बस में अजनबी भाभी को लंड चूसवाया - Antarvasna Sex Stories
- Rajat Rana
- Nov 1
- 9 min read
सभी पाठक पाठिकाओं को मेरे खडे लंड का सलाम ।
तो इस रसभरी सत्य कथा का मज़ा लीजिये और पढ़ते पढ़ते जैसे चाहें मज़ा लीजिये पर मुझे अपने कमेंट्स नीचे लिखी मेल आई डी पर जरूर लिखिए.
दोस्तो, मेरा नाम रजत है.
मैं आपको बताऊं कि मैंने बस में मिली एक भाभी को रात भर कैसे चोदा और लंड चूसाया.
मैं अपने बारे में बता दूँ. मैं 32 साल का हूँ, मेरा कद 5.5 फीट है।
इस पोर्न कहानी में मैं आपको वह घटना बताने जा रहा हूँ, जब मैं जयपुर से बनारस जा रहा था.
मैंने पहले बस से दिल्ली जाने का फैसला किया उसके बाद दिल्ली से बनारस के लिए.
मैंने बस स्टैंड न जाकर ट्रांसपोर्ट नगर से बस पकडी.
रात के लगभग 8 बजे एक रोडवेज बस आई, जब मैं बस में चढा तब पता लगा भीड ज्यादा थी इसलिए मैं आगे केबिन की तरफ जाकर केबिन का जो शीशा लगा रहता है उस को थोडा सा खिसका कर बैठ गया, अब मुझे पूरी बस दिखने लगी.
जो बस में सफर करते हैं, उन्हें पता होगा कि बस के दोनों तरफ सीट होती हैं. एक तरफ वाली सीट पर 3 लोग बैठ सकते हैं और दूसरी तरफ वाली सीट पर 2 लोग बैठ सकते हैं.
बीच में खाली जगह आगे पीछे आने जाने के लिए होती है.
मैंने देखा एक सीट पीछे 3 लोग वाली विंडो साइड सीट पर एक दूध सी गोरी, काली आंखों वाली किसी अप्सरा जैसी एक भाभी बैठी थी.
मैं उसे देखता ही रह गया थोड़ी देर बाद मै होश मे आया तो मैंने उधर से नजरें हटा ली पर भाभी ने मुझे अपनी तरफ देखते हुए देख लिया था जो कि उन्होंने मुझे बाद मे बताया.
बस निकल चुकी थी कि तभी एक बार फिर हम दोनों की नजरें एक-दूसरे से मिली और मैंने डर की वजह से अपनी नजर दूसरी तरफ कर लीं ।
वो लगभग 25-28 साल की होगी, अबकी बार मैंने पूरे साहस से एक बार फिर उनकी तरफ देखा और थोड़ा मुस्कुराया उन्होंने कुछ नहीं कहा फिर तो मेरी हिम्मत थोडी बढ गयी।
फिर जब भी वो मेरी तरफ देखती तो मैं मुस्कुरा देता कुछ देर बाद वो भी एक बार हल्की मुस्कुरा कर विंडो से बाहर देखने लगी.
फिर करीब आधा घंटे तक उसने मेरी तरफ नहीं देखा।
कुछ यात्री सोने लगे, मैं जाग रहा था और एक नजर फोन को और एक नजर भाभी को देख रहा था।
भाभी भी जाग रहीं थीं और अपने फोन का उपयोग कर रही थी।
मुझे लगा कि वह अब फोन में घुसी रहेगी, पर थोडी देर बाद उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा और नजर हटा ली।
एक मिनट बाद फिर से मेरी तरफ गुस्साए अंदाज में देखा, मगर अबकी बार मैं तैयार था तो मैने अपने गाल पर हाथ रख कर अंगूठे और उंगली को मिलाकर और बाकी तीन उंगलियां खोल कर awesome (👌 ) का इशारा कर दिया।
मेरा इशारा देखकर भाभी जोर से हंस पडी। उनके बगल वाले अंकल उनकी तरफ देखने लगे। मगर भाभी अपने फोन मे देखने लगी अंकल को लगा शायद फोन मे कुछ देखकर हसीं होंगी ।
थोडी देर बाद भाभी ने फिर से मेरी तरफ देखा तो मैने आंखो के इशारे से पूछा, क्या हुआ?
तो उन्होंने सिर ना में हिला दिया.
उस के बाद मैं और भी इशारे करने लगा और वो जवाब भी देने लगी.
कुछ देर बाद उसने अपनी आंखे बंद कर लीं और सो गई।
मैं भी ज्यादा ध्यान ना देते हुए अपने मोबाइल पर गाना सुनने लगा और मुझे भी झपकी लग गई ।
इसी तरह रात के ग्यारह बज गए थे और बस किसी हाईवे पर ढाबे पर जाकर रुक गई.
मेरी नींद खुल चुकी थी मगर मैंने अपनी आंखे नहीं खोली इसलिए उसने मुझे हाथ लगा कर जगाया और कहा- सुनिए बस किसी ढाबे पर रुकी है, चलिए कुछ खाकर आते हैं।
उसके छूने मात्र से ही मेरे मन में मानो लड्डू सा फ़ूटने लगा था।
मैं मान गया और हम दोनों उतर गए।
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
तो उसने बताया- रीता
फिर उसने मुझसे मेरा नाम पूछा, तो मैंने बताया- रजत.
दोनों ने मिल कर एक ही थाली मंगवाई और साथ-साथ खाना खाया. सबसे पहले हम दोनों ही वापस बस में आ गए.
मै केबिन की तरफ जाने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकडा और पूछा कहां जा रहे हो?
मेंने कहा-अपनी जगह पर तो उसने बताया कि अंकल जी की सीट यहीं तक थी और वो उतर कर जा चुके हैं।
मैने पूछा तुम्हें कैसे पता तो बोली जब तुम सो रहे थे तब मैने उनसे पूछा था। अब तुम यहां बैठ सकते हो ।
उस वक्त बस में हम दोनों ही अकेले थे,दोनों इधर उधर की बात कर रहे थे.
एकाएक मैंने कहा- आपके होंठ बहुत खूबसूरत हैं, एकदम गुलाब की पंखुड़ी जैसे।
रीता ने कहा, अच्छा बच्चू पटाने की कोशिश कर रहे हो
मैंने उससे छेड़ते हुए कहा- पट तो आप तभी गईं थीं जब हसीं थीं।
रीता - हां वो तो है, अच्छा मेरा चुम्बन लेकर देखो और बताओ कि गुलाब कैसा है। कह कर रीता ने मुझे आंख मार दी.
मैने अचानक उसे पकड़ा और होंठों को चूसने लगा वो पहले तो घबराई मगर बाद में मेरा साथ जोर-शोर से देने लगी
चुम्बन लेते समय मेरा हाथ रीता के ब्लाउज के ऊपर से उसकी छाती पर चलने लगा.
कुछ देर बाद उसने मुझे दूर करते हुए कहा- छोडो, कोई देख लेगा.
मैंने कहा यार गुलाब का फूल तो बडा हो गया मगर स्वाद अभी भी कच्ची कली जैसा है इस पर वो शरमा कर खिडकी से बाहर देखने लगी।
अब बस मे यात्री आने लगे मगर मैने देखा कि बस लगभग खाली हो गई थी। मुश्किल से 12-15 यात्री ही बस मे बचे थे।
मैने रीता से पूछा तो उसने बताया कि पिछले स्टाप पर ही लगभग सारे लोग उतर गये। कोई नेता की रैली है सुबह और सब लोग आगे जगह पाने के लिए रात मे ही आ गये हैं।
मैने कुछ लोगों को आपस मे यही बात करते सुना।
अब आगे वाली 4 सीट पर हम दोनो ही बचे थे और सब लोग हमे पति - पत्नी समझ रहे थे।
कुछ समय में बस ढाबे से निकल कर हाईवे पर आ गई और ड्राइवर ने सारी लाइट्स बंद कर दीं सिर्फ एक छोटी लाइट को छोड़कर।
कुछ देर हम दोनों बातें करने लगे।
अक्टूबर का महीना था तो हल्की ठंड थी मैने अपने बैग से एक चद्दर निकाली और दोनों ने ओढ ली।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि पूरी बस मे सबने देखा था कि हम शुरूआत मे अलग अलग बैठे थे। मगर भीड ज्यादा होने की वजह से सिर्फ आगे वाले लोग ही हमे देख पाये थे और वो सभी अब उतर गये थे।
चूकि सब लोग हमे पति - पत्नी समझ रहे थे, इसलिए किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था, फिर सब लोग अपनी अपनी दुनियां में व्यस्त हो गए, तो मैंने आगे बढ़ने का सोचा।
वो थोड़ी सी घबराई हुई दिख रही थी। मैं उसके साथ एकदम चिपक कर बैठ गया और उसकी जांघों पर धीरे धीरे हाथ फिराने लगा। जिससे वो गर्म होने लगी और उसके मुँह से मस्ती वाली सिसकारियां निकलने लगीं।
मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर फेरते हूए उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
मेरा लंड एकदम टाइट और गर्म हो चुका था.
उसने घबरा कर एकदम अपना हाथ पीछे खींच लिया.
मैं एक हाथ से उसकी जांघ को सहला रहा था. मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके एक मम्मे को पकड़ लिया और सहलाने लगा.
आहह … क्या मज़ा आ रहा था. उसके दूध एकदम टाइट थे और उसके निप्पल बिल्कुल तने हुए थे, मैंने धीरे से अपने अंगूठे और उंगली से उसके निप्पल को दबा दिया, वो दर्द से तड़प उठी और उसके मुँह से सिसकारी निकल गयी।
फिर दोनों ने अपने-अपने कपड़े ढीले कर दिए। मैने रीता के ब्लाउज मे हाथ घुसा दिया और रीता ने मेरे पैन्ट में हाथ घुसा कर मेरे लंड को पकड लिया और बोली हाय मेरी मैया इतना बडा लंड है तुम्हारा तो यार।
उसकी नर्म मुट्ठी में लंड टाइट हो कर फड़फड़ाने लगा।
मैने कहा तुमको हाथ मैं बडा लग रहा है वरना चूत के हिसाब से तो छोटा है।
वो बोली नहीं बाबू मेरी चूत भी इतनी बडी नही है। मैने फिर से एक बार उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और रीता की जुबान को चाटने लगा। क्यूंकि हम बस में थे इसलिए ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे।
हम दोनों के होंठ आपस में चिपके हुए थे। दोनों ही जीभ से एक दूसरे की जीभ और होठों को चाट रहे थे।
मैं कभी दूध को दबाता और कभी मसलता तो कभी बच्चे के जैसे चूसने लगता।
करीब आधा घंटा तक हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे को रगड़ रहे थे।
मैंने अपना एक हाथ अन्दर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा, वो पागल हो गयी, उसकी आंखें बंद हो गईं और उसकी सांसें भारी होने लगीं।

मैं उसकी चूत को सहलाते हुए ही उसके ऊपर से उसके दूध को चूसने लगा। अब तो वह बहुत छटपटाने लगी, मैंने आगे से उसकी चड्डी में अपनी उंगली डाल कर उसे नीचे खींचने लगा। इस से पैंटी आगे से नीचे सरक गयी पर पीछे से नही सरक पाई।
उसने कहा- रजत कोई देख लेगा यार,
मैंने कहा- डार्लिंग, चुदाई तो चड्डी उतार कर ही होगी ना।
उसने कहा- बाबू पूरी चुदाई दिल्ली मे कर लेंगे प्लीज, अभी मै तुम्हारा पानी निकाल देती हूॅ।
मैंने कहा- ओके डार्लिंग पर चड्डी तो पूरी उतार दो, चूत के दर्शन तो करवा दो।
वो ओके कहकर अपनी सीट पर थोड़ा ऊपर उठी और मैंने झट से उसकी चड्डी को नीचे खींच लिया और उसके पैरों से बाहर निकाल दी, अब वो नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी और मेरा हाथ उसकी चूत सहलाने लगा था।
वो गर्म होने लगी और उसकी आंखें बंद होने लगीं। तभी मैंने अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल दी और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। उसने भी गर्म होकर मेरे लंड को पकड़ लिया और ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और हाथ अन्दर हाथ डाल कर उसके दोनों मम्मों को ब्रा से बाहर निकाल दिया। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था, दूसरे हाथ से उसके एक मम्मो को बेरहमी से मसल रहा था।
हम दोनों ही मस्ती मे थे,मैं अपने दांतों से उसके निप्पल को काटने लगा और उसके मम्मो को बच्चे की तरह चूसने लगा।
उसने अपनी मुट्ठी को और भी टाइट कर लिया और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगी।
मैंने अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा। करीब 30 मिनट की इस उंगली चुदाई के बाद उसका पूरा बदन अकड़ गया। मैं समझ गया कि उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथ को रोक दिया, वो ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी।
वो बड़े प्यार से मुझे देखती हुई मुस्कराने लगी।
मैंने कहा- तुम्हारा तो हो गया पर मेरा क्या होगा।
उसने प्यार से कहा - अब मैं पूरे रास्ते ऐसे ही नंगी बैठूंगी तुम्हारे लिए, ओके?
तब मैंने उससे कहा- रीता मेरे लंड को चूसो ना, इसे भी तुम्हारे मुँह का स्वाद चखा दो।
उसने कहा - ओके रुको कुछ करती हूं।
फिर उसने मुझे सीट पर थोडा खिसकने के लिए कहा।
जब मैं थोड़ा दूर हुआ तो उसने अपना मुँह खोला और मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया।
अब मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगीं - आह आह।
मैंने उसके पीछे की साइड से उसकी साडी को उठा दिया और उसके चूतड को पूरी तरह से नंगा करके अपने हाथ से सहलाने लगा।
इससे उसे और भी मज़ा आने लगा और उसने ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह को मेरे लंड से चोदना शुरू कर दिया।
और इसी दौरान मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
नीचे से रीता अपने मुँह से मेरे लंड को चूस रही थी।
थोडी देर बाद मेरे लंड से मेरी मलाई की पिचकारी निकलने लगी और रीता ने सारी मलाई अपने मुँह मे भर ली और शरारती मुस्कुराहट के साथ मुझे देखने लगी।
मै अपने ही मजे मे था तो उसकी मुस्कराहट पर ध्यान नहीं दे पाया, इतने मे रीता उठी और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए।
अब मुझे समझ आया रीता क्यों मुस्करा रही थी पर तब तक बहुत देर हो गई थी और रीता ने सारी मलाई अपने मुँह में से मेरे मुँह मे उडेल दी जिससे कुछ मलाई मेरे अंदर चली गई कुछ मेरे मुँह मे रह गई।
मेरा आधा वीर्य जो मेरे मुँह मे था वो मैंने दोबारा से रीता के मुँह मे डाल दिया जिसे वो बडे प्यार और सम्मान के साथ पी गई।
फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों से हटा लिए।
मैने उसकी तरफ देख कर पूछा ये क्या था तो उसने हंसते हुए बोला तुम्हारा प्यार था जोकि हम दोनों ने बराबर बांट लिया,
उसकी इस बात पर मैं भी मुस्कुराने लगा।
फिर उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया।
और मेरे लंड को चड्डी के अन्दर कर दिया, फिर रीता ने अपनी साडी व ब्लाउज को ठीक किया और वो सीधी होकर अपनी सीट पर बैठ गयी, मैं भी अपने कपड़े ठीक करके उसके पास बैठा रहा।
रीता प्यार से मुझे देख रही थी, उसके होंठों पर एक बड़ी सी मुस्कान थी।
उसने मुझे चूमते हुए कहा- थैंक्यू
मैंने कहा-थैंक्यू तुम्हें भी।
फिर वो बोली बाबू तुम्हारे लंड की असली परीक्षा तो दिल्ली जाकर होगी।
मैंने उसे ऑंख मारते हुए कहा बिल्कुल और तुम्हारी चूत की भी।
वो मुस्कुराई फिर वो मेरे कंधे पर अपना सिर रख कर सो गई।
दिल्ली में कैसे मेने उसकी चुदाई की वो सब में अगली कहानी में बताऊंगा
दोस्तो और सहेलियो, मुझे पता है आपको मेरी Antarvasna Sex Stories पसंद आई होगी. मेल और कमेन्ट जरूर करें
आपके comment आएंगे तभी तो लिखने का जज्बा आएगा। Love u all।
आपका इंतज़ार रहेगा। धन्यवाद.

Good story hai na