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जवान विधवा माँ ने बेटे को चुदाई करना सिखाया - Free Sex Kahani

नमस्कार दोस्तों आपका मेरी कहानी में स्वागत है।


दोस्तों, मेरा नाम रोहित है। ये मेरी असली मां-बेटे की चुदाई की कहानी है, जो राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुई।


मैं यहां पैदा हुआ, बड़ा हुआ, और आज भी यहीं रहता हूं। अभी मैं सरकारी नौकरी कर रहा हूं, जो मुझे घर की जिम्मेदारी संभालने में मदद करती है।


मेरी उम्र 23 साल है, लंबा कद, सांवला रंग, और गांव की मेहनत से बना हुआ मजबूत बदन। मेरी मां का नाम रेखा है, उम्र 42 साल। वो विधवा हैं, लेकिन उनकी जवानी अभी भी बरकरार है।


उनका बदन इतना सेक्सी है कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उनकी पैंटी की साइज 40 है, जो उनकी चौड़ी कमर और मोटी गांड को फिट करती है।


दूधों की साइज 34 है, गोल-गोल, भारी, जो ब्लाउज में उभरे रहते हैं। मां की त्वचा गेहुएं रंग की है, चिकनी और नरम, जो सालों की मेहनत के बावजूद जवानी की चमक बरकरार रखती है।


उनके बाल काले, लंबे, जो पीठ तक आते हैं। चेहरा साधारण लेकिन आंखों में एक गहराई है जो किसी को भी खींच ले।


मैं पिछले 7 साल से अपनी सगी मां की चुदाई कर रहा हूं। ये रिश्ता शुरू से ही गलत था, लेकिन वासना ने हमें ऐसे बांध लिया कि अलग होना नामुमकिन हो गया।


जब मैंने मां की चुदाई की, उस वक्त हमारे घर में सिर्फ मैं, दादा-दादी और मां रहते थे।


मेरी बहन और छोटा भाई ननिहाल में पढ़ाई के लिए चले गए थे, तो घर में थोड़ी शांति थी। दादा-दादी अपनी दुनिया में मग्न रहते, और हमारा अलग कमरा था।


मेरे पिताजी की मौत 2011 में हो गई थी। वो एक एक्सीडेंट में चले गए, और मां तब महज 35 साल की थीं। जवानी के चरम पर विधवा हो गईं। घर की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।


वो खेतों में काम करतीं, घर संभालतीं, और हमें पढ़ातीं। लेकिन रातें उनके लिए सबसे मुश्किल होतीं। अकेलापन उन्हें खाए जाता। मैं उस वक्त 12वीं कक्षा में था, 18 साल का। पढ़ाई का बोझ था, तो रात को देर तक जागता।


स्टडी टेबल पर किताबें बिखरी रहतीं, और लाइट की रोशनी में घंटों बैठा रहता। तब तक मां को नींद आ जाती। वो बिस्तर पर लेटी होतीं, थकी हुईं, लेकिन उनका बदन इतना आकर्षक लगता कि मेरा दिमाग भटक जाता।


रात के सन्नाटे में जब मैं पढ़ाई खत्म करके सोने जाता, तो मां के पास लेटता। उनका सेक्सी बदन देखकर मैं पागल हो जाता। पेटीकोट और ब्लाउज में सोतीं वो, जो उनकी कर्व्स को और उभार देते।


मैं चुपके से अपना लंड चड्डी से बाहर निकाल लेता। वो 6 इंच का, मोटा, तना हुआ, जो वासना से फूल जाता। फिर धीरे से उनके गांड पर लगाता।


उनकी गांड गोल, मोटी, नरम, जो मेरे लंड को सहलाती। उनकी बॉडी की खुशबू – वो हल्की सी साबुन और पसीने की मिली-जुली महक – मुझे मदहोश कर देती। मैं सांसें थाम लेता, और बस उसी खुशबू में खो जाता।


मां सोई रहतीं, लेकिन मुझे लगता उनका बदन गर्म हो रहा होता। मैं अपना लंड पूरा तना हुआ रखता, और उसे मां के दोनों हिप्स के बीच सरका देता। रगड़ता, दबाता, लेकिन अंदर नहीं डालता।


बस बाहर से महसूस करता। ऐसा मैंने बहुत बार किया। रातें बीततीं, और ये आदत बन गई।


एक रात, रोशनी में सब साफ दिख रहा था। मैंने वही किया – लंड निकाला, मां की गांड पर लगाया। तभी मां की आंख खुली। उन्होंने महसूस कर लिया।


वो घूमीं, मुझे देखा, और चिल्लाईं, "रोहित! ये क्या कर रहे हो तुम?" उनकी आवाज में गुस्सा था, लेकिन आंखों में शॉक। उन्होंने मुझे जोर से डांटा।


"मैं तुम्हारी मां हूं! तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? मैं तो तुम तीनों भाई-बहनों के लिए ही जिंदा हूं। अगर तुम्हारा बाप होता, तो क्या कहता? वरना मैं कब की मर चुकी होती।


तुम्हीं मुझे ऐसे परेशान करोगे, तो मेरा क्या होगा? आज के बाद मेरे बारे में ऐसा सोचा भी तो भूल जाना। मैं तेरी मां हूं!" उन्होंने और भी बहुत कुछ कहा – मेरी पढ़ाई पर, परिवार की इज्जत पर, समाज की नजरों पर।


उनकी आंखें नम थीं, हाथ कांप रहे थे। मैं शर्म से पानी-पानी हो गया। सिर झुकाकर लेट गया, और रात भर सो न सका।


अगले कुछ महीनों ने मुझे बदल दिया। मैंने सोचा, मां-बेटे का रिश्ता इतना पवित्र है, ये सब गलत है। मैं उनसे दूर रहने लगा।


अलग कमरों में सोने लगा, बातें कम कीं। लेकिन वासना कहां रुकती है?


12वीं के एग्जाम्स आए, मैं घर पर रहकर ही पढ़ाई करता था। गर्मियां शुरू हो गईं, थीं और पारा 45 डिग्री तक चढ़ गया था।


घर में पंखा भी गर्म हवा उड़ाता तो हम छत पर सोने लगे। खाट बिछाते, चादर ओढ़ते। मां भी थक जातीं दिन भर की मेहनत से।


एक रात, चांद की रोशनी में मां सोई हुईं थी। उनका पेटीकोट गर्मी से ऊपर सरक गया था। जांघें नंगी, चिकनी, चमकती हुई थी। मैं फिर कमजोर पड़ गया। लंड तन गया। मैंने सोचा, बस एक बार करूंगा फिर


चुपके से उनके पास गया, पेटीकोट को ऊपर किया, उनकी गांड पर लंड लगाया, रगड़ा। तेजी से हिलाया, और अपना रस निकाल दिया। गर्म चिपचिपा रस उनकी जांघों पर गिरा। फिर मैं सो गया, मां को कुछ पता न चला!


ऐसा कुछ दिनों तक चला रहा।


गर्मी इतनी कि मां रात को अंधेरे में पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके सो जातीं थी। उनकी जांघें फैलीं, हुई रहती थी जिससे उनकी लाल चड्डी दिखती थी।


इस वजह से मुझे लंड लगाने में ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ती थी। बस सरक जाता। लेकिन मेरी किस्मत इतनी ख़राब थी कि।


एक रात मैं फिर पकड़ा गया। मेरा रस निकला, और ड्रॉप्स उनकी चड्डी पर गिरी, मां जागीं। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। वो चिल्लाईं नहीं। बस घूमकर मुझे देखा। उनकी सांसें तेज थीं।


फिर प्यार भरी आवाज में बोलीं, "आजकल तुझे नींद नहीं आती क्या, बेटा?" मैं हड़बड़ा गया। सोचा, पता चल गया, लेकिन डांट क्यों नहीं? शायद डर रही हों। मैं चुप रहा, और सो गया। दिल धड़क रहा था।


अगले दिन सब नॉर्मल। मां ने कुछ नही कहा। नाश्ते में रोटी बनाई, दूध दिया। लेकिन उनकी नजरें मुझसे बच रही थीं। शाम ढली, रात हुई, मैं फिर से छत पर सोने चला गया। मां पेटीकोट-ब्लाउज में लेटीं थी।


मैं इंतजार करता रहा, घड़ी की सुई घूमती गई। आखिरकार, सांसें गहरी हुईं। मैं उनके पास लेट गया फिर धीरे से उनका पेटीकोट ऊपर किया।


चड्डी दिखी, काली, पुरानी, लेकिन उनकी जांघें चिकनी थी की मेरा लंड फिर से तन गया, 6 इंच का मोटा, सिरा लाल। मैंने सोचा, शायद कल रात में मां सोई नहीं थी इसलिए आज मैने इंतजार किया ।


थोडी देर बाद मैं उनसे जाके चिपक गया। फिर मैने उनके नरम पेट पर हाथ फेरा, हल्के से दबाया। फिर होंठ उनके पेट पर रखे दिए।


मां का बदन हल्का सा सिहरा उठा, लेकिन मां कुछ बोलीं नहीं। धीरे-धीरे में अपना हाथ ऊपर ले गया, ब्लाउज पर। बूब्स भारी, 34 साइज के। ब्लाउज ऊपर किया, ब्रा के हुक खोले। दूध बाहर आए – गोल, भूरे निप्पल्स तने हुए।


बचपन के बाद पहली बार उनके दूध देखे थे । मैं उन्हें इसे देखकर पागल हो गया। फिर मैने उनके दूध चूसना शुरू कर दिए, मां की सांसें तेज थी लेकिन उनका नाटक जारी रहा ।


फिर मैंने उनके पूरे बदन पर किस किया– गर्दन, कंधे, कमर हर जगह!


अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी मैने उनकी चड्डी में हाथ डाला उनकी सांसें तेज, हो गई थी जो मुझे साफ साफ सुनाई दे रही थी दिल धक-धक कर रहा था मुझे डर था।


लेकिन कल की चुप्पी ने जोश दे दिया था उसके बाद मैने उनकी चड्डी साइड की। चड्डी साइड करते ही मुझे उनकी चूत दिखी – टाइट, गीली, लेकिन बालों से भरी।


फिर मैने धीरे धीरे अपनी उंगली उनकी चूत में डालना शुरू कर दिया, लेकिन मां ने साइड चेंज कर लीं। बोलीं, "अब सो जाओ, बेटा।" आवाज में हल्की कांप।


मैं खुशी से कूद पड़ा अंदर ही अंदर सोचा, ये हां का इशारा है। चिपककर सो गया, उनके दूध से सटा। रात भर नींद न आई।


अगला दिन भी शांत बीता, लेकिन मैं रात का इंतजार कर रहा था, वो रात मेरी जिंदगी की सबसे हसीन होने वाली थी। दिल में उथल-पुथल। क्या होगा? मां मान जाएंगी? या फिर सब खत्म?


फिर हम लोगों ने शाम का खाना किया उसके बाद रात में मां फिर से ब्लाउज पेटीकोट में छत पर सोने आ गई थी। मैं पहले से ही छत पर लेटा हुआ था मां के आते ही मैं सोने का नाटक करने लगा था।


करीब 2 घंटे बाद मैंने देखा की मां पूरी तरीके से सो चुकी है, फिर मैंने हिम्मत करके उनकी चड्डी में हाथ डाला।


एकदम से मां जग गई और फिर मॉम ने मेरे लंड को हाथ में भरा और मेरी तरफ मुंह घुमाते हुए चौंक कर बोली- इतना बड़ा हो गया है तेरा? ये तो बहुत ही मोटा और लंबा है!


मम्मी के हाथ लगाते ही मेरा लंड और ज्यादा सख्ती में आ गया और मॉम के हाथ में ही झटके देने लगा।


लंड में और ज्यादा गर्मी आ गई और मॉम उसको पकड़ कर सहलाने लगी।


अभी मॉम का हाथ मेरे अंडरवियर में ही लंड को पकड़े हुए सहला रहा था।


वो जैसे मेरे लंड की मुठ मारने की कोशिश कर रही थी।


फिर वो मेरी तरफ घूमने लगी तो इतने में लंड अंडरवियर से बाहर निकल आया।


पहली बार मॉम ने मेरा नंगा लंड देखा, उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई और चेहरे पर मुस्कान।


मॉम खुश होकर बोली- तुम्हारी बीवी तो तुमसे बहुत खुश रहेगी।


मैंने पूछा- क्यों मम्मी?


वो बोली- और क्या? औरतों को तो ऐसे ही लंड चाहिए होते हैं। तुम्हारे जैसा लम्बा-मोटा लंड पाकर तो वो खुशी से झूम उठेगी।


मैंने पूछा- तो क्या मोटे और लम्बे लंड से औरतों को ज्यादा मजा आता है?


वो बोली- ये तो जब तुम किसी के साथ सेक्स करोगे, तब सब जान जाओगे।


फिर मम्मी मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करने लगी।


मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।


फिर अचानक पता नहीं क्या हुआ मेरे पूरे शरीर में अजब सी अकड़न हुई और मेरे लंड से पानी निकलने लगा।


वो पानी गाढ़ा-गाढ़ा सफेद रंग का थी। वो मेरे पूरे लंड पर फैल गया। मॉम के हाथ पर भी लग गया।


मॉम ने अपना हाथ कपड़े से पौंछ लिया।


अब मैं तेजी से सांसे लेता हुआ शांत हो रहा था।


शांत होने के बाद मैंने मॉम से पूछा- ये सब क्या हो गया मॉम!


वो बोली- जब लड़के जवान हो जाते हैं तो ये रस निकलता है। इसे ही वीर्य कहते हैं। यही लंड का रस जब चूत में जाता है तो इसी से बच्चे पैदा होते हैं।


फिर वो बोली- ये सब तुम अभी भी मुझसे पूछ रहे हो? इतने बड़े हो गए हो, तुम्हें कुछ भी नहीं पता?


मैंने कहा- नहीं मॉम।


वो बोली- तो फिर तुम सेक्स कैसे करोगे बीवी के साथ? अगर उसको खुश नहीं कर पाए तो बीवी भाग जाती है।


इतने में मेरा लंड सिकुड़ गया था।


वो बोली- चलो ठीक है, मैं ही तुमको ये सब सिखाती हूं।


मॉम ने गर्दन नीचे झुकाई और मेरे लंड को मुंह में भर लिया।


मुझे एकदम से जोर की गुदगुदी होने लगी और मैं मचलने लगा।


मेरी हंसी आ रही थी जोर से।


मॉम ने डांटते हुए कहा- शांत रह कुत्ते! ऐसे ही सीखेगा।


मैं- लेकिन मुझे गुदगुदी हो रही है मॉम।


मॉम- थोड़ी देर रुक फिर खुद बोलेगा और चूसने के लिए।


मॉम मेरे लंड को मुंह में लेकर लगातार चूस रही थी। कुछ ही देर में मुझे मजा सा आने लगा। मेरा लंड अब दोबारा से तनाव में आ रहा था।


देखते ही देखते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।


अब मॉम ने मेरे हाथ पकड़े और दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रखवा दिया। वो दोनों हाथों से अपनी चूचियों के दबवाने लगी।


मॉम अब गर्म होने लगी थी।फिर मम्मी ने अपनी ब्रा खोल कर निकाल दी और अपनी चूची नंगी कर दी।


अब नंगी चूचियों पर मेरा मुंह लगाया और मुझे चूचियां पीने को कहा।


मैं बच्चे की तरह मॉम की चूचियों को पीने लगा। कुछ देर वो मेरे मुंह को चूचियों पर दबाए रही।


बीच-बीच में मॉम अपनी पैंटी के ऊपर से अपनी चूत को भी सहला रही थी। फिर मेरा मुंह चूचियों पर से हटा दिया।


मॉम ने पैंटी निकाल दी और वो अब पूरी तरह से नंगी हो गई। अपनी टांगें फैलाकर मम्मी ने चूत मेरे सामने खोल दी।


फिर मेरे सिर को पकड़ा और नीचे झुकाते हुए मेरे मुंह को अपनी चूत पर रखवा दिया। वो मेरे मुंह को चूत पर रगड़वाने लगी।


कुछ देर बाद उसे पेशाब आने लगा तो उसने मेरे मुंह पर ही मूतना शुरू कर दिया। मैं अपनी मम्मी का गर्म-गर्म पेशाब पीने लगा।


मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या चल रहा है, क्या सही है और क्या गलत ... कुछ भी सोच नहीं पा रहा था।


मॉम बस अपनी चूत की प्यास बुझाने में लगी हुई थी। उसकी चूत से अजब सी गंध आ रही थी, चूत पूरी गीली हो चुकी थी।


अब वो लेट गई और बोली- इसमें एक उंगली डालकर चाटो!


मैंने वैसा ही किया, मैंने मॉम की चूत में उंगली दे दी और फिर बाहर निकाल कर उसे चाट गया। काफी देर तक मैं ऐसे ही करता रहा।


मैं मॉम की चूत में बार-बार उंगली देता और फिर उस गीली उंगली को चाट जाता था।


मॉम की सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह ... आह्ह ... अस्स् ... आआह।


इस वक्त मम्मी को बहुत मजा आ रहा था, अब मॉम ने मेरा लंड पकड़ लिया और जोर से उसकी मुठ मारने लगी।


ऐसा लग रहा था मॉम मेरे लंड को तोड़ ही देगी, फिर उसने लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट कर दिया। मम्मी की चूत एकदम से गीली हुई पड़ी थी।


वो बोली- धक्का दे!


मैंने मॉम की चूत में धक्का दिया तो मेरा 7 इंच का लंड चूत में एकदम से जा घुसा।


मॉम की चीख निकल गई!


फिर वो चोदने के लिए कहने लगी, मैंने चूत में लंड के धक्के देना शुरू कर दिया।


मॉम बोली- धीरे-धीरे करो, बहुत मजा आ रहा है।


मैं धीरे-धीरे चुदाई करने लगा।


मॉम के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह ... आह्ह ... चोदो ... ओह्ह ... और चोदो।


मैं भी मॉम की चूत में अंदर तक लंड घुसा रहा था, मुझे भी अपनी मम्मी की चुदाई करने में अब मजा आने लगा था।


मैंने अब स्पीड तेज कर दी, अब मैं तेज-तेज धक्के मॉम की चूत में लगा रहा था।


मॉम की आंखें बंद होने लगीं।


मैं बोला- क्या हुआ मॉम?


मॉम जैसे नशे में बोली- अम्म ... अह्ह ... करते रहो ... करते रहो ... बस करते रहो।


मैं भी मॉम को चोदता चला गया।


इससे पहले मैं कुछ सोच पाता मेरे लंड से मेरा माल निकल कर मॉम की चूत में गिरने लगा। मैं पूरा मॉम की चूत में खाली हो गया और हांफने लगा।


फिर मैं रुक गया और एक तरफ लेट गया। अब हम दोनों शांत हो गए। दोनों थक कर लेट गए और सो गए।


इस तरह से मॉम को मैंने पहली बार चोदा था, उसके बाद मॉम और मेरे बीच चुदाई का रिश्ता बन गया।


आपको मेरी यह Free Sex Kahani कैसी लगी मुझे कॉमेंट करके जरूर बताना, ताकि मैं आगे की हुई कहानी जिसमे उनकी गांड चुदाई और भी बहुत सारे मजेदार किस्से आपके सामने ला सकु!

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