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बॉस के साथ पहली चुदाई

Updated: Feb 27

दोस्तो, मेरा नाम काजल है.

मैं 27 साल की शादीशुदा लड़की हूँ और अब मैं मुंबई में रहती हूँ.


लेकिन मेरी ये कहानी उस समय की है जब मैं झारखण्ड में रहती थी.

मैं तब 23 साल की थी और मेरी ग्रेजुएशन भी पूरी हो गई थी.

इसीलिए मैं पास के रेलवे स्टेशन में नौकरी कर रही थी.


मेरे घर में हम तीन लोग रहते थे मैं, मेरी दीदी और मेरे पापा जो की बहुत पहले रिटायर हो चुके थे.


तब घर की ज़िम्मेदारी हम दोनों बहनों पर आ गई थी.

मेरी दीदी एक प्राइमरी स्कूल टीचर थी.


और मेरी दीदी का एक मुकुल नाम के कोयला व्यापारी से चक्कर चलता था.

और मेरी दीदी ने ही मुकुल से मेरी नौकरी की बात की थी और मुझे नौकरी मिली थी.


असल में मुकुल का एक व्यापारी साथी था जिसका नाम भुवन था.

भुवन के अंतर्गत रेलवे के बहुत से कार्य होते थे.

उसी ने मुझे रेलवे के प्राइवेट विभाग में नौकरी दिलाया था.


मेरी पगार तब कम थी लेकिन मुझे ख़ुशी थी कि मुझे नौकरी मिल गई थी.


मैंने तीन महीने तक मन लगा के काम किया और उसी दौरान भुवन मुझे कॉल करने लगा.


शुरुआत में तो भुवन मेरा हाल खबर जानने के लिए कॉल किया करता था.

लेकिन धीरे–धीरे भुवन मुझे दिन में चार–पाँच बार कॉल करने लगा था.


मैं तब मेरे बॉयफ्रेंड के कॉल को नज़रअंदाज़ करके भुवन से बात करती थी.

अब भुवन मेरा मालिक था तो उसके कॉल को मैं नज़रअंदाज़ कैसे कर सकती थी.


और मेरा जो बॉयफ्रेंड था वो कुछ ही दिनों के लिए था क्यूँकि उसके बाप का रिटायरमेंट का समय आ चुका था.

वैसे तो मेरे बॉयफ्रेंड ने अपने बाप के पैसे से मुझे बहुत मौज़ करवाई थी और मुझे खूब चोदता भी था.


मेरे बॉयफ्रेंड के चले जाने के बाद मैं दोबारा उसे ना तो कॉल करती थी और ना ही उसके कॉल का जवाब देती थी.

कॉल करती भी कैसे … मुझे नया बॉयफ्रेंड जो मिल गया था जो मेरा मालिक भुवन था.


मैं भुवन को सर नहीं बल्कि भुवन जी कहती थी और मैं बहुत फायदे में रहती थी.


भुवन जी ने मुझे नया मोबाइल, नया स्कूटी दिलाया था और मैं जब भी उनसे पैसे मांगती वो मना नहीं करते थे.


पर मेरी दीदी बोलती थी- इतना लालची मत बनो. किसी दिन सूद समेत वसूलेगा तुमसे!


मैं तब सोचती थी कि दीदी मुझसे जलने लगी है क्यूँकि वह मेरी तरह फायदे में नहीं थी.


एक शनिवार की शाम मुझे भुवन जी का कॉल आया और पूछने लगा- रविवार का क्या प्लान है?

मैं भुवन जी से बोली- शॉपिंग पर जाऊँगी.

तो भुवन जी बोले- अच्छा, तो मेरे साथ चलना, मैं कल फ्री रहूँगा.


मैंने तब सोचा कि चलो फिर तो ढेर सारी शॉपिंग करुँगी. वैसे भी खर्चा तो भुवन जी ही करेंगे.


तो मैं भुवन जी से बोली- ठीक है भुवन जी, तो 11 बजे तक आ जाइएगा.

तो भुवन जी बोले- ठीक है, मैं आ जाऊँगा.


अगले दिन रविवार था और मैं सुबह के 10:30 तक तैयार हो गई थी.

वैसे तो मैं ऑफिस सलवार–कमीज पहन कर जाती थी लेकिन उस दिन मैं स्कर्ट और टोप पहनी हुई थी.


कुछ देर बाद भुवन जी का कॉल आया और उन्होंने मुझे घर के पीछे आने बोला.


जब मैं घर के पीछे गई तो भुवन जी कार लेकर आए थे.

मैं उनकी कार में बैठी और हम शॉपिंग के लिए रवाना हो गए.


और जैसा मैं सोची थी वैसा ही हुआ.

भुवन जी ने ही मेरे शॉपिंग के पैसे दिए.


शॉपिंग के बाद भुवन जी ने मुझे रेस्टोरेंट में लंच भी करवाया.


हम वापस जाने लगे तब भुवन जी मुझसे बोले- काजल, तुम्हारा पसंदीदा कंडोम कौन सा है?

तो मैं शर्मा गई और बोली- ये आप क्या पूछ रहे है भुवन जी.


भुवन जी बोले- इतनी भोली तो नहीं लगती तुम कि कंडोम का मतलब भी नहीं समझती.


ये कहते हुए भुवन ने अचानक से मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और सहलाने लगे.


मैं तब शर्म के मारे मुँह नीचे की हुई थी और मैं समझ गई कि आज भुवन जी देसी लड़की की चूत लेकर ही रहेंगे.


भुवन जी फिर बोले- अरे बोलो तो सही, कौन सा फ्लेवर का कंडोम पसंद है तुम्हें?

तो मैं शरमाती हुई बोली- कोई भी चलेगा.


तब वे बोले- ठीक है, फिर कंडोम खरीद कर मेरे घर चलते हैं.


और फिर भुवन जी ने एक दवाई दुकान पर कार रोकी और कंडोम खरीदने गए.


मैं तब सोच रही थी की भुवन जी का लंड कितना ही बड़ा होगा, दो मिनट भी टीक पाएंगे क्या?

वैसे तो भुवन जी 39–40 साल के शादीशुदा आदमी थे और थोड़े दुबले भी थे.


फिर भुवन जी कंडोम खरीद कर आए और फिर एक रेलवे क्वाटर के पास कार रोकी.


वे बोले- ज्यादा मत सोचो काजल, आज नहीं तो कल तुम्हें मेरे साथ सोना ही पड़ता.

मैं बोली- हाँ, भुवन जी मैं समझती हूँ.


भुवन जी बोले- फिर तो अच्छी बात है चलो अंदर चलते हैं.


और फिर भुवन जी मुझे क्वाटर के अंदर लेकर गए जिसमें सोफा और बिस्तर एक ही कमरे में थे.


तो मैं बोली- भुवन जी मैं बाथरूम हो कर आती हूँ.

तो भुवन जी बोले- हाँ, जाओ.


मैं बाथरूम गई पैंटी उतारी और चूत–गांड धोने बैठ गई, मैंने साबुन लगा के अच्छे से धोई


और फिर मैं जब बाथरूम से वापस आई तो भुवन जी को कच्छे में थे.


उन्होंने भी मुझे देखा तो वे मुस्कुराते हुए बोले- लगता है कपड़े भी मुझसे ही उतारवाओगी.

तो मैं बोलने लगी- नहीं नहीं भुवन जी, मैं खुद उतारती हूँ.


तो वे बोले- अरे काजल इतना क्यों शरमाती हो?

ये कहते हुए भुवन जी मेरे पास आए और एक–एक करके मेरी सभी कपड़े उतारने लगे.


मुझे तब शर्म आ रही थी क्यूँकि मेरे कपड़े मेरे और मेरे बॉयफ्रेंड के अलावा किसी ने नहीं उतारे थे.

इसीलिए जब भुवन जी मेरी ब्रा खोली, वैसे ही मैं मेरी दोनों चूचियों को हाथों से छुपा ली थी.


फिर जब भुवन जी बैठ कर मेरी पैंटी उतारने लगे.

तब मैं मेरी चूत भी छुपाने लगी थी.


भुवन जी मेरी नाभि में जीभ लगा कर चाटने लगे थे.

मैं तब मेरी वासना को रोक नहीं पा रही थी और ‘ईई स्स्स आहहह … ई ईस्स् आह हह’ करती हुई सिसकने लगी थी.


भुवन जी मेरी नाभि को चाट–चाट कर आपने लार से लथपथ किए जा रहे थे.


फिर भुवन जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी जांघों को फैला दिया.


मैं तब शरमा रही थी और अपनी चूत छुपा रही थी क्यूँकि भुवन जी मेरी चूत चाटना चाहते थे.


और मैंने अपनी झांट भी साफ नहीं की थी इसीलिए मुझे ज्यादा शर्म आ रही थी.


तो भुवन जी बोले- अब इतना क्या शरमाना … काजल हाथ हटा दो.

मैं शरमाती हुई बोली- मैंने झांट साफ नहीं की हैं.

भुवन जी बोले- मुझे कोई समस्या नहीं है काजल, चलो हाथ हटाओ.


तब मैंने मेरी चूत से हाथ हटाये और फिर भुवन जी मेरी चूत में मुँह लगा कर चाटने लगे.


और जब वे मेरी चूत में मुँह लगा कर चाट रहे थे तब उनका मूंछ मेरी चूत में चुभ रहे थे.

जिससे मैं ‘उउह्ह्ह … ईईस्स्स … आह!’ करते हुए सिसकार रही थी और भुवन जी की जीभ मेरी चूत में घूम रही थी.


‘उउफ्फ … ईईस्स्स्स’ मेरी चूत भुवन जी की लार से गीली होती जा रही थी और मैं मस्त होती जा रही थी.


तब भुवन जी मेरी चूत चाटते हुए मेरी गांड की छेद को भी चाटने लगे थे.

तब मुझे शर्म महसूस होने लगी थी इसीलिए मैं भुवन जी को ‘नहीं … ईईस्स्स … नहीं प्लीज!’ बोलने लगी थी.


लेकिन भुवन जी मेरी एक भी सुन नहीं रहे थे और मेरी जांघों को फैला कर चाटे जा रहे थे.


उस समय भुवन जी बिस्तर में चढ़े नहीं थे, नीचे थे इसीलिए वो मेरी गांड की छेद को चाट पा रहे थे.


मेरी गांड के छेद को जब भुवन जी चाट लिया तब वो अपना कच्छा उतारते हुए उठे.


तब मैंने भुवन जी के नाग जैसे मोटे–बड़े भूरे लंड को देखा जो मेरे बॉयफ्रेंड के लंड से कुछ ज्यादा हीं तगड़ा था.

भुवन जी उठने के बाद आपने लंड में कंडोम पहने और तब भुवन जी बिस्तर में चढ़े.


चढ़ने के बाद भुवन जी मेरी जांघों के बीच बैठ कर अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ने लगे.

“उउह्ह्ह … ईईस्स्स!”


मेरी दिल की धड़कन ज़ोर पकड़ रही थी क्यूँकि मैं पहली बार मोटे–बड़े लंड से जो चुदाने जा रही थी.


और फिर भुवन जी ने मेरी चूत में अपने लंड का मोटा टोपा घुसाया जिससे मेरी मुँह से ‘आह … ईईस्स्स’ निकल आई.


और वे मेरी चूत में धीरे–धीरे पेलने लगे.

मैं ‘आह … आह … ईईस्स्स’ करते हुए सिसकने लगी.


भुवन जी का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर घुसता चला जा रहा था.


जब भुवन जी का लंड मेरी चूत में अंदर तक जाने लगा तब वो थोड़ा चढ़ कर ज़ोर–ज़ोर से चोदने लगे थे.

और उनके आंड मेरी गांड से लग–लग कर थप … थप … की आवाज़ कर रहे थे.


मैं आहह … ईईस्स्स … आहह … करते हुए सिसक रही थी.

भुवन जी का मोटा लंड मेरी चूत खोलता जा रहा था.


मेरी चूत पहली बार किसी मोटे लंड से चुदा रही थी इसीलिए बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.


अब मेरी चूत से चिपचिपा तरल निकलने लगा था जो मेरी चूत से निकल कर गांड तक जा रहा था.


फिर कुछ देर बाद भुवन जी ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला और मेरी चूत की चिपचिपा तरल को पौंछ दिया.


उसके बाद भुवन जी ने मुझे घोड़ी बनने को कहा और मेरी गांड फैला के चाटने लगे.


तब मैंने कोई नखरे नहीं किये और भुवन जी को गांड चाटने दी क्यूँकि मुझे मज़ा आ रहा था.


फिर भुवन जी मेरी गांड चाट कर मुझे बिस्तर के किनारे लेकर आए ताकि वो खड़े होकर पीछे से चोद सकें.


और फिर भुवन जी ने मेरी देसी लड़की की चूत में अपना लंड घुसाया और एकदम से कस–कस के धक्के लगाने लगे.


तब मैं ‘ईईस्स्स … आहह … उउह्ह्ह’ करते हुए सिसकने लगी थी और भुवन जी मेरी चूत कस–कस के चोद रहे थे.


अचानक से भुवन जी मुझे चोदते हुए मेरे बाल पकड़ लिए और ज़ुल्मी अंदाज़ में चोदने लगे.


तब मेरी हालत ख़राब होने लगी थी और मैं ‘आह … ईईस्स्स … उह्ह्ह … आह!’ करते हुए सिसक रही थी.

उसी दौरान भुवन जी मुझे पीछे से चोदते हुए मेरे ऊपर सावर हो गए और चोदते रहे.


मैं ‘आह … ई ईस्स् … आह’ करती रही और भुवन जी मुझे चोदे जा रहे थे.

और साथ ही वे मेरी चूचियों को दबोच कर कस–कस के दबा रहे थे.


मैं भुवन जी के भार को ज्यादा देर तक संभाल नहीं पाई और पूरी लेट गई.

लेकिन भुवन जी तब भी मुझे चोदे जा रहे थे और तब उन्होंने अपने दोनों पैरों से मेरी पैरों को फैलाए हुए थे ताकि मैं कोई हरकत ना कर पाऊं.


उस समय मेरी बहुत बुरी हालत हो गई थी.

मैं पसीने से तरबतर हो गई थी और गंदी–गंदी महक भी आ रही थी.


उसी समय भुवन जी मेरी चूत में ज़ोर–ज़ोर के धक्के दिए जिससे मैं ‘आहह … आहह … ईईस्स्स’ करते हुए सिसकी.

और तभी मुझे मेरी चूत में कुछ गर्म गर्म महसूस हुई और भुवन जी भी शांत हो गए.

पर वे मेरे ऊपर ही लेटे रहे.


मैं समझ गई कि भुवन जी झड़ चुके हैं.

और तब मैंने चैन की सांस ली.


लेकिन शाम को फिर से भुवन जी ने मुझे चोदा.

और रात के 8 बजे मैं घर पहुँची थी ढेर सारी शॉपिंग बैग के साथ.

मेरी दीदी समझ गयी थी कि मैं आज खूब अच्छे से चुद कर आई हूँ.

पर उसने कुछ नहीं कहा मुझे.


लेकिन ये तो शुरुआत थी दोस्तो!

आगे की कहानी अगली बार में बताऊंगी क्योंकि यह काफ़ी लम्बा सिलसिला है.


तब तक आप लोगों को मेरी देसी लड़की की चूत कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल करके बताएं.

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