विधवा ताई की मालिश के बहाने चुदाई - Hindi Sex Stories
- Kamvasna
- 2 days ago
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दोस्तो, मेरा नाम राजीव है और मैं यू.पी. का रहने वाला हूं। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की वो सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूं, जो मेरी जिंदगी की एक बहुत हसीन यादगार की कहानी है।
मेरी उम्र 25 साल है, मेरा कद 5 फुट 5 इंच का है मेरा रंग थोड़ा सांवला सा है, लेकिन दिल का राजा हूं। हमारा परिवार छोटा सा है – मम्मी-पापा, मैं, मेरी छोटी बहन और ताई जी।
मेरी ताई जी का नाम रोहिणी है। वो मेरे ताऊ जी की पत्नी थीं, लेकिन ताऊ जी की मौत को चार साल हो चुके हैं।
तब से ताई जी विधवा जीवन बीता रही हैं, वो पूरा घर संभालती हैं, लेकिन अकेलेपन की चुभन उनके चेहरे पर साफ दिखती है।
ताई जी की उम्र करीब 38 साल की होगी, लेकिन देखने में वो आज भी बस 30 की लगती हैं। उनका फिगर 34-28-36 का है।
ताई जी का गोरा रंग है उनके लंबे काले बाल, बड़ी-बड़ी आंखें और वो मुस्कान जो किसी को भी मदहोश कर दे।
ताई जी इतनी कामुक दिखती है हैं के उनके पास से गुजरते हुए किसी का भी मन डोल जाए। लेकिन वो हमेशा साड़ी में रहतीं थीं वो एक सादगी पसंद औरत थी जैसे कोई पुरानी यादों की किताब हो।
हमारा घर पुराना सा है वो सिर्फ दो मंजिला पुरानी इमारत जैसा बना हुआ है। नीचे के हिस्से में मम्मी-पापा और बहन रहते हैं, ऊपर की तरफ ताई जी का कमरा है।
मेरे पापा रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, मम्मी घर संभालती हैं, बहन कॉलेज जाती है और मैं एक कंपनी में प्राइवेट जॉब करता हूं।
ताई जी के साथ मेरा रिश्ता हमेशा करीब रहा है। बचपन से वो मुझे गोद में खिलाती रहीं थी लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, उनकी नजरों में कुछ और ही बदलाव की बात थी।
ताई जी कभी-कभी मुझसे अपनी पुरानी जिंदगी की बातें शेयर करतीं थीं – ताऊ जी की यादें, उनका रातों का अकेलापन।
मैं उन्हें दिलासा दे देता था लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ये दिलासा एक दिन वासना का रूप ले लेगा।
एक दिन शाम को, मैं काम से लौटा तो घर में हड़बड़ी मची थी। मम्मी चिल्ला रही थीं, "राजीव! जल्दी ऊपर आओ! ताई जी," मैं घबरा कर भागा।
सीढ़ियों पर ताई जी गिरी पड़ी हुई थीं – उनकी साड़ी फटी हुई थी उनका पैर मुड़ा हुआ था और चेहरा पीला पड़ा था। पता चला, वो ऊपर से सामान ला रही थीं, तो पैर फिसला और सीढ़ियों से लुढ़क गईं।
ताई जी दर्द से कराह रही थीं। मैंने उन्हें गोद में उठाया और उनके कमरे में ले जाकर लिटा दिया। मैने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया, उसने बोले की ज्यादा चोट नहीं,
बस मसल्स में खिंचाव है। आराम और मालिश से ठीक हो जाएंगी। फिर उन्होंने दवा दी और चले गए। इस सब भाग दौड़ में रात हो चुकी थी। सब सो गए थे।
ऊपर में ताई के साथ था ताई जी दर्द से कराह रही थीं। मैं उनसे बोला "ताई जी, दर्द हो रहा है?" मैंने पूछा।
उन्होंने मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन आंखों में आंसू थे। "हां बेटा, पैर में जलन सी है। सो भी नहीं पा रही मैं।" मैंने कहा, "ताई जी, मैं मालिश कर दूं?
डॉक्टर ने तो कहा है।" वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन दर्द में हामी भर ली। "ठीक है राजीव , लेकिन धीरे-धीरे करना।" मैंने उनके पैरों पर तेल लगाया। ताई जी अपनी नीली साड़ी ऊपर चढ़ाए लेटी थीं।
उनके गोरे पैर छूते ही मुझे अजीब सा लगा। सालों से किसी मर्द का स्पर्श न होने से उनकी स्किन इतनी सॉफ्ट थी, जैसे रेशम का कोई कपड़ा हो।
मैंने उनकी धीरे-धीरे मालिश शुरू की – मैं टखनों से ऊपर उनके पैर मसलता हुआ घुटनों तक गया। मैने ध्यान दिया तो ताई जी की सांसें तेज हो गईं थी।
"आह, राजीव, कितना अच्छा लग रहा है। तेरा हाथ जादूगर का हाथ तो नहीं?" वो हंसने लगीं, लेकिन आवाज में कुछ और था – एक बेचैनी एक वासना एक भूख।
मैंने सोचा शायद दर्द कम हो रहा है। तो मेरी मालिश ऊपर की ओर बढ़ी, मैं घुटनों से हाथ आगे लेकर जांघों तक सहलाने लगा।
ताई जी की साड़ी चूत से सरक गई, और मैंने देखा – उनकी स्किन पर सिहरन दौड़ रही थी। अचानक ताई जी ने मेरी ओर नशीली नज़रों से देखा।
उनकी आंखें चमक रही थीं। उन्होंने एक मादक आवाज़ में कहा "राजीव , बेटा थोड़ा ऊपर करोना, कमर में भी दर्द है।" मैंने हिचकिचाते हुए उनकी कमर पर हाथ फेरा।
ताई जी की साड़ी की परतें सरक रही थीं। मेरी ताई जी विधवा थीं – चार साल से उन्हें मर्दानगी का कोई स्पर्श नहीं मिला था।
ताऊ जी के जाने के बाद वो खुद को संभालती रहीं, लेकिन अंदर की आग कहीं न कहीं सुलग ही रही थी। मेरे हाथों का स्पर्श जैसे पुरानी चिंगारी को भड़का रहा था।
उनकी सांसें उखड़ती हुईं मुझे महसूस हुई उनके नर्म होंठ कांप रहे थे। "ताई जी, दर्द कहां है?" मैंने पूछा। वो बोलीं, "हर जगह, लेकिन तेरा हाथ लगते ही, कुछ और ही हो रहा है।"
मैं थोड़ा रुक गया। ताई जी उठ बैठीं। उनकी साड़ी कंधे से सरक गई, उनका ब्लाउज का हुक खुला सा लग रहा था। "राजीव , तू मेरी बात को समझता है ना?
मैं कितने सालों से, अकेली हूं। तेरा ताऊ चला गया, और मैं! बस सूनी सी ज़िंदगी काट रही हूं। लेकिन आज, तेरा स्पर्श,"
बात करते हुए उनकी आवाज कांप रही थी। मैं उस समय चुप था। मेरा दिल धड़क रहा था। ताई जी ने मेरी ओर हाथ बढ़ाया और मेरी कमीज पकड़ी।
"मालिश जारी रख बेटा, लेकिन अब मालिश को पूरा ही करदे मुझे सुकून दे दो।" उनके शब्दों में चुदाई की भूख थी।
मैंने भी हामी भरी। ताई जी ने खुद ही अपनी साड़ी खोल दी। अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। मैंने पहले उनके कंधों पर मालिश की। ताई जी की आंखें बंद हो गईं।
"आह, राजीव , कितना मर्दाना हाथ है तेरा।" मैने उनको थोड़ा चूची के पास छुआ धीरे-धीरे फिर मालिश आगे बढ़ी।
मैंने ब्लाउज के हुक खोले और उनके मोटे मम्मे बाहर आ गए – वो 34 साइज के चूंचे थे , उनके रसीले, काले निप्पल्स सख्त हो रहे थे।
ताई जी ने मेरे हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर रख दिए। वो अपनी हवस भरी आवाज़ में बोली "यहां, दर्द यहां है बेटे इन्हें मसल ना।" मैंने उनके चूंचे मसलना शुरू करे।
ताई जी की आहे हमममम! ओंह्ह्ह बेटा, असहम्म! कमरे में गूंजने लगीं। "उम्म, हां, हमममम ऐसे, आआह आह राजीव ,"
वो अब पूरी तरह खुलकर मुझे उकसा रही थीं। उन्होंने अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया, वो चूत पर मेरे हाथ ले आईं। "नीचे भी, मालिश कर, बेटे सालों से कोई छुआ नहीं मुझे।"
मैंने पहले अपनी उंगलियों पर तेल लगाया फिर उंगलियां अंदर सरका दीं। ताई जी की चूत गीली थी, गर्म थी और बहुत टाइट थी। "ओह, राजीव , अआआह! तू, तू मेरा भतीजा है,
हमममम! मेरे बेटे लेकिन आज, तू मेरा मर्द बन जा ओहाअभ्य!” उनकी वासना जाग चुकी थी – एक औरत की विधवा की लंबी रातों की भूख एक झटके में फूट पड़ी।
मैने भी अपने आपको उनके सामने सौंप दिया फिर मैंने अपनी शर्ट उतारी। ताई जी ने तुरंत मेरी पैंट खींच ली। जिससे मेरा लंड बाहर आ गया – वो 7 इंच का लंबा , सख्त व मोटा लौड़ा था।
ताई जी की आंखें चमक कर फैल गईं। "अरे, इतना बड़ा? तेरा ताऊ का तो, आधा भी नहीं था बेटे।" वो हंस पड़ीं, लेकिन वो भूखी शेरनी की तरह मेरे लन्ड को घूर रही थी।
उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ा, उसके बाद प्यार से सहलाया। वो मेरी आंखों में देखकर बोली "तेरी इतनी अच्छी मालिश का बदला, मैं ज़रूर दूंगी।"
ताई जी ने लंड मुंह में लिया। उन्होंने 10 मिनट लॉलीपॉप की तरह मेरा लोड़ा चूसा। उनकी जीभ मेरे टोपे पर घूम रही थी, उन्होंने 7 इंच का लन्ड गले तक ले लिया था।
आआह , आह ताई जी आह! मैं कराह उठा। "ताई जी, आह, कितना माहिर हो आप," वो तेज़ी से चूसती रहीं। मेरी पूरी कमर उनके मुंह की गर्मी से झनझना रही थी।
फिर ताई जी चुदाई के लिए लेट गईं। "अब मुझे नंगा कर, मेरा पूरा जिस्म तेरा है हर जगह मालिश कर।" उनकी आज्ञा का पालन करते हुए पहले मैंने पेटीकोट उतारा।
ताई जी पूरी नंगी हो गई उनका बदन चांद सा चमक रहा था – उनकी गोरी चमड़ी, गोल नाभि मस्त चिकनी थी मगर उनकी चूत पर हल्के बाल थे।
मैंने उनके पूरे बदन पर तेल लगाया। मम्मों को तो मैने खूब ज़ोर लगाकर मला, मैने उनके निप्पल्स चूसे। ताई जी चिल्लाईं, "आह, चूस ले, ओंह्ह्ह मेरे बच्चे! सालों की प्यास बुझा दे आज मेरी, ओह राजीव अआह!"
मेरी जीभ उनकी चूत पर घूमती रही। मैने उन्हें खूब चाटा उनकी चूत को मैने खूब चूसा। वो बहुत उत्तेजित हो गई ताई जी का रस बहने लगा।
मैने उनका रस पीना शुरू करा वो पगलाते हुए बोली "खा ले, मेरी चूत खा मेरे बेटे आगाह! ओंह्ह्ह! आह, मर जाऊंगी मैं कुछ करना,"
अब मैं तैयार था। लन्ड को फिर नींद ताई जी की चूत पर रखा। मैने उनसे पूछा "ताई जी, दर्द तो नहीं हो रहा अब?"
वो बोलीं, "पेल दे बेटे, हमममम! फाड़ देना उफ्फ! दे दे मुझे तेरा दर्द तेरी ताई तेरी रंडी है आज से आगाह! “
मैने ज़ोर से पहले एक धक्का लगाया– जिससे लन्ड एक बार में ही आधा अंदर घुस गया। ताई जी चीखीं, "आह, आगाह! धीरे उद्यम्मम्म्म ! कमीने, तेरी ताई हूं मै सच ने रण्डी मत समझ।"
लेकिन आंखों में चुदाई की आग भड़कती साफ दिख रही थी । फिर मैने उनकी चूत में दूसरा धक्का लगाया– अबकी बार लन्ड पूरा चूत में समा गया।
"उम्म, हां, अआआह ! चोद, चोद अपनी ताई को, ओहद्ह!" मैंने भी उनको जोर-जोर से ठोके। उस पूरे कमरे में फच-फच की आवाज गूंज रही थी।
मैं तेज़ी से अपनी ताई को धक्का पेल चोद रहा था वो भी कमर उछाल कर जवाब दे रही थी ताई जी की चूचियां गेंद की तरह उछल रही थीं।
मैं लगातार लन्ड चूत में अंदर बाहर कर रहा था तो वो बोली "बहनचोद, इतना जोर से आअआआअह!, आह, तेरी ताई की चूत फट जाएगी, लेकिन जारी रख ओहद्ह!, चोद मेरा राजा,"
फिर हमने पोजीशन बदली। ताई जी मेरे ऊपर आ गईं। वो चूत का छेद लेकर लन्ड पर पर बैठीं, फिर एक अनुभवी की तरह उछलने लगीं। उनके मम्मे मेरे मुंह में घुसे जा रहे थे।
मैं चूंचे चूसता, वो उछाल चुदाई करती। "आह, राजीव ओहद्ह!, तू मेरा पति बन गया हमममम!, रोज चोदेगा ना बोलना पति देव मेरा कामदेव बनेगा न?"
बीस मिनट की सख्त रगड़ के बाद ताई जी झड़ीं – "गई, आह, आआह! मुझे संभाल ओंह्ह्ह! मर गई मैं।" उनका रस लन्ड झरने की तरह पर बहा। फिर मैंने उन्हें नीचे करा।
आखिरी कुछ 6 7 झटके लगाकर मैं भी बोला– "ताई जी, मेरा आने वाला," वो बोलीं, "अंदर, चूत में भर दे, उद्मम्म! तेरी औलाद पैदा करूंगी, मैं पालूंगी तेरा बच्चा अआआह!"
उनकी बात मानते हुए मैंने छोड़ दिया।मैने उनकी चूत में गर्म रस भर दिया।
सुबह तक हम नंगे लिपटे रहे। ताई जी की आंखों में संतुष्टि थी। "राजीव , तूने मेरी वासना शांत की। लेकिन ये राज़ रहेगा।"
मैंने कहा, "ताई जी, अब मैं रोज मालिश होगी।" उस रात हम एक साथ पांच बार चुदे। सुबह तक हमारी चुदाई चली । ताई जी की चूत लाल हो गई थी, लेकिन उनकी जवानी वाली मुस्कान लौट आई थी।
दोस्तो, ये थी मेरी ताई के साथ वासना की शुरुआत। नीचे कमेंट में बताए क्या आपका भी मन करता आंटी को चोदने का ।
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