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बहन की सहेली घोड़ी बनी फिर बहन भी - Antarvasna Sex Stories

मेरा नाम गौरव है। उम्र 21 साल, कद 6 फीट, लंड पूरा 7 इंच का, मोटा और हमेशा तना हुआ। मैं बचपन से ही सेक्स स्टोरी का दीवाना हूँ। कोई लड़की दिखती है तो सीधा उसकी चूत ही नजर आती है। अभी तक किसी की चूत नहीं चख पाया था, बस रोज मुठ मार-मार कर पागल हो रहा था। बस एक ही ख्वाहिश थी, किसी की गर्म, टाइट, रसीली चूत मिल जाए।


ये बात आज से ढाई महीने पहले की है। मैं अपनी मौसी के घर गया था। मौसी की दो बेटियाँ हैं, दोनों मुझसे बड़ी। उस दिन मेरी बहन सुनीता की सबसे खूबसूरत सहेली ममता आई हुई थी। ममता को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। उसके बूब्स इतने भारी और गोल थे कि टी-शर्ट में से ही उछल-उछल कर ललचा रहे थे। वो सुनीता से कमरे में बैठकर बातें कर रही थी। मेरी नजरें बस ममता पर जमी थीं। वो भी मुझे चुपके-चुपके देख रही थी और हल्की-हल्की मुस्कान दे रही थी।


सुनीता ने पूछा, “ये कौन है रे?” ममता बोली, “हाय!” सुनीता हँसकर बोली, “मेरा मौसेरा भाई गौरव है, तू बैठ, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।”


अब कमरे में सिर्फ हम दोनों। मैंने बात शुरू की। वो भी प्यार से जवाब देने लगी। पता चला अभी तक उसका किसी से कुछ नहीं हुआ। बातों-बातों में नंबर ले लिया। रात को सुनीता के फोन से उसका नंबर निकाला और मैसेज कर दिया। दो दिन तक रोमांटिक बातें चलीं। तीसरे दिन मैंने सीधा बोल दिया, “ममता, मुझे तुझसे प्यार हो गया है… और तेरी चूत चाहिए।” पहले तो उसने मना किया, लेकिन मेरी मीठी-मीठी बातों में आ गई। अब हम दोनों दिन-रात सेक्स्टिंग करने लगे।


अगले दिन सुनीता बाजार गई, मौसी और बड़ी दीदी कहीं बाहर गई थीं, घर में सिर्फ मैं अकेला। तभी ममता आ गई। मैं अपने कमरे में था, वो सीधा अंदर घुस आई। “सुनीता कहाँ है?” “बाजार गई है… तू बैठ ना।”


वो मेरे बगल में बैठ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। उंगलियाँ आपस में लिपट गईं। मैंने फुसफुसाया, “ममता… एक किस तो दे, तेरे होंठ कितने रसीले लग रहे हैं…” वो शरमाते हुए बोली, “सिर्फ गाल पर… प्लीज…” मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, लेकिन अगर मजा आया तो रोक मत।”


पहले गालों को हल्के-हल्के चूमा, मेरी गर्म साँसें उसकी त्वचा पर लग रही थीं, वो सिहर उठी। फिर धीरे से होंठों तक पहुँचा। पहले तो उसने सिर घुमाया, लेकिन मैंने कमर कसकर पकड़कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा। गीला, चिपचिपा चुम्बन। ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… की आवाजें कमरे में गूँजने लगीं। मैंने जीभ अंदर डाल दी, उसकी जीभ से लड़ने लगा। पहले वो सिर्फ साथ दे रही थी, अब वो मेरे ऊपर हावी हो गई, अपनी जीभ से मेरे मुँह को चोदने लगी। हम दस मिनट तक ऐसे ही चूसते रहे, लार आपस में मिलती रही, कमरा उसकी परफ्यूम और मेरे पसीने की मादक गंध से भर गया। मेरा लंड पतलून में तड़प रहा था।


मैंने उसे बेड पर लिटाया। टी-शर्ट ऊपर की, उसकी गर्दन, कंधे, छाती सब चूमने-चाटने लगा। ब्रा के ऊपर से उसके भारी बूब्स दबाए, नरम गर्म गोले मेरी हथेलियों में दबते ही उछल पड़ते। वो बेड की चादर कसकर पकड़े सिसकार रही थी, “आह्ह्ह… गौरव… क्या कर रहे हो…” मैंने ब्रा से झाँकते बूब्स को चाटा, नमकीन पसीने का स्वाद जीभ पर फैला। फिर ब्रा उतारी। उसके गुलाबी निप्पल्स सख्त होकर खड़े थे। मैंने एक निप्पल को जीभ से घुमाया, फिर दाँतों से हल्का काटा। वो चीखी लेकिन फिर मुस्कुराई, “और काटो… दर्द में मजा है…” मैंने पूरा बूब मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसा, दूसरे को हाथ से मसलता रहा। ममता की आँखें बंद, मुँह से निकल रहा था, “आह इह्ह ओह्ह… ह्ह्हा… ऊउइइइ…” नीचे उसकी चूत से रस टपक रहा था, शॉर्ट्स गीली हो गई थी।


मैंने उसकी शॉर्ट्स-पैंटी एक साथ उतार दी। उसकी चूत पर हल्के बाल, गुलाबी फाँकें चमक रही थीं। पहली बार जिंदगी में रियल चूत देखी थी, मैं पागल हो गया। ममता ने भी मेरे कपड़े फाड़कर उतारे, मुझे नंगा करके बेड पर लिटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई। मेरे 7 इंच के मोटे लंड को हाथ में पकड़ा, अपनी चूत पर रगड़ने लगी। गीली फाँकें मेरे सुपारे को चूम रही थीं। मैं तड़प रहा था, “ममता… डाल ना… प्लीज…”


वो हाँफते हुए बोली, “कितना मोटा है तेरा… फट जाएगी मेरी…” फिर धीरे-धीरे बैठी। सुपारा अंदर घुसा तो वो चीखी, “ओह्ह्ह्ह… मर गई… आअह्ह्ह्ह…” आधा लंड अंदर, उसकी चूत की दीवारें कसकर जकड़ रही थीं, गर्म रस बह रहा था। उसने एक जोर का झटका मारा और पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो मेरे सीने पर लद गई, साँसें फूलतीं। फिर खुद कमर हिलाने लगी, “आह्ह्ह… गौरव… चोद मुझे… तेरी लौड़ी मेरी चूत फाड़ रही है… और तेज…” मैंने उसकी भारी गांड पकड़ी, थप्प-थप्प करके लाल कर दिया। बेड चरमर-चरमर कर रहा था।


कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बना दिया। उसकी गोल-गोल गांड ऊपर, मैं पीछे से पेलने लगा। हर ठोक में चपाक-चपाक की आवाज। ममता चीख रही थी, “हाँ… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत… आह्ह्ह्ह… ह्हीईईई… मैं झड़ने वाली हूँ…” मैंने उसके बाल पकड़कर पीछे खींचा, और तेज-तेज पेलता रहा।


तभी दरवाजा खुला। सुनीता ऊपर से देखती रह गई। मैं जोर-जोर से ठोक रहा था, ममता को कुछ पता ही नहीं। मैंने फटाक से लंड बाहर निकाला, लेकिन माल निकल चुका था, ममता की गांड और कमर पर गिर गया। सुनीता की नजर मेरे खड़े लंड पर और ममता की घोड़ी पोजीशन पर थी। वो चौंककर बोली, “ममता! क्या कर रही है तू साली… मेरे भाई से घोड़ी बनकर चुदवा रही है? शर्म नहीं आती?” “ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?” मैं शर्म से अपना सिर नीचे करके पास में खड़ा था।


ममता हड़बड़ाते हुए बोली, “जो तू राहुल के साथ करती है वही।” यह सुनकर मैं तो स्तब्ध रह गया, मेरे दिमाग में बिजली सी दौड़ गई।


सुनीता मुस्कुराई और बोली, “तेरे लिए तो कोई भी लड़का मिल जाता, तुझे मेरा मौसी का लड़का ही मिला?” ममता बेड से उतरी, सुनीता के पास आई और फुसफुसाई, “गौरव का लंड अंदर लेकर तो देख, मजा आ जाएगा, ये राहुल से कहीं बड़ा और मोटा है, और गौरव जिस तरह चोदता है ना, मज़ा ही आ जाता है।”


इनकी बातें सुनकर मुझे धीरे-धीरे समझ आने लगा कि ये दोनों पहले भी कई लड़कों से चुदवा चुकी हैं, मेरी नज़र बार-बार सुनीता की तरफ जा रही थी, मेरी अपनी मौसी की बेटी, मेरी कजिन, मेरी आँखों के सामने उसकी चुस्त चूत का ख्याल आने लगा, पहले कभी ऐसी सोच नहीं थी, लेकिन कमरे का माहौल ही इतना गर्म हो चुका था कि सब कुछ जायज़ लगने लगा।


सुनीता शर्मा गई, बोली, “पागल हो गई है क्या? अपने भाई से थोड़े ही चुदवाऊँगी।” ममता हँसते हुए बोली, “तू भूल गई? तेरे लिए मैं अपने चाचा के लड़के से नहीं चुदी थी क्या?” दोनों एक-दूसरे को चिढ़ाने लगीं, मैं बस देखता रह गया।


मैंने हिम्मत करके कहा, “ऐसा नहीं हो सकता।” ममता मेरे पास आई, होंठों पर उँगली रखी और बोली, “जानू, बस दो मिनट चुप रहो।” फिर उसने मुझे चूमना शुरू किया, धीरे-धीरे बेड पर लिटाया, सुनीता पास में ही खड़ी देखती रही, ममता ने सुनीता को भी वासना में डुबो दिया, दोनों एक-दूसरे को चूमने लगीं, मैं देखते-देखते मेरा लंड फिर से तन गया।


मैंने अपना कंट्रोल खो दिया, ममता को पीछे से कमर पकड़ी, उसकी चूत पर लंड सेट किया और एक ही जोरदार झटके में पूरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए अंदर घुसेड़ दिया, ममता की मुँह से जोर की चीख निकली, “आअह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… मर गयी… आह्ह्हीईई…” मैंने झटके तेज कर दिए, पट-पट-पट-पट की तेज आवाजें पूरे कमरे में गूँजने लगीं, सुनीता पास में खड़ी ये सब देखकर साँसें तेज चलने लगीं।


ममता के भारी-भारी बूब्स जोर-जोर से हिल रहे थे, सुनीता झुककर उन बूब्स को चूसने लगी, मममता की चीखें और तेज हो गईं, “आह्ह… ह्ह्ह… सुनी… चूस… आह्ह्ह्ह…” ममता ने सुनीता को नीचे से खींचा, अब सुनीता मेरे पास आई, मेरे डीले पड़ चुके लंड को देखकर मुस्कुराई।


ममता मेरे पीछे आई, मेरी गांड दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से झटके देने लगी, मैं फिर से ममता को पेलने लगा, कुछ देर बाद मेरी स्पर्म की तेज पिचकारी ममता की चूत में ही छूट गई, मैं हाँफते हुए बेड पर गिर पड़ा।


सुनीता झुककर ममता की चूत से निकलता माल चाटने लगी, जीभ अंदर-बाहर करते हुए, ममता की फिर से चीख निकली, “ओह्ह्ह… सुनी… आह्ह्ह… चाट… ह्हीईई…” थोड़ी देर में ममता भी झड़ गई।


ममता ने सुनीता के सारे कपड़े उतार दिए, उसके बड़े-बड़े मुलायम बूब्स मसलने लगी, सुनीता अब पूरी तरह वासना में डूब चुकी थी, उसकी नज़र मेरे लंड पर थी, वह बेड पर घोड़ी बनकर आई, मेरे लंड पर लगे माल को जीभ से चाटने लगी, फिर अंडकोष चूसी, चाटते-चाटते मेरा लंड फिर से कड़क हो गया।


मैंने सुनीता के बाल पकड़े और पूरा लंड उसके मुँह में ठूँस दिया, वह ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग की आवाजें करते हुए बड़े मजे से चूसने लगी, मैं उसकी गोल-गोल गांड पर हाथ फेरता रहा, बहुत मजा आ रहा था।


फिर सुनीता मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लंड को हाथ में पकड़ा, ममता ने थूककर लंड गीला किया, मैंने भी थूककर सुनीता की चूत पर मला, सुनीता ने लंड को अपनी चूत पर रगड़ा, मैं उसके भारी बूब्स मसल रहा था, उसके बूब्स ममता से भी बड़े और मुलायम थे।


धीरे-धीरे सुनीता लंड पर बैठने लगी, उसकी चूत ममता से भी ज्यादा टाइट थी, जैसे ही आधा लंड अंदर गया, सुनीता की आँखों से आँसू निकल आए, “आह्ह्ह… मर गयी… आह्ह्हीईईई… बहुत मोटा है रे… ओह्ह्ह…” फिर भी उसने हिम्मत की और पूरा लंड अंदर ले लिया।


ममता हँसकर बोली, “आया न मजा?” सुनीता दर्द और मजा दोनों में बोली, “सच कहा था तूने, इसका लंड तो जान ही निकाल देगा, मेरी चूत फट गई… पर मजा… आह्ह्ह… बहुत आ रहा है।”


मैंने सुनीता को पकड़कर ऊपर-नीचे कुदवाया, वह जोर-जोर से उछलने लगी, “आह… आह… आह… गौरव… और तेज… ह्हीईई…” ममता पास आकर मेरे होंठ चूसने लगी, एक तरफ मैं अपनी बहन को चोद रहा था, दूसरी तरफ ममता मुझे चूम रही थी, दोनों मुझे पूरी तरह हावी कर रही थीं।


फिर सुनीता साइड हुई और बोली, “अब घोड़ी बनाकर चोदो।” दोनों लड़कियाँ आपस में झगड़ने लगीं कि अब किसे चोदा जाए, मैंने कहा, “चुप हो जाओ दोनों, लेटो।”


पहले मैंने सुनीता को पकड़ा, उसकी दोनों टाँगें कंधों पर रखीं और जोर-जोर से पेलने लगा, “पट… पट… पट…” की तेज आवाजें, सुनीता चीख रही थी, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… फाड़ दो… आह्ह्हीईई…” पास में ममता अपनी चूत मसल रही थी।


फिर मैंने ममता को पकड़ा, उसे भी वही पोजीशन दी, ममता चिल्लाई, “गौरव आज चोद-चोदकर फाड़ दे मेरी चूत… आह्ह्ह… और तेज… ह्हीईई…” सुनीता ममता के बूब्स चूस रही थी, मैं सुनीता की गांड पर जोर-जोर से चांटे मार रहा था, उसकी गांड लाल टमाटर जैसी हो गई।


फिर मेरा माल निकल गया, मैं पूरी तरह थककर हाँफते हुए बेड पर लेट गया। उस दिन मैंने दोनों को तीन-चार बार और चोदा, फिर जब भी मौका मिलता, अपनी बहन सुनीता को चुपके से चोद देता, और ममता को बाद में होटल में भी कई बार पेला।


तो कैसी लगी मेरी?Antarvasna Sex Stories

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