ट्रेन में बेटे के साथ मिलकर उसकी माँ की चुदाई - Hindi Sex Stories
- Kamvasna
- Oct 11
- 7 min read
हेलो मेरे सख्त लंड वाले पाठकों और आप सब का भी मेरी कामुक दुनिया में स्वागत है नर्म चूत वाली हसीनों।
एक बार मैं दिल्ली से गांव जा रहा था। रात का सफर था और इस इलाके से निकलने में मुझे एक घंटा लगने वाला था।
ट्रेन में आकर में अपनी सीट पर बैठा फिर थोड़ी देर मोबाइल चलाते चलाते सो गया।
मेरी आंख बीच रात में खुली तो गांव का इलाका गुज़र चुका था, में थोड़ा उठकर सीट पर बैठा तो लगभग 45 साल की एक मोटी औरत भारी बाग उठे मेरी सीट के सामने आकर बैठ गई।
उसके साथ उसका एक लड़का भी था जो शायद 18-19 साल का रहा होगा देखने से लग रहा था कि वह उसका बेटा है।
रात का समय था Train में पूरा सन्नाटा था गांव में आने के समय जो घटना मेरे साथ हुई उससे डर के अब मैने 1st AC की सीट ले ली थी।
अपने बच्चे को केबिन में छोड़कर वो औरत वॉशरूम जाने लगी, जाते हुए उसने मुझसे पूछा “क्या आप मेरे बेटे को देख लेंगे , में अभी आ जाऊंगी?”
मैने हां करदी केबिन में लाइट्स बंद थी तो में उस औरत को ठीक से देख नहीं पाया।
वो चली गई और में उसके बेटे के साथ बाते करने लगा, उसका बच्चा भी प्यारा था मगर शायद उसे अपनी लुल्ली से कोई परेशानी थी वो बार बार उसपर हाथ मार कर पेंट ठीक कर रह था।
मैने पूछा क्या बात है? तो उसने बताया “गुदगुदी हो रही है नीचे, कभी कभी होती है! मुझे अब मम्मी आकर दवाई देंगी”।
इतने में उसकी मम्मी भी आ गई, उन्होंने आते ही लाइट जलाई और उनका जिस्म देखकर मेरी आंखे रोशन हो गई मेरे मुंह से यूं ही निकला “वाह! गजब।”।
उन्होंने मुझे एकदम मुड़कर देखा तो मैने चेहरा हटा लिया वो फिर घूमकर अपने कपड़े बैग से निकालने लगी।
मैने चेहरा घुमाया फिर ऊपर से नीचे तक उनके जिस्म के हर इंच का नाप लिया। गहरे लंबे ब्राऊन बाल, पीठ जो इतनी चौड़ी के बाल उसे छुपाने की बस नाकाम कोशिश ही कर पा रहे थे।
एक तो इतना बवाल उनका जिस्म उसपर उन्होंने पीठ से बाल लेकर सामने कर लिए उनकी खुली पीठ बहुत स्वादिष्ट लग रही थी।
धीरे धीरे मेरी नज़रे फिसल कर उनकी गांड़ पर रुकी एकदम गद्दे दार लहराती कसी हुई गांड़ उनकी मोटी मोटी नमकीन सी जांघें और मज़बूत टांगों को देखकर मेरा लन्ड अपनी मज़बूती दिखाने लगा।
उन्होंने फिर से मेरी ताड़ने वाली नज़रे पकड़ली एक गुस्से वाला चेहरा बनकर वो घूम गई अपने कपड़े ठीक कर के सामने वाली सीट पर पैर उठाकर बैठ गई।
मेरी नज़रे छुप छुपकर बार बार उसके जिस्म को ताड़ रही थी। उन्होंने फिर मुझे देखा और अपने बच्चे को गोद में बैठा कर मेरी नज़रों से अपने जिस्म को छुपा लिया।
उनका बेटा मचलने लगा वो बोला “मम्मी नीचे गुदगुदी हो रही है बहुत” उनका लड़का बार बार पेंट का बटन खोल रहा था उसकी मम्मी मेरे सामने उसे पेंट पकड़ने नहीं दे रही थी।
उसका बेटा बाहरी दुनिया से ज्यादा रूबरू नहीं था, इस लिए सेक्स जैसी चीजों के बारे में उसे ज्यादा जानकारी नहीं थी।
जब उसका बेटा ज़्यादा बेचैन हुआ तो वो उठी और बाथरूम की तरफ उसको ले गई।
मुझे ठंड लगने लगी तो दिल किया के सिगरेट पीलू तो में दरवाज़े के पास आकर खड़ा हो गया दरवाज़े अभी बंद थे तो वॉशरूम में खिड़की खोलकर सिगरेट सुलगाई।
थोड़ी गर्मी जब महसूस हुई तो बाहर आने लगा, मैने देखा कि सामने के बाथरूम में आह! आह! की आवाज़ आ रही है और दरवाज़ा भी खुला है।
मैने थोड़ा झांककर देखा तो देखता ही रह गया वो बच्चा सामने खड़ा था उसकी पेंट उतरी पड़ी थी और उसकी मम्मी लन्ड चूस रही थी। मैने जल्दी से फोन निकाला और वीडियो बनाने लगा। यह Antarvasna Hindi Sex Stories आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
बच्चे ने मुझे देखा और प्यारी सी मुस्कान देते हुए बोला “मम्मी मेरे दवाई लगा रही है”। उसकी मम्मी ने सुना और घबरा कर मुझे देखते ही खड़ी हो गई।
उनके पसीने छूट गए मेरे हाथ में फोन देखकर! मैने अपना मोबाइल जेब में रखा फिर तेज़ कदमों के साथ वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गया।
पीछे पीछे घबराए कदमों के साथ वो भी आकर बैठ गई। उनकी हवाइयां उड़ी पड़ी थी मगर उनका बेटा बहुत प्यार से मुस्कुरा रहा था।
वो बिल्कुल सदमे में थी उनकी हालत देखकर मुझे हैरानी हुई मैने उनकी तरफ पानी बढ़ाया उन्होंने पानी लेने से मना किया और अपनी बोतल निकालकर पानी पिया।
मैने कहा “ये आप क्यों कर रही थी? कौन है ये लड़का?”
उन्होंने बताया “मेरा नाम हेमा पासवान है, ये लड़का मेरा सौतेला बेटा है मेरे हसबैंड एक MNC में काम करते है लेकिन वो कभी मेरे साथ नहीं रहते उन्होंने बस इसकी देखभाल करवाने के लिए शादी की थी।”
मैने बोला - अपने कोई बॉयफ्रेंड क्यों नहीं बना लिया।
वो बोली - मेरा स्टेटस बहुत हाय प्रोफाइल है, मैं रिस्क नहीं ले सकती इसके साथ तो घर की बात घर में रह जाती है।
हेमा जी के जिस्म को अब में देख पा रहा था, भरी पूरी जवानी से भरपूर औरत जिसकी हवस इतनी भड़क चुकी थी के अपने ही बेटे से उसे शांत करवा रही थी। मस्त 40 के साइज़ के चूचे ये चूचे इतने मादक थे कि इनका नाम बोबा रखा जा सकता है।
उन्होंने बेचारगी वाली आंखों में आंसू भरते हुए मुझे देखा, मैं उठकर उनके बराबर में बैठ गया और उनको अपने बारे में बताया उनको हमदर्दी देने की कोशिश की तो उनके आंसू फूट पड़े।
मैने उनको बाहों में भर लिया और उनको दिलासा देने लगा वो लगातार रोए जा रही थी, उनके बेटे को मैंने अपने फोन में गेम खोलकर दे दिया और उसको अपनी सीट की ओर भेज दिया।
हेमा मुझसे चिपकने लगी थी रोते रोते उन्होंने अपनी एक टांग मेरी टांग के ऊपर रखड़ी।
क्या गद्देदार जिस्म था उस औरत का बस मैं जनता हूं और मेरा लन्ड जानता है
अपने हाथ मैने थोड़े नीचे करे और बोबे सहलाने लगा। सख्त मर्दाने हाथों की गर्मी औरत के जिस्म पर जो सुकून देती है वो कोई बच्चा नहीं दे सकता।
मेरी पेंट और हाथों की सख्ती का अपने जिस्म पर एहसास करते हुए मुझे देखा। हेमा की आंखे आंसू से भीगी बिल्कुल चांदी रात में चमकती एक झील जैसी लग रही थी।
मैने उनके कंधे पकड़े उनकी सांसे अपने होठों पर महसूस की देखते ही देखते हमारे होठों ने एक दूसरे को अपने आगोश में ले लिया।
आंसू उनके हाथ पर थे जिनको में चूम रहा था आंसू का नमकीन स्वाद और होठों की मिठास मिलकर एक अलग ही मज़ा पैदा कर रही थी। मैने अपनी ज़ुबान उनके मुंह में डाली वो प्यार भरे अंदाज़ में मुझे चूसने लगी।
उनका बेटा भी फोन छोड़ कर हमें देखने लगा रात बहुत होने लगी थी में और हेमा हवस के पसीने में नहा रहे थे।
में उनको पीछे सीट पर लेटाया और ऊपर चढ़ गया। कपड़े ऊपर कर के उनका पेट चाटने लगा गोल मटोल पेट एक दम नर्म और गर्म था, नाभि पर जब में ज़ुबान घुमा रहा था तो उनकी सससईइस मम्ममम! वाली सांसे निकलने लगी।
उन्होंने मेरे बालों को पकड़कर नीचे धकेला में समझ गया ये किया चाह रही है। मैने उनको नीचे से नंगा किया मस्त गोल गोल टांगे उठाकर कंधे पर रखी उनकी चूत बिल्कुल फूली हुई ब्रेड जैसी लग रही थी कोई बाल भी नहीं था।
मैने अपना मुंह चूत पर लगा दिया बहुत धीरे धीरे कर के उनकी चूत मै अपनी ज़बान से सहलाता रहा।
उनकी तड़प उनकी आहे बयान कर रही थी। उनका बेटा बोल पड़ा “भैया आप मेरी मोम को दवाई क्यों लगा रहे हो?” क्या उनको भी गुदगुदी हो रही है।
मैने उसके गोलमोल चेहरे को देखा ऐसा लग नहीं रहा था के ये दोनों सौतेले है। मैने एक इशारा हेमा की तरफ किया उसने भी शर्माने वाली मुस्कान से अपनी गर्दन हिलाई फिर मैने उनके बेटे सुरु को अपने पास बुला लिया।
उन्होंने नाम बस मुझे सुरु बोला, असली नाम नहीं बताया शायद डर की वजह से।
वो खुश थी मैने सुरु के कपड़े उतारे हेमा बोली “आजा मेरे बच्चे में तेरे दवाई लगा दूं” उन्होंने नंगे सुरु को सर के पास बैठाया और उसकी लुल्ली मुंह में लेकर चूसने लगी।
इधर में उनकी चूत को अंदर तक चाट रहा था, थोड़ी देर गुज़री की सुरु का पानी निकल गया। उसके पानी को उसकी मम्मी ने सीट के एक तरफ थूक दिया, मुझसे हेमा ने कहा “अब बस करो में और नहीं सेह पाऊंगी जल्दी मेरी आग बुझाओ”
इस बार मेरे पास कंडोम था मुझे अब कोई रिस्क नहीं लेना था, मैने कंडोम पहना वो बोली “तैयारी से आय थे क्या? की किसी की लेकर ही जाओगे रस्ते में?”
मैने भी कह दिया “मैं ताबीज़ और कंडोम साथ लेकर चलता हूं, क्यों की भूत और चूत कभी भी मिल सकते है”।
वो हसीं और अपने बेटे को अपने निप्पल पीने खींच लिया, मैने भी लन्ड सेट किया और एक धक्के के साथ लन्ड अंदर पेल दिया फिर मैं भी दूसरे निप्पल पर टूट पड़ा।
हेमा जी के मुंह से ऐसी सुकून की अआह! निकली जिसने उनकी बरसो की तड़प और प्यास की गवाही दे दी।
मैं आम तौर पर किसिंग करते हुए चुदाई करता हूं लेकिन इस बार मुझे बस उनका चेहरा देखना अच्छा लग रहा था।
अगर किसी को दर्द और सुकून को एक तस्वीर में देखना होता उस समय का हेमा जी का चेहरा देखे।
उनका बेटा उनके निप्पल चूसे जरा था और मैं ताबड़तोड़ उनकी चुदाई कर रहा था, वो मदहोश कर देने वाली।
अआह! उफ्फ! आह! राजा अआआह!
मैं बहुत प्यासी हूं, दो साल से ये ज़मीन अपनी सिंचाई का इंतज़ार कर रही है। आह! आआह! ओह!
उनकी आहे भरी आवाज़ माहौल को गर्म कर रही थी।
जब मैं झड़ने को हुआ तो मैने अपना लन्ड निकाल लिया, उनके बेटे सुरु को अपने पास लेकर उसका लन्ड उनकी चूत में डाल दिया।
उसने दोनों हाथ हेमा जी के पेट पर रखे और बहुत अच्छी तरह से चोदने लगा, पता चल रहा था ये काफी समय से अपनी माँ को चोद रहा है।
मैं उठा और उनकी चूत से भीगे लन्ड को मुंह में ठूस दिया वो खुशी से लन्ड चूसने लगी मैं उनके बड़े बड़े भारी भरकम मटके हाथ में भींचे दबा रहा था झुककर उनके निप्पल चूसने लगा तो वो सिहर गई।
उनका लड़का फुर्ती से चुदाई कर रहा था, उसका लन्ड 4.5 इंच रहा होगा मगर चुदाई का अनुभव होने की वजह से वो किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता था लेकिन उसकी मम्मी के जिस्म की बात अलग ही थी।
ऐसे जिस्म को संतुष्ट करने के लिए दो मर्द लगते है।
तीन घंटे में मैने उनको 4 बार चोदा। मेरी हालत बिलकुल ख़राब हो चुकी थी उनका लकड़ा एक बार में ही थककर सो गया था।
चोथी बार में उनका पानी निकला पानी निकलते निकलते उनके होठों से मम्मममहां धन्यवाद की इतनी मीठी आवाज़ आई के मैने उनको बाहों में भर लिया।
हमने पांच मिनट लगातार एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर अपने कपड़े पहने और नंबर बदले। हम साथ ही दिल्ली स्टेशन उतरे और जल्दी ही मिलने का वादा किया।
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