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मेरी मज़दूर माँ को मालिक ने पेला बाद में मैंने

Updated: Apr 17

मेरा नाम मुकेश है. मैं 25 साल का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ।.

मेरा जन्म गरीब घराने में हुआ था. मेरी मां शारदा और पिताजी पूरन की खुद की जमीन नहीं थी तो वे दूसरे के खेत में मजदूरी करके हमारा पेट भरते थे.मेहनत मजदूरी करके हमे खाने को रूखी सूखी रोटी ही मिलती थी.

मैं भी बड़ा होकर मां पिताजी के साथ खेतों में काम करने जाने लगा था.

एक दिन मैं मां के साथ काम कर रहा था कि मालिक वहां आया और उसने मेरी मां से कहा- सामने वाली कुटिया को साफ कर दो.

मां समझ गयी कि मालिक क्या चाहता है.पर वह मेरे सामने कैसे जा सकती थी.उसे मालूम था कि कुटिया के अन्दर जाते ही मालिक उसे पकड़ लेगा और चोद देगा.

वह अभी सोच ही रही थी कि मालिक की आवाज फिर से आयी.

‘शारदा जल्दी जाओ!’तब मम्मी चली गयी.

कुटिया में जाने के बाद 5 मिनट ही हुए थे कि मालिक भी कुटिया में चले गए.

इधर बाहर मैं अपने काम में मग्न था.

बहुत देर होने के बाद भी जब मेरी मां कुटिया से बाहर नहीं आयी, तो मैं अपनी मां को देखने के लिए कुटिया के पास चला गया.

कुटिया के अन्दर से मां की कामुक सिसकारियां सुनायी देने लगीं। मैंने कुटिया के अन्दर झाँका तो मैं हड़बड़ा गया.

मेरी मां पूरी नंगी थी, मालिक भी नीचे से नंगे थे.उन्होंने मां को अपनी कमर पर उठा रखा था और पीछे से वे मां की चुत में अपना लंड पेल रहे थे.

मुजे यह देख कर बड़ा गुस्सा आया.पर मैं कर भी क्या सकता था। में मालिक से डरता था.

मेरी मां मालिक के गले में बांहें डाल झूला झूलती हुई मजे से चुत चुदवा रही थी.मालिक का लंड माँ की चुत के अन्दर गोते खा रहा था.

मां के चेहेरे पर एक सुकून झलक रहा था.कुछ देर तक मेरी मां को नंगी चुदती हुई देख कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था.

मैं न चाहते हुए भी मेरा लंड सहलाने लगा.अब मेरे मन में अपनी मां के प्रति कामभावना जाग चुकी थी.

मैंने अब तक अपनी मां को कभी निर्वस्त्र नहीं देखा था.उसके स्तन उसकी कमर उसकी टांगें उसका पिछवाड़ा सब मेरे लिए नया अनुभव था.

आज मुजे मन में अपनी मां के लिए गंदे ख्याल आ गए थे. मैं मालिक और मां की चुदायी देखने में खो गया था और उसका लंड कड़क होकर चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेताब था.

मैंने चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ा और सहलाने लगा.तब तक अन्दर का नजारा बदल गया था.

मालिक ने मेरी मां को खटिया पर पटक कर उसे घोड़ी बना दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में लिए मालिक साब मां के पीछे आ गए थे.

अब वे मेरी मां की गांड के छेद पर थूक लगाने लगे थे.थोड़ा सा थूक अपने लंड पर भी लगा कर मालिक ने मां की गांड के छेद पर अपना लौड़ा टिका दिया.

उसके बाद मालिक ने मां की कमर कस कर पकड़ी और एक ही धक्के में अपना लंड मां की गांड में उतार दिया.

माँ ये झटका और दर्द सह न पायी और चिल्ला उठी- उइ मां मर गयी मालिक … छोड़ो … निकालो मैं मर गयी … मेरी गांड फट गयी!

यह देख कर मेरे मन में सवाल उठा कि कोई गांड़ में लंड कैसे डाल सकता है!

मैंने शायद यह नहीं देखा था कि मेरी मां की हालत खराब हो गई थी और वह मालिक से छूटने के लिए छटपटा रही थी.

पर मालिक की पकड़ मजबूत थी, उन्होंने मां को कसके पकड़ा हुआ था.

तभी उन्होंने एक और धक्का मारा, इस बार उनका पूरा लंड मां की गांड के अन्दर घुस गया था.

यह कामुक दृश्य देख कर मेरा बांध फूट पड़ा और मेरे लंड ने तत्काल पिचकारी छोड़ दी.

चूंकि लंड ने पतलून के अन्दर ही वीर्य फेंक दिया था तो मेरे लंड का लावा पैट से होते हुए पैरों पर बहने लगा.

मेरे मन में मां के शरीर को पाने की चाह जाग गई. मैंने मां को चोदते हुए मालिक में खुद को देखा कि में ख़ुद मां को पेल रहा हूँ.

इस भावना ने मुजे कामुक बना दिया और में वहां से निकल कर कुंए के पास आ गया.उधर मैंने अपने वीर्य से भरे पैंट को निकाला और अपने पैरों को धोने लगा.

मेरे दिलो दिमाग से अभी तक मां का नंगा शरीर नहीं जा रहा था.

कुछ ही देर में मेरी टांगों की सफाई हो गयी और वह पेड़ के नीचे जाकर अपने काम में लग गया.

कुछ देर बाद मेरी मां शारदा आ गयी और मेरे बगल में बैठ कर काम करने लगी जैसे कुछ ना हुआ हो।

उसने मुजे देखा, और में खयालों में खोया हुआ था। माँ ने मुजे आवाज लगायी और बोली- मुकेश, क्या हुआ? मैंने ने देखा कि मां मेरे बगल में बैठ कर काम कर रही है, तो मेरी तन्द्रा टूटी.

तब तक मालिक भी बाहर आ गए.

वे माँ को देखते हुए खराशते हुए अपनी मूछों पर ताव देते हुए चले गए.

मैं अभी भी अपनी मां को चोदने के बारे में सोचने में लगा था.

दुपहरी हुयी तो मेरे पिता भी पास के खेत से आ गए और हम दोनों बाप बेटे खाना खाने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गए.

माँ ने सबको खाना परोसा और खुद भी ले लिया. दोनों मियां बीवी खाना खाने लगे.

माँ की नजर मेरे पर गयी, मैं निवाला हाथ में लिए कुछ सोच रहा था.उसने मुजे कहा- क्या हुआ, खा ले खाना!

माँ को नहीं मालूम था कि मैं उसी को चोदने के बारे में सोच रहा था.मेरा लंड भी सेक्स की सोच सोच कर खड़ा हो गया था.

ये सब माँ से छुपा न रहा.उसकी नजर मेरी तंबू बनी चड्डी पर गयी.वह शर्मा गई.

उसने मेरी टांगों को छुआ और बोली- खा ले बेटा, काम पर लगने का वक्त हो गया.

तब तक मेरे पिता जी खाना खत्म करके काम के लिए निकल गया. उसका काम हम दोनों से बहुत दूर था.

मैंने खाना खाया और हम दोनों एक पेड़ की छाया में बैठ गए.

अभी मैं कुछ सोच रहा ही था कि मेरी मां ने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा- क्या बात है बेटा, बता तो मुझे. मैं तेरी मां हूँ, मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.माँ स्पर्श पाते ही मेरे लंड ने झटके खाने चालू कर दिए और खड़ा हो गया.

आज पहली बार मां का स्पर्श पाकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.माँ फिर से बोली- बोल न बेटा! क्या सोच रहा है?

तो मैं बोला- मां मैंने तुम्हें और मालिक को कुटिया में नंगे काम करते देखा था.यह सुनकर माँ का बदन ठंडा पड़ गया.उसका गला सूख गया, हाथ पैर थरथराने लगे.

उसने अपना हाथ खींच लिया और वह चुप हो गयी.अब वह मुजे क्या जवाब दे, यह सोच रही थी.

मैं बोला- अगर पिताजी को पता चला तो जानती हो न कि क्या होगा!तब माँ के मुँह से कोमल सी आवाज आयी- तेरे पिताजी ने ही पहली बार मुझे मालिक के पास भेजा था. तुम्हारी दादी भी मालिक के बाप से चुदवाती थी। तुम शायद उनकी ही औलाद हो।

कुछ पल तक वे दोनों शांत रहे थे.

कुछ देर बाद माँ बोली- हम लोग गरीब हैं बेटा, मालिक की बात नहीं टाल सकते.

में बोला- मां, मुझे माफ कर देना. पर मां आपका नंगा बदन देख कर मेरे तन बदन में आग लगी है. मेरे मन में आपके लिए गलत भावना जाग गयी है. मैं खुद को कोस रहा हूँ. पर गलती मेरी नहीं है मां, आपका बदन है ही किसी परी के जैसा. मैं आपके साथ वह सब करना चाह रहा था, जो मालिक कर रहे थे. मां क्या मेरा ये सोचना गलत है या सही है? क्या मां बेटे में ये सब हो सकता है?

मैं यह कह कर शांत हो गया.

आस-पास कोई नहीं था.दोनों चुप थे एक अजीब शी खामोशी छाई थी.

कुछ बाद सोचने के बाद माँ उठी और बोली- बेटा, मालिक अब नहीं आएंगे.यह कह कर वह कुटिया की ओर चल दी.

मैं मां को देखता रहा, उसे कुछ समझ नहीं आया.दरवाजे तक जाने के बाद माँ ने मुड़ कर मेरी ओर देखा और आंखों से उसे आने को इशारा किया.

मैं असमंजस में था, पर मां के इशारे पर वह कुटिया की ओर चल पड़ा.दरवाजे तक जाकर उसने पीछे नजर घुमाई. दूर दूर तक कोई नहीं था.

मैं अन्दर घुस गया. माँ सामने पलंग के पास पीठ कर खड़ी थी.

मैं उसके नजदीक गया, उसकी धड़कन तेज हो गयी थी.उसने एक पल सोचा कि अभी कुछ देर पहले देखा हुआ उसका ख्वाब पूरा होने जा रहा है.

में मां के करीब जाकर चिपक कर खड़ा हो गया.दोनों के शरीर एक दूसरे की गर्मी को महसूस कर रहे थे.

में मां से थोड़ा ऊंचा था.मेरी सांसें मेरी मां की गर्दन पर आ रही थी. उससे माँ गर्म होने लगी थी.

वह अपने बेटे की इच्छा पूरी करने का सोच कर उसकी चुत चुदी हुई होते हुए भी पानी छोड़ रही थी.

यहां मेरी हालत भी खराब थी, मेरा लंड अकड़ गया था और खड़ा होकर झटके देने लगा था.

में अपनी मां के पीछे जाकर सट गया.

इस तरह मेरा लंड चड्डी के ऊपर से मां की गांड में रगड़ देने लगा.

मैंने अपनी मां के कँधे पर हाथ रखा.माँ मेरे हाथ का स्पर्श पाकर सिमट गयी.

मैंने पहेले भी कई बार उसे छुआ होगा, पर आज का स्पर्श किसी मर्द का था जो एक नारी को अपने साथ संबंध बनाने के लिए उसे तैयार कर रहा था.

मैंने अपनी मां की गर्दन के ऊपर अपने होंठ रख दिए और माँ की गर्दन को वह अपनी जुबान से चाटने लगा.

इससे माँ किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी.उसके मन में दुविधा थी कि वह जो कर रही है, क्या वह सही है या गलत है.

अब मेरे हाथों ने हरकत की और वह अपनी ही मां के स्तनों को मसलने लगा.

अपने बेटे के कठोर हाथ अपने कोमल स्तनों पर पाकर माँ का संतुलन खो गया.उसके विचार-सोच आदि सब हवा हो गए.

अब एक मादा एक नये नर को अपना जिस्म सौंपने को तैयार हो रही थी.

माँ की चुत तो मानो आज नहर बन गयी थी.वह बहती ही जा रही थी. उसका कामरस उसकी टांगों से होते हुए नीचे बहने लगा.आज बेटा मां को चोदने वाला था.

मैंने खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था.मुजसे रहा नहीं गया और मैंने अपने मां की साड़ी पीछे से उठा कर ऊपर को कर दी.

अब मेरी मां की गोरी गांड मेरे सामने थी.जिसे मैंने सुबह किसी और के साथ चुदते देखा था, वह अब मेरे सामने थी और चुदने को तैयार थी.

मैंने भी चड्डी नीचे खिसका दी और अपने लंड को आजाद कर दिया. माँ की गोरी गांड और मेरा खड़ा लंड आमने सामने थे.

मैंने अपनी मां को थोड़ा सामने की ओर झुका कर उसकी टांगें फैला दीं और अपने लंड को उसकी चुत पर सैट कर दिया.

मैं कुछ देर रुका, पता नहीं मेरे मन में क्या था.कुछ पल रुकने के बाद मैंने मां का पिछवाड़ा खोला और मेरा लंड उधर से निकाल कर चुत पर लगा दिया.

बस फिर क्या सोचना बाकी था … उसने आंखें बंद की और एक तेज धक्का दे मारा. मेरा लंड माँ की चुत में घुस गया.

मेरा लंड काफी बड़ा था, माँ की चुत में एकदम फिट बैठ गया.

उसने सोचा न था कि मेरा लंड इतना तगड़ा होगा.अब बारी दूसरे धक्के की थी, वह भी मैंने लगा दिया.

लंड माँ के चुत की दीवारों से घिसते और चीरते हुए अन्दर दाखिल हो गया.माँ को दर्द महसूस हुआ, पर वासना ने उसे झेल लिया था क्योंकि वह चुदी चुदाई नार थी.

पर मेरे लंड को अन्दर कसाव महसूस हुआ. लंड बिल्कुल भी अन्दर हिल नहीं पा रहा था.मैंने ने तीसरी कोशिश की, अबकी बार कमर पकड़ कर ठोका तो पूरा लंड चुत के अन्दर जड़ तक जा पहुंचा.

माँ कसमसाई और दर्द भी हुआ, पर वह चुप थी.

आखिरकार मां बेटे की चुदाई चालू हुई.बेटा मां को दम से ठोक रहा था.मां भी अपने बेटे के लंड को अपनी चुत के अन्दर गहराई तक समाती जा रही थी.

चुदाई की हर थाप पर माँ सहयोग दे रही थी.

कुछ 15 मिनट तक चली इस चुदाई में माँ झड़ती जा रही थी, उसकी योनि बहती जा रही थी.उसकी चुत रुकने का नाम नहीं ले रही थी.

में भी उत्तेजना शिखर पर जा पहुंचा और मेरा वीर्य माँ की चुत में भरने लगा.

मैं थक गया, में लंड अन्दर रखकर शारदा की पीठ पर सुस्ताने लगा.

कुछ देर बाद मेरा लंड अपने आप अपनी मां की चुत से बाहर निकल आया.

हम दोनों का मिश्रित वीर्य भी बहने लगा.वासना का तूफान शांत हो गया था.

मैंने अपनी जन्मदात्री मां को ही चोद दिया था। और ऐसे में मादरचोद हो गया था। में बाहर आकर काम में लग गया.

कुछ देर बाद साफ सफाई करके और अपने कपड़े सही करके माँ भी बाहर आ गयी.

हम दोनों में से एक दूसरे से नजरें मिलाने की हिम्मत किसी में ना थी.दोनों बिना बोले ही रहे.

आखिरकार शाम हुई. हम तीनों घर आ गए.

पर माँ कुछ ज्यादा ही शांत थी.

सबने खाना खाया, सोने का समय हुआ तो सब साथ में ही जैसे सोते थे, सोने लगे.पहले में , फिर मां, फिर पापा … पर आज में पापा के बगल जाकर सो गया.

माँ को लगा कि में उससे नाराज हूँ .

सब सो गए.

आधी रात को मुजे पेशाब लगी। मैं उठा और पेशाब करके आया और जाकर अपनी मां के बगल में जा बैठा.

कुछ देर बाद मैंने मां की कमर पर रखा.फिर मेरा एक हाथ ऊपर स्तन पर चला गया, मेरा दूसरा हाथ मां की जांघों पर चलने लगा.इस हरकत से माँ की नींद खुल गयी.

उसने देखा कि मैं उसे सहला रहा हूँ .सबसे पहले उसने पापा को देखा, वह पव्वा मारके घोड़े बेच कर सो रहा था.

अब माँ उठकर बैठ गयी और उसने बैठे बैठे मुजे को गले से लगा लिया.फिर वह उसे खींच कर अपने ऊपर लेती हुई सोने लगी.

अब मैं ऊपर था और माँ नीचे थी.मेरा लंड माँ के सहलाने से खड़ा हो गया था.

मैंने मां की चोली खोल दी, साड़ी ऊपर कर दी.

फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और माँ की चुत पर रख घिसने लगा.माँ की चुत फिर से पानी पानी होने लगी.

मैंने माँ के एक स्तन को मुँह में भर लिया और चूसने लगा.

माँ का स्तन आज बहुत दिनों बाद चूसा जा रहा था, नहीं तो उसे पापा चूसते ही नहीं था.मालिक भी नहीं चूसते थे, उन दोनों को चुत से और गांड़ से बस काम रहता था.

स्तन चुसवाने से उसकी कामुकता बढ़ने लगी.उसने मुजे कसके अपने स्तन पर दबाया.

यहां मैंने ने एक झटके में अपना लंड अपनी मां की चुत में उतार दिया.माँ की चीख निकलते निकलते रह गयी.अब चुसाई और चुदाई एक साथ चालू हो गई.

चुदाई में मस्त हम दोनों मां बेटे को खबर ही नहीं रही कि मेरा बाप और मां का पति बाजू में सो रहा है.उसे कितनी ही बार इन दोनों के धक्के लगे … पर गहरी नींद के चलते और नशे से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा.

यहां मां बेटे एक दूसरे को अन्दर समा लेने को आतुर थे.में अपनी मां को धकाधक पेले जा रहा था.

माँ की चूत फिर बहने लगी, उसे खुद को पता नहीं चल रहा था कि बेटे के साथ चुदाई करने पर चुत पानी पानी क्यों होती है.इन दोनों के साथ क्यों नहीं होती.

आधा घंटा तक चुत चोदने के बाद लंड ने जवाब दे दिया और में अपना वीर्य चुत में उगल कर खाली हो गया.

मैं थक गया था.माँ का भी बदन दर्द कर रहा था.पर आज उसकी मस्त चुदाई हुई थी.

मैं मां के ऊपर ही सो गया.

हम दोनों थके एक दूसरे के आगोश में सो गए.

सुबह माँ जल्दी उठी उसने अपने कपड़े ठीक किए और मेरी ओर देखा, मैं जाग रहा था .तो मेरा लंड सुबह सुबह खड़ा था.

उसने प्यार से मेरे लंड छुआ, थोड़ा सहलाया फिर उसके कपड़े ठीक किए और नहाने चली गयी.

अब मां बेटे को जब भी मौका मिलता, चुदाई में लग जाते है .

दोनों ने कई जगह चुदाई की. खेतों में, नदिया के अन्दर नहाते समय, घर में, रात को घर के बाहर खुले आंगन में, नहाने की जगह भी पेलम-पाली चलती रही.

फिर मुजे काम के लिए गांव छोड़ कर मुंबई आना पड़ा. यहाँ अपने मामा के साथ मिलके भेल पूरी का धंधा जमाया। फिर मेरी शादी भी हो गई। लेकिन जब भी गांव जाता हूँ, माँ की चुदाई जरूर करता हूँ।

आप लोगो को मेरी कहानी कैसी लगी ये कमेंट करो।


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