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बहन की फटी चुत की चुदाई - Incest Sex Stories

Updated: Oct 27

दोस्तो, मेरा नाम अवी है और मैं बरेली यूपी का रहने वाला हूँ.

यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी बहन के बारे में है और एकदम सच्ची Incest Sex Stories है.


बात उस समय की है, जब मैं 12 वीं में था और मेरी बड़ी बहन बीए में थी.


उस समय हम दोनों गांव से शहर में आकर पढ़ाई कर रहे थे. हमने एक रूम किराये पर ले लिया था.

उधर उस कमरे में हम दोनों भाई बहन ही रहते थे.


चूंकि बचपन से ही हम दोनों साथ में सोते आए थे तो वहां भी हम दोनों साथ में ही सोते थे.

इसका कारण एक ये भी था कि उस कमरे में ज्यादा जगह भी नहीं थी. रहने और खाना बनाने के ही किसी तरह जगह पूरी हो पाती थी.


इस तरह के कमरे के बारे में उन लोगों को अधिक पता होगा, जो किराए पर ऐसे किसी कमरे में रहे हैं.


आपको सही बात बताऊं तो शुरूआत में मुझे अपनी बहन के लिए ऐसे कोई विचार नहीं थे.

लेकिन जवानी चढ़ने लगी तो मन विचलित होने लगा.


मैं पोर्न देख कर खुद को ठंडा कर लिया करता था.

पर पहली बार जब कामवासना पर बहन भाई सेक्स कहानी पढ़ने को मिली और समाज में भाई बहन के बीच सेक्स रिश्ते जाने तो मेरा भी मूड बदल गया.


उसके बाद मैंने पहली बार अपनी बहन के भरे हुए जिस्म को सेक्स की निगाह से देखा.

मैंने जाना कि मेरी बहन भी अब पूरी तरह से चुदाई के तैयार हो चुकी है.

उसका मादक बदन मुझे एक चोदने लायक माल लगने लगा. अब मैं उसको कामुक नजरों से निहारने लगा था.


एक बार जब मैं सुबह टॉयलेट में बैठा था और मेरी बहन नहा रही थी.

तब मुझे लगा कि जो टॉयलेट और बाथरूम के बीच की दीवार है.

इसका थोड़ा फायदा उठाया जाना चाहिए.


मैंने सोचा कि कोशिश करके देखता हूँ शायद कोई देखने की जगह बन जाए.


हम जिस कमरे में रहते थे, उसमें प्लास्टर नहीं किया हुआ था.

इसलिए उसकी दीवार में छेद करना आसान था.


जब मैंने दीवार में छेद करने की सोची, तब देखा टॉयलेट और बाथरूम के बीच की दीवार की ब्रिक्स पहले की थोड़ी हिली हुई थीं.

शायद उसे बनाते टाइम नीचे मिट्टी बैठ गई होगी, जिससे उधर से दीवार थोड़ी चटकी थी.

मैंने अगले ही दिन नहाते समय हल्का सा सरिया डालकर दो गुम्मों के बीच में एक गैप बना दिया था.


अब बारी थी, किए हुए काम का रिज़ल्ट पाने की.


अगले दिन जैसे ही मेरी बहन नहाने के लिए बाथरूम में गई, तो में तुरंत टॉयलेट में घुस गया और उस बनाई गई दरार से बहन को देखने की कोशिश करने लगा.


जैसे ही मैंने दरार में से झांका, मेरे तो होश ही उड़ गए.


अपनी बहन की चूचियां देख कर मैं सन्न रह गया.

क्या गजब की चूचियां थीं, बिल्कुल टाइट और नुकीली चूचियां, एकदम कठोर पत्थर सी.


बहन के दूध देख कर मुझे ऐसा लगा कि अभी पकड़ लूं और मुँह में भर लूं.


उस दिन मैंने पहली बार अपनी बहन की नंगी चुचियां देखी थीं.


मैंने उस दिन बहुत कोशिश की कि उसकी चुत भी देखने को मिल जाए, लेकिन नहीं हो पाया.


उसके दोनों मदमस्त कर देने वाले चुचों के मैंने भरपूर दीदार किए और मुठ मार कर बाहर आ गया.


अब मेरा ये सिलसिला रोज का हो गया था.

मैं रोज सुबह सुबह उसकी चुचियां देखता था और मुठ मार लेता था.


इसके बाद तो कुछ ऐसा चस्का चढ़ा कि मैंने अपनी बहन की ही नहीं, अपने मकान मलिक की दो लड़कियों की भी चुचियां देखना शुरू कर दिया था और मुठ मारने लगा था.


मेरी बहन की चुचियां मुझे ज्यादा अच्छी लगती थीं लेकिन बहन की चुत के दीदार सिर्फ दो बार ही हुए थे.


वो भी जब, जब वो कपड़े बदली करती थी.


फिर मैं सोचने लगा कि बहुत मुठ मार ली. अब ऐसा क्या किया जाए कि मैं अपनी बहन को चोद लूं.


ये सोचने के बाद मेरे मन में उसको चोदने का प्लान शुरू हो गया.


एक दिन की बात है, मैं क्रिकेट खेल रहा था, तो बॉल मेरे अंडकोष में लग गई. जिसकी वजह से गोटियों में हल्का दर्द हो रहा था.


मैं रात को चुपचाप लेटा था, तभी मेरी बहन ने मुझसे पूछा- क्या बात है, तू इतना उदास और चुप क्यों है?

मैंने उसे कुछ नहीं बताया और अपना पोता पकड़े हुए लेटा रहा.


काफ़ी देर के बाद मैं सो गया.

मेरा दर्द खत्म ही नहीं हो रहा था, मुझे बड़ी दिक्कत होने लगी थी.


फिर एक दो दिन बाद जब नहीं रहा गया, तो मैंने अपनी बहन को बताया कि क्रिकेट खेलते समय मेरे नीचे बॉल लग गई है.

उसने मुझसे पूछा कि यदि ज्यादा प्रॉब्लम है, तो दवा ले आओ.


मैं चला गया लेकिन मैं कोई दवा नहीं लाया और मैंने वापस आकर उनको बताया कि एक बंदे ने देसी नुस्खा बताया है. उसने कहा है कि एलोपैथिक मेडिसिन ज्यादा सही नहीं होती है. इसलिए बाम का प्रयोग करो.


मेरी बहन मेरी तरफ देखने लगी कि बाम से क्या होगा.


फिर मैंने उस बंदे के दवारा बताई झंडू बाम का इस्तेमाल करने के बारे में बहन को बताया.

वो बोली- ठीक है … जैसा सही लगे, कर लो.


फिर मैंने जब पहली बार झंडू बाम लंड के नीचे लगाई तो उसकी ठंडक भरी जलन से मेरी तो समझो गांड फट गई.

मुझे लगा कि जैसे आज मेरे टट्टे टपक ही जाएंगे.


पहले तो मैं हाथ से लंड और गोटे दबाए पड़ा रहा.

लेकिन बाम से इतनी अधिक जलन हुई कि मैंने बहन को बता दिया कि यार इसे लगाने से तो बहुत जलन हो रही है.

उसने बोला- थोड़ा सहन करते रहो, अगर फायदा हो रहा है तो अच्छी बात है.


इससे पहले मैं लोवर पहन कर सोता था, लेकिन जब झंडू बाम ने इतनी अधिक जलन दी, तो मैंने लोअर की जगह हाफ निक्कर पहन लिया और सोने लगा.


ये निक्कर काफी ढीला ढाला था और थोड़ा ज्यादा खुला हुआ था. इसमें नीचे से थोड़ी हवा अन्दर जाती थी, तो मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.


फिर 5-6 दिन में सब दर्द ठीक हो गया और मैं बिल्कुल ठीक हो गया.


लेकिन अब मेरे अन्दर इस मौके का फायदा उठाने का मन करने लगा था.

मैं झंडू बाम ना लगा कर ऐसे ही लेट जाता था.


इसी बीच एक दिन मैं जल्दी सो गया और सोने से पहले ही मैंने निक्कर को हल्का सा फाड़ दिया ताकि मेरा लौड़ा निक्कर से आसानी से बाहर आ सके.

मैंने अपना लंड उस फटी हुई निक्कर में से बाहर निकाल लिया.


अब मैं सोने का नाटक करने लगा.


जब मेरी बहन आई और सोने लगी, तो उसने देखा कि मेरा मोटा औजार तो बाहर निकला पड़ा है.

पहले तो उसने काफ़ी देर मेरे फूले हुए लंड को देखा.

मेरा लौड़ा खड़ा था इसलिए काफ़ी बड़ा दिख रहा था.


काफ़ी देर तक लंड देखने के बाद उसने मुझे जगाने के लिए आवाज़ दी लेकिन मैं टस से मस भी नहीं हुआ.


फिर उसने मेरा लौड़ा अपने हाथों से हल्के से पकड़ा और उसको निक्कर के अन्दर करने की कोशिश की.

लेकिन लौड़ा इतना मोटा और लंबा था कि वो अन्दर ही नहीं गया.


दो तीन बार कोशिश करने के बाद उसने उसको उधर ही छोड़ दिया और वो मुझसे थोड़ा दूरी बना कर लेट गई. फिर मुझे भी पता नहीं चला कि मैं कब सो गया.


जब मैं सुबह उठा तो मैंने ऐसे रिएक्ट किया, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं था.


लेकिन उस दिन मेरी बहन ने मुझको बोला- तुम लोवर पहन कर सोया करो.

मैंने उससे कहा- हां, मैं तो वैसे ही लोअर पहन कर सोता हूँ. मगर आजकल अभी झंडू बाम लगाने की वजह से निक्कर पहनता हूँ. जब ठीक हो जाएगा, तब लोअर पहनने लगूंगा.


इस पर मेरी बहन कुछ नहीं बोल पाई.


मैं अब रोज रात को बहन के आने से पहले लेट जाता और रोज उनको अपने लंड के दीदार करवा देता.

वो भी शुरूआत में थोड़ा असहज थी, बाद में नॉर्मल हो गई.


अब वो रोज मेरे साथ पहले जैसे सामान्य लेटने लगी. वो अब लेटने के बहाने सोते सोते मेरे लंड को टच भी करने लगी थी.

यह मेरे लिए एक शुभ संकेत था.


अगले दिन जब मैं पढ़ रहा था तो वो पहले ही लेट गई.

उसके बाद में मैं लेटा.


लेटते ही मैंने निक्कर के नीचे फटे हुए हिस्से से अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और सोने लगा.


थोड़ी देर बाद बहन ने मेरी तरफ़ करवट ले ली, जिससे मेरी नींद भाग गई और मैं सोया नहीं.


थोड़ी देर बाद उसने अपने शरीर में खुजली करने के बाद अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और शांत होकर लेट गई.

उसने ऐसा कोई रिएक्श्न नहीं किया जिससे लगे कि उसने जानबूझ कर लंड टच किया हो.


वो मेरे लौड़े पर हाथ रख कर ऐसे लेटी थी … जैसे अंजाने में सोते हुए हाथ रख दिया हो.

मैं भी चुपचाप लेटा रहा.


थोड़ी ही देर में उसने मेरे लंड को हल्के हल्के से मसलना शुरू कर दिया.

वो बहुत हल्के हल्के से मेरे लंड को मसल रही थी लेकिन अब मैं उत्तेजित हो चुका था.


मैंने भी अपना एक हाथ उसके हाथ पर रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर तेज़ी से लौड़ा हिलवाने लगा.


थोड़ी देर तक लंड हिलवाने के बाद मैं रुक गया और मैंने अपना हाथ हटा लिया.


इसके थोड़ी देर बाद बहन ने भी अपना हाथ हटा लिया और हम दोनों सो गए.


सुबह हम दोनों ने ही ऐसे रिएक्ट किया जैसे रात में कुछ हुआ ही ना था.


ये लंड सहलवाने का काम हम दोनों के बीच चुदाई के सबंध बनने की शुरुआत थी.


इसके बाद अगली रात भी वो पहले लेट गई.

उसके बाद मैं लेटा और थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और वो उसको सहलाने लगी.


मैं भी उसका साथ देने लगा.

ये क्रिया सात दिन चली.


इस बीच मैंने एक चीज़ का अनुभव और किया कि जो पहले मेरी बहन पैंटी पहनकर नहाती थी, अब वो पैंटी निकाल कर नहाने लगी और मुझे उसकी चुत के रोज दीदार होने लगे.


बहन की चुत भी एकदम फूली सी थी और उस पर हल्के भूरे रंग के बाल थे.

उसकी चुत को देख कर मैं रोज मुठ मारने लगा था.


सात दिन तक रोज रात को लंड के मसलने के प्रोग्राम के बाद एक दिन मैंने लंड को सहलवाते हुए अपने हाथों से उसकी चुचियां भी धीरे से मसल दीं.

जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने जोर से खूब मसलीं.


उस दिन उसकी सांसें भी तेज हो गई थीं.


मैंने जैसे ही अपना हाथ नीचे उसकी चुत की तरफ बढ़ाया और उसके पेट पर फेरते हुए नीचे ले जाने लगा, तो देखा कि उसने सिर्फ सलवार पहनी हुई थी. वो भी बहुत टाइट, जिससे मेरा हाथ अन्दर नहीं गया.


लेकिन उस रात मैंने उसकी दोनों चुचियों को खूब मसला और सो गया.

सुबह सब रोज की तरह ही नॉर्मल था, मेरी बहेन ने मुझे रात की किसी भी बात के लिए कुछ नहीं कहा.

इससे मेरी हिम्मत काफी बढ़ गई.


अब तक कुछ अनजाने में ही चलने जैसा हो रहा था.

हम दोनों को भी अभी एकदम से खुलने का मूड नहीं बन सका था.


रात को जब हम दोनों सोने लगे तो उस रात बहेन ने बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की.

वो खाना खाकर जल्दी से बिस्तर पर लेट गई.


उसे देखकर मैं भी थोड़ी देर में उसके बाजू में लेट गया.


मैंने देखा कि रोज की तरह बहेन सो चुकी है इसलिए मैंने भी अपना लौड़ा निकाला और सोने लगा.


थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया और उसने लंड मसलना शुरू कर दिया.


मेरी बहेन को मेरा लौड़ा पकड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी.

वो मेरे लंड पर हाथ से रख कर सीधे ही लंड मसलने लगी.


मैंने भी देर न करते हुए उसकी चुचियां मसलना शुरू कर दीं.


अपनी सगी बहेन की चुचियां मसलते हुए मैं अपने हाथ को उसके पेट पर फेरते हुए नीचे ले गया.


मैंने देखा कि आज उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोल रखा था और अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी है.


ये देखकर मेरा लंड अब और ज्यादा फड़ाफड़ाने लगा.


मैंने अपना हाथ उसकी चुत पर रख दिया और चुत को मसलने लगा.

इससे बहेन की सांसें तेज हो गईं और उसने मेरे लंड को तेज़ी से मसलना शुरू कर दिया.


काफी देर तक लंड मसलने के बाद मैंने एक हाथ से उसका हाथ रोका और अपना निक्कर निकाल कर अपना लंड उसे दोबारा पकड़ा दिया जिसे वो दोबारा मसलने लगी.

इसके साथ ही मैंने उसकी भी सलवार नीचे तक निकाल दी.


थोड़ी देर उसकी चुत मसलने के बाद उसने मेरी तरफ़ अपनी पीठ करके करवट ले ली.

जिससे मैं समझ गया कि अब चुदाई का टाइम आ गया है.


मैं देर ना करते हुए उससे चिपक गया और उसके मम्मों को मसलने लगा.


फिर मैंने धीरे से उसके एक टांग को अपनी तरफ करके उठा सा लिया जिससे उसकी चुत में लंड डालने के लिए जगह बन गई.


मैंने लंड के सुपारे से चुत की फांकों को घिसा तो उसकी चुत के गीले होने का मस्त अहसास हुआ.


देर ना करते हुए मैंने अपना लंड उसकी चुत में दाखिल कर दिया.

लंड का सुपारा ही अभी बहेन की चुत में घुस सका था.


मैंने एक तेज शॉट मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चुत में बिना किसी अवरोध अन्दर घुसता चला गया.


मैं समझ गया कि मेरी बहेन ऑलरेडी लंड का मजा ले चुकी है. उसकी चुत फटी हुई है.


लेकिन मैंने इन सब बातों पर ध्यान ना देते हुए उसकी चुदाई शुरू कर दी.

लंड तेजी से चुत में चलने लगा और मैं उसके दूध मसलता रहा.


उसकी सांसें भी बहुत तेज़ हो गई थीं.

मैं आज मानो सागर की गहराई नाप रहा था.

मेरी बहेन की चुत की गहराई खत्म ही नहीं हो रही थी.


बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं झड़ गया.

मैंने अपना पानी उसकी चुत में ही निकाल दिया.


लंड झड़ा तो मैंने अपना लंड अपनी बहेन की चुत में ही पड़ा रहने दिया और यूं ही उससे चिपक कर सो गया.

वो भी लंड चुत में लिए सो गई.


मैंने जानबूझ कर ऐसा किया था ताकि कल से हम दोनों खुल्लम खुल्ला सेक्स कर सकें.

अभी हमें एक दूसरे से कहने में शर्म आ रही थी लेकिन सेक्स कर चुके थे.


सुबह मेरी बहेन जल्दी उठ गई और मैं देर से उठा.


जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मैं बिस्तर पर लेटा हूँ और वो नहा कर आ रही है.


मुझे जगा हुआ देख कर मेरी बहेन बोली- जल्दी उठो और तैयार हो जाओ. कब तक सोओगे.


उसका रिएक्श्न ऐसा था कि मानो रात को कुछ हुआ ही ना हो.


मैं बहुत चक्कर में पड़ गया कि ये सब क्या हो रहा है. फिर मैंने महसूस किया कि मैं तो अभी भी चादर ओढ़कर नंगा पड़ा हूँ. तभी मेरे दिमाग़ में आइडिया आया.


मैंने कहा- दीदी मेरे नीचे गोली दर्द कर रही है … तो मैं अभी आराम करूंगा.

उसने कहा कि ठीक है, लेकिन अगर दर्द ज्यादा हो रहा है, तो दवा लगा लो.


मैंने कहा कि नहीं वो ठीक हो जाएगा क्योंकि रात को दुख गया था, इसलिए दर्द हो रहा है.

बहेन ने कहा- अगर निक्कर में गोली दबने से दर्द हो जाता है, तो कोई बात नहीं, तुम बिना निक्कर के सिर्फ चड्डी में ही सो जाओ.


मैंने कहा- दीदी में तो केवल निक्कर ही पहनता हूँ. चड्डी के बिना ही लेटता हूँ मेरी निक्कर फटी होने की वजह से वो रात को बाहर निकल गया होगा. मुझे पता ही नहीं चला कि कहां टकरा गया. शायद उसी से थोड़ा दर्द होने लगा.


मेरा इतना कहते ही दीदी की शर्म खत्म हो गई और वो बोली- बता मैं देखूं कि तुझे दर्द होता कहां पर है.

इतना कहते ही उसने मेरी चादर खींच कर हटा दी.


मेरा लंबा और मोटा लंड उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था.


खड़ा लंड देखकर बहेन चौंक गई और उसने तुरंत चादर वापस लंड पर डालते हुए कहा- मैंने थोड़ा देखने को कहा था … पूरा नहीं.


वो बाहर चली गई. इसके बाद मैं भी थोड़ा शर्मा गया था.


दीदी के जाने के बाद मैं उठा और तैयार होकर कोचिंग चला गया.


पूरा दिन नॉर्मल निकल गया.


आज रात को भी मेरी बहेन मुझसे जल्दी सो गई. मैं भी मौका ना गंवाते हुए तुरंत बिस्तर में घुस गया. आज मैंने अपना निक्कर पहले ही निकाल दिया था. दीदी का हाथ लंड पर आते ही उसको समझ आ गया था कि आज मैं पूरी तरह तैयार हूँ.


मैंने भी अपना हाथ सीधे उसकी चुत की तरफ बढ़ा दिया. मैंने देखा कि आज भी बहेन की सलवार का नाड़ा खुला हुआ था.


मैंने उसकी चुत मसलने में ज़रा भी देर नहीं की. मैं उसकी चुत में उंगली करने लगा.

जब वो गर्म हो गई, तो उसकी चुत पूरी गीली हो गई, जिससे वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गई.


मैंने तुरन्त उसकी सलवार उतारने की कोशिश की तो उसने हल्के से अपनी गांड ऊपर उठा दी. मैंने आसानी से बहेन की सलवार बाहर निकाल कर फेंक दी और चुत मसलने लगा.


बहेन की चुत मसलते हुए मैंने उसे चुदाई की मुद्रा में ला दिया.

अगले ही पल बहेन की साइड से अपना लंड उसकी चुत में पेल डाला और चुदाई शुरू कर दी.


काफ़ी देर की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ गए तो नॉर्मल हो गए. उसकी चुत में मैंने अपना लंड डाले रखा, जिससे कुछ टाइम बाद मेरा और उसका मन फिर से चुदाई का होने लगा.


मैंने उसकी चुत में पीछे से ही लंड पेला और आगे पीछे करने लगा.


जब उसकी दोबारा सांसें तेज हुईं, तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- दीदी सीधी होकर चित लेट जाओ.


वो बिना कुछ बोले चुपचाप सीधी लेट गई.

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी टांगों को फैलाकर चुदाई शुरू कर दी.


मैंने उस रात अपनी बहेन को तीन बार हचक कर चोदा और उसके खूब दूध चूसे.


इसके बाद मैंने उसको धीरे धीरे ऊपर से भी पूरी नंगी कर दिया. पूरी रात हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.


सुबह मैं अपनी बहेन से पहले उठ गया था. उसकी नंगी जवानी देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चुत में लंड रगड़ने लगा.


तभी वो भी जाग गई और चुपचाप टांगें खोल कर लेट गई.

मैंने लंड चुत में पेला और उसकी फिर से चुदाई शुरू कर दी.


इस समय हम दोनों एक दूसरे की आंखों से आंखें मिला कर चुदाई का मजा ले रहे थे लेकिन मौन थे.


चुदाई के बाद मैं बाथरूम में चला गया.


बाथरूम से आकर मैं दोबारा उसके ऊपर चढ़ गया और फिर से बहेन की चुदाई करने लगा.

लंड झाड़ कर मैं अपनी नंगी बहेन की चुत में साइड से लंड लगाए लेटा रहा ताकि अब वो खुल सके.


थोड़ी देर के बाद जब वो उठने लगी, तो उस समय लंड उसकी चुत के अन्दर ही था. उसने लंड चुत से बाहर निकालने के लिए कोशिश की. मैंने उसी वक्त उसे पकड़कर दोबारा लिटा लिया.


मैंने कहा- दीदी अभी थोड़ी देर रुक जाओ. एक बार अभी और करेंगे, फिर उठ जाना.

वो हंस कर बोली- पूरी रात करने के बाद भी मन नहीं भरा क्या?


मैंने कहा- दीदी तुम्हारी चुत इतनी मस्त है कि किसी का मन ही नहीं भर सकता.

ये कहते हुए मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.


लंड देख कर दीदी भी लेट गईं. मैंने आराम से उसकी चुत में लंड पेला और इस बार हम दोनों ने पूरे होशोहवास में आवाज करते हुए चुदाई का मजा लिया.

इस बार ज्यादा मजा आया.


चुदाई के बाद कुछ समय लेटने के बाद दीदी ने मेरे गाल पर किस किया और कहा- अब जाऊं मैं?

मैंने कहा- नहीं, अभी और मन हो रहा है.


वो बोली- यार दिन में रहने दो, अब रात पूरी पड़ी है, तब चोद लेना.

ये कह कर दीदी नहाने चली गई और मैं सो गया.


दोपहर के समय हम दोनों बिस्तर पर लेटे हुए आराम कर रहे थे. मैं दीदी से चिपक गया और उनसे बात करने लगा.


मैंने पूछा- दीदी मैं कैसा लगा?

दीदी ने मेरे गाल चूमे और बोली- मस्त.


मैंने कहा- कितना मस्त!

दीदी बोली- एकदम सांड जैसा है तू … तेरा वो बहुत बड़ा है. मेरे अन्दर तक जाकर खलबली मचा देता है.


मैंने मजाक करते हुए पूछा- मेरा वो क्या दीदी?

वो मेरे गाल पर चिकोटी काटती हुई बोली- अब इतना भी शैतान न बन.


मैंने कहा- बताओ न दीदी, मुझे अच्छा लगेगा.

दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और कहा- ये तेरा लंड मेरी चुत में अन्दर तक जाकर मेरा नशा फाड़ देता है.


मैंने दीदी की चूची दबाई और कहा- मजा आ गया दीदी. आप कितनी मस्ती से मेरा लंड अपनी चुत में लेती हो.

बस हम दोनों में छेड़खानी शुरू हो गई और कब हमारे कपड़े उतर कर अलग हो गए, मालूम ही न चला.


मैंने दीदी को पूरी नंगी करके उनकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया. दीदी ने भी मुझे बड़े प्यार से अपना दूध पिलाया.


इसके बाद चुदाई का खेल शुरू हो गया. मैंने उन्हें दिन में मिशनरी पोज में और अपने लंड पर कुदाया. बाद को पीछे से उनकी चुत में लंड पेला.


उस दिन हम दोनों ने दिन में तीन बार और रात को दो बार सेक्स किया.


तभी से मैं और मेरी बहेन दोनों रोज रात को खुल कर चुदाई करते हैं.


अभी भी हमारे बीच चुदाई होती है लेकिन अब उसकी शादी हो गई है, तो अब वो जब घर आती है, तभी मेरे लंड से चुदती है.


अगर जीजा कहीं बाहर जाने वाले होते हैं तो मैं उसके घर चला जाता हूँ और खूब चुदाई करता हूँ.


मैंने बाद में अपनी बहेन से ये भी पूछा था कि उसने अपनी सील किससे तुड़वाई थी.

उसने बताया था कि उसकी सील पड़ोस के लड़के ने तोड़ी थी.


एक बात मैं फिर से कहूँगा कि अपनी ही बहेन की चुत चोदने का मजा सबसे निराला होता है. जितना मजा बहेन की चुत चुदाई से ही मिलता है, उतना तो गर्लफ्रेंड की चुत चोदने में भी नहीं मिलता है.


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