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सेक्स बिना भी क्या जीना - Hindi Sex Story

Updated: Feb 21

आज की कहानी मेरे एक पाठक राजेश वर्मा की है.

राजेश का पुश्तैनी व्यापार सर्राफा, साहूकारी का था. अपने पिता की अकेली संतान थे. खूब चलती हुई दुकान थी.


राजेश अब 55 साल की उम्र पर आ गए थे. बड़ा पुश्तैनी मकान, पर रहने वाले अकेले.


ये कहानी आज से 34 साल पहले से शुरू करते हैं.

राजेश जवानी से ही बहुत शौक़ीन और आकर्षक व्यक्तित्व के व्यक्ति थे.


राजेश की भी जवानी में एक बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की चुलबुली लड़की प्रिया से नैन मटक्का हुआ.

अभी राजेश मात्र 21 वर्ष के थे और प्रिया 20 की.

दोनों पास के मोहल्लों में ही रहते थे, आपस में घरों में आना जाना था.


उन दोनों की लव स्टोरी एक साल तक छिपते-छिपाते चलती रही; लुक छिप कर दोनों पिक्चर भी देख आते.


बाद में इतनी हिम्मत बढ़ने लगी कि दोनों प्रिया की एक सहेली के घर पर भी एकांत में मिलने लगे.


जवानी ऐसी जोर मारने लगी की प्रिया ने अपनी सहेली को पटा लिया की वो उन्हें कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया करे,

अब राजेश और प्रिया बंद कमरे में चोंचें लड़ाने लगे.


प्रिया ने शुरुआत में तो मना किया पर उसकी भी जवानी उबल रही थी और राजेश के प्यार में वो दीवानी हो गयी थी.

तो चुम्बनों से शुरू हुआ तूफ़ान फिर मम्मे दबाने और चूत में उंगली करने से होता हुआ शारीरिक संबंधों पर आ ही गया.


राजेश प्रिया को इतना गर्म कर देता कि अब प्रिया खुद ही राजेश का लंड पकड़ लेती.

दोनों ने यह कसम मंदिर में खा ली थी कि इस साल हम शादी कर ही लेंगे … वो भी घर वालों की रजामंदी से.


प्रिया को राजेश पर विश्वास था.

अब महीने में एक दो बार दोनों मिलने लगे एकांत में और अब उनके बीच भरपूर सेक्स भी होने लगा.


एक डेढ़ घंटा उन्हें मिलता था एकांत का, तो इतना तो बहुत है अपनी जिस्म की आग बुझाने के लिए!


प्रिया ने कई बार कहा- अपने अपने घर वालों से बात कर लेते हैं.

पर बस यहीं राजेश बात को टाल देता.


वैसे तो प्रिया बिना कंडोम के सेक्स नहीं करती, पर कई बार कंडोम एक होता और राउंड दो लग जाते.


दोनों में प्यार की पींगें ऐसी बढ़ी कि प्रिया गर्भ से हो गयीं.

अब आनन-फानन में दोनों के परिवारों ने आपसी सहमति से दोनों की शादी करवा दी.


हनीमून पर दोनों काश्मीर गए.

हालाँकि प्रिया पेट से थी पर जितना लुत्फ़ हनीमून का हो सकता था, दोनों ने उठाया.


बाद में प्रिया हँसती हुई अपनी भाभी से कह रही थी- इन सात दिनों में राजेश ने मुझे टांगें नीचे करने ही नहीं दीं.


प्रिया की मनपसंद सेक्स पोजीशन थी राजेश के ऊपर बैठकर उसकी घुड़सवारी करते हुए चुदाई करना.

इसमें उसके मम्मे लहराते तो राजेश उन्हें लपक लेता.


उनकी बेपनाह मुंहब्बत का अंजाम भी समय से आ गया.

22 वर्ष के होने से पहले ही राजेश एक सुंदर और स्वस्थ बच्चे के पिता बन गए.

मां बनने के बाद प्रिया की सुन्दरता और बढ़ने लगी.


दोनों की राम सीता की जोड़ी थी.

प्रिया बहुत घरेलू पर चुलबुले स्वभाव की थी.

राजेश की मां ने उसे बेटी जैसा प्यार दिया.

बच्चे को तो दादा दादी ने पाला और राजेश-प्रिया ने जिन्दगी के भरपूर मजे लूटे.


दोनों सेक्स के शौक़ीन थे, इसका प्रमाण तो उन्होंने शादी से पहले ही दे दिया था.

पर शादी के बाद उनका उतावलापन इतना बढ़ गया कि पूरे कुनबे और दोस्तों की बिरादरी में आपस में खुल्लम खुल्ला प्यार के लिए बदनाम थे दोनों!


लेकिन काम के प्रति राजेश और घर की जिम्मेदारियों के प्रति प्रिया बहुत गंभीर थी.

तो किसी को कोई शिकायत नहीं थी.


बेटा कुनाल पढ़ाई में बहुत तेज निकलता चला गया और प्रारम्भिक शिक्षा के बाद अपने नंबरों के बल पर दून स्कूल में प्रवेश पा गया.


हालाँकि दादा दादी इस पक्ष में नहीं थे कि एकमात्र बच्चे को पढ़ने बाहर भेजा जाए.

पर उसके भविष्य और सम्बंधित अध्यापकों की राय पर सब ने जी कड़ा करके कुनाल को पढ़ने बाहर भेज दिया.


एकमात्र बच्चे के बाहर जाने के बाद अब प्रिया पर काम की जिम्मेदारी और कम हो गयी.

दूकान से आने के बाद राजेश का पूरा समय अपने कमरे में ही बीतता या साप्ताहिक छुट्टी के दिन दोनों गाड़ी लेकर कहीं घूमने निकल जाते.


सेक्स में इतना मन रमता था दोनों का कि रोज कुछ नयापन सेक्स में हो, इसका प्रयास प्रिया करती.


चलती गाड़ी में जितना सेक्स हो सकता था उन्होंने किया.

लॉन्ग ड्राइव पर प्रिया के लाख मना करने पर भी राजेश नहीं मानता बिना प्रिया की चूत में उंगली किये.


अब प्रिया भी गर्म हो जाती तो वह जींस की ज़िप खोल कर राजेश का लंड बाहर निकाल लेती और लपर लपर चूसती.


देहरादून के आसपास जंगल सा था तो राजेश कितनी ही बार झुटपुटे में गाड़ी खड़ी करके प्रिया को चढ़ा लेता अपने ऊपर.

प्रिया फटाफट एक सेक्स सेशन को अंजाम देती और फिर उनकी गाड़ी आगे चल पड़ती.


प्रिया की सास ने अपनी ही बिरादरी की एक असहाय और अकेली महिला आशा को सहारा देने के लिए अपने घर पर घरेलू काम काज के लिए रख लिया था.


आशा का दुनिया में कोई नहीं था.

सुन्दरता के बल पर उसकी शादी एक पैसे वाले घर में हो गयी.


उसका पति बहुत शौकीन था तो आशा को पति ने कपड़ों-गहनों से लाद दिया था.

पर बस उसके पति को सेक्स की बीमारी थी.

वह हर समय सिर्फ सेक्स सोचता वो भी अमानवीय तरीके से.


आशा को यह बाद में मालूम पड़ा कि वह नपुंसक है, बच्चे पैदा करने में असमर्थ … और गांडू है.

उसका कोई शराबी दोस्त है जो उसकी गांड मारता है.


आशा ने इसे भी नियति मान लिया.


पर हर समय सेक्स की डिमांड, न दिन देखता, न रात. सबके बीच से खींच ले जाता सेक्स के लिए और फिर कमरे में शुरू होता यातना का दौर.

उसे सनक थी कि हर समय जिस्म चिकना रखो.

अब रोज-रोज तो वेक्सिंग कैसे करती आशा.


इसी बात पर वह हाथ छोड़ देता.

पागलपन इतना कि आशा के प्राइवेट पार्ट्स में कभी बोतल घुसा देता, कभी खीरा कभी कुछ और!

आशा के लाख हाथ जोड़ने पर भी पीछे से सेक्स जरूर करता.


कुल मिला कर आशा परेशान हो गयी.


एक दिन तो हद हो गयी.

उसका पति अपने उसी शराबी दोस्त को घर लिवा लाया.

आशा कमरे से बाहर आ गयी.


थोड़ी देर बाद जब किसी काम से कमरे में गयी तो देखा कि उसके पति और उसके दोस्त ने अपने कपड़े उतार रखे हैं.

उसका दोस्त आशा के पति की गांड मार रहा था.


आशा को देख कर दोनों ठिठके.

जब आशा बाहर जाने लगी तो उसके पति ने उसे जबरदस्ती रोक लिया और दोस्त के सामने ही आशा को जबरदस्ती नंगी कर लिया.

आशा रोती रही.

पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा.


उसने आशा के पीछे अपना लंड घुसा दिया और उसके दोस्त ने आशा के पति की गांड में अपना लंड घुसा दिया.

आशा की चीख निकल रही थी.

पर उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था.


इसके बाद आशा का पति आशा को भी मजबूर करने लगा कि वह उसके दोस्त के साथ भी सेक्स करे.


आशा बाथरूम के बहाने से बाहर आयी और ऐसे ही तुरंत घर छोड़ कर भाग आई.

मगर जाती कहाँ?

तो अपने स्वर्गवासी पिता के एक मित्र के घर आसरा लेने पहुंची.


वहां भी उसका पति आकर गाली गलौच करता तो उसके पिता के मित्र ने उसे इस शहर में भेज दिया और यहाँ वह एक वृद्धाश्रम में रहने लगी.


आशा अच्छी पढ़ी-लिखी थी, स्कूल वगैरा में नौकरी भी की.

पर अकेली महिला को इस समाज के भूखे भेड़िये खा जाना चाहते हैं.

तो आशा उसी वृधाश्रम में सेवा कार्य करने लगी.


पढ़ी लिखी होने से पूरा वृद्धाश्रम उसने ही संभाल लिया था.

पर वहां भी उसका गठीला बदन और ख़ूबसूरती उसे खा गयी.


एक राजनीतिक छुटभैया उस पर निगाह रखने लगा और एक रात के अँधेरे में उसने आशा से जबरदस्ती करने की कोशिश की.

तो आशा अपनी इज्जत बचा कर बाहर भागी और सामने से आती राजेश की मां से जा टकराई और उनसे लिपट कर रो पड़ी.


बस इतनी सी कहानी थी आशा की!

उसे राजेश की मां ने अपने घर का सदस्य बना लिया.


आशा प्रिया की हमउम्र थी.

पर सही मायनों में उससे ज्यादा सुंदर और काम में बहुत सलीकेदार.


धीरे-धीरे आशा ने प्रिया को दीदी बनाकर उसके दिल में जगह बना ली और पूरे घर का दायित्व संभाल लिया.


उनका कमरा इतने बड़े मकान में ऊपरी मंजिल पर था.

नीचे राजेश के माता पिता रहते और ऊपर राजेश और प्रिया.


ऊपरी मंजिल पर ही उनके कमरे के बगल में आशा का कमरा और बाथरूम था.


बाथरूम दोनों के मिले हुए थे.

मतलब किसी भी बाथरूम की आवाज दूसरे में जाना लाजिम था.


राजेश और प्रिया तो रात के आठ बजे तक कमरे में बंद हो जाते अगले दिन सुबह तक के लिए.

पर आशा को किचन का काम निबटाते निबटाते रात के दस बज ही जाते.


उस समय भी राजेश प्रिया के कमरे से धमाचौकड़ी की खुसरपुसर बदस्तूर आती थी.

पर आशा दबे पाँव अपने कमरे में जाती जिससे राजेश को डिस्टर्बेंस न हो.


अब बिस्तर पर पड़े पड़े प्रिया और राजेश की आहें और हांफने की आवाजें आशा को बहुत बेचैन रखतीं.

राजेश और प्रिया सेक्स के बाद रात को सोने से पहले शावर जरूर लेते.


तो बाथरूम से उनकी चिपटा चिपटा और चूमा चाटी की आवाजें सुन आशा की चूत में चीटियाँ सी रेंगती.

अक्सर उसकी उंगली अपने दाने को मसलने लगती.


पर जल्दी ही आशा अपने मन को समझा लेती कि अब उसे ये सपने देखने का भी कोई हक़ नहीं.


राजेश पूरी तरह पत्निव्रता थे.

उन्होंने कभी किसी दूसरी स्त्री को गलत निगाह से देखा ही नहीं.

और जरूरत भी क्या थी इसकी … प्रिया उनकी हर फरमाइश पूरी करती.


चाहे सेक्स की हो, चाहे पाश्चात्य स्टाइल के कपड़े पहनने की हो, चाहे कोई और शौक हों जो आमतौर पर उस जमाने की लड़कियां करने में संकोच करती थीं.


अब उनकी आहों की आवाज नीचे भले ही न जाए, पर आशा तो बेचैन रहती ही थी.

वह लाख कोशिश करती उनके कमरे से आती आवाजों पर से ध्यान हटाने की … पर ऐसा हो नहीं पाता.


अक्सर ही कमरे की सफाई के दौरान उसे कंडोम के खाली पैकेट या हैण्ड टॉवेल बेड के नीचे पड़े मिलते.


एक बार तो उसे बेड पर तकिये के नीचे वाईब्रेटर भी रखा हुआ मिला.

प्रिया बहुत लापरवाह थी इस मामले में.


घर का सामान बाज़ार से आशा ही लाती.

प्रिया उससे कितनी ही बार वेक्सिंग क्रीम मंगाती और पैसे अलग से देती कि मांजी को मत बताना!


आशा भी सोचती कि इतनी वेक्सिंग क्रीम और स्ट्रिप्स का दीदी करती क्या हैं.

इतना तो वो भी नहीं लगाती थी अपने जिस्म पर जबकि उसका पति तो पागल था चिकनेपन का!


राजेश के दूकान से आने के बाद प्रिया कमरे में ही रहती.

नीचे से आवाज आने पर बस प्रिया फटाफट नाईटी पहनती और काम करके ऊपर भाग आती.


वह दिन में ही सारा काम संभाल लेती राजेश के आने से पहले तो सास को भी कोई शिकायत नहीं रहतीं.

और सास भी अपने बेटे की रंगीनियत से वाकिफ थीं.


बस यूं ही रंगीनियत लिए जिम्मेदारी और जिन्दगी चल रही थी.

पैसे की खूब आमद थी तो खर्चों पर कोई रोक नहीं थी.


राजेश के पिता ने व्यापार की पूरी जिम्मेदारी राजेश पर सौंप दी थी.

राजेश बहुत समझदार थे, पैसा जोड़ कर चलते थे, बर्बाद नहीं करते थे.


प्रिया अब पूरी तरह से आशा पर निर्भर थी.

आशा ने घर की हर जिम्मेदारी को बखूबी संभाल लिया था.


चाहे घर का सामान आना हो या पैसे का लेन-देन; चाहे दूकान से पैसे आने हों, नया गिरवी के जेवर रखने हों, राजेश और प्रिया को आशा पर इतना विश्वास था कि प्रिया अलमारी की चाभी उसे दे देती और प्रिया सब काम बखूबी कर लेती.


जिम्मेदारियां निभाते हुए भी उनकी निजी जिन्दगी की रूमानियत कम नहीं हुई.


आज आशा को दस वर्ष हो गए इस घर में!

प्रिया आशा दोनों हमउम्र थीं और आशा खासी पढ़ी लिखी और सभ्य थी तो दोनों की मित्रता गाढ़ी हो गयी थी.


आशा प्रिया को दीदी जरूर बोलती थी पर दोनों के हंसी मजाक चलते रहते.


आशा से प्रिया अपनी मालिश और वेक्सिंग वगेरा भी करवा लेती.

प्रिया आशा को जोर देती कि वह अपनी भी वेक्सिंग करके अच्छी बन कर रहा करे.


आशा कहती कि किसके लिए करूँ ये सब!

तो प्रिया झिड़क देती- अपने लिए करो!

दोनों की गहरी छनती थी आपस में!


एक दो बार तो ऐसा हो गया कि राजेश को कभी कभार पीने की सनक लग जाती.

वह पीता भी प्रिया के साथ ही था.


तो उस रात प्रिया पहले ही आशा को बता देती कि अगर उसके कमरे से हॉट कपल S3x का ज्यादा शोर आये तो प्लीज़ नीचे मत बताना.


एक रात तो हद ही हो गयी.

जब आशा को इनके कमरे से कुछ गिरने की आवाज आई.


नीचे से राजेश के पिताजी ने पूछा- क्या गिरा?

तो आशा ने बात संभाली- कुछ नहीं मेरा पैर टकरा गया, मेज लुढ़क गयी.


पर जब वह राजेश के कमरे में पहुंची तो हल्का सा धक्का देने से दरवाजा खुल गया और अंदर सोफे पर राजेश और प्रिया पीकर टुन्न पड़े थे बिलकुल नंग धड़ंग और बगल में मेज उलटी पड़ी थी.

उस पर से शराब की बोतल सोडे की बोतल और जग वगैरा नीचे गिरे पड़े थे.


प्रिया को हल्का सा होश था.


आशा ने उसे सहारा देकर बेड पर लिटाया और राजेश के ऊपर एक चादर डाल दी और हँसती हुई कमरे से बाहर आ गयी.


सुबह ही 5 बजे उसके कमरे में प्रिया आ गयी और बहुत शर्माते हुए उसने उससे माफ़ी मांगी.

आशा हँसती हुई बोली- पीते समय कम से कम कपड़े तो पहन लिया करो.


अब प्रिया क्या बताती कि ‘राजेश को सनक चढ़ गयी थी कि तुम मेरे ऊपर बैठकर, मेरा लंड अंदर लेकर पेग बनाओ और दोनों ऐसे ही पीते-पीते बेसुध हो गए.’


खैर, प्रिया आशा पर पूरा भरोसा करती थी.

हाँ, राजेश जरूर एक दो दिन आशा से नजर बचाता रहा.


आशा को भी अब आदत हो गयी थी उनके कमरे से आती आह … उह … की आवाजें सुनने की.

वह बस मुस्कुरा देती.


हालाँकि ये आवाजें उसके टूटे हुए सपनों को जगातीं … पर आशा समझ गयी थी कि अब ये सब सपने हैं उसके लिए.

रोटी और छत मिल रही है, यह क्या कम है.

एक दिन राजेश के माता पिता ने एक दिन के लिए किसी सम्बन्धी के जाने का प्रोग्राम बनाया.

उन्हें रात को रूककर अगले दिन आना था.


घर पर प्रिया और आशा ही थीं.

काम कुछ था नहीं.


आशा ने प्रिया से कहा- लाओ दीदी, आज मैं आपकी मालिश और वेक्सिंग कर दूं.

प्रिया ने झटपट हाँ कह दी.

उसे मालूम था कि आज रात राजेश उसे सोने तो देगा नहीं … तो क्यों न बदन चिकना करा लिया जाए.


प्रिया बहुत बेबाक और खुली हुई थी आशा से!

वह तो कपड़े उतार कर कुछ हल्का सा पहन कर लेट गयी.


आशा ने बहुत मन से उसकी वेक्सिंग और मालिश की.

प्रिया ने जब आइना देखा तो वह बहुत खुश हुई.

आज उसका जिस्म और ख़ास तौर से चेहरा चमक रहा था.


आशा ने प्रिया से कहा- आज आप और साहब बाहर घूम आइये. घर पर मैं हूँ ही. आज कोई टोकने वाला नहीं है. कुछ भी पहन लीजिएगा.


प्रिया ने ख़ुशी ख़ुशी राजेश से बात कीं और बाहर मूवी देखने और डिनर लेने का प्रोग्राम बना लिया.


शाम को राजेश जल्दी घर आ गए.

प्रिया तैयार थी.

आज उसने फ्रॉक जैसी कोई ड्रेस पहनी थी.

उसका गोरा जिस्म दमक रहा था.


आशा ने महसूस किया कि राजेश तो कमरे में ही चूमा चाटी में लग गया था.

वो तो प्रिया ने उसे धकेलते हुए बाहर जाने की याद दिलाई.


उनके जाने के बाद आशा अपना मन बहलाने के लिए टीवी देखती रही.


रात को 11 बजे करीब राजेश और प्रिया आये.

दोनों लिपटे चिपटे सीधे अपने कमरे में चले गए.


उन्होंने आशा की और ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया.

प्रिया ने उसे ऊपर से आवाज देकर कहा कि उसका मोबाइल गाड़ी में रह गया है, तो आशा उसे चार्जिंग पर लगा ले अपने कमरे में. अगर उसे चाहिएगा तो वो आवाज देकर मंगा लेगी.


आशा ने गाड़ी खोली मोबाइल निकलने के लिए.

गाड़ी में शराब की महक थी.

मतलब इन लोगों ने आज गाड़ी में भी पी है.


प्रिया का मोबाइल सीट के नीचे पड़ा था.


आशा ने जब उठाया तो उसके साथ ही प्रिया की पेंटी भी उसके हाथ आ गयी.

पेंटी बिल्कुल भीगी थी.


आशा मुस्कुरा दी.

वह समझ गयी कि राजेश ने अपनी बीवी की चूत में जबरदस्त उंगली की है और प्रिया की चूत का फव्वारा छूट गया है. इसलिये उसने गीली पेंटी नीचे उतार दी होगी.

आशा ने पेंटी नहीं उठायी, वहीं छोड़ दी.


मोबाइल लेकर गेट लॉक करके सारी लाइट बंद करती हुई आशा ऊपर अपने कमरे में आ गयी.

प्रिया के कमरे से हंसने खिलखिलाने और छेड़खानी की आवाजें आ रही थीं.


राजेश प्रिया को साथ नहाने की खुशामद कर रहा था और प्रिया नशे में बहकती हुई नखरे दिखा रही थी.


आशा ने आवाजें अनसुनी कर दीं और अपने कमरे में आ गयी.


प्रिया का मोबाइल उसने चार्जिंग पर लगा दिया. प्रिया ने मोबाइल लॉक नहीं कर रखा था.

चार्जिंग में लगते ही मोबाइल का स्क्रीन ऑन हो गया और उसमें कोई पोर्न मूवी चलने लगी.


मतलब राजेश और प्रिया ने गाड़ी में शराब पीते समय पोर्न मूवी देखी है, तभी राजेश ने प्रिया की चूत में उंगली की होगी.

आशा की सांसें तेज हो गयी थीं. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था.

उसने अपने जज्बातों को काबू करने के लिए अपने चेहरे पर ठंडे पानी के छपके मारे.


तभी प्रिया की आवाज आई, वह अपना मोबाइल मांग रही थी.


आशा ने जल्दी से चलती मूवी को बंद किया और मोबाइल देने प्रिया के रूम पर पहुंची.

प्रिया ने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर हाथ बाहर निकाल कर मोबाइल ले लिया.

आशा समझ गयी कि प्रिया ने कुछ पहना नहीं है.


वह मोबाइल पकड़ा कर वापिस मुड़ी.

उसने देखा कि उनके कमरे की खिड़की हल्की सी खुली रह गयी है.


बाहर तो अन्धेरा था.

आशा खिड़की के पास रुकी तो अंदर का नजारा सामने था.


अंदर प्रिया और राजेश दोनों बिलकुल नंगे थे.

प्रिया मोबाइल चार्जिंग पर लगा रही थी और राजेश उससे पीछे से चिपट रहा था.

वह उसके मम्मे पकड़ना चाह रहा था और प्रिया उसे रुकने को कह रही थी.


राजेश का लंड पूरा तना हुआ था.


आशा अब बेचैन हो उठी.

वह कमरे में वापिस जाने को हुई … पर उसकी टांगों ने चलने से मना कर दिया.

आशा खिड़की पर जडवत खड़ी रह गयी.


अब प्रिया बेड पर लेट गयी थी. उसने अपनी टांगें चौड़ा रखी थीं

वह उंगली से राजेश को बुलाने का इशारा कर रही थी.


प्रिया ने आशा की वेक्सिंग के बाद अपनी चूत भी चमका ली थी.

राजेश ने प्रिया की टांगों के बीच अपना सर घुसा दिया और जीभ प्रिया की चूत में सरका दी.


जल्दी ही प्रिया कसमसाने लगी.

वह ‘आह उह’ की जोर से आवाजें निकाल रही थी.


आज आशा को उसकी आहें कुछ ज्यादा ही शोर मचाती लगीं.

एक तो खिड़की खुली थी और दूसरे आज आशा की साड़ी इन्द्रियाँ इस लाइव सेक्स से जुडी हुई थीं.


प्रिया राजेश के बाल खींच रही थी मानो उसे ऊपर बुला रही हो.


राजेश ने सर उठाया और प्रिया के ऊपर आते हुए उसके मम्मे चूसने लगा.

प्रिया ने उसका लंड पकड़ लिया था.


उसने अब अपने को राजेश से छुड़ाया और खुद उठते हुए राजेश का लंड मुंह में ले लिया और लगी लपर-लपर चूसने.

अपनी जीभ और होठों से उसने लंड पर ऐसा दबाब बनाया हुआ था कि राजेश को लगने लगा कि वह अब उसके मुंह में ही खलास हो जाएगा.

उसने बड़ी कोशिशों के बाद अपने को प्रिया की गिरफ्त से छुड़ाया.


राजेश ने प्रिया को टांगों से पकड़कर अपनी और खींचा और उसकी गांड के नीचे दोनों तकिये लगाकर उसकी टांगें चौड़ा दीं.

अब प्रिया की चूत बेड पर उठी हुई थी.


राजेश ने अपना लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और बिना देरी किये प्रिया की चूत में पेल दिया.

प्रिया चाहे रोज चुदती हो पर उसने पूरी जोर से चीख निकाली-फाड़ोगे क्या?


राजेश ने झट आगे होकर उसके मुंह पर हाथ रखा और इशारा किया कि बगल के कमरे में आशा है.


अब राजेश ने पेल देनी शुरू कर दी.

प्रिया ने अपनी टांगों को खुद थामा हुआ था.

वह यथासंभव उन्हें चौड़ी किये हुए थी.


राजेश के धक्के जोरों पर थे.

प्रिया उसे उकसा रही थी.


अचानक प्रिया ने राजेश का लंड बाहर निकाल दिया और राजेश को धकेलते हुए उसके ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथों से लंड को चूत में लेकर लगी उछलने!

उसके बाल और मम्मे दोनों लहरा रहे थे.


राजेश उसके मम्मे लपक कर मसलने लगा.


प्रिया अब बड़बड़ा रही थी न जाने क्या क्या!

बार बार वह जोर से आह ओउच करती और जोर से कहती- आज तो मजा आ गया जानू … आज तो मजा आ गया.

उसके मुंह से थूक भी बाहर आ रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे उस पर कोई शक्ति आ गयी हो.


वह पूरी मदहोश और मस्तानी होकर राजेश को चोद रही थी.

उसकी पीठ पर पसीने की धारियाँ दिख रही थीं.


राजेश भी पसीने से लथपथ थे. वे नीचे से धक्के लगा रहे थे.

प्रिया के मम्मे उन्होंने मसल मसल कर लाल कर दिए थे.


कपल लाइव सेक्स देखकर आशा की उंगली अपने दाने को जोर जोर से मसल रही थी.

उसने अपने मम्मे भी मसले.


अब उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था.

उसका मन हुआ कि वह यहीं नीचे लेट जाए और प्रिया की तरह टांगें फैलाकर अपने दाने को मसले.


आशा से अब और न रुका गया … वह अपने कमरे में भागी और आहिस्ता से दरवाजा बंद करके अपने पूरे कपड़े उतार कर बेड पर लेट गयी और जोर जोर से अपनी उंगली से चूत मसलने लगी.


एक बार शांत होने के बाद आशा की आँखों से आंसू निकलने लगे.

वह अपनी बदकिस्मती पर रो रही थी.

उसे अपने हालात मालूम थे.

उसे मालूम था कि अब ये सब उसके नसीब में नहीं.


वह ये सब चाहती भी नहीं थी … पर आज के हालात कुछ इसे बन गए थे जो उसके बस में नहीं थे.

रोते रोते उसकी आँख लग गयी.


राजेश-प्रिया का एकमात्र बेटा कुणाल पढ़ाई लिखाई में गजब का तेज़ था.

कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ कुणाल आज से 4 साल पहले अमेरिका चला गया था और किसी कम्पनी में बहुत अच्छी तनखा पर काम कर रहा था.


राजेश और प्रिया भी दो बार अमेरिका उसके पास हो जाए.

कुणाल ने अभी पिछले साल ही राजेश को बताया कि उसको एक वहीं की लड़की से प्यार है और दोनों शादी करना चाहते हैं. पर अभी नहीं, कुछ साल रूककर!


वहां का वातावरण ही ऐसा था.


कुणाल वापिस हिन्दुस्तान आने को तैयार नहीं था.

और राजेश और प्रिया अमेरिका जाने को राजी नहीं थे.


अचानक कोविड आ गया.

पूरी दुनिया ठप्प हो गयी.


राजेश और प्रिया की जिन्दगी में तो रोमांस और बढ़ गया.

गिरवी लेन देन का काम राजेश घर से ही करते रहे.


उधर अमेरिका में कुणाल घर से ही काम कर रहा था.

उसकी दोस्त उसी के साथ ही रहती थी.


आशा अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहती.

उसका व्यक्तित्व इतना साफ़ सुथरा और व्यवहार इतना मीठा था कि हर आने वाला उसे घर का सदस्य ही मानता.


प्रिया के पास तो ढेरों कपड़े थे. वह जानबूझकर अपने नए से कपड़े आशा को देती रहती.

आशा उन कपड़ों में बिना मेकअप और गहनों के भी सौम्यता और सुन्दरता की मूर्ति लगती.


कोविड में दुकान तो जाना था नहीं तो प्रिया अब घर पर फ्रॉक वगेरा ही पहनती.

वह और राजेश अक्सर कमरे में ही रहते और आशा को अंदाज़ था कि कमरे में दोनों बिना कपड़ों के ही रहते हैं.


प्रिया आशा को भी जिद करती कि वह भी फ्रॉक वगेरा पहन सकती है.

पर आशा ने कभी पहने नहीं थे.

ऐसे कपड़े तो वह शालीनता से मना कर देती.


पर हाँ, उसने हँसते हुए प्रिया से एक दो बार कह दिया था कि वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पैंटी सब पहना करे, वरना सब दिखता है.

इस पर प्रिया मुस्कुरा देती कि इन्हें पसंद नहीं. और फिर कोविड में कोई बाहर का आता जाता भी तो नहीं है.


प्रिया आशा से कोई फर्क मानती ही नहीं थी.


कोविड की दूसरी लहर में राजेश और प्रिया दोनों चपेट में आ गए.


आशा ने बिना अपनी परवाह किये दोनों की अथक सेवा की.

उसने न दिन देखा, न रात; न वो कोविड से डरी, न थकी.

पर दुर्भाग्य इस परिवार को लील दिया.


राजेश तो ठीक होकर घर आ गए … पर प्रिया को कोविड अपने साथ ले गया.


अब राजेश आशा पर एक बच्चे की तरह निर्भर हो गए.

आशा ने उन्हें पूरा सम्भाला.


राजेश बिलकुल टूट गए.

उन्होंने दूकान जाना बिलकुल बंद सा कर दिया.

दूकान पर सिर्फ नौकर रहता.


आशा इस घर के अपने ऊपर अहसान कभी भूली नहीं.


उसने कुणाल को बहुत फोन किये.

पर आना तो दूर … अब तो वह फोन से भी बचने लगा.


राजेश बहुत कमजोर हो गए थे.

आशा को उन्हें हर काम के लिए सहारा ही देना होता; नहाने धोने और कुछ भी करने के लिए.


दूकान का कोई भी ग्राहक आता तो अब आशा ही अलमारी से रूपये या सामान निकालती.

राजेश तो हर समय रोते रहते.


आशा राजेश के लिए माँ, पत्नी, सेविका का मिश्रित रूप थी.

शुरू शुरू में आशा को भी राजेश की सेवा में उलझन होती.


आखिर उसके लिए राजेश के पराया मर्द था.

राजेश तो बिलकुल हाथ पैर छोड़ बैठा था.


कोविड के चलते कोई नौकर आता नहीं था.

आशा ने अपना मन मजबूत किया कि बस यही मौक़ा है इस परिवार के अहसान का बदला चुकाने का.

तो वह अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाने लगी.


राजेश के कपड़े बदलने से लेकर खाना और दवाई देने तक सारा कार्य आशा ही करती.


धीरे धीरे उसकी सेवा से राजेश पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गये.

आशा को आस पड़ोस की औरतें टोकने लगीं- अकेली एक पराये मर्द की सेवा कैसे करोगी, नौकरी छोड़ दो.

आशा उनसे कहती- मैं कोई नौकरी थोड़े ही करती हूँ.


“पर फिर क्या करती हो?”

इसका जवाब आशा के पास भी नहीं था.


इसी तरह छह महीने बीत गए प्रिया को गए.


अब राजेश शारीरिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ था.

पर उसका मन हर समय उचाट रहता.


एक रात खाना खिलाने के बाद राजेश सोफे पर बैठा टी वी देख रहा था.

आशा ने उससे धीरे से कहा- पड़ोस की औरतें ऐसे कहती हैं. तो क्या मुझे कहीं और काम ढूंढ लेना चाहिए?


राजेश एकदम से चौंक गया.

उसने आशा को अपने पास बुलाया.


आशा कभी उसके सामने सोफे पर नहीं बैठती थी.

प्रिया और मांजी तो हमेशा उसे अपने पास ही बिठाती थीं.

पर राजेश से आशा ने दूरी बनायी हुई थी शुरू से.


राजेश ने आशा को अपने पास बुलाया.

वह पास आकर खड़ी हो गयी.

राजेश ने कहा- बैठो.

वह खड़ी रही.


राजेश ने दोबारा प्यार से कहा- बैठो!

तो दूसरे सोफे पर आशा बैठ गयी.


राजेश ने उससे पूछा- तुम्हें कोई दिक्कत है यहाँ?

आशा ने ना में सर हिलाया.


राजेश ने फिर पूछा- क्या प्रिया ने तुम्हें अपनी सहेली जैसा ही माना या नौकरानी?

आशा रो पड़ी, बोली- दीदी ने तो मुझे सहेली जैसा ही माना.


राजेश फिर बोला- तुमको क्या लगता है कि मुझे इस हाल में छोड़ कर तुम्हें जाना चाहिए?

आशा फफक कर रो पड़ी और राजेश के घुटनों के पास आकर बैठ कर रोने लगी और बोली- मैंने दीदी से वायदा किया है कि आपका ध्यान रखूंगी.


राजेश ने पूछा- तो फिर?

आशा रोते रोते बोली- इस जमाने को कौन समझाए.


राजेश बोला- मुझे जमाने की परवाह नहीं है. तुम मेरा और घर का ध्यान रखो बस!


कहकर राजेश ने आशा को उठाया और नजदीक लाते हुए उसके सर पर स्नेह से हाथ फेरा.


पता नहीं आशा को क्या हुआ, वह राजेश से लिपट गयी.

मेड लव के ख्याल में राजेश ने भी उसे अपनी बाँहों में थाम लिया.


अब राजेश की बांहों में एक महिला का जिस्म था जिसे आज तक उसने इसे देखा ही नहीं था.

पर आज पहली बार उसे आशा के मांसल मम्मों का दबाब अपनी छाती पर महसूस हो रहा था.


आशा की गर्म साँसें उसकी गर्दन पर पड़ रही थीं.

उसने आशा को और कस के भींच लिया.


आशा को अब अहसास हुआ कि अब इस राजेश के अंदर मर्द जाग रहा है.

उसे यह अहसास राजेश के पजामे के अंदर उठते तनाव से महसूस हुआ.


आशा के मन में कोई भाव नहीं था … पर पता नहीं क्यों वह भी राजेश की गिरफ्त से छूटना नहीं चाह रही थी.


पर जब राजेश ने उसके गालों को अपने हाथो में लेकेर उसे चुप कराना चाहा तो आशा झटके से अलग हुई और अपने हाथों से अपने आंसू पौंछती हुई अपने कमरे की ओर चल दी.


राजेश ने उसे रोका, फिर उसके कंधे पर आहिस्ता से हाथ रख कर उसे अपनी ओर घुमाया.


अब राजेश बोला- आज से दस साल पहले अगर मम्मी ने तुम्हें नहीं सहारा दिया होता तो तुम्हारी जिन्दगी ख़त्म सी ही थी. और इन छह महीनों में अगर तुमने मुझे और घर को नहीं सम्भाला होता तो मेरा बचना नामुमकिन था. मेरा अब तुम्हारे अलावा कौन है जो ध्यान रख सके. तुम इस घर को अपना मानते हुए अधिकार से रहो. पर हाँ, जैसा प्रिया चाहती थी, आज से तुम उसी तरह साफ़ सुथरी होकर रहना. जमाने की मुझे कोई परवाह नहीं है. अब जाओ और फ्रेश होकर कपड़े बदलकर आओ और आकर अपने और मेरे लिए कॉफ़ी बनाना.


आशा थोड़ी देर तो सन्न खड़ी रही.


राजेश ने फिर गंभीर होकर कहा- मेरा तुम्हारे ऊपर कोई अधिकार नहीं है. अगर तुम अपने को मेरे घर पर असुरक्षित महसूस करती हो तो तुम स्वतंत्र हो कहीं भी, कभी भी जाने के लिए!

कह कर राजेश घूमकर अपने कमरे में जाने लगा.


अब आशा उसके दौड़ कर रोती हुई उसके पैरों में लिपट गई, बोली- मैं कहाँ जाऊंगी. मेरी जिन्दगी तो मां ज़ी और बाद में दीदी के पास अमानत है. मेरी वजह से आपकी बदनामी न हो, बस इससे डरती हूँ.


राजेश ने उसे उठाया और गले लगा लिया, बोला- बस तुम मेरा ख्याल रखो, जमाने से मैं निबट लूंगा.


और अबकी बार राजेश ने आशा के आंसू से भरे गालों को चूम लिया.

आशा एक सूखी बेल की तरह लिपट गयी राजेश से और ताबड़ तोड़ उसे चूमने लगी.


राजेश ने उसे शांत किया और कहा- जाओ और जैसे प्रिया रात को अच्छे से तैयार होती थी, वैसे ही तैयार होकर आओ और कॉफ़ी बनाओ.


अब आशा के चेहरे पर मुस्कान आ गयी.

वह शरारत से बोली- आप दीदी को तैयार होना तो दूर, कपड़े ही कहाँ पहनने देते थे?

कह कर वह भाग गयी अपने कमरे में!


थोड़ी देर में आशा एक ट्रे में कॉफ़ी लेकर आई.

उसने मुंह धोकर कपड़े बदल लिए थे. पर एक साफ़ सुथरा सूट डाला हुआ था. चेहरे पर मुस्कान थी और होंठों पर हल्की सी लिपस्टिक.


राजेश उसे देख कर मुस्कुराए, बोले- तुम्हारी कॉफ़ी कहाँ है?

आशा बोली- आप लीजिये, मेरा मन नहीं था.


राजेश ने आशा का हाथ पकड़ कर बगल में बिठा लिया.

फिर वो उसका हाथ पकड़े पकड़े उसकी आँखों में आँखें डाल कर बोले- साथ दोगी मेरा?

आशा चुप रही, बस पैर के अंगूठे से जमीन कुरेदती रही.


राजेश ने फिर कहा- प्रिया के बाद मैं बहुत अकेला हो गया हूँ. जीने की कोई इच्छा नहीं है. क्या करूं समझ में नहीं आता. कई बार तो मन में आता है कि आत्महत्या कर लूं!

आशा ने झटके से सर उठाया और अपने हाथों से राजेश का मुंह बंद कर दिया और एक बार फिर लिपट गयी उससे!


वह रुंआसी होकर बोली- मेरे ऊपर आपका पूरा अधिकार है. मैं आपकी कोई बात नहीं टाल सकती. पर मैं दीदी की जगह नहीं ले सकती.

राजेश बोला- दीदी की जगह तो कोई भी नहीं ले सकता. पर जाते-जाते उसके आखिरी शब्द यही थे कि मैं उसकी याद में रोऊँ नहीं. अब तुम ही बताओ मैं कैसे न रोऊँ. अब जीऊँ तो किसके सहारे. इसीलिए अभी मन में यह ख्याल आया है कि क्यों न हम एक दूसरे के सहारे बन जाएँ.


आशा शांत थी.

राजेश चुपचाप कॉफ़ी पीते रहे.


बाद में आशा कप उठाकर ले गयी.

राजेश धीरे धीरे क़दमों से अपने रूम में चला गया.


अब राजेश नीचे ही शिफ्ट हो गया था.

आशा किचन में कुछ उठापटक कर रही रही.


रात के 10 बज गए थे.

राजेश ने अपने कमरे की लाइट बंद कर ली और लेट गया.


आशा को अचानक ध्यान आया कि राजेश के कमरे में पानी तो रखा ही नहीं है.


कमरे की लाइट बंद थी.

आशा दबे पाँव पानी का जग राजेश के कमरे में रख कर लौट ही रही थी कि राजेश ने उसका हाथ पकड़ लिया.

कोई जबरदस्ती का माहौल नहीं था.


आशा भी हाथ छुड़ाना नहीं चाह रही थी.

राजेश ने उसे अपनी ओर खींचा तो आशा सीधी उसकी गोद में जा गिरी.


अब आशा खुद बखुद राजेश से लिपट गयी.

फिर बुदबुदाती हुई बोली- हम ये गलत कर रहे हैं.


राजेश ने उसके होंठों पर अपने होंठ भिड़ाते हुए कहा- हम एक दूजे की जरूरत पूरी कर रहे हैं.

आशा एक दो पल तो ठहरी फिर वो भी राजेश का चूमाचाटी में साथ देने लगी.

राजेश ने उसे कस के भींच लिया.


दोनों अब बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए.


आशा ने राजेश की आँखों में झांकते हुए कहा- ज़माना तो इसे नाजायज ही कहेगा न!

राजेश ने उसको अपनी से चिपटाया और कहा- ज़माना कुछ भी कहे … पर आज तुम्हें राज़ की बात बताता हूँ. जाने से एक दिन पहले प्रिया ने मुझसे यह वादा लिया था कि अगर उसे कुछ हो गया तो मैं तुम्हें उसकी जगह दूंगा और स्वीकार करूंगा. मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पा रहा था. पर तुम्हारे बिना जीवनयापन सोच भी नहीं पा रहा था. इसलिए आज ये निर्णय लिया. प्रिया जहाँ कहीं भी होगी हमारे मिलन को उसकी स्वीकारोत्ति होगी. कल ही मैं कोर्ट मैरिज करके वैधानिक रूप से तुम्हें अपनी पत्नी बनाऊंगा. जमाने को जो कहना है कहता रहे.


कहकर राजेश खड़ा हो गया.

उसने प्रिया की अलमारी खोली और उसकी एक सितारों वाली लाल साड़ी और ब्लाउज आशा को दिया और कहा- आज से ये सब तुम्हारा है. दुल्हन की तरह तैयार हो जाओ. हम अभी शादी करेंगे.


आशा हतप्रभ थी.

उसकी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.

पर वह इतना जानती थी कि कहीं दूर से प्रिया ही ये सब करवा रही है.


राजेश ने अपने लिए एक कुर्ता पाजामा निकाला और वो दूसरे कमरे मैं चला गया.


आशा कुछ पल तो यूं ही खड़ी रही फिर जब राजेश की आवाज आई जल्दी करने के लिए तो बाथरूम में घुसी.

आधा घंटे बाद जब आशा तैयार होकर बाहर आई तो उसे देख कर राजेश भी सकते में आ गए.


एक अछूता सौन्दर्य उसके सामने था.

बहुत हल्के मेकअप में भी आशा का सौंदर्य दमक रहा था.


राजेश उसे लेकर घर में बने मंदिर में ले गया.

वहां रोली से आशा की मांग में सिंदूर भर दिया.


मेड वाइफ बनकर आशा रो पड़ी.

उसने झुककर राजेश के पैर छू लिए. राजेश ने उसे उठाया और गले लगाया. अब दोनों पति पत्नी के रूप में आपस में लिपटे खड़े थे.


राजेश आशा का हाथ थामकर रूम में आया और बोला- मुंह दिखाई में मैं कोई पुराना जेवर नहीं देना चाहता. मुंह दिखाई की रस्म का जेवर कल दूँगा.

आशा धीमे से बोली- आपने जो कुछ मुझे दे दिया, इसका अहसान तो मैं सात जन्म में भी चुका पाऊँगी. अब मुझे कुछ नहीं चाहिए.


दोनों बेड पर आ गए.

रात गहरा चुकी थी.


थोड़ी देर तक बाकी जिन्दगी के लिए कसमें वादे होने के बाद राजेश ने बहुत संकोच से आशा से कहा- रात ज्यादा हो गयी है. तुम कपड़े बदल लो, फिर सोते हैं.


आशा उठी, उसने कमरे की लाइट बंद कर दी और अपनी गले की ज्वेलरी उतार बेड पर आ गयी और राजेश से लिपटकर बोली- आज रात सोना नहीं है, आज हमारी सुहागरात है.


अब जो कुछ सुहागरात पर धमाल होता है, उस सब की उम्र तो नहीं थी, पर दोनों के मन में एक अटूट ख़ुशी थी उस खालीपन को भरने की.


राजेश ने शुरुआत की आशा के और अपने कपड़े उतारने की.

आशा का हाथ राजेश के लंड से जा टकराया.


यूं तो इन छह महीनों में जब राजेश भी मरणासन्न था, आशा ने कितनी ही बार उसके पूरे कपड़े बदले थे.

पर तब मन में कोई भावना नहीं थी.


आज आशा को छड़ बने लंड के स्पर्श मात्र से ही रोमांच हो गया.

आशा के मम्मे प्रिया की तरह भारी तो शायद नहीं थे पर कसाव पूरा था.


अब कपड़ों से दोनों पूरी तरह आजाद हो गए थे.

राजेश ने आशा को चूड़ियाँ और पाजेब नहीं उतारने दी.


अब राजेश ने लिपटा लिया आशा को अपने से!


दो नंगे जिस्म जब लिपटे तो आग भड़कना स्वाभाविक था.

दोनों के होंठ भिड़ गए.


आशा की जीभ राजेश की जीभ में समा जाना चाहती थी.

राजेश का लंड आशा के हाथ में था, जिसे वो मसल रही थी.


आशा के मम्मे राजेश के हाथों की गिरफ्त में थे.


अब राजेश ने आशा से लेटने को कहा और उसकी टांगें चौड़ायीं.

आशा समझ गयी कि राजेश उसकी चूत चाटना चाहता है.

उसे मालूम था कि प्रिया तो हर समय अपनी चूत चिकनी रखती थी तो इसीलिए आशा ने अभी नहाते समय वेक्सिंग कर ली थी और अच्छा बॉडी स्प्रे कर लिया था.


आशा की चूत में जीभ लगाते ही राजेश को प्रिया की याद ताज़ा हो गयी.

पर अब तो प्रिया नहीं … आशा थी उसके बेड पर.


आशा कहीं से भी किसी से हल्की साबित नहीं हो रही थी.

राजेश ने अपनी जीभ घुसा दी आशा की चूत में!

उसके नथुनों में मीठी मीठी महक घुस गयी.


राजेश ने उसकी टांगें और चौड़ायीं और जीभ पूरी गहराई तक उतार दी.

आशा ने उसके बाल पकड़ लिए और अपनी टांगें और खोल दीं और बाल पकड़ कर राजेश का सर और अंदर कर लिया.

वह कांप रही थी.

उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा शारीरिक सुख दोनों ने सोचा भी नहीं था.


आशा की पाजेब के घुंघरू और चूड़ियाँ उनके मिलन की गवाह थीं.


राजेश से अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह सीधा आशा के ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मे दबाता हुआ अपना लंड पूरा झटके से पेल दिया आशा की चूत में!


आशा की चूत में कसाव था और किसी मर्द का लंड अंदर लिए बहुत ज़माना हो गया था तो आशा की चीख निकल गयी.

उसने राजेश को कस के पकड़ लिया.

उसके हल्के बढ़े नाख़ून राजेश की पीठ पर गड़ गए थे.


अब राजेश की धकापेल शुरू हो गयी.

आशा की आहें पूरे कमरें में गूँज रही थीं.


उसकी चूत पानी बहा चुकी थी तो राजेश का लंड भी फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर जा रहा था.


राजेश नीचे झुकता तो आशा भी जितना हो सकता सर उठाती.

दोनों के होंठ मिलते.


अब आशा ने राजेश से कहा- लाइए, आज दीदी की कमी पूरी करती हूँ.

कहकर उसने राजेश को नीचे किया और चढ़ गयी उसके ऊपर … और अपने हाथों से राजेश का लंड अपनी चूत के मुंहाने पर सेट किया और लगी उछलने!


राजेश हैरत में था की आशा को ये सब कैसे मालूम?

फिर उसे ध्यान आया कि प्रिया आशा से कुछ छिपाती नहीं थी.


राजेश आशा के मम्मे मसल रहा था और आशा उसकी छाती पर हाथ टिका कर उछल कूद मचा रही थी.


उसकी चूड़ियों की खनखनाहट और घुंघरुओं की आवाज उनकी चुदाई के साथ संगत करती लग रही थी.


अब राजेश का भी होने को था.

उन्होंने आशा को नीचे किया और फाइनल राउंड की चुदाई शुरू की.


दोनों हांफ रहे थे पर रुकने को कोई तैयार नहीं था.

राजेश ने आखिरी दम मारते हुए पेल लगायी और आशा से पूछा- कहाँ निकालूं?


आशा ने उसे कस के पकड़ लिया और कहा- अंदर ही निकालो.

राजेश ने एक झटका मारा और आशा की चूत अपने माल से भर दिया और एक और लुढ़क गया.


आशा ने मुस्कुरा कर उसकी ओर करवट ली और चूमते हुए कहा- आज आपने मुझे वो सुख दिया है जिसे कुदरत ने मुझसे छीन लिया था.

राजेश ने पूछा- अंदर क्यों निकलवाया? अब इस उम्र में बच्चे …

आशा हँसती हुई बोली- नहीं, अभी मैं सेफ थी. बच्चों का तो प्रश्न ही नहीं उठता. आपको कोई परमानेंट इंतजाम करना होगा.


दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गए.


अगले दिन सुबह ही राजेश ने कुनाल से अमेरिका बात की और बताया कि वे आशा से शादी कर रहे हैं.

कुनाल बहुत खुश हुआ.

उसने कहा- पापा, आज आपने मम्मी की इच्छा पूरी की है. आशा आंटी मम्मी को भी बहुत पसंद थी और इन दिनों में सिर्फ उन्हीं की वजह से आप ठीक हो पाए हैं. अब आप लोग अमेरिका आइये.


उसके बाद राजेश ने प्रिया के भाई जो इसी शहर में रहते थे, उन्हें बताया और उन्हें कोर्ट में बुलाया.

दो चार दोस्तों की मौजूदगी में राजेश और आशा की मैरिज रजिस्टर्ड हो गयी.

दोनों अब कानूनी रूप से पति पत्नी थे.


मोहल्ले की एक दो औरतों ने कुछ कटाक्ष करना चाहा तो राजेश ने ऊँची आवाज़ में कह दिया- हमारे घर के मामले में किसी को दखलंदाजी की जरूरत नहीं है.


आशा ने राजेश से कहा- अब आप कल से दोबारा दूकान जायेंगे. पहले हम वहां पूजा करेंगे, फिर कारोबार शुरू करेंगे.

राजेश ने ख़ुशी ख़ुशी अपनी सहमति दे दी.


तब राजेश ने आशा से कहा- इस घर के कायदे कानून तुम्हें मालूम ही हैं. मैं कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करूंगा.

आशा सहम गयी और धीरे से बोली- मैं समझी नहीं?


राजेश हंस पड़ा और बोला- घर के अंदर कोई कपड़ा नहीं!

आशा शर्मा गयी और धत्त कहती हुई किचन में चली गयी.


राजेश बाजार की कहकर निकले कि कल से दूकान पर बैठना है तो नौकर को कहना पड़ेगा और पूजा के लिए पण्डित ज़ी से भी कहना पड़ेगा.


गेट खोलते खोलते राजेश रुके और आशा को बुलाया- एक काम जो प्रिया मुझे दूकान भेजने से पहले करती थीं, वो अब तुम्हें करना होगा.

आशा नजदीक आई और उचक कर राजेश को होंठों पर चूम लिया.

राजेश मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हें कैसे मालूम?


हंसती हुई आशा बोली- दीदी चुम्मी इतनी जोर से लेती थीं कि आवाज नीचे तक आती थी.


राजेश ने आशा को बाँहों में भरते हुए कहा- प्रिया के कपड़ों की अलमारी पिछले छह महीने से कल ही खुली थी. अब वो सब तुम्हारा है. एक बार उसे संभाल लेना.

आशा बोली- हाँ मैं समझ गयी कि रात को क्या पहनना है. ये मुझे अलमारी की नीचे की दराज़ में मिलेगा.


यह फिर राजेश के लिए आश्चर्य की बात थी.

अब आशा खीजती हुई बोली- अलमारी मैं ही तो लगाती थी दीदी की! उन्हें तो खुद नहीं मालूम रहता था कि कहाँ क्या रखा है. पर हाँ, एक चीज़ मैं आपको भी नहीं इस्तेमाल करने दूँगी.

राजेश बोले- क्या?

आशा हँसती हुई बोली- वाइब्रेटर! जब ज़िंदा है तो रबड़ का क्या करना? सेक्स बिना भी क्या जीना


इससे पहले राजेश कुछ कहता, आशा ने उसे प्यार से बाहर जाने का रास्ता दिखाया.


दोस्तो, कैसी लगी मेरी Hindi Sex Story?

मुझे मेरी मेल आईडी पर लिखिएगा.

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