थी, दूसरी तरफ गैंग बैंग चुदाई के लिए जगह थी. तीसरा हिस्सा फाइव स्टार होटल के कमरे की तरह सजा था. ये मस्त चुदाई के लिए कर रखा था. उसी कमरे में वाई फाई इंटरनेट कैमरे का कंट्रोल रूम बना रखा था.
मैंने बहू को पलंग पर लिटा कर टीवी ऑन किया और उसे घर के हर कमरे को दिखाने लगा.
जब बहू का कमरा आया, तो उसने रुकने को कहा. अच्छी तरह से कैमरे की लोकेशन का अंदाज लगा कर वो बोली- वहां तो कोई कैमरा नहीं है … और ये अंडर ग्राउंड वाली जगह हमें कभी मालूम ही नहीं होने दी.
मैं कुछ नहीं बोला … बस उसकी चूची मसलता रहा.
मैंने उससे कहा- रानी अब अगर किसी को मालूम पड़ गया, तो फिर मैं आज की पूरी वीडियो बना कर अपने मोबाईल में रखूंगा. जब भी मेरी इज्जत जाती दिखी, उस दिन ये वीडियो आगे करके तुझे ही गुनाहगार साबित कर दूंगा. तुम सोच लेना कि इस घर में तेरी इज्जत क्या रहेगी.
उसने कहा- आप बहुत भोले हैं. अब आज की चुदाई को यहीं विराम दें, कल मां जी के साथ दिन में इसी कमरे में चुदाई कराऊँगी.
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया. मैंने धकापेल चुदाई करके उसकी चुत में रस छोड़ा और उसे लेकर ऊपर आ गया.
उसे कपड़े पहना कर एक और दर्द निवारक टेबलेट देकर फ्री किया. दूसरे दिन बहू ने जिद की और अपनी सास के साथ मेरे लंड से चुदाई करवाने की बात कही. मैंने उसे कुछ दिन रुकने का कहा.
तीन दिन लगातर उसे हचक कर चोदने के बाद मैंने उससे कुछ दिन रेस्ट करने की कहा. उससे दो चार दिन का बोल कर लंड लेने आने से रोक दिया. इस तरह मेरी बहू मेरे लंड की फैन बन गई थी.
इसके बाद जब कभी हम अकेले होते हैं, बिंदास चुदाई की मस्ती करते हैं.
ये कहानी कुछ हद तक काल्पनिक है। थोड़ी सच्चाई भी है। आपको ये Desi Sex Story कैसी लगी … प्लीज़ मेल करके जरूर बताएं.
तब तक के लिए नमस्ते.
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