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बहन चुद गई चलती हुई ट्रेन में - Indian Sex Stories

मेरा नाम राहुल है, मैं दिल्ली में रहता हूँ. मेरे परिवार में 4 लोग हैं. मैं मम्मी पापा और मेरी बहन रेनू.

रेनू दी मुझसे 4 साल बड़ी हैं. वे दिखने एकदम हीरोइन लगती हैं.

उनके फिगर का साईज 34-30-36 उन्हें बड़ा ही मस्त माल बनाता है.


रेनू दीदी अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब के लिए ट्राई कर रही थीं.

तभी उनका इन्टरव्यू पुणे में एक कंपनी से कॉल आया.

पुणे में हमारा एक फ्लैट पहले से ही है जो खाली रहता है.


रेनू दी ने मुझसे साथ चलने के लिए कहा.

पापा ने हमारी टिकट करंट में एसी फर्स्ट में दो बर्थें बुक करवा दी और हम लोग शाम को ट्रेन में बैठ गए.


हम दोनों स्टेशन पर अपने एसी फर्स्ट वाले कूपे में चले गए.

ये दो बर्थ वाला कूपा था.


टीटीई से अपने टिकट चैक करवा कर हम दोनों अन्दर आ गए और कूपा अन्दर से लॉक कर लिया.


अब हम दोनों बात करने लगे.


बातों बातों में दीदी ने पूछ लिया- तेरी कोई गर्लफ्रैंड है?

मैं- नहीं.


दीदी- साले झूठ मत बोल, इतना हैंडसम होने के बाद भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है … क्यों?

मैं- आपके जैसी कोई आज तक मिली ही नहीं.


दीदी मुस्करा कर बोलीं- अच्छा बेटा मेरे जैसी का क्या मतलब?

मैंने कहा- दीदी आपके जैसी सुंदर लड़की नहीं मिली.


दीदी ने सेक्सी स्माईल दी और हम लोग खुल कर बात करने लगे.


मैंने कहा- शायद ऊपर वाला हमें कोई सिग्नल दे रहा है.

दीदी बोलीं- क्या सिग्नल?

तभी मैंने दीदी का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और बोला- दीदी आई लव यू.

दीदी ने भी ‘आई लव यू टू.’ बोला.


मैं- दीदी मैं आपसे वो वाला प्यार करता हूँ.

दीदी- कौन सा वाला!


‘दीदी मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.’

दीदी बोलीं- पागल हो गए हो क्या … मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ.


मैंने कहा- तो क्या हुआ दीदी आप बताइए. दीदी आपका सेक्स करने का मन नहीं करता क्या?

वे बोलीं- करता तो है लेकिन तुम मेरे भाई हो. मैं तुम्हारे साथ नहीं कर सकती.


मैंने कहा- दीदी, कहीं बाहर जाकर करोगी तो बदनामी होगी और कोई ब्लैकमेल भी कर सकता है. आप घर में ही कर लो ना!

दीदी चुप हो गईं.


मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया और उनके होंठों पर होंठ रख दिए.

अब दीदी भी मेरा साथ देने लगीं.


मेरा हाथ उनके बूब्स पर चल रहा था.

दीदी एक टॉप और जींस पहनी हुई थीं.


मैंने अपना हाथ दीदी के टॉप में डाल दिया और उनके एक दूध को दबाने लगा.

वे नशीली आंखों से देखती हुई बोलीं- कपड़ों के ऊपर से मजा लेना है क्या?


मैंने दीदी का टॉप उतार दिया.

अब दीदी मेरे सामने ब्रा और जींस में थीं.


शायद पहली बार किसी और ने उनके साथ ऐसा किया था.

उनका मखमल सा जिस्म चमक रहा था.


मैं उनके होंठों को चूस रहा था और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबा रहा था.


कभी दीदी आह आह कर देतीं, तो मुझे जोश आ जाता था.

अब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और पैंट भी. मैं केवल नेकर में था.


दीदी का हाथ मेरे नेकर के ऊपर से ही लंड पर था.

मैंने दीदी की पैंट खोल कर उतार दी. दीदी मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थीं.


मैं बता नहीं सकता कि मेरी बहन क्या कांटा माल लग रही थी.

उनके जिस्म को देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.


तभी दीदी खड़ी हुईं और उन्होंने मेरा नेकर उतर दिया.

मेरा लंड फनफना कर बाहर आ गया.


‘राहुल तेरा लंड तो बहुत ही बड़ा है.’

वे घुटनों के बल बैठ कर मेरे लौड़े को मुँह में लेने लगीं.


मैं सातवें आसमान पर था. मत पूछो कि कितना ज्यादा मजा आ रहा था.


एक गदराई हुई बहन अपने भाई के लंड को चूस रही थी.

मैं मादक आवाज में सीत्कार कर रहा था- आह दीदी, कितना अच्छा चूसती हो … तुम मस्त हो मेरी बहना … आह आह आह चूस लो मेरे लौड़े को … आह मजा आ गया.


कुछ मिनट दीदी ने मेरा लंड चूसा.

उसके बाद मैंने दीदी को उठाया और गले से लगा लिया.


पीछे हाथ ले जाकर मैंने अपनी बहन की ब्रा का हुक खोल दिया.

मैंने अपनी दीदी की चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें एक छोटे बच्चे की तरह पीने लगा.


मैं दीदी की चूचियां पी रहा था. दीदी के मुँह से आई आह यस … उह्ह्ह्ह हम्म्म आह आह की आवाज निकली जा रही थी.

वे बोली जा रही थीं- आह चूसो मेरे बहनचोद भाई आह … पी जा साले इनका सारा रस.


अब मैंने दीदी को बर्थ पर लिटा लिया और उनकी पैंटी भी उतार दी.

हम दोनों भाई बहन पूरे नंगे थे और ट्रेन भी अपनी फुल स्पीड में चल रही थी.


दीदी बोले जा रही थीं- आह राहुल अब रहा नहीं जा रहा है … मुझे चोद दो प्लीज … मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.

मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा. मैं दीदी के मुँह के आगे लंड लाया और बोला- लौड़े को गीला करो दीदी.


दीदी ने तुरंत मेरा लंड मुँह में लेकर अच्छे से गीला कर दिया.

मैंने उनकी दोनों टांगें फैलाईं और एक झटका दे मारा.


मेरा टोपा उनकी चूत में चला गया और दीदी की बुरी तरह चीख निकल गई- आआ … आह्हह निकालो इसे … फट गई मेरी.


वे लगभग रोने लगीं और कसमसा कर ऊपर को होने लगीं.

पर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी, तो उनसे हिलना भी नहीं हो पाया.


‘मुझे छोड़ दो प्लीज … मैं मर जाऊंगी निकालो इसे … मुझे नहीं चुदना.’ दीदी की आंखों से आंसू आ रहे थे.

मैं उसी पोजीशन में रुका रहा, उनके होंठों को चूसता रहा और बूब्स को दबाता रहा.

इससे दीदी का दर्द कुछ कम हुआ.


मैंने दूसरा झटका दे मारा.

इस वजह से पूरा लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ चला गया.


दीदी बेहोश हो गईं.


मैंने दीदी की चूत से बिना लंड निकाले बिना पास में रखी पानी की बोतल से उनके मुँह पर पानी गिरा दिया.

तभी दीदी होश में आ गईं और रोने लगीं.


मैं भी उनके बूब्स को हल्के हल्के दबा रहा था.


थोड़ा दर्द कम हुआ तो मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.

अब रेनू दीदी को भी चूत चुदवाने में मजा आने लगा था.


वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं और कहने लगीं- आह्ह्ह मेरे राजा चोद दे अपनी बहन को … फाड़ दे मेरी चूत को आह यस आआहह मेरे बहन के लौड़े भाई … और तेज और तेज पूरा अन्दर तक डाल मादरचोद … फाड़ दे भोसड़ी के … आह आज मैं तेरी बहन नहीं … तेरी रखैल हूँ पूरा अन्दर तक डाल … गाभिन कर दे मुझे … चोद चोद कर मां बना दे साले … आज से तेरी रंडी हूँ मैं … मार मेरी चूत आह्ह मेरे राजा और तेज पेल … कितना मजा आ रहा है भाई का लंड लेने में आआह्हह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह.


मैं भी जोश में आकर जोर जोर से पेले जा रहा था- हां, साली कुतिया तू मेरी रंडी है आज से … तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ूँगा बहन की लौड़ी रंडी … अब तक कहां थी साली छिनाल … आआह्ह उह्ह्ह मेरी जान.


रेनू दीदी दो बार झड़ चुकी थीं.

मेरा भी होने वाला था.


‘मेरा रस आने वाला है मेरी जान कहां लेगी?’

रेनू दीदी बोलीं- मेरी चूत को भर दो आज अपने माल से आह.


ये सुनकर मैं बिंदास हो गया और कुछ ही झटकों के बाद मैं निढाल होकर अपनी बहन के मम्मों पर गिर गया.

Xxx ट्रेन फक के बाद कब हम दोनों नींद के आगोश में चले गए, हमें पता भी नहीं चला.


फिर सुबह 4 बजे मेरी आंख खुली. मैंने देखा कि दीदी अभी भी सो रही थीं.


मैंने नेट पर देखा तो हम लोग पुणे पहुंचने वाले थे.


मैंने दीदी को उठाया.

वे उठीं तो उनसे चला भी नहीं जा रहा था.

उन्होंने अपनी ब्रा पैंटी टॉप और जींस पहन ली.


मैं उन्हें सहारा देकर वॉशरूम ले गया और उन्हें साफ किया.


सुबह हो गई थी. हमारा स्टेशन भी आ गया था.


तब हम दोनों उतरे और हमने एक टैक्सी की और अपने फ्लैट की तरफ चल दिए.


फ्लैट की लिफ्ट तक दीदी को मैं सहारा देकर ले गया.


फ्लैट में जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया.


मैंने पीछे से दीदी के बूब्स पकड़ लिए.

‘राहुल कम से कम ठीक से बैठने तो दे.’


मैंने दीदी से कहा- दीदी आप अपना टॉप उतार दो.


दीदी मना करने लगीं और सोफे पर जाकर बैठ गईं.


मैंने दीदी से पूछा- दीदी चुदाई में मजा आया ना!


यह कहते हुए मैंने अपनी बहन के मम्मों पर किस कर दिया.

दीदी बोलीं- बहुत ज्यादा मजा आया. काश मैं तेरा लंड लेकर हमेशा घूमूँ. हमेशा तेरा लंड मेरी चूत में पड़ा रहे.


‘तो देर किस बात की, खोलो अपनी चूत … डाल लंड देता हूँ!

‘अभी नहीं, पहले फ्रेश हो लेती हूँ … फिर कहीं घूमने चलेंगे. रात को मस्ती करेंगे.’


‘चलो आज साथ नहाते हैं.’ मैंने कहा.

दीदी बोलीं- ठीक है, पर तुम मुझे वॉशरूम में चोदोगे नहीं पहले वादा करो.


मैंने कहा- ओके प्रोमिस.

फिर मैंने दीदी का टॉप उतारा, पैंट उतारी … ब्रा और पैंटी भी उतार दी.


दीदी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए.

मैं दीदी को गोद में उठा कर वॉशरूम में ले गया.


अपनी सगी बहन की चूची और चूत पर साबुन लगा कर अच्छे से नहलाया और उन्होंने मेरे लंड पर साबुन लगा कर मुझे नहलाया.


फिर हम लोग नहा कर बाहर आ गए.

मैंने दीदी से कपड़े पहने से मना कर दिया और हम दोनों एक दूसरे का जिस्म पौंछ कर ऐसे ही बाहर आ गए.

अब हमें भूख भी लगने लगी थी.


मैंने खाना ऑर्डर कर दिया.

खाना खाने के बाद दीदी ने कहा- चलो मूवी देखने चलते हैं.

मैंने ओके कह दिया.


दीदी ने पूछा- क्या पहन कर चलूँ?

‘जो जल्दी खुल जाए, वो पहन लो.’


दीदी ब्रा पहनने लगीं.

मैंने मनाकर दिया.


दीदी ने एक गाउन पहन लिया, बिना ब्रा और पैंटी के.

उसमें आगे पूरे बटन थे. कोई सा बटन खोल कर कुछ भी कर सकते थे.


दीदी के निप्पल साफ दिख रहे थे.

फिर दीदी ने एक दुपट्टा डाल लिया और हम लोग चल पड़े.

मैंने लास्ट कॉर्नर की दो सीटें बुक करा ली थीं.


मूवी भी बड़ी ही सेक्सी थी. उसमें ज्यादा भीड़ भी नहीं थी.

पूरे हॉल में 20 लोग रहे होंगे.


मैंने अंधेरा होते ही अपनी दीदी के बूब्स दबाने चालू कर दिए.

दीदी की चूत पर हाथ रख दिया.


दीदी ने मना कर दिया.

वे बोलीं- मेरा गाउन खराब हो जाएगा.


मैं भी नहीं चाहता था कि दीदी को कोई दिक्कत हो.

इंटरवेल में मैं टिश्यू पेपर ले आया.


वे बोलीं- इसका क्या करेगा?

मैं बोला- अभी पता चल जाएगा.


दीदी जाकर पहले बैठ गईं.

मैंने नीचे से बटन खोलना शुरू कर दिया.


दीदी बोलीं- क्या कर रहे हो?

मैंने पेट तक बटन खोल दिए और कहा- जरा उछलो.


वे उचकीं, तो मैंने उनका गाउन पीछे से उठाया दिया और चूत में उंगली करने लगा.

दीदी ने सेक्सी स्माइल दे दी.


उन्होंने भी मेरा लंड निकाल लिया.

मैंने दीदी से कहा- चूसो.


वे बोली- यहीं?

मैंने कहा- हां.


वे लंड चूसने लगीं.

मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा.

मैं दीदी के मुँह में और दीदी सीट पर झड़ गईं.


दीदी मेरा सारा माल पी गईं.

फिर मैंने टिश्यू पेपर से दीदी का मुँह और जांघें पौंछ दीं.


बाद में हम दोनों घर के लिए निकल गए.

दूसरे दिन दीदी ने इंटरव्यू दिया और सिलेक्ट हो गईं.


हम लोगों को जब मौका मिलता है, घर में चुदाई का मजा आने लगता है.


एक दिन दीदी ने पापा से कहा- राहुल को भी मेरे साथ वहीं भेज दो. राहुल वहीं पढ़ता भी रहेगा और मेरे साथ रहने के लिए भी कोई मिल जाएगा.


पापा मान गए और मेरा दाखिला वहीं एक कॉलेज में करवा दिया.

अब हम दोनों भाई बहन बिंदास चुदाई का मजा लेते हैं.


दीदी अपने लिए कोई बाहरी लंड भी फ्लैट में ले आती हैं या कभी मैं किसी लड़की को ले आता हूँ.

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