चाचा की लड़की की सील तोड़ चुदाई - Indian Sex Stories
- Dev
- 4 days ago
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Updated: 4 days ago
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम देव है। ये बिल्कुल ही सच्ची कहानी है।
मेरी चचेरी बहन गांव से अपनी पढ़ाई के लिए हम लोगो के पास शहर मे आई थी। उस समय वो इंटर मे दाख़िले के लिये आई थी और मैं ग्रेजुएशन मे था। हम लोग शुरू से शहर में रहते थे। मेरे पिताजी सरकारी नौकरी मे थे। मैं घर मे सबसे छोटा हूँ।
मेरी बहन मुझसे छोटी थी क़रीब 5 साल की थी। शुरू मे तो ऐसा कोई ख़्याल नही आया, मगर धीरे धीरे मन सेक्स की तरफ़ होने लगा। हम लोगो का कमरा छोटा था और हमलोग सब एक ही बेड पर सोते थे।
मैं अक्सर अपनी बहन के बगल मे सोया करता था। रात मे सोते समय मेरे हाथ उसके पेट को छूते थे। मुझे तो आकर्षण महसूस होता था मगर उसके बारे मे मुझे कुछ पता नही चल पाता था। एक दिन मैंने उसके स्तन को छुआ तो उसने थोड़ा विरोध किया मैंने तुरत अपना हाथ हटा लिया।
फिर मैंने एक बार कोशिश की लेकिन फिर से हटा दिया मगर कुछ बोला नही मुझे भी डर लग रहा था क्योंकि मेरी मा और मेरी अपनी दोनो बहन भी बगल मे सोई हुई थी।
दूसरे दिन मैंने फिर से कोशिश की इस बार मैंने उसके स्तन को थोड़ा ज़ोर से प्रेस किया। इस बार उसकी थोड़ी सहमति थी। मैंने धीरे धीरे काफ़ी देर तक प्रेस किया शायद उसे भी आनंद आ रहा था।
ये कार्यक्रम काफ़ी दिनो तक चला। एक दिन उसने मुझसे पूछा की आप ऐसा क्यों करते है? तो मैंने बोला की क्यों तुम्हे पसंद नही है?
तो उसने कहा नही ऐसी कोई बात नही मगर किसी को पता चलेगा तो क्या होगा।
तब मैंने कहा किसी को पता नही चलेगा। तुम साथ दो तो कुछ नही होगा। फिर उसने हामी भरी। अब हम लोग घर मे किसी के नही रहने का इंतज़ार करने लगे और ये मौक़ा भी हमे जल्द ही मिल गया।
एक दिन जब घर पे हम दोनों अकेले थे, तो मैंने कहा, अब मैं कुछ और टेस्ट करना चाहता हूँ।
तो उसने पूछा क्या?
मैंने कहा, मैं तुम्हारे बूब्स देखना चाहता हूँ। उसने पहले तो मना किया फिर थोड़ी देर मे हामी भर दी तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया।
फिर मैंने धीरे से से उसके सलवार को उपर किया और उसके ब्रा को उपर किया तो देखा की दो गोल गोल स्तन मेरे सामने थे, जो की मैंने पहले कभी नही देखा था।
फिर मैंने अपने दोनो हाथों से उसको दबाना शुरू कर दिया। शायद उसे भी अच्छा लग रहा था और वो ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी।
ऐसा काफ़ी दिनों तक चलता रहा। मगर हम दोनों की असली प्यास अभी नही बुझी थी और मेरा मन उसको चोदने को करने लगा।
एक दिन मैंने कहा की ये सब काफ़ी हो गया। क्यों ना ज़िंदगी की असली मज़ा लिया जाए?
उसने कहा – क्या?
मैंने कहा, “ज़िंदगी की सुख तो चुदाई मे ही हैं जो कि हर आदमी और औरत की ज़रूरत है”।
तब उसने कहा इसमे कोई रिस्क तो नही है?
मैंने कहा- नहीं, सावधानी के साथ करेंगे।
मगर पता नही उसे काफ़ी डर लग रहा था और हिम्मत नही जुटा पा रही थी। काफ़ी समझाने के बाद उसे विश्वास हो गया और उसने हामी भर दी और हमलोग एकांत का इंतेज़ार करने लगे और एक दिन हमे मौक़ा मिल गया जब मेरी मां और बहन बाज़ार गये और हम दोनो घर मे अकेले थे। तब मैंने कहा क्यों ना अपनी ज़िंदगी की प्यास बुझा ले?
उसने दबी ज़ुबान मे हां कही। फिर मैंने धीरे धीरे उसके सलवार और पायजामा को खोला अब वो ब्रा और पेण्टी मे मेरे सामने थी। उसका बदन तो मानो अप्सरा का बदन लग रहा था और शर्मा रही थी और अपने चेहरे को अपनी हाथों से ढके हुई थी।
मैंने धीरे से अपने कपड़े उतरे और उसके स्तन को धीरे धीरे दबाना शुरू किया शायद उसे अच्छा लग रहा था। अब मैंने उसके ब्रा को खोल दिया और मेरे सामने उसके संतरे जैसे दो बड़े मम्मी मेरे हाथ में आ गये और मैंने अपने मुह से उसके स्तन को चूसना शुरू किया।
ये अहसास उसे अच्छा लग रहा था और वो ज़यादा उत्तेजित हो रही थी और मैं भी अब काफ़ी उत्तेजित होने लगा था। फिर मैंने उसके पेण्टी को उतार दिया अब मेरे सामने मानो जैसे दुनिया की सबसी बड़ी चीज़ नज़र आ रही थी। क्योंकि अभी तक मैंने किसी भी लड़की को ऐसे नही देखा था।
अब मैंने अपने लंड को उसके मुंह मे दे दिया। पहले तो उसने मना किया काफ़ी मनाने के बाद वो मान गई और मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया।
मैं तो मानो की सातवे आसमान मे सफ़र कर रहा था। उस अहसास का बयान मैं नही कर सकता की मैं कैसा महसूस कर रहा था। उसके चूसने से मेरा लंड काफ़ी टाईट हो गया।
अब मैंने मेरा लंड उसके मुंह से निकला जो उसकी लार से पूरा गीला और चिकना हो गया था। आम मैंने उसकी टांगे फैलाई और मेरे लंड को उसकी बुर मे धीरे धीरे डालना शुरू किया उसे काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही थी। मैंने अपनी जीभ उसकी बुर पे लगा के उसको गीली कर दिया ज पहेले से ही पानी छोड़ रही थी।
अब मैंने वापस लंड उसकी बुर के मुँह पे लगाके लंड का टोपा अंदर डाला।पहली बार किसी मर्द के लंड उसके बुर मे जो जा रहा था। मैंने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे धीरे लंड को अंदर डाला। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद, मैंने धक्के मारना चालू किया।
अब मेरा पूरा लंड उसकी बूर के अंदर था। अब तो उसे भी मज़ा आने लगा और थोड़ा ऊऊऊ आआआ ईईई के आवाज़ के साथ वो पूरा मज़ा लेना चाहती थी।
मैं भी इस मौक़े को छोड़ना नही चाहता था। हमलोगो ने क़रीब 1 घंटे तक अपनी जवानी का अलग अलगा स्टाइल में मज़ा लिया। लेकिन इसके बाद हम दोनों की चाहत बढ़ती गई और हम लोग रात मे भी ये काम सबसे बचते हुए करने लगे और जब घर मे कोई ना हो तो फिर क्या कहना।
इस तरह से हमलोगो ने क़रीब 7 साल तक अपनी जवानी का मज़ा लेते रहे।
अब उसकी शादी हो चुकी है मगर मैं अभी भी कुंवारा हूँ। उन दिनों के बारे मे सोचकर आज भी दिल रोमांचित हो जाता है।
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