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चुद्दाकड़ माँ को देख मेरी वासना भड़की - Indian Sex Stories

दोस्तो, मेरा नाम पिंकी है और अब मैं 30 साल की हो गई हूँ.

मेरे पास एक बेटा भी है.


आज जो Indian Sex Stories मैं आपको सुनाने जा रही हूँ, वह मेरी जिंदगी की पहली चुदाई की कहानी है.


यह वह वक्त था, जब मैंने अपनी मम्मी को चुदवाते हुए देखा था.

वह मंजर देखते ही मेरे अन्दर वासना की आग भड़क उठी थी.


अपनी मां को इस तरह से बिंदास किसी भी गैर मर्द का लंड अपनी चुत में लेते हुए देख कर मैं शायद मन ही मन उनके नक्शे कदम पर चलने का मन बना चुकी थी.


नतीजा भी यही निकला.

मैं अपनी मम्मी की राह पर चलते हुए उनसे भी बड़ी रंडी बन गई.


मेरे घर में दो बड़े भाई और दो बड़ी बहनें हैं और मैं सबसे छोटी हूँ.


मेरे पापा के पास गांव में ढेर सारी जमीन है और वे एक बड़े किसान हैं.


इसके अलावा हमारे गांव से नजदीक पड़ने वाले एक बड़े शहर गोवा में उनका एक छोटा सा होटल भी है.


मतलब ये कि हमारा परिवार खासा अमीर तो नहीं लेकिन खाते-पीते घराना है.


हमारे घर पर दो नौकर थे.

एक का नाम मुन्ना चाचा और दूसरे का नाम चंदू चाचा.


मुन्ना चाचा ट्रैक्टर चलाते थे और चंदू चाचा खेती का बाकी काम देखते थे.


पापा ज्यादातर घर पर नहीं रहते थे क्योंकि उनका बिजनेस इधर-उधर चलता रहता था.


मेरी मम्मी की उम्र उस वक्त शायद 42 साल रही होगी.

वे दिखने में बहुत सुंदर थीं.


उनकी पतली सी कमर, एकदम टाइट 34 इंच की चूचियां और मदमस्त थिरकती हुई 36 इंच की गांड.

उस पर मम्मी का दूध सा गोरा बदन, उन्हें देखकर कोई भी पागल हो जाए.


उनकी चूचियां इतनी कसी हुई थीं कि लगता था जैसे अभी भी वे जवान लौंडिया हैं.


बात उस समय की है, जब मैं स्कूल में पढ़ती थी.

एक दिन दोपहर को स्कूल जल्दी छूट गया और मैं घर आ गई.

घर का मुख्य दरवाजा अन्दर से बंद था.


मैंने पीछे की खिड़की की तरफ देखा.

लेकिन वह भी बंद थी.


फिर मैंने सोचा कि छत के रास्ते अन्दर जाऊं.

घर के पीछे एक छज्जा था, जिस पर चढ़कर मैं छत पर पहुंच गई.

वहां से सीढ़ियों के रास्ते मैं आंगन में उतर आई.


लेकिन जैसे ही मैं नीचे आई, मुझे मम्मी के कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं.


मेरे कदम अपने आप उनकी खिड़की की तरफ बढ़ गए.

खिड़की हल्की सी खुली थी और जो नजारा मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए.


मुन्ना चाचा मेरी मम्मी को बिस्तर पर लिटाए हुए थे.

मम्मी पूरी नंगी थीं, उनकी टाइट चूचियां हवा में तनी हुई थीं और मुन्ना चाचा उनकी चूचियों को मुँह में लेकर चूस रहे थे.


वे धीरे-धीरे उनकी चूचियों को काट रहे थे और मम्मी आहें भर रही थीं ‘आह … मेरे राजा, धीरे से काटो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही … मैं तो तुम्हारी रंडी हूँ!’

न्यूड मम्मी की आवाज में अन्तर्वसना की एक मस्ती थी.


तभी मुन्ना चाचा ने मम्मी के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा और बोले- साली रंडी, झूठ क्यों बोलती है? मैंने तुझे चंदू के साथ भी चुदवाते देखा है!

मम्मी चुप हो गईं, लेकिन उनकी आहें जारी रहीं.


वे पापा को गालियां देने लगीं- वह हिजड़ा है, बस बिजनेस के चक्कर में इधर-उधर घूमता रहता है. तुम दोनों ही तो मेरी चूत की आग बुझाते हो. मेरी चूत में आग लगी है, मैं क्या करूँ?

मुन्ना चाचा ने फिर एक थप्पड़ मारा और बोले- साली, मैं तो कहता हूँ मेरे दोस्तों से भी चुदवा ले, लेकिन तू सती-सावित्री बनने की कोशिश करती है. मैं जानता हूँ, तू सैकड़ों लंड खा चुकी है.


इस बार मम्मी ने गुस्से में कहा- साले, नौकर की तरह रह, नहीं तो तुझे काम से निकाल दूँगी. मैं सब जानती हूँ कि तू किस किस काम वाली को चोदता है. मालिक के पास उन सबकी शिकायतें भेज कर तेरी गांड पर लात लगवा दूँगी और तुझे हवालात में बंद भी करवा दूँगी.


मम्मी की सख्त धमकी सुनकर मुन्ना चाचा थोड़ा शांत हुए और बोले- मालकिन, गलती हो गई.


तब मम्मी बोली- चल चुत चाट … भोसड़ी का चुदुर चुदुर करता रहता है!


मैं खिड़की के पास चुपके से सब देख रही थी.


मम्मी नंगी लेटी थीं, उनकी चूचियां चमक रही थीं और मुन्ना चाचा उनकी चूत की तरफ मुँह ले गए.


वे मम्मी की चूत को चाटने लगे, अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगे.

मम्मी मस्ती में चिल्ला रही थीं- आह … मेरे राजा और जोर से चूसो … मेरी चूत को खा जाओ!’


मैं ये सब देखकर हैरान थी लेकिन मेरे पैर वहां से हट नहीं रहे थे.


मेरी छोटी सी चूत में भी कुछ होने लगा था, जैसे कोई गुदगुदी सी हो रही हो.

तभी मुन्ना चाचा की नजर मुझ पर पड़ी.


वे एक पल को तो चौंक गए लेकिन उन्होंने मुझे इशारा किया कि चुप रहूँ.


फिर उन्होंने मम्मी को खड़ा कर दिया और मेरी तरफ उनकी पीठ करवा कर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया.


मम्मी उनके मोटे, काले लंड को चूसने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.


मुन्ना चाचा ने मम्मी के बाल पकड़कर उनके मुँह में लंड को और अन्दर-बाहर करने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मम्मी को फिर लिटाया, उनके पैर अपने कंधों पर रखे और एक ही झटके में अपना लंड मम्मी की चूत में पेल दिया.


मम्मी की चीख निकल गई- आह … धीरे मेरे राजा … मेरी चूत फट जाएगी!’


लेकिन मुन्ना चाचा रुके नहीं … वे जोर-जोर से धक्के मारने लगे और मम्मी भी मजे लेते हुए चुदवाने लगीं.


उनकी चूचियां हर धक्के के साथ उछल रही थीं.

मैं ये सब देख रही थी और मेरी चूत में गीलापन होने लगा था. मुझे अजीब सा मजा आ रहा था.


जब मुन्ना चाचा झड़ने वाले थे, उन्होंने कहा- मालकिन, मेरा माल निकलने वाला है, कहां छोड़ूँ?

मम्मी ने मस्ती में कहा- मेरी चूत में ही छोड़ दे, मेरे पीरियड्स बंद हो चुके हैं.


मुन्ना चाचा ने और जोर से धक्के मारे और फिर मम्मी के ऊपर गिर पड़े.


मम्मी ने उन्हें कसकर पकड़ लिया, उनके नाखून मुन्ना चाचा की पीठ में धँस गए.

जब चाचा मम्मी के ऊपर से उठे, तो उन्होंने मुझे इशारा करके बाहर जाने को कहा.


मैं चुपके से बाहर चली गई.


करीब दस मिनट बाद मुन्ना चाचा बाहर आए और मुझे ढूँढने लगे.


वे मुझे बाजार ले गए, चॉकलेट्स दिलवाईं और बोले- बेटी, ये बात किसी से मत कहना. जो माँगोगी, वह दूँगा.

मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मुझे चॉकलेट्स और खाने की चीजें चाहिए … और जब आप मम्मी के साथ ऐसा करोगे, तो मुझे दिखाना.


वे हँसकर बोले- जरूर बेटी, लेकिन यह तो बताओ कि तुम्हें वह सब देखकर कैसा लगा?

मैंने शर्माते हुए कहा- अच्छा लगा!


चाचा मुझे बाजार में घुमाते रहे और उन्होंने जानबूझ कर इतनी देर कर दी कि अंधेरा हो गया.


लौटते वक्त रास्ते में एक अरहर का खेत था.

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहां ले गए.


वे बोले- बेटी, किसी से कुछ मत कहना.

फिर उन्होंने मेरा टॉप ऊपर किया. मेरी चूचियां अभी छोटी थीं, मैं बस एक पट्टी पहनती थी.


उन्होंने मेरे छोटे-छोटे निप्पल्स को छुआ, चुटकी से दबाया.

उससे मुझे गुदगुदी हो रही थी.

फिर उन्होंने मेरी कच्छी उतारी. मेरी चूत पर अभी बाल भी नहीं थे.


उन्होंने मेरी चूत को सहलाया और बोले- बेटी, अभी तुम तैयार नहीं हो. लेकिन मैं तुम्हें सब सिखाऊंगा. बस ये बात किसी से मत कहना!


उस दिन के बाद से मेरी जिंदगी बदल गई.

मैं हर बार मम्मी और मुन्ना चाचा को चुदाई करते देखने लगी.


धीरे-धीरे मेरे अन्दर भी वही आग भड़कने लगी.

मैंने मुन्ना चाचा से कहा कि मुझे भी चुदाई का मजा लेना है.


उन्होंने कहा- अभी तुम कमसिन हो … मेरा लंड तुम्हारी मम्मी की भोसड़ी ही मुश्किल से झेल पाती है. तुम्हारी बुर तो फट ही जाएगी. पहले इसे ढीला करना पड़ेगा तब इसमें मेरा लंड घुस पाएगा.


मैंने कहा- तो करो न मेरी बुर ढीली?

मुन्ना चाचा हंस दिए और बोले- बिटिया रानी जरा तसल्ली रखो … तुमको मैं तुम्हारी मम्मी से भी बड़ी रांड बना दूंगा.


इसके बाद मुन्ना चाचा ने एक दिन अकेला पाकर मुझे अपनी गोदी में बिठाया और मेरी कच्छी भी नीचे सरका दी.

मुझे उनकी इस बात से कोई विरोध नहीं था तो मैंने भी आराम से अपनी कच्छी उतरवा ली.


मुन्ना चाचा के सामने मेरी बिना रोएं वाली चुत आ गई थी.

उन्होंने अपना सर मेरी चुत पर किया और उसको हल्के हल्के से किस करने लगे और जीभ से सहलाने लगे.


मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी.

फिर अचानक से मेरी पेशाब निकल गई, जो उनके मुँह पर गिरी.


मैंने तनिक लज्जित सी होकर अपनी बात कहना शुरू की- मैं पहले ही मना कर रही थी कि मत कीजिए चाचा, मुझे कुछ अजीब लग रहा है लेकिन आप माने ही नहीं और देखो मेरा पेशाब आपके मुँह पर निकल गया.

चाचा हंसने लगे और बोले- तुमने कुछ नहीं कहा था बेटा. पर कोई बात नहीं.


मैंने देखा भी कि जब मेरी सुसू उनके गिरा तो कुछ सीधे उनके मुँह में गई और बाकी की नीचे गिर गई.


मैं भी कुछ नहीं बोली.


फिर जब उन्होंने मेरी कच्छी ऊपर कर दी तो मैं उनके साथ बाहर चली गई.


अब मुन्ना चाचा की आदत हो गई थी.

वे जब भी मुझे अकेले देखते तो कभी चॉकलेट कभी टॉफी के बहाने से इशारे करते और मैं भी मौका देखकर किसी ना किसी बहाने से उनके पास आ जाती.


जब भी मैं उनके पास जाती तो वह पहले मेरी चूचियों को बढ़िया से सहलाते और हल्के हल्के दबा कर मजा देते.

साथ ही वे अपनी एक उंगली को मेरी चूत के अन्दर डाल कर चुत को सहलाते.


मुझे मीठी मीठी सी चुभन सी होती और लगता कि चुत में से कुछ निकल जाना चाहिए!


यह प्रक्रिया लगभग सात आठ महीने तक चली.

इन सात आठ महीनों में अंकल की मेहरबानी से मेरी चूचियां अच्छी खासी बड़ी हो गई थीं.

मेरी गांड भी मोटी होने लग गई थी.


अब जब भी मैं लड़कों के आस-पास से गुजरती थी तो वे आहें भरते थे, मुझ पर फब्तियां कसते थे.


मुझे भी लड़कों का यूं तरसना अच्छा लगता था.

इधर मैं अपनी मम्मी की चुदाई को अक्सर छुप कर देखा करती थी.


मुन्ना चाचा तो अब जानबूझ कर मेरी मम्मी को और भी जोर जोर से आवाज करके चोदते थे कि अगर मैं इधर उधर कहीं भी रहूँ तो देखने के लिए वहां पहुंच जाऊं.


मुन्ना चाचा ने बताया था कि मम्मी केवल उनके साथ ही नहीं बल्कि कई लोगों के साथ चुदाई करवाती थीं.


मैंने बाबू भाई व अन्य कई लोगों के साथ उनकी चुदाई होती देखने की कोशिश की, जिसमें अक्सर चंदू चाचा भी उनको चोदते हुए मिल गए.


एक बार तो मेरे फूफा जी भी उनको चोद रहे थे.


इसी तरह से मैं अपनी मां की चुदाई देखती हुई मैं अपनी क्लास में सबसे बड़ी चूची वाली लड़की हो गई थी क्योंकि मुन्ना चाचा मेरी चूचियों को लगभग रोज ही किसी ना किसी बहाने से मसलते रहते थे.


अब बस मेरी यही तमन्ना थी कि कैसे भी करके मुन्ना चाचा मुझे चोद दें.


उनको कोई मौका भी नहीं मिल रहा था क्योंकि वे डरते थे कि उनका लंड बहुत मोटा था.

लेकिन मेरी लंड लेने की तलब बढ़ती जा रही थी.

जिस समय मेरी चुत लंड के लिए भभक रही थी और मुन्ना चाचा की गांड फट रही थी, उसी समय हमारे घर पर मेरी मौसी का बेटा आया हुआ था.

उसका नाम पवन था.


वह हमारे घर में रह कर पढ़ने के लिए आया था.


एक दिन मैंने देखा कि वह मेरी बड़ी दीदी को चोद रहा है.

मैं उस समय तो कुछ नहीं बोली, मैंने बस उन दोनों की चुदाई की कुछ फोटो ले ली.


उसके बाद जब घर में कोई नहीं था तो मैंने भैया से कहा- भैया, यह बताइए आप दीदी के साथ क्या कर रहे थे?

तो उसने कहा- कुछ नहीं?


फिर मैंने उसको उनकी चुदाई की फोटो दिखाईं, तो वह मुझसे सॉरी बोलने लगा.


मैंने कहा- सॉरी सॉरी से कुछ नहीं होने वाला है. जैसा आप दीदी के साथ करते हैं, वैसा ही मेरे साथ भी कीजिए.


यह सुनकर वह तो बहुत खुश हो गया कि साला फ्री फंड में एक और चुत मिल रही है.

उसने कहा- चलो ठीक है, तुम पढ़ाई के बाद मेरे कमरे में आ जाना.


मैं रात में उसके कमरे में गई और उसे मुस्कुरा कर देखने लगी.


उसने मुझे सबसे पहले अपने पास बुलाया और थोड़ी बहुत इधर-उधर पढ़ाई की बात की.


उसके बाद उसने कहा- रिंकी, तू जब भी मेरे पास आया कर तो केवल स्कर्ट पहन कर आया कर, अन्दर कुछ मत पहना कर … और ऊपर लूज टी-शर्ट पहन करके आया कर, जिससे हम दोनों को बिना कपड़े उतारे ही बहुत मजा आएगा.

मैंने कहा- ठीक है भैया, मैं ऐसा ही करूंगी.


उस दिन पढ़ाई करने के बहाने मैं उसके पास सो गई.


रात के टाइम में उसने मेरे सारे कपड़े खोल दिए और वह मेरी चूचियों को खूब अच्छी तरह से चूसने लगा.

धीरे-धीरे मैं एक गर्म रांड सी होती जा रही थी.

मेरे कपड़े मेरे बदन पर नहीं थे और मैं उसके पास एकदम मादरजात नंगी थी.


उसने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और मेरा हाथ अपने लंड के पास में ले जाकर रख दिया.

मैं भैया का लंड पकड़ कर धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी.


लेकिन जब वह मेरी चूचियों को चूस रहा था तो उसका लंड दूर हो गया था.

मैं खड़ी हो गई और इस तरह की पोजीशन में आ गई कि मेरी चूत उसके मुँह की तरफ हो गईं और मेरा मुँह उसके लंड की तरफ हो गया.


अब मैंने भैया के लौड़े पर अपना हाथ से चलाते हुए लंड के सुपारे को पहले जीभ से टच किया.

मुझे लौड़े का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा.


उसके बाद मैंने गप से उसे अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.


मैं अपने भैया का लंड चूस रही थी.

उस टाइम मेरा भैया भी मेरी चुत को चूस रहा था और दांत से हल्के हल्के बाइट कर रहा था.


मैं एकदम गर्म हो चुकी थी और उसके मुँह में ही झड़ने लगी थी.


मेरी सांसें तेज हो गई थीं और मैं उसको जोर से पकड़ कर उसका मुँह अपनी चुत पर दबाने लगी थी.


इससे उसको मालूम चल गया कि मैं झड़ चुकी हूं.


फिर उसने भी मेरे मुँह में अपने धक्के तेज कर दिए और मेरे मुँह में ही झड़ गया.


जब हम दोनों का ज्वार शांत हो गया तो काफी थकान होने लगी थी.


उसके बाद भैया बोला- रिंकी एक काम करते हैं, आज मैं तेरी चुत की सील नहीं तोड़ूँगा क्योंकि अभी तू सील पैक माल है. तुझे लंड लेने में दर्द भी बहुत होगा. आज एक काम करते हैं कि मैं कल की थोड़ी तैयारी कर लेता हूँ. उसके बाद मैं तेरी चुदाई करूंगा!

मैं बोली- ठीक है.


इत्तेफाक से अगले ही दिन एक हादसा हो गया.


जब मैं जब स्कूल से वापस आई तब पता चला मेरे नाना जी का एक्सीडेंट हो गया था और पापा मम्मी समेत घर के सभी लोग वहां जाने की तैयारी कर रहे थे.


उस वक्त मुझे चुदाई की खुजली मची हुई थी इसलिए मैंने बहाना किया कि मैं नहीं जा सकती हूं क्योंकि मेरी तबीयत खराब है.

वहां पर एक तो ऐसे ही बुरे टाइम में जा रहे हैं और बुरे टाइम में जाने के बाद वहां जाकर खुद भी बीमार पड़े रहना अच्छी बात नहीं है.


मम्मी बोलीं- तू सही कह रही है लेकिन बेटा तू अकेली कैसे रहेगी?

यह सुनकर दीदी और पवन भैया बोलने लगे- नहीं, हम भी नहीं जाएंगे. हम भी यहां पर इसके साथ में रुक जाते हैं.


दीदी के ना जाने का तो कारण यह था कि वे भैया से चुत चुदाई का प्लान बना रही थीं.

भैया यह प्लान कर रहा था कि आज दोनों चूत को चोद देगा.


मुझे दीदी के ऊपर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन मैं कुछ बोल नहीं सकती थी.

जब मम्मी पापा सब लोग चले गए तो भैया और बड़ी दीदी लोग भी चले गए.


मैंने भैया को इशारा करके पीछे बुलाया और उसके ऊपर गुस्सा करके बोली- तुमने दीदी को क्यों रोका?

पवन भैया बोला- यार मैं कैसे मना कर सकता था, अगर मना करता तो कहीं किसी को शक न हो जाता! फिर ऐसे में मैं क्या करता?


मैं बोली- अब यह बताओ कि करेंगे कैसे?

उसने कहा- सब ठीक हो जाएगा तू परेशान मत हो. मुझे तेरी पिंकी दीदी की एक बार चुदाई तो करनी पड़ेगी लेकिन मैं कोल्ड ड्रिंक मंगाने की सोची है और मैं उसमें नींद की गोली भी मिला दूंगा. जब वह उसको पिएगी तो सो जाएगी.


मैं भी अब कुछ कह तो सकती नहीं थी.

मैंने कहा कि चलो ठीक है, कोई बात नहीं.


उसके बाद पवन भैया ने कहा कि मैंने खाना बाहर से ऑर्डर कर दिया है. अभी पिज़्ज़ा वाला आ रहा होगा.


कुछ देर बाद वह आया और कोल्ड ड्रिंक और पिज़्ज़ा दे कर चला गया.

भैया पहले दीदी के पास गया और उसे पिज्जा व कोल्डड्रिंक दे आया.


फिर उसने मुझे दिया और उसके बाद खुद भी लिया.

बाद में मैंने जानबूझ कर शाम होते ही कहा- मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं जा रही हूं सोने के लिए!


भैया और दीदी दोनों लोग बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा- ठीक है तुम जाओ सो जाओ.


लगभग 5 मिनट के बाद दीदी मेरा नाम लेकर आवाज देकर चैक कर रही थीं कि मैं जाग तो नहीं रही हूँ.


वे मेरे कमरे में भी मुझे देखने आईं लेकिन मैं सोने का नाटक करती हुई एकदम सीधी पड़ी रही.


उसके बाद दीदी ने पवन भैया से कहा- यह तो सो गई है. आ जाओ आज इसी के बगल में चुदाई करते हैं.


इधर पवन भैया के साथ तो मेरी सैटिंग थी ही, तो पवन भैया को क्या आपत्ति हो सकती थी.


लेकिन फिर भी उसने पता नहीं क्यों कहा- मुझे यह सब पसंद नहीं है.

फिर दीदी बोली कि अरे यह तो घोड़े बेच करके सोती है.

लेकिन भैया तैयार नहीं हुआ और बोला- नहीं तुम्हारे कमरे में चलते हैं.


भैया दीदी को लेकर के उसके कमरे में चला गया और 5 मिनट के बाद मैं भी पीछे से दबे पांव उनके कमरे की खिड़की पर आ करके उन दोनों की चुदाई का नजारा देखने लगी.

उधर दीदी चुत चुदाई करवाते ही सो गईं.


उसके बाद पवन वहां से निकला तो उसने बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया और सीधे मेरे कमरे में आ गया.

उसके बाहर निकलने से पहले ही मैं अपने बिस्तर पर लेट गई थी.


जब वह मेरे कमरे में आया, तो उसने मुझे आवाज देकर बुलाया.

मैं उठ कर बैठ गई और बोली- हो गई चुदाई तुम लोगों की?


वह अपने कंधे से झोला उतारता हुआ बोला- क्या करता यार, उसको सुलाना जरूरी था. इसलिए कुछ ना कुछ तो करना ही था.

मैं भी कुछ नहीं बोली.


मैंने कहा- अब आगे का क्या प्लान है?

उसने हंस कर कहा- आ जा मेरी जान आज तो तेरी सील तोड़ दूंगा, ले देख मैं कितनी तैयारियों के साथ आज तेरी चुदाई का प्लान बना कर आया हूं.


उसने अपने झोले का मुँह खोला.

उसमें उसने नारियल का तेल रखा हुआ था. कुछ पुराने कपड़े रखे हुए थे, कुछ पेन किलर दवाइयां रखी हुई थी, डेटॉल, फिटकरी आदि भी थी.


उसकी इन तैयारियां को देख कर मैंने कहा कि यह सब क्यों लेकर आए हो?


उसने कहा- मेरी बहना की जब आज सील टूटेगी तो उसको बहुत तकलीफ नहीं होना चाहिए. तुझको हो सकता है कुछ दर्द भी हो … लेकिन मेरी पूरी तरह से कोशिश रहेगी कि तुझे कोई तकलीफ ना हो. इसी लिए मैं पूरी तैयारी करके आया हूं. साथ ही साथ किसी को पता ना चले इसलिए मैं उसकी भी पूरी तैयारी करके आया हूं!


मैं बोली- थैंक्यू भैया, तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो.


उसने इसके बदले में मुझे किस करना शुरू कर दिया.

मैं भी उसको लिप किस करने लगी.


किस करते-करते मैं उसकी पीठ को भी सहला रही थी और वह भी मेरी पीठ को सहला रहा था.


धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे के कपड़े ऊपर सरकाने लगे और एक-एक करके हमारे कपड़े अलग होने लगे.


फिर वह मुझको उठा कर बिस्तर पर ले आया और मेरी कमर पर, जांघ पर चूमने लगा.


उसकी जुबान मेरे सारे अंगों को चाट रही थी और उसके होंठों ने लगातार मेरे बदन पर चुंबनों की झड़ी लगा दी थी.


मैं भी यंग गर्ल अन्तर्वाशना में उसके पूरे शरीर को पागलों की तरह चूमे जा रही थी.

भैया के चुंबनों की वजह से मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी और मेरी चुत पानी छोड़ने लगी.


अब वह मेरी चूचियों को जोर जोर से मसल रहा था और बारी बारी से दोनों दूध मुँह में दबा दबा कर चूस रहा था.


साथ ही वह मेरी गांड पर कभी थप्पड़ मार देता तो कभी मेरी चुत में अचानक से अपनी उंगली डालकर उसे आगे पीछे करने लगता.


मुझे पहले तो थोड़ा सा बुरा लगा, लेकिन बाद में अच्छा लगने लगा.

फिर आगे पीछे करते-करते उसने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी चुत में डाल दी.


वैसे मैं खुद अपनी चुत में उंगली करती रहती थी लेकिन एक मर्द की उंगली का कुछ अलग ही अहसास था.

आज मेरी चुत से बहुत पानी भी निकल रहा था.


फिर जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं बोली- भैया अब बस भी करो, आज मेरी सील तोड़ दो और आज मुझे अपनी रखैल बना लो!

भैया बोला- रुक जा मेरी बहन, आज मैं तेरी रंडी बनने की फुल व्यवस्था किए देता हूं. साली आज के बाद तू खुली सड़क पर अपनी चुत खोल कर खड़ी हो जाएगी, तब भी तुझे लंड से डर नहीं लगेगा.


कुछ देर के बाद उसने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया रखकर मेरे दोनों पैर फैला दिए, जिसकी वजह से मेरी चुत खुल कर एकदम से उसके सामने आ गई.


उसने मेरी चुत का एक जोरदार गहरा सा चुंबन लिया और उसके बाद अपने लंड पर वही वाला नारियल का तेल लगाया जो पहले से ही चुदाई के लिए लाई गई सामग्री में अपनी बारी का इंतजार कर रहा था.


भैया ने उस नारियल के तेल को मेरी चुत पर गिराया और उसके बाद उसने अपने हाथ की उंगलियों से तेल को चुत में अन्दर बाहर रगड़ते हुए कहा- बहन, थोड़ा सा दर्द होगा, उसको बर्दाश्त कर लेना … बस एक बार सील टूटने के बाद तुझे जिंदगी में लंड से सिर्फ मजे ही मजे मिलेंगे.


मैं चुत उठाती हुई बोली- भैया अभी लेक्चर मत दो … जो भी करना है जल्दी करो क्योंकि मैं तड़प रही हूं!


भैया ने जल्दी से अपना लंड निकाल कर उस पर नारियल का तेल मला और मेरी चुत पर लंड का सुपारा टिका कर उसके जरिए भी नारियल का तेल टपकाया.


फिर अपने लंड से ही मेरी चुत पर तेल को मेरी भग्नासा से से लेकर छेद तक रगड़ने लगा.


उसकी इस हरकत से मेरी आग और भड़क गई और मैं गुस्से से गाली देने लगी- मादरचोद गांडू है क्या … तेरी समझ में नहीं आ रही है भोसड़ी के … तुझे जो भी करना है जल्दी कर बहन के लौड़े … चुत में लंड पेल हरामी … आह इधर आग लगी है और तू साला सर्कस कर रहा है!


यह सुनकर पवन भैया को भी ताव आ गया और उसने भी गाली देते हुए कहा- ले बहन की लौड़ी छिनाल, लंड का मजा ले बहन की लौड़ी.

बस यह कह कर उसने मेरी चुत में अपना लंड सैट करते हुए एक जोर से धक्का दे मारा.


तेज धक्के की वजह से भैया का आधा लंड मेरी चुत को फाड़ता हुआ अन्दर फंस गया था.


मुझे तो जैसे लगा कि किसी ने गर्म खूंटा मेरी चुत में गाड़ दिया हो … इतनी तेज दर्द हुआ कि लगा बस अब मैं मर गई.

मेरी सांसें ही अटक गईं.


मेरी बहुत तेज आवाज निकलने वाली थी कि उससे पहले ही भैया ने अपना हाथ मेरी मुँह पर रख दिया था.

उसी वजह से मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई.


उस समय भैया मेरे ऊपर ही पड़ा रहा और मेरी चूचियों को मसलता रहा.

दर्द के मारे मेरी आंखों से आंसुओं की धार निकलती रही.


मैं आवाज नहीं निकाल पा रही थी लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था.

पवन भैया ने मेरा मुँह दबा कर रखा था और वह मेरी चूचियों को मसल रहा था.


कुछ ही देर में मानो चमत्कार हो गया, मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होता गया.


इसके बाद मेरा भाई अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा.


अब मुझे मजा आने लगा था.

सच में पवन भैया ने मुझे तबीयत से रगड़ा और करीब बीस मिनट तक मेरी चुत फाड़ने के बाद वह मेरे अन्दर ही झड़ गया.


एक बार चुत को लंड का स्वाद मिला तो वह भोसड़ी बनने की दिशा में आगे बढ़ने लगी.

उस रात पवन ने मुझे दो बार पेला और दोनों बार मेरे अन्दर झड़ गया.


पवन भैया के बाद मुन्ना चाचा के लौड़े से मैं से भी चुदी.


उसका ऐसा हुआ कि एक दिन मैं मुन्ना चाचा से अपनी चुदाई की कहानी सुनाती हुई बोली- आज आप भी मुझे चोद ही दो.


उन्होंने मुझसे मेरी चुदाई की पूरी कहानी सुनी और मुझे घर से बाहर उसी अरहर के खेत में ले गए.

उधर ले जाकर चाचा ने मेरी चूत में अपना मूसल लंड पेल दिया.


उनका मोटा लंड मेरी टाइट चूत में घुसा, तो मैं दर्द से चीख पड़ी लेकिन साथ में मजा भी आया.


उस दिन के बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

मम्मी की तरह मैं भी लंड की भूखी हो गई.


मुन्ना चाचा, चंदू चाचा और गांव के कई मर्दों के लंड मैंने अपनी चूत में लिए.

मेरी चूचियां अब 36 इंच की हो चुकी हैं और मेरी चूत हर लंड को चटखारे लेकर खाने लगी थी.


आज मैं एक रंडी हूँ, लेकिन मुझे कोई शर्म नहीं.

मेरी मम्मी ने मुझे ये राह दिखाई और मैंने उस राह को और चौड़ा कर दिया.


मेरी चूत की आग अभी भी जल रही है और मैं हर रात एक नए लंड की तलाश में रहती हूँ.


इसके बाद मेरी बड़ी बहन व मैंने एक साथ पवन के लंड से चुदाई का मजा लिया.

फिर मैंने अपनी बहन को मुन्ना चाचा के मूसल लंड से भी चुदवा दिया.


यह सब आपको मैं जरूर सुनाऊंगी लेकिन अपनी अगली सेक्स कहानी में इस कहानी पर आपके कमेंट्स मिलने के बाद!

आप प्लीज अपना बहुत ख्याल रखें.

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