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फूफा ने माँ की मज़बूरी का फायदा उठा कर चोदा - Antarvasna Sex Stories

मेरे पापा मुंबई में काम करते और वही रहते थे. एक बार किसी वजह से पापा का मनीऑर्डर नही आ पाया तब पापा के जीजाजी आया करते थे और वो अक्सर १५ दिन में शनिवार को जरुर आया करते थे. एक दिन मम्मी पैसे के लिए काफी परेशां थी, मेरे वो फूफा लगते थे ,और उस दिन शनिवार को आ गए. उनकी उम्र करीब ६२ इयर थी और मम्मी सिर्फ ३२ साल की थी.


मम्मी ने खाना खाने के बाद उनसे पैसों की बात की की मुझे ३००० रुपये अर्जेंट चाहिए. उन्होंने मम्मी को १०.३० बजे के बाद अपने कमरे में आने के लिए कहा,मै और मम्मी बेडरूम में सोया करते थे. फूफा का पलग मम्मी ने ड्राइंगरूम में लगा रखा था वहा एक दीवान था.


मै खाना खाकर लेट गया था पर मेने मम्मी को उनके कमरे में जाते हुए देखा, बेडरूम में नाईट बल्ब जल रहा था. मै भी २ मिनुत बाद उत्सुकतावश मम्मी के पीछे चला गया और ड्राइंगरूम के बाहर ही खड़ा हो गया. पर्दा फेन की हवा से थोडा थोडा हिल रहा था गर्मियों के दिन थे,मम्मी ने हरे रंग की साड़ी पहन राखी थी और काला ब्लाउज़ था.


फूफा ने कहा की अभी देता हूँ और फूफा ने अपने बैग से एक गड्डी निकाली और मम्मी के हाथ में रख दी, मम्मी ने कहा की ये तो बहुत सारे हैं फूफा ने कहा की पर मेरा काम कर दो. मम्मी ने कहा की क्या काम है तो फूफा ने मम्मी का हाथ पकड़ लिया और अपनी बाँहों में कस लिया, मम्मी ने कहा की भाईसाहब मुझे छोड़ दो.


मुझे सिर्फ ३००० ही चाहिए, तभी फूफा ने मम्मी की साडी खोल दी, अब मम्मी सिर्फ पेटीकोट में और ब्लाउज़ में खड़ी थी, मम्मी ने जूड़ा बना रखा था. फूफा ने मम्मी को पीछे से पकड़ लिया और मम्मी के हिप्स पर दबाने लगा, मम्मी को फूफा लगातार चूम रहा था.


मम्मी छुटने का पूरा प्रयास कर रही थी पर वो छोड़ ही नही रहा था, मम्मी ने कहा की कोई देख लेगा उसने कहा की सब सो गए है, फूफा ने मम्मी का नाडा पकड़ कर खीँच दिया और मम्मी नंगी हो गयी ,मम्मी ने कहा की भाईजी मै तुम्हारी बेटी के सामान हूँ पर फूफा ने कुछ नही सुना.


फूफा ने बनियान और लुंगी पहन रखी थी, फूफा ने मम्मी को जबरदस्त पकड़कर सोफे पर बैठा दिया और खुद फर्श पर उकडू बैठ गया , फूफा ने अपना मुह मम्मी की जाँघों के बीच में घुसा दिया और चूसने लग गया. मम्मी का प्रतिरोध अब कम होने लगा था, फूफा ने अपनी लुंगी उतार दी थी और बिलकुल नंगा हो गया था.


फिर अचानक फूफा ने मम्मी के ,जहाँ से मम्मी पेशाब करती थी,वहां अपनी एक ऊँगली घुसेड दी, मम्मी की धीरे से चीख निकल गयी. फूफा अपनी ऊँगली तेजी से आगे पीछे करने लगा, मम्मी ने अपनी दोनों टाँगें फेला दी थी, फूफा ने 1-2 मिनट तक खूब ऊँगली चलाई, मम्मी ने फूफा का सर पकड़ कर अपनी पेशाब वाली जगह पर जोर से खिंचा.


फूफा ने एकदम से ऊँगली निकल ली और मुह लगा दिया, चाचा चुसुड़ चुसुड़ कर पीने लगा, शायद मम्मी ने मस्त होकर पेशाब कर दी थी, फिर फूफा ने थोड़ी देर में ही मम्मी को उठाया और नीचे फर्श पर उकडू बैठा दिया और फूफा ने मम्मी के मुह में जबरदस्ती अपना मोटा काला लम्बा लंड जो की करीब ८ इंच से कम नही रह होगा, दे दिया.


मम्मी उसे पकड़कर आगे पीछे कर रही थी और फूफा मम्मी के बालों से खेल रहा था, मम्मी उसे कुल्फी की तरह चूस रही थी. थोड़ी देर बाद मम्मी ने कहा की भाई जी अब जाने दो न. फूफा ने कहा की इसे अंडर कौन लेगा मम्मी ने मना कर दिया और कहा ना बाबा ना ये मेरे बस का नही है.


फूफा ने मम्मी को खड़ा कर दिया था और मम्मी उससे छुटने का प्रयास कर रही थी वो लगातार मम्मी के गोरे गोरे चुत्तड़ दबा रहा था,मम्मी वास्तव में बहुत ख़ूबसूरत थी. फूफा ने मम्मी को अपनी गोद में उठाकर दीवान पर लिटा दिया और खुद भी मम्मी के उपर चढ़ गया.


फूफा ने मम्मी के दोनों पैर अपने हाथों में पकड़ लिए ,मै अब खिड़की की सीध में आ गया था,और वंहा से सिर्फ २ फीट की दुरी पर दोनों दिख रहे थे मम्मी लगातार फूफा का लंड देखकर उसके नीचे से निकलने की कोशिश कर रही थी, पर फूफा उसकी टाँगें नही छोड़ रहा था.


फूफा ने मम्मी की टाँगें उठाकर पीछे की तरफ कर दी, मेने अपनी मम्मी की जाँघों के बिच में इतने नजदीक से कभी नही देखा था. मम्मी की पेशाब की जगह तितली सी पंख फेल्लाकर बेठी थी ऐसा महसूस हो रहा था. दरअसल में फूफा ने चाट चाट कर मम्मी की फांकें चौड़ी कर दी थी फूफा अपना लंड घुसाने की कोशिश कर रहा था मगर मम्मी हिल जाती थी.


मम्मी ने ३-४ बार कहा की भाई जी मुझे बक्श दो मेरे बस का नही है,पर फूफा का काला लंड लगातार हिल रहा था, आखिर फूफा ने मम्मी की दोनों टाँगें बाएं हाथ से पकड़कर और दुसरे से अपना लंड पकड़ कर मम्मी की फंको के बिच में रखकर जैसे ही धक्का मारा मम्मी की चीख निकल गयी.


फूफा ने कहा माया मेरी जान क्या हुआ ,मम्मी ने कहा की बहुत मोटा है,फूफा ने मम्मी की बात अनसुनी कर दी और अपने लंड को धीरे धीरे अंदर करने लग गया ,मम्मी लगातार सिसक रही थी,और फूफा के काले मोटे मोटे चुत्तड़ तेजी से आगे पीछे हो रहे थे.


फूफा ने अपने दोनों हाथ मम्मी की छाती पर टिका दिए थे और सहला रहा था, फूफा लगभग पंजो पर उकडू उठा हुआ था,और उसका काला लम्बा मोटा लंड मम्मी के अंदर बहर आ जा रहा था.मै मम्मी की सिस्कारिया सुन रहा था ,मम्मी आह,आह,आह,………। बस,बस, ….बोल रही थी मम्मी का छेद लगभग २ इंच गोल हो गया था.


मम्मी की ऐसी सेक्सी आवाज मेने पहले कभी नहीं सुनी थी ,मम्मी की आवाज मुझे ऐसी लगी जैसे कुतिया का छोटा बच्चा ठण्ड के मारे घुट घुट कर रो रहा हो , फूफा का काला लंड फूल चूका था,फूफा पूरा जोर लगा रहा था की किसी तरह पूरा ८ इंच अंदर चला जाये पर मम्मी फूफा की जाँघों पर हाथ रख लेती थी.


आखिर में फूफा ने पूरा लंड अंदर पेल ही दिया, मम्मी जोर से चीख उठी, अब फूफा के आंड मम्मी की चूत पर टकरा रहे थे और मम्मी बुरी तरह सिसक रही थी. मम्मी ने अपनी दोनों टाँगें खुद ही हवा में उठा ली थी. मम्मी की पाजेब की आवाजें मुझे भी बहुत अच्छी लग रही थी, मम्मी का छेद मेरी आँखों से सिर्फ २ फीट की दुरी पर था.


मेरा छोटा सा लंड भी अकड़ने लग गया था, करीब १५ मिनट बाद फूफा ने अपने दोनों चुत्ताद भींच लिए और दोनों आंड मम्मी की चूत पर सटा दिए, फूफा की टाँगें कांपने लगी थी. फिर १ मिनुत बाद चाचा ने अपना लंड धीरे बाहर निकाल लिया, मम्मी के छेद से सफ़ेद गाढ़ा मांड जैसा कुछ बाहर आने लग गया था.


फूफा मम्मी की बगल में लेट गया मम्मी ने धीरे से अपनी टाँगें निचे रखकर घुटनों से मोड़ ली, मम्मी का छेद धीरे धीरे सिकुड़ने लग गया था, पर उसमे से बहुत ही गाढ़ा पदार्थ निकल रहा था,फूफा ने मम्मी की चूत अपने लुंगी से साफ़ कर दी और अपना लंड भी साफ किया, फूफा ने मम्मी को पूछा की कैसा लगा, मम्मी ने अपना सिर फूफा की बालों से भरी छाती पर टिका दिया.


मम्मी ने धीरे से फूफा से कहा की भाई जी तुम्हारे अंदर बहुत जान है , इस के पापा तो ३-४ मिनट बाद ही थक कर सो जाते है पर मै ये किसी से नही कह सकती उन्होंने मुझे कभी भी ये अहसास नहीं कराया की सेक्स क्या होता है और उनका लिंग भी तुम्हारे लिंग से आधा है साइज़ में.


मै ये सब सुनकर हेरान रह गया की मम्मी फूल सी नाजुक हैं और मम्मी को आखिर क्या मजा आया सिसकते हुए, जब फूफा ने मम्मी के अंदर पूरा पेल दिया था, और मम्मी ने हवा में टाँगें क्यों उठा ली थी? मम्मी के बदन पर कभी भी मेरा ध्यान अच्छी तरह से नही गया.


पर जब फूफा ने मम्मी को बिलकुल नंगा कर दिया था तब मेरा दिमाग भी उनकी सुन्दरता देखकर दंग रह गया, वाह मम्मी की जाँघों के बीच में क्या उठान थी? उनकी गोरी गोरी जांघे चिकनी जांघें देखकर भी मेरे मन में पानी आ गया था,फूफा रह रह कर मम्मी की उठान पर अपनी हथेली फिर रहा था, और मम्मी फूफा की चौड़ी छाती पर अपनी हथेली से सहला रही थी.


फूफा ने कहा की माया तुझे मेरा देखकर डर नही लगा? मम्मी ने कहा की पहले मुझे लगा लगा की तुम मेरी हालत ख़राब कर दोगे पर फिर ऐसा मजा आया की सब कुछ भूल गयी. फूफा ने कहा की माया मेने २ साल से औरत की सुगंध भी नही ली, शरीर तो क्या देखना था? और तेरी मसल ने मुझे ऐसा मसल मारा की मै पिघल गया.


ऐसा लग रहा था की मै साइकिल में हवा भर रहा हूँ.उन दोनों की बातें सुनकर मुझे लगा की सेक्स में वाकी बहुत मजा है. फूफा ने मम्मी को कहा की माया यहीं सो जा रोबिन तो कभी का सो चूका होगा, पर मम्मी नही मानी, और बेड से उठकर उन्होंने कपडे पहन लिए, फूफा का लंड भी सिकुड़ कर ५ इंच का रह गया था.


चलने से पहले मुमी ने फूफा की छाती पर किस किया तो मै समझ गया की मम्मी किसी भी समय बाहर आ सकती है,मै तुरंत बेड पर जाकर लेट गया, करीब ३ मिनुत बाद मम्मी आ गयी और चुपचाप लेट गयी अगले दिन सन्डे था,पर फूफा को घर जाना था ,वो बस पकड़ कर चले गए और मै अगले शानिवार का इंतजार करने लगा.


जब मै फूफा को बस में बैठा कर वापस आया तो मम्मी नहाकर ताजे फूल की तरह खिल गयी थी और गुनगुना रही थी. उसके बाद तो मम्मी सन्डे को ऐसे नार्मल थी जैसे रात कुछ हुआ ही न हो।और किसी को पता ही नही है। ऐसे ही पूरा हफ्ता बीत गया और फिर शनिवार को फिर फूफा आ गया.


रात को हम तीनो ने खाना खाया और मै और मम्मी बेडरूम में और वो बैठक में सो गया, हम करीब 10 .15 पर बिस्टर पर चले गए। माँ ने बेडरूम की लाइट बंद कर दी थी।मेरी आंखोंमे नींद नही थी और मै इस इंतजार में जगता रहा की अब क्या होगा? पिछली बार की तरह भी कुछ होगा क्या?


मगर बहुत देर बीत गयी करीब एक घंटा, तभी अन्दर कमरे में मुझे एक परछाई दिखाई दी, जो मम्मी के बिस्तर की तरफ बढ़ गयी,वो मम्मी को हिलाने लगा, मम्मी की बगल में एक खिड़की थी जिससे बहुत ही हल्का प्रकाश अन्दर आ रहा था, यानि की सिर्फ परछाई ही दिखाई दे रही थी। उसमे और मम्मी में कुछ छीना झपटी और ख़ुसुर फुसुर हुई।


फिर उसने मम्मी को अपने हाथों पर ऐसे उठा लिया जैसे कोई छोटी बच्ची को उठा लेता है। और कमरे से बाहर निकल गया। करीब 5 मिनट बाद जब मेरे से नही रहा गया तो मैं भी दबे पांव उठा और लॉबी में अँधेरे मे खिड़की के पास खड़ा हो गया। अन्दर नाईट बल्ब जल रहा था,वो और मम्मी दोनों निर्वस्त्र थे.


वो मम्मी की छातियाँ दबा रहा था और मम्मी के होंठ चूस रहा था, उसके मोटे मोटे भारी चूतड मेरी तरफ थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई ब्लू फिल्म चल रही हो। उसने मम्मी की जांघें फेला राखी थी, और मुझे मम्मी की जांघों के बीच में एक झिर्री सी काटी हुई दिखाई दे रही थी, जहाँ सिर्फ दो हलकी गुलाबी पत्तियां या होंठ बहार की तरफ को निकले हुए थे।


उसके आंड ऐसे लटके हुए थे जैसे कोई लम्बा आलू लटका हुआ हो और उसका काला लंड उस समय पूरा ताना हुआ नही था, मम्मी का गोरा नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में झुरझुरी सी उठ गयी, मन में यही ख्याल आने लगा की ये आदमी कितना लकी है जो मेरी जवान माँ के बदन से खेल रहा है?


ड्राइंग रूम के एक साइड लॉबी में खिड़की थी और दरवाजे की जगह एक छोटी सी गोल डाट थी, जिस पर पर्दा पड़ा हुआ था, और खिड़की पर भी छोटा सा पर्दा पड़ा हुआ था ,में उन्हें दोनों जगह से आराम से देख सकता था। दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे, मम्मी की गोरी दुदियाँ बहुत ही मस्त लग रही थी।


पर वो साला गंजा उन्हें खूब मसल रहा था और मम्मी के हाथ उसकी कमर को घेरे हुए थे,जब वो मम्मी के गले को चूम रहा था तो मम्मी अपना चेहरा पीछे की तरफ करके आँखें बंद कर लेती थी। मुझे ऐसा लग रहा था की मम्मी भी मजे ले रही है। धीरे से उसने अपनी हथेली चौड़ी करके जैसे ही मम्मी की जांघों के बीच में घुसाई मम्मी ने अपनी जांघें फेला ली.


वो अपने हाथ से मम्मी की फुद्दी को दबाने में लगा हुआ था और मम्मी आँखें बंद करके सी सी…….कर रही थी। जहाँ मुझे सिर्फ झिरी सी दिखाई दे रही थी वहां मुझे अब गुलाबी मांस फटा हुआ सा दिखाई दे रहा था, वो शायद वो हि जगह थी जहाँ से मम्मी पेशाब किया करती थी।


वो हिस्सा बिलकुल पकोड़े की तरह फुला हुआ था, उस वक़्त मम्मी के पेरों में पाजेब बहुत ही सुन्दर लग रही थी,जैसे जैसे वो गंजा बूढ़ा फूफा मम्मी की फुद्दी को हाथ से मसल रहा था वेसे वेसे उसका लंड खड़ा हो रहा था,और थोड़ी देर बाद ही वो काले मोटे पाइप की तरह दिखने लगा, सिर्फ उसका आगे का हिस्सा गुलाबी और खुंडा अंडे की तरह चिकना था.


उसने एक हाथ से अपना लौड़ा पकड़ा और जैसे ही गुलाबी जगह पर टिकाया, मेरा कलेजा मुह को आ गया…. उसने अपने मोटे चूतड उठा कर हल्का धक्का मारा, तभी फक्क्क की आवाज हुई और मम्मी के मुह से अआः …….की आवाज निकल गयी, और उसने मम्मी को बाँहों में कस लिया, मेरी नाजुक मम्मी उसके निचे छिप सी गयी थी.


मेरी मम्मी ने अपने हाथ उसके भरी चूतडों पर टिका दिए थे।मुझे उन दोनों का मिलन स्थल अच्छी तरह दिख रहा था. शायद सुरु में अगर औरत का छेद टाइट हो तो जब मोटा लंड अपनी जगह बनाता है तो हलकी सी फटन महसूस होती होगी। बस इसके बाद वो गंजा फूफा मम्मी के बदन में अपना काला मोटा लण्ड घुसेड़ने लगा.


और मेरे देखते ही देखते उसने करीब 5 इचंह अन्दर घुसेड दिया, मम्मी ने अपने दोनों पैर घुटनों पर से मोड़ कर थोड़े से उपर उठा लिए,अब फूफा मम्मी को चोदने लगा था और मम्मी के मुह से वेसी ही आवाजें जो कुछ अजीब सी थी और सिर्फ पिछली बार ही निकली थी, निकलने लगी,उसके धक्के पड़ते ही मम्मी आह ..आह… आह… आह…करके टसअकने लगी.


फूफा ने अपने चूतड पूरी तरह से चौड़े कर लिए थे, और निचे से पूरी ताकत से साला धक्के मार रहा था,वो अपने पंजों, घुटनों और चूतड़ो का भरपूर इस्तेमाल कर रहा था, मैं थोड़ीदेर तो खिड़की से उनका निचे का हिस्सा देखता था और थोड़ी देर डाट से धड़ वाला हिस्सा देखता था.


मम्मी बार बार मुह खोल रही थी और फूफा ने जिस हिसाब से मम्मी को जकड रखा था,मम्मी किसी भी तरह उसके निचे से निकल नही सकती थी,मम्मी के पास चुदने के आलावा कोई चारा नही था,करीब 8-9 मिनट तक चोदने के बाद वो मेढ़क की तरह मम्मी की जांघों के बीच में उकडू बैठ गया.


उसने अपने चूतड़ ऊपर किये और फिर से मम्मी की चूत में अपना लंड पेल दिया ,अब वो उठ उठ कर के मम्मी को चोदने लगा, मम्मी की चूत से झाग बाहर आने लग गया. मम्मी के छेद से फक्क ….फक्क्क …..पुच्छ…….पुच्छ……की आवाजें आने लग गयी. अब मुझे कमरे में मम्मी की आहें, पेरो में पाजेब की आवाजें और चूत से आती हुई बहुत अच्छी लग रही थी.


उसने मम्मी के पैर उसके सर की तरफ कस कर पकड़ लिए थे इससे मम्मी की गोरी गांड मेरे सामने ऐसे आ गयी थी जैसे कोई दो तरबूज बिलकुल कर रख दिए हों .जब गंजा जोर मारता था तो मम्मी की गांड थोडा सा बाहर को आ जाती थी। और मुझे मम्मी का पीछे वाला छेद थोडा सा स्याह रंग का, जिसमे झुर्रियां पड़ी हुई थी नजर आने लगता था.


10करीब -12 मिनट की चुदाई के बाद मम्मी की गांड के छेद तक झाग बह कर आ चूका था. अब वो थोडा उठ कर अपने भरी चूतड़ों से मम्मी की दब कर चुदाई कर रहा था, मेरी कोमल नाजुक मम्मी उसके निचे पड़ी तड़फ रही थी, पर वो बिलकुल भि दया नही कर रहा था।


मम्मी ने पूरी चादर अपनी मुट्ठियों में कस ली थी। मेरी मम्मी ने अपनी दोनों टाँगें फ़ेल कर ऊपर उठा ली थी,जब जब वो धक्के मरता था तो मम्मी चीख सि पड़ती थी। मम्मी के महू से सी….सी……सी…..की आवाजें आ रही थी।


मेरी मम्मी ने अपने हाथ फूफ की कमर पर रख दिए थे, मम्मी के पेरों की पाजेब की आवाज मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। वो मम्मी को जम कर रगड़ रहा था। अचानक उसके भारी चूतड़ तेजी से मचलने लगे। माँ की आँखे लगभग बंद होने लगी। फिर माँ ने एक जोर से सिटी सी मारी और फूफा के दोनों आंड मम्मी के गांड के छेद पर टिक गए। 2- 3 मिनट बाद गंजा उतर गया और मम्मी की बगल में लेट गया। मम्मी के गुलाबि छेद से मांड जैसा सफ़ेद गाढ़ा पदार्थ बहर आ रहा था.


मम्मी ने उसे अपने पेटीकोट से साफ़ कर दिया और तब मम्मी ने फूफा के छाती पर 4-5 बार चुम्मियां ली। मै सोचने लग गया की क्या यह मेरी मम्मी ही है जो इतना मोटा लंड लेकर इतना दर्द झेलती रही?तभी फूफा ने उसे पुछा की तेरा मर्द भी इतना ही मजा देता है ? मम्मी ने कहा, तुम बहुत गंदे हो? मेरी अच्छी तरह से ले ली। और पूरी भर दी, अब ये बताओ कि दुबारा कब आओगे? बस इसके बसद मम्मी कपडे पहनने लगी और मै तजी से अपने बेड पर आकर लेट गया…


आप को मेरी फूफा और माँ की चुदाई Antarvasna Sex Stories कैसी लगी ये कमेंट करे।

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