top of page

खाना बनाने वाली की चुदाई कर डाली - Desi Kahani

नमस्कार दोस्तो, कैसे हो आप सब!

इस चटपटी वेबसाइट पर आप लोगों का स्वागत है.


मेरा नाम है अंकुर … Desi Kahani आज से करीब 3 महीना पहले की है.

मई का महीना चल रहा था.


उस वक्त मेरे कजिन ब्रदर सूरज की शादी तय हुई थी.

तो शादी से एक हफ्ता पहले हम लोग गांव चले गए थे.


आप तो जानते ही हैं शादी वाले घर में बहुत सारे काम होते हैं. सबसे महत्त्वपूर्ण काम है मेहमानों के लिए खाना बनाना!


उसी के लिए हमने घर में दो खाना बनाने वाली को भी रखा था जो हमारे घर में करीब 15 दिन तक रहने वाली थी।

एक औरत का नाम सुधा था जबकि दूसरे का नाम रम्भा था।


सुधा की लंबाई मुझसे थोड़ी सी कम थी यानि वह करीब 5 फुट 4 इंच की होगी.

जबकि रम्भा की लंबाई मेरे बराबर ही थी.


दोनों का ही रंग बहुत ज्यादा साफ नहीं था लेकिन देखने में दोनों की दोनों बहुत सुंदर लगती थी.

उनके नाक नक्श बहुत अच्छे थे.


दोनों ही औरतों की उम्र 30 32 ही होगी.

लेकिन उनकी उम्र के हिसाब से उनका शरीर काफी ज्यादा जवान दिखता था.


सुधा तो देखने में 25-27 साल की लड़की लगती थी जबकि रम्भा का बदन थोड़ा सा भरा पूरा था. उसके चूचे काफी बड़े थे जैसे किसी महिला के होते हैं, ठीक वैसे ही!

जबकि सुधा देखने में किसी कमसिन लड़की की तरह लगती थी.


रम्भा की गांड वाकई में बहुत बड़ी थी, एकदम गोलाकार थी.

जबकि सुधा की आम लड़कियों की तरह ही थी।


क्योंकि गांव के अंदर शादी हो रही थी इसलिए गांव के अंदर अपने घर पर काम करने वालों से थोड़ी दूरी बनाकर रखी जाती है.

उनसे बातचीत वगैरह नहीं की जाती.


लेकिन शहरों के अंदर तो ऐसा नहीं होता.

और मैं शहर से आया था तो मैं उनसे थोड़ा हंस कर बात कर लिया करता था।


उनसे बातचीत करके मुझे यह समझ में आया कि दोनों के पति ही निक्कमे आवारा थे … दारू पीकर पूरे दिन घर में पड़े रहते थे. इसलिए बीवियों को दूसरों के घर पर जाकर खाना बनाने का काम करना पड़ता था.


उनके रहने के लिए हमने अपने घर में ही स्टोर रूम में उनका गद्दा लगवा दिया था, वे दोनों उसी स्टोर रूम में रहती थी।


बात उस रात की है जब मैं पेशाब करने के लिए उठा.

उस समय सुबह के करीब 3:30 बज रहे होंगे.


मैं पेशाब करके जब वापस आया, तब मैंने स्टोर रूम के पास उन दोनों औरतों की आहें भरने की आवाज सुनी।

मैंने अंदर जाने की कोशिश की मगर अंदर से कुंडी लगाई हुई थी तो मैं वहीं पास में खड़ा होकर उनकी आवाज़ सुनने लगा और अपने आंखों को बंद कर कर अपने ख्यालों में सोचने लगा कि ये दोनों औरतें अंदर क्या कर रही होंगी।


अंदर से सुधा की आहों की आवाज बाहर तक आ रही थी.

अब उसकी आहें और तेज हो चुकी थी और मेरा भी पजामा अब जमीन पर गिर चुका था.

मैंने हाथ में अपना लंड ले लिया और उसे हिलाने लगा।


मगर ना जाने कैसे शायद उन्हें यह पता लग गया कि गेट के बाहर कोई है, तो अन्दर से आवाज आनी बंद हो गयी.

मैंने भी तुरंत अपना पजामा ऊपर किया और दौड़ कर उस जगह से दूर चला गया।


अब मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी.

मैं बस उन दोनों का ख्याल मेरे दिमाग में घूम रहा था कि वे कमरा बंद करके क्या कर रही होंगी. मैं उनके नंगे बदन को अपने दिमाग की छवि में उतारने लगा और उनको बिना कपड़ों के एक दूसरे में आलिंगन पाते हुए सोचकर अपने लंड को सहलाने लगा।


खैर थोड़ी देर बाद सब लोग जागने लगे और अपने अपने काम में व्यस्त हो गए.


लेकिन अब मेरी दृष्टि उन दोनों औरतों के प्रति पूरी तरीके से बदल गई थी।


थोड़ी देर बाद जब मैं फ्रेश होकर आया तो सुधा ने मुझे चाय दी.

उसका हाथ मेरे हाथ से लगा भर ही था, उतने में ही मेरा लंड एक बार फिर से सुधा को सलामी देने लगा.


मैं बहुत ही अनकंफरटेबल महसूस कर रहा था तो मैंने अपने लंड को ठीक जगह पर किया.

यह करते हुए मुझे रम्भा ने देख लिया था।


हमेशा ऐसा होता था कि मेरे हिस्से में कोई ना कोई मार्केट जाने का काम आ जाता था जिसकी वजह से मैं सबसे अंत में दोपहर का खाना खाता था

लेकिन मेरी सुधा और रम्भा से अच्छी बातचीत हो गई थी तो वे मेरे लिए अलग से ही खाना निकाल कर रख देती थी.


मुझे खाना सुधा ही सर्व करती थी.

मगर उस दिन ना जाने क्या हुआ, मैं मार्केट से करीब दोपहर में 2:30 बजे के करीब आया आपने हाथ पैर धोकर मैं किचन की तरफ गया और देखा कि खाना निकला हुआ है और थोड़ी देर में रम्भा नीचे आई और खाने की प्लेट उसने मेज पर लगा दी।


मैंने रम्भा से पूछा- आज सुधा नहीं आई, क्या बात है?

उसने भी पलट कर अपनी कटीली भाषा में जवाब दिया- सुधा के बिना आपका मन नहीं लगता क्या?


हालांकि उसके इस तरीके के जवाब देने से मैं बिल्कुल हैरान रह गया और मैंने शर्म से अपना सर नीचे झुकाते हुए कहा- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन वही मेरे लिए खाना निकालती है तो इसीलिए पूछा.


“आज उसके पति का फोन आ गया है. और मर्दों का तो यह है साहब कि अगर उनसे ज्यादा ढील दे दी तो इधर उधर मुंह मारने लगते हैं।”


उस दिन उसकी बातें मुझे बहुत अजीब लग रही थी.


हमेशा तो वह अपने बदन को पूरे साड़ी और पल्लू के साथ रखती थी लेकिन ना जाने क्यों आज उसका साड़ी का पल्लू थोड़ा सा नीचे की तरफ था जिसकी वजह से उसके विशालकाय गुंबद जैसे दो बबले उसके ब्लाउज से बाहर आने को आतुर हो रहे थे।


मुझे खाना खाते समय फोन चलाते रहने की आदत है मगर उस दिन मेरा ध्यान मेरे फोन से ज्यादा उसके ब्लाउज की तरफ टिका हुआ था.

शायद यही बात रम्भा को भी पता चल रही थी इसलिए अब वह मेरे सामने बैठकर उसने अपने शरीर को टेबल पर थोड़ा आगे की तरफ झुकाया जिससे कि अब मुझे उसके चूचों की गहराई भी दिखने लगी।


वह जानबूझकर मुझे अपना बदन दिखा रही थी.

यह तो मुझे पता चल गया था क्योंकि मेरे काफी पास बैठने के बावजूद मेरे गिलास में पानी डालने के लिए वह बार-बार उठ रही थी, झुक रही थी. जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े खरबूजे मेरी आंखों के सामने लटक जा रहे थे।


मेरा लंड तन के तंबू हो गया था।

मैंने अपने लंड को वापस से ठीक किया और आलती पालथी मारकर कुर्सी पर ही बैठ गया।


ऐसा करते हुए उसने मुझे देख लिया था और उसने मुझसे बोला- साहब आप बाकी लोगों की तरह नहीं हो! आप हम लोग को छोटा नहीं समझते हो, हमसे बातचीत कर लेते हो. वरना हम दोनों एक दूसरी से कितनी बातें करेंगी.


उसने कहा- हम समय काटने के लिए बातचीत कर लेती हैं. कभी अपने पतियों से बात कर लेते हैं, कभी गांव शहर की बात कर लेती हैं और बाकी समय में लूडो खेल लेती हैं।


मैंने पूछा- बस इतना ही कुछ करती हो या फिर और कुछ भी करती हो?

तब उसने अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लपेटे हुए कहा- कभी कभार एक दूसरी के साथ भी खेल लेती हैं।


उसके इस जवाब से तो मेरे गले में चावल ही अटक गया और मैं खांसने लगा.

वह मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी.


उसके चूचे अब मेरे मुंह के बिल्कुल सामने आ गए थे.

ध्यान से देखने पर मुझे यह पता चला कि उसने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी है क्योंकि उसके निप्पल भी एकदम टाइट ब्लाउज के बाहर आ रहे थे।


मैंने उससे कहा- अब ठीक है.

तो वह वापस दूर जाकर बैठ गई.


मैंने अपना खाना खत्म किया, वह प्लेट उठाकर जाने लगी.

अब उसकी बहुत बड़ी गांड मेरी आंखों के सामने आ गई थी.


अब सिर्फ रम्भा और उसके बड़े-बड़े चूचे ही मेरी आंखों के सामने बार-बार आ रहे थे.


रम्भा ने अब बर्तन धोने शुरू किया और साथ ही उसने मुझसे कहा- बाल्टी में पानी भर दीजिए।


बैठकर उसने बैठकर साड़ी अपने घुटने तक उठा ली थी और अपने पल्लू को भी अपने कमर में बांध लिया था जिससे अब उसके बड़े बड़े स्तनों के दर्शन मुझे आराम से हो रहे थे और उसकी मांसल जांघें भी मुझे दिखाई दे रही थी.


मैंने धीरे धीरे हैंडपंप चलाया और पानी भरता गया।


जब वो बर्तन धो रही थी तब उसके बड़े बड़े गुंबद तो मानो दाएं बाएं ऊपर नीचे खेल रहे थे.

अब मेरा खुद पर काबू छूट रहा था.


उससे पहले कि मैं वहीं खुले में उसको पकड़ लेता, मैं अपने कमरे में चला गया और उसके बड़े बड़े मोटे चूचों को याद करके अपना लंड हिला कर शांत हो गया।


मेरा पूरा दिन रम्भा के साथ आंख में चोली में ही निकल गया.

जब भी वह मेरे पास आती, मैं बहुत उत्तेजित हो जाता.


अब उसकी आंखों में भी कामवासना साफ नजर आ रही थी.


फिर उसी रात को या फिर कहें कि अगले दिन सुबह मेरी आंख फिर 4:30 बजे के आसपास खुल गई थी.

मैं पेशाब करने के लिए गया और आते वक्त मैंने देखा कि उन दोनों का कमरा खुला हुआ है.


मैंने बहुत ही हल्के हाथों से गेट को थोड़ा सा खोला और अपनी गर्दन को अंदर झांक कर देखा तो पाया सुधा ने ब्लाउज और पेटिकोट पहना हुआ था. उसका पेटीकोट उसके घुटनों के भी ऊपर था.


वह इस तरीके से सोई हुई एकदम मासूम हिरनी लग रही थी मेरा मन तो कर रहा था कि मैं तुरंत जाकर उस पर चढ़ जाऊं!


लेकिन फिर मुझे लगा कि रम्भा कहां है।


मैंने देखा कि बाथरूम की रोशनी जली हुई है.

फिर मुझे समझ में आया कि शायद रम्भा नहाने गई है क्योंकि जब सब लोग उठ जाते थे तो बाथरूम 10 बजे तक खाली नहीं रहता था.

इसलिए रम्भा और सुधा जल्दी उठकर ही नहा लेती थी.

मैं अभी बाथरूम की रोशनी की तरफ देख ही रहा था कि तभी अंदर से गेट खोलकर रम्भा बाहर आ गई.

उसके सर पर सिर्फ तौलिया लपेटा हुआ था और नीचे पेटीकोट डाला हुआ था ऊपर से वह पूरी तरीके से नग्न थी.


वह मुझे बिना देखे ही आगे की तरफ बढ़ने लगी.


लेकिन जैसे ही उसको यह लगा कि कोई उसे देख रहा है, उसकी नजर मेरी तरफ गई.

मैं उसको एकटक घूरे जा रहा था.


उसके बड़े-बड़े चूचे यार … इतने बड़े चूचे तो मैंने अपनी जिंदगी में किसी के नहीं देखे होंगे.

खरबूजे के साइज के चूजे थे उसके!


मुझे देखकर उसके मन में कुछ नहीं सोचा और उसने अपने बदन को छुपाने की कोशिश नहीं की.

लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसे अक्ल आई और उसने अपने दोनों हाथों से अपने चूचों को छुपा लिया और अपनी पीठ मेरी तरफ कर दी और वहीं खड़ी रही।


मैं झट से उसके पीछे की तरफ चला गया और उसकी नंगी पीठ पर अपना बदन सटा दिया.


मेरा लंड तो एकदम तना ही हुआ था, वह उसकी गांड की दरार में गर्मी लेने लगा.


मैंने अब उसके दोनों हाथों के ऊपर ही अपना हाथ रखा और उसकी चूचियों को मसलने की कोशिश करने लगा.

वह मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।


वह मेरा विरोध कर रही थी और अपने हाथ से अपने चूचों को भी दबा रखा था.

लेकिन मैंने उसके दोनों हाथों को मोड़ कर उसके पीठ के पीछे किया और अपने बदन को उसके ऊपर चिपका दिया.


अब उसके दोनों हाथ पीछे हो गए और उसके बूब्स को मैं अब अपने हाथों से दबाने लगा.

मेरे दोनों हाथों में भी उसका एक बूब नहीं आ रहा था.


मैं उसके वक्ष मसलने लगा, मैं अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ रहा था और उसके बूब्स को दबा रहा था।

उसकी सिसकारियां निकल रही थी- हहह आराम से करिये नाआ आआ उफ़्फ़ … जान निकल जाएगी मेरी!


अब मेरा एक हाथ उसकी चूत की तरफ जाने लगा.

मगर वो मेरा हाथ रोक रही थी इधर उधर हिल कर!


तब मैंने उसे दीवार से सटा दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.

उसकी चूत पे बाल थे।


अब मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर फांक के पास अपनी उंगलियाँ फेरने लगा.


वह उत्तेजित होने लगी और अपनी गांड मेरे लंड पे सटाने लगी, रगड़ने लगी।

अब तो मेरा भी मन आप से बाहर हो गया था और मैंने उसकी पेटीकोट को गांड तक ऊपर उठा कर उसकी कच्छी को नीचे करने ही वाला था कि उसने खुद को मुझसे अलग कर दिया.


उसने मुझे कहा- अभी नहीं, सबके उठने का समय हो गया है, कोई देख लेगा. छोड़ दीजिए मुझे!


मुझे उसकी बात उचित लगी और मैंने उसे उस वक्त जाने दिया.

वो तुरंत भाग कर अपने कमरे में चली गई और मैं भी वापस अपने कमरे की ओर चला गया.


लेकिन अब मेरे मुंह पर खून लग चुका था और अब मैं रम्भा को बिना चोदे नहीं छोड़ सकता था।

मैं यह सोचने लगा कि अगला मौका कब मिलेगा. अगला मौका जब भी मिले मैं रम्भा को नहीं छोडूंगा।


खैर उस दिन के लिए ज्यादा रुकना नहीं पड़ा।

मैंने सोचा कि आज रात को अपना काम पूरा कर ही दूंगा।


रात का इंतजार लंबा होता जा रहा था.


मगर आखिरकार 1 बजे सब लोग सोने के लिए चले गए थे.

उसके बाद मैं चुपके से स्टोर रूम की तरफ आगे बढ़ा।


जब मैंने तो रूम के पास जाकर देखा तो अंदर से लॉक लगा हुआ था.

मैंने दो बार गेट पर खटखटाया.


थोड़ी देर बाद अंदर हलचल हुई और दरवाजा खोलकर रम्भा बाहर आ गई.

उसने सिर्फ अपना ब्लाउज और पेटीकोट ही पहना था।


रम्भा जैसे ही बाहर आई, मैंने तुरंत उसके तन पर अपना धावा बोल दिया और उसे स्टोर रूम के दीवार के सहारे लगाकर मैंने उसके तन को चाटना शुरू कर दिया.


पहले तो वह मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा था.


लेकिन खुले में यह सब करना हमें पकड़वा देता … इसलिए मैंने उसको मेरे कमरे में जाने को बोल दिया और खुद स्टोर रूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया ताकि सुधा बाहर आ ना सके।


जब मैं अपने कमरे में गया तो देखा कि वहां पर तो एकदम अलग ही नजारा है.

रम्भा ने अपने कपड़े उतार दिए थे.


उसकी मांसल जांघें, उसका भरा पूरा बदन देखकर मैं एकदम पागल हो गया और अपनी शर्ट को निकाल फेंक मैं कमरे में घुसा, कुंडी लगाई और सीधा रम्भा के ऊपर चढ़ गया।


अब रंडी रम्भा मेरे शरीर के नीचे थी, उसके बदन की गर्मी को मैं अपने बदन पर पास महसूस कर सकता था।


मैंने रम्भा को बेतहाशा चूमना शुरू किया.

रम्भा भी एकदम जुझारू खिलाड़ी की तरह मेरा साथ दे रही थी.


अब मेरा हाथ रम्भा के मोटे मोटे चूचे पर आ गया है जिनको मैं पहली बार इतनी पास से देख और दबा पा रहा था.

उसका एक स्तन मेरे एक हाथ में नहीं समा रहा था … काफी बड़े दूध से उसके!


मैंने बारी बारी से उसके दाएं और बाएं बाबलों को दबाया और इतनी ज़ोर से काटा कि उसकी चीखें निकलती रही.


अब मैं उसके निप्पल को अपने मुंह में भर के अपने जीभ से उसके निप्पल के साथ खेलने लगा और उसके उरोजों को दबाता रहा.

उसके निप्पल में से पानी आना शुरू हो गया था।


इसी तरीके से मैं उसका पूरा बदन चूमते चूमते नीचे की तरफ जाने लगा.

मैं उसका पेट, उसकी नाभि को चूमने लगा और मेरा हाथ उसकी चूत की गहराई को नापने लगा.

उसकी चूत एकदम क्लीन शेव थी.


मैंने उसे पूछा- कल तो थी झांट?

तो उसने कहा- आज ही मैंने हटाई हैं. आपको पसंद आई क्या?


मैंने हां में सर हिला दिया और अपना सर उसकी चूत के पास लेकर चला गया.


उसकी चूत में एक अलग ही मदहोश कर देने वाली महक आ रही थी.


मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली और बहुत देर ऐसे ही अंदर बाहर करने लगा.

वो धीमे-धीमे से सिसकारियां ले रही थी.


उसके बाद मैंने अपनी दूसरी उंगली डाली और अपनी उंगली की गति को थोड़ा तेज किया.


थोड़ी देर बाद उसका पानी निकल गया तो मैंने अपना मुंह उसकी चूत में लगाया और अपनी जीभ से उसकी चूत की गहराई को टटोलने लगा.

मेरे ऐसे करने पर उसने अपने दोनों पैरों को बंद कर दिया और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी चूत की तरफ घुसाने लगी।


वह मुझसे कह रही थी- अब और मुझे मत तड़पाइए उम्म मम … अपना लंड मेरी चुत में डाल दीजिए.


लेकिन मैं उठा और मैंने अपना झांट से भरा हुआ लंड उसके मुंह के आगे रख दिया।

उसने अपना गंदा से मुंह बनाते हुए कहा- कम से कम अपनी झांटें तो साफ कर लेते.

तो मैंने कहा- मुझे क्या पता था कि तुम इतनी बड़ी रंडी निकलोगी और एक ही दिन में पट जाओगी.


उसने बहुत नाटक नौटंकी किया लेकिन मैंने उसके सर को दोनों हाथों से पकड़ा और लंड उसके मुंह के सामने रखा.

अब ना चाहते हुए भी मेरा लंड उसके होंठों पर तैरने लगा था।


थोड़ा सा गर्म करने के बाद वह भी तैयार हो गई थी और उसने अब मेरा लंड का अगला हिस्सा अपने मुंह में ले लिया था।


शुरुआत में तो वो एकदम देसी हिंदी Xxx रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी. मेरा लंड कब उसके मुंह के अंदर पूरा खो जा रहा था मुझे समझ में भी नहीं आ रहा था.


मैंने उससे पूछा- तुम जहां भी जाती हो, वहां यह करती हो क्या?

तो उसने मेरा लंड को मुंह में से निकाल कर कहा- नहीं! मैं सब लोगों के साथ नहीं करती हूं. जो लोग मेरे को अच्छे लगते हैं, सिर्फ उन्हीं के साथ करती हूँ जैसे कि आप!

कह कर वापस से उसने मेरे लंड को मुझे अंदर भर लिया।


अब उसने मेरे लंड और अण्डों को भी चाटना शुरू कर दिया.

वो मेरे लंड और अण्डों को दबाने लगी.


दर्द हो रहा था मगर मज़ा भी खूब आ रहा था।

उसने बारी बारी मेरे आंड को मुंह में भर कर लंड हिलाया।


थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लेटने के लिए कहा और तकिया उसकी गांड के नीचे लगा दिया.


उसके दोनों पैर काफी मोटे मोटे थे. दोनों पैरों को मैंने हवा में किया और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा।


लंड चूस चूस कर रम्भा की भी चूत में पानी सैलाब आ चुका था, मेरा लंड बहुत ही आराम से उसकी चूत में जा पा रहा था.


वो हल्की-हल्की सिसकारियां ले रही थी और मैं भी धीमे-धीमे अपनी गति को आगे बढ़ाता जा रहा था.


थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी गति को तेज किया और उसे खूब जोर से चोदने लगा.


उसकी चीखें निकल रही थी लेकिन मैं उसको किस कर रहा था जिसकी वजह से उसकी आवाज बाहर ना सुनाई दे जाए।


पहले तो मैंने उसकी दोनों टांगों को हवा में कर दिया जिससे कि मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में जा पा रहा था.

वो किसी मछली बिन पानी जैसी मचल रही थी, मेरी गांड पे हाथ रख कर सहला रही थी।


मैं अपने लंड को उसकी चिकनी चूत में आता जाता देख कर और उत्तेजित हो गया और अब मैं और ज़ोर लगाने लगा.

मेरे आंड उसकी चूत पर लग रहे थे।


“ज़ोर से करो!” वो बोली.

“कर तो रहा हूं साली, बहुत गर्मी है तेरे में!” मैंने कहा.


अब मैं खुद नीचे लेट गया और उसको मेरे ऊपर आने को बोला।

वो झट से मेरे ऊपर आ गयी, उसने ही मेरे लंड को अपने चूत में सेट किया और मेरे लंड को अपनी चूत में ले लिया।


वो अपनी चूत को थोड़ा ऊपर उठाती और वापस मेरे लंड पे चूत गिरा देती।


अब मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिये.

उसकी और मेरी जीभ का मिलन हो रहा था।


मैं उसकी गांड को थोड़ा सा उठा के अपने लंड से उसकी चुदाई करने लगा।

मेरी चुदाई से वो एकदम पगला गयी और मेरे होंठ पर काट लिया.


उसकी इस हरकत से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार हो गया और मैं बिना रुके उसको चोदने लगा।

वो उह ओह आह अहा करने लगी.


थोड़ी देर में मुझे चूत में गर्माहट का एहसास होने लगा।

वो एक बार और झड़ गयी थी।


अब वो थोड़ी देर मेरे सीने पर सर रख कर आराम करने लगी.

मगर मेरा मूड कुछ ही था।


मैंने उसको मेरा लंड चूसने को बोला.


बहुत आनाकानी करने के बाद उसने लंड चूसना शुरू किया।


चूसते चूसते वापस उसकी चूत में खुजली होने लगी और वो अपनी चूत को सहलाने लगी।


“क्या हुआ? मन नहीं भरा क्या?” मैंने पूछा.

“इससे मन नहीं भरेगा, जितना करो उतना कम!” कह कर मेरे आंड उसने भींच दिए.

मैं मीठे दर्द से कराह उठा।


“कभी कुतिया बन कर चुदी हो क्या?”

“नही, फिल्म में देखा है बस!”


“चल आज तुझे कुतिया बना कर चोदता हूँ रम्भा रांड!”

वह खिलखिला कर हंस दी।


मैंने उसको घोड़ी बनाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.

पहले तो मैंने धीरे धीरे उसको चोदना शुरू किया.


उसे भी मज़ा आ रहा था, जब लंड चूत में जाता तब उसकी आह निकल जाती.


अब मैंने उसकी 32 की कमर पकड़ के ज़ोर से लंड अन्दर बाहर किया, उसकी चीख़ की तीव्रता अब बढ़ गयी थी.


मैं तो एकाएक उसकी चूत पर हमले कर रहा था और वह भरपूर मेरा साथ दे रही थी।

मेरे आंड उसकी गांड पे प्रहार कर रहे थे और उसके मुंह से मधुर आवाज आ रही थी।


अब मैं उसके बाल को पकड़ के चोदने लगा.


थोड़ी देर तक चुदाई के बाद मैं झड़ने को आ गया था, मैंने पूछा- चूत में डाल दूँ क्या?

“नहीं, बाहर गिरा दो!”


“मुंह में ले लो!”

“नहीं मुंह में नहीं लूंगी ये!”


“ठीक है, मुंह पर गिरा दूंगा बस!”

“ठीक है!”


मैंने चूत में लंड निकाल लिया और उसके मुंह पर सारा माल गिरा दिया।

उसके बाद मैं वहीं निढाल हो गया।

वो मेरे सीने को चूमने लगी।


मैंने कहा- सुधा को पटवा दो!! मुझे बहुत अच्छी लगती है वो!


“पूछती हूँ, वैसे वो भी आपको पसंद करती है तो ज्यादा मुश्किल नहीं होना चाहिए!”


उसके बाद उसने कपड़े पहने और वापस चली गई.

और मैंने भी चादर बदली और सो गया।


तो कैसे लगी देसी हिंदी Xxx भाभी की चुदाई कहानी? मेल करके आप मुझे बता सकते हैं.

Recent Posts

See All
चुदासी बैंक मैनेजर मैडम की चुदाई का मजा - Hindi Sex Stories

दोस्तो, आंटियो, भाभियो, जैसा कि आपको पता है कि पिछले एक साल से मैं लुधियाना में पोस्टेड हूँ. ये Hindi Sex Stories कुछ समय पहले की है जब मुझे स्कूल के अकाउंट्स का चार्ज भी मिल गया. ये एक हाई स्कूल था,

 
 
 
जवान लड़के लड़की का लाइव सेक्स देखा - Antarvasana Sex Stories

मेरे ढाबे पे रियल सेक्स लाइव शो का मजा हमें तब लिया जब एक जवान जोड़े को हमने अपने घर में शरण दी. कमरे की टूटी खिड़की से अंदर का पूरा नजारा दिख रहा था. पढ़े एक गरम गरम कहानी।

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating*

Hindi Sex Stories, Indian Sex Stories, Desi Stories, Antarvasna, Free Sex Kahani, Kamvasna Stories 

कामवासना एक नोट फॉर प्रॉफिट, सम्पूर्ण मुफ्त और ऐड फ्री वेबसाइट है।​हमारा उद्देश्य सिर्फ़ फ्री में मनोरंजन देना और बेहतर कम्युनिटी बनाना है।  

Kamvasna is the best and only ad free website for Desi Entertainment. Our aim is to provide free entertainment and make better Kamvasna Community

bottom of page