दोस्त की मम्मी की चुदाई गरम कर के - Indian Sex Stories
- Kamvasna
- Oct 9
- 7 min read
तो आज फिर में एक वासना भड़काती कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं। आप सबका मेरी कामुक दुनिया में स्वागत है।
ये कहानी है कनिका आंटी की, जिन लोगों ने मेरी (माँ की चुदाई मेरे ही लंड से आंटी ने करवाई!) कहानी पढ़ी है। वो कनिका आंटी के बारे ने जानते है।
जिनको नहीं पता, तो मैं बता दूं कनिका आंटी मेरे सबसे अच्छे दोस्त विशाल की मम्मी है। आपको याद होगा रोज़ी जी ने विशाल से उसी की माँ को चुदवा दिया था।
जब से विशाल ने मुझे ये कहानी सुनाई थी तब से मेरी नज़रे आंटी के लिए बदल गई थी। मैं जब भी उनके घर जाता मेरी आंखे उनकी गांड़ के पीछे पीछे घूमती।
एक महीने पहले की बात है विशाल अपने कज़िंस के साथ पूरे हफ्ते की ट्रिप पर गोवा गया था। उसने मुझे बोल दिया के घर पर मम्मी को समान ला दिया करना। मैने भी बोल दिया के वो चिंता ना करे।
आंटी का कॉल मेरे पास आया और बोली “बेटा ज़रा चावल ला दों” मैं ठीक है बोल कर उनके घर गया। दरवाज़ा खट खटाया तो रोज़ी जी ने आधा दरवाज़ा खोलकर मुझे देखा फिर अंदर आने को कह दिया।
रोज़ी जी मेरा 6.5 इंच का लन्ड पहले भी चख चुकी थी। मैं घर के अंदर गया तो रोज़ी जी बस टॉवेल में थी, उनके बालों से पता चल रहा था कि नहाकर निकली है।
मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि विशाल ने मुझे कहानी पहले ही सुना दी थी।
आंटी ने किचन से आवाज़ लगाई “रोज़ी हाशमी आ गया किया?”
मैने जल्दी से रोज़ी जी के पीछे जाकर चूंचे भींच लिए उनकी गर्दन को चूमकर आंटी को बोला “ जी आंटी में आया हूं।”
मैने रोज़ी जी की तोलिया में हाथ डाला और गांड़ का छेद सहलाने लगा। रोज़ी जी मुस्कुरा रही थी और साथ ही मुझसे अलग होने की कोशिश भी कर रही थी।
मैने उनके कंधे पकड़े, उनके होठों पर उंगली फिराकर अपने होठों पर रखते हुए किस करने का इशारा दिया। उन्होंने किचेन की तरफ देखा ओर जल्दी से मेरे होठ चूम लिए।
मेरा लन्ड खड़ा होने लगा वो मेरे लन्ड को देखती हुई आंखे सेकने लगी फिर एक कदम आगे लेकर उन्होंने मेरा लन्ड दबाया, लन्ड दबाते हुए अपने होठ काटने लगी। पीछे से आंटी की आवाज़ आई।
“रोज़ी हाशमी को दे दे। जल्दी दे देगा वो तुझे।”
मैं मुस्कुराया और रोज़ी जी को बोला “आंटी भी कह रही है, दे दोना रोज़ी जी।” अपनी बात कहते हुए मैने टॉवेल के नीचे से उनकी चूत छूली।
उन्होंने मस्ती भरा चाटा गाल पर लगाया, मुझे 500 रुपए का नोट दिया और बोली “जाकर एक किलो चावल ले आओ”।
मैने पैसे पकड़े फिर झटके से उनका तोलिया खींचा और भाग कर दरवाज़े पर खड़ा हो गया।
वो शर्मा रही थी अपने हाथों से खुदको ढकने की कोशिश कर रही थी मगर उनके मोटे मोटे दूध साफ चमक रहे थे उनके ब्राऊन निप्पल पहली बार मैने देखे थे।
उन्होंने मेरा लन्ड तो चखा था मगर अब तक हमारी चुदाई नहीं हुई थी। मुझे उस सुहाने दिन या रात का आज भी बे सबरी से इंतज़ार है।
खैर मैने उनको तोलिया दिखाते हुए चिढ़ाया तो उन्होंने भी अपने हाथ चूत और बूब्स पर से हटा लिए!
उनकी चूत एक दम क्लीन थी, वो किसी मॉडल की तरह मेरी तरफ कैट वॉक करती हुई आई चलते समय उनके चूंचे हिल रहे थे चूत की गहराई झाक रही थी मेरा थोड़ा लन्ड गिला सा हो गया।
वो मेरे से बिल्कुल चिपक कर खड़ी हो गई मैने तोलिया होठों में दबा ली, रोज़ी जी के अंदर से हज़ार गुलाब के फूलों जैसी खुशबू आ रही थी।
रोज़ी जी इतना करीब थी के लन्ड उनकी चूत को छू रहा था , चूचे मेरे सीने से मिल गए थे। वो अपने होठ क़रीब लाई और तोलिया अपने होठों में दबाकर मुझसे लिया फिर मुझे बाहर धक्का दे दिया और दरवाज़ा बंध कर दिया।
में पीछे गिरा तो सर के पास एक कुत्ता खड़ा था में उठा तो वो भाग गया। मैं भगा भगा चावल लाया , जल्दी से अपने कपड़े ठीक करे।
स्टाइल से खड़ा होकर रोज़ी जी के इंतज़ार में विशाल के दरवाज़े पर खड़ा हुआ और कुंडी बजाई।
मैने सोच लिया था आज तो रोज़ी को पटक कर चोदूंगा लन्ड भी तैयार था।
दरवाज़ा कनिका आंटी ने खोला। दरवाज़ा खुलते ही उनकी नज़र मेरे खड़े लन्ड पर गई मगर वो कुछ नहीं बोली सिर्फ मुझसे चावल लिए और चाय के लिए अंदर बुला लिया।
आंटी की गांड़ रोज़ी जी से ज़्यादा मोटी थी हो सकता है उनका साइज़ कुछ दिन पहले ही बड़ गया हो। क्योंकि वो अपने बेटे से चुदवा रही है घर पर ही , तो कोई रोक टॉक नहीं है।
उनकी भारी गांड़ देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया!
में एक सोफे पर बैठा जो किचेन के ठीक सामने था, आंटी मेरे सामने ही चाय बनाने लगी। जब जब वो नीचे कुछ लेने झुकती तो कुर्ती ऊपर उठ जाती और पजामे से पैंटी की लाइन दिखने लगती में भी झुककर देखने की कोशिश करता।
मैने आंटी से रोज़ी जी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की उसकी सास ने बुला लिया उसको काम की वजह से।
“अगर परेशानी ना हो तो मुझे ज़रा आधार कार्ड ऑफिस ले चलो, कुछ काम है।” मैने हां बोलदी मगर आज मेरे पास गाड़ी नहीं थी तो रिक्शे से जाना पड़ा।
रिक्शा भी बढ़िया थी, पहले आंटी बैठी फिर में बैठा रिक्शा एक सिग्नल पर रुकी वहां जल्दी जल्दी दो मोटी औरते रिक्शे में बैठी मुझे उतरने का मौका नहीं मिला।
मेरी हालत मेरी पेंट से आंटी को दिख रही थी, तीन तीन कामुक जिस्म वाली औरतों के बीच मैं अकेला था । इनकी तीनों गाड़ इतनी बड़ी थी के मैं शायद पूरा समा जाता। मेरी कोहनी आंटी और बराबर वाली औरत के चूचों में लग रही थी।
औरत पर से तो मैने ध्यान हटा लिया मगर पूरे रास्ते आंटी के मोटे मोटे चूंचे सहलाता रहा शायद 38 की ब्रा तो पहनती होंगी वो। आंटी भी मज़ा ले रही थी ये बात मुझे उनके कड़क होते निप्पल बता रहे थे।
हम आधार सेंटर आय वहां अंदर पहुंचे तो बहुत ज़्यादा भीड़ थी। मैं आंटी को बचाता हुआ भीड़ में घुसा लेकिन वहां देख कर समझ आरा था की एक दो घंटे तो लग जाएंगे।
वहां बस गांव के लोग ज़्यादा थे उनमें भी गांव की औरतें उनकी गोद में बच्चे उनके आसपास उनके छोटे छोटे बच्चे और कुछ बूढ़े लोग।
आंटी और मैं धक्के खाते खाते जब तक खिड़की पर पहुंचे तो उनका लंच टाइम हो गया।
इतने करीब आकर वापस लौटने का सवाल नहीं था सब के सब लोग आपस में एक दूसरे को दबाने में लगे थे, मैने लगभग आंटी को बाहों में ले लिया ताके उनके चोट न लगे वो भी समझ गई के मजबूरी है।
मेरे आगे आंटी थी बाकी चारों तरफ से गांव की औरतों और भाभियों के बीच में फंसा पड़ा था लेकिन मुझे इससे दिक्कत बिल्कुल नहीं थी, होती भी क्यों?
आंटी ने पलट के मुझे देखा फिर मेरे जिस्म से रगड़ते औरतों के चूंचे देखे। एक तीखी मुस्कान मुझे देकर वो गांड़ घुमा कर मेरे लन्ड को अपनी दरार में लगाने लगी।
मैने हाथ उनकी कमर पर रख दिए, हम एक दूसरे को रगड़ने लगे बाकी तरफ से भी औरतों के जिस्म मुझसे रगड़ रहे थे। एक दो भाभी खूबसूरत लगी तो भीड़ के बहाने मैने उनकी गांड़ और कमर सहलाली।
ज़िंदगी में पहली बार मुझे ऐसा मौका मिला था वरना में पब्लिक प्लेस में हमेशा औरतों से एक हाथ दूर रहता हूं।
मेरे दिमाग का फ्यूज़ भागने लगा था। मेरी हिम्मत बढ़ गई मैने एक हाथ आंटी के चूंचे पर किनारे से रख दिया , उन्होंने भी दुपट्टा थोड़ा खींचकर मेरा हाथ छुपा दिया। मैं लन्ड को उनकी गांड़ में दबाने लगा।
मेरे पसीने आने लगे, आंटी की भी हालत बिगड़ने लगी हवस हम दोनों के सिर पर सवार हो गई।
जिन दो भाभियों को सहलाकर मैं मज़ा लेरा था, वो भी मुझसे चिपक गई मैने खामोशी से उनके फोन हाथ में लिए और अपना नंबर डालकर कॉल करदी।
जैसे तैसे वहां का काम निपटा और हम घर के लिए वापस लौटे।
जब हम गए तो कुछ और थे वापस लौटे तो कुछ और थे। रस्ते भर आंटी और मैं चिपक कर बैठे रहे, हमने पूरे रास्ते हाथ पकड़ रखे थे।
हम घर पहुंचे, दरवाज़ा मैने बंद किया।
आंटी सोफे से टेकी लगा कर खड़ी हुई वो बस मुझे देखे जा रही थी। मैं भी दरवाज़े से टिक गया और उनको सिर से गांड़ तक देखने लगा।
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया, ऐसे मौका पर अगर दिमाग काम करे तो आधी दुनिया की आबादी कम हो जाए।
मैने शर्ट खोलनी शुरू की, आंटी शर्माते हुए अपने होठ चबाने लगी। उन्होंने अपने पैर एक के ऊपर एक कर के रखे, वो हरे रंग की एक खूबसूरत कुर्ती पहने हुई थी और अभी उनकी चूत जींस के पीछे छुपी शायद कामुकता में गीली हुई जा रही थी।
मैं आगे बढ़ा आंटी ने मुझे नहीं रोका, मैं उनके करीब पहुंचा आंटी कुछ नहीं बोली, मैने उनकी कुर्ती उतारदी वो मेरे सामने नंगे खुले चूचों के साथ खड़ी थी!
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी और उनके निप्पल पूरे कड़क थे खैर ये तो मेरी कारसतानी ही थी मगर आंटी फिर भी कुछ नहीं बोली।
वो बस मेरी आंखों में देख रही थी। मैने उनका चेहरा हाथ में लिया उनके होठों को करीब लाया उनकी नज़र झुक गई उन्होंने खुदको रोक।
मगर मैने चेहरा फिर करीब किया उनके मोटी गाड़ को एक तरफ से पकड़ा और उनके होठों को चूसना शुरू कर दिया।
कुछ पल रुक कर आंटी भी मेरा साथ देने लगी। उनके होंठ गज़ब स्वाद दे रहे थे। मैने उनकी पेंट उतारी जिस पर 40 साइज लिखा था और हाथ पकड़ कर कमरे तक ले गया।
उनको प्यार से मैने बेड पर लेटाया उनकी टांगों को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ा फिर चूत को चूमा। आंटी बस उफ्फ! कर के रह गई।
मेरी उत्तेजना बहुत ज़्यादा बढ़ी हुई थी। आंटी की चूत देख कर लग रहा था कि वो पहले ही झड़ गई है।
मैं उनके ऊपर लेटा उनके चूंचे अपने मुंह में दबाए और चूत पर लन्ड रखकर धक्का दे दिया।
ये शायद पहली बार था जब मैने ना ही चूत को चाटा ना ही लन्ड को चुसाया। सीधा चुदाई शुरू की ये पहली बार था की किसी औरत के जिस्म ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा लन्ड काबू में न रह सका।
मैं लगातार उनके निप्पल पीता और चूची काटता वो बहुत तेज़ी से आह! आआह! आह! बेटा आह! बहुत अच्छे आआह! करते रहो।
मेरे मुंह से निकल गया “मैं वैसे तो हमेशा से ही आपको चोदना चाहता था लेकिन जब से विशाल ने आपके बारे में बताया है तब से मेरी तड़प बढ़ गई।”
वो चौक गई लेकिन अब सब खुल चुका था तो वो भी खुल गई।
“आह! साले! आआह ! जब सब पता था तो तड़पाया क्यों?”
आह आह! हाय! हम्मम मेरी जान आज से मैं तेरी भी रंडी हूं!
“उफ्फ आह!” की आवाज़ पूरे में गूंज रही थी।
मैं उनको पागलों की तरह चोद रहा था। लन्ड लगातार चूत के अंदर बाहर आ जा रहा था।
आंटी की आह आआह! आओह! इतनी कामुक थी कि हम जल्द ही चरमसुख तक आ पहुंचे।
लगभग हम आधा घंटा चुदाई करते करते रहे फिर जब मेरा पानी निकला तो हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर सो गए।
सच दोस्तों ये आंटी की चुदाई मैं कभी नहीं भूल सकता।
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