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भूत और चूत कहीं भी मिल सकते है - Antarvasna Sex Stories

क्या हाल चाल है दोस्तो?


आज में आपको जो किस्सा सुनाने जा रहा हूं वो तब का है जब में उत्तर प्रदेश के आगरा से पचास किलो मीटर दूर कमागनी गांव ज़मीन के सिलसिले में जा रहा था।


मैने दिल्ली से ट्रेन पकड़ी और रात के बोरिंग सफर के बारे में सोचता हुआ अपनी सीट पर आकर बैठ गया। मेरी सीट जनरल डब्बे की थी, सो आसपास लोगो की अच्छी भीड़ थी।


जब में अपनी सीट पर आराम कर रहा था तो मेरी नज़र मेरे सामने बैठी दो लड़कीयो पर पड़ी। दोनों की उमर लगभग मेरे जितनी 24 या 25 साल की ही रही होगी।


मैने एक नज़र उनकी जवानी वाले जिस्म को देखा एक का रंग थोड़ा सावला था लेकिन जवानी खूब उछाल मार रही थी। दूसरी उससे गोरी थी मगर उसका बदन ज़्यादा कामुक था।


उसकी जवानी का पता उसे उभरते सीने को देखकर हो रहा था।


सावली वाली ने गुलाबी रंग की एक जींस पहन रखी थी और ऊपर पतली सी सफेद शर्ट थी जिसके अंदर से ब्रा में बंधे बेबस बूब्स दिखाई पड़ रहे थे।


गोरी वाली घरेलू कपड़ों में थी मुझे वो काफी शर्मीली किस्म की लगी उसके बाल कानों से झाक रहे थे।


जैसे ही उसकी नज़रों ने मेरी नज़रों को उसकी जवानी को चूमते हुए पकड़ा तो मैने मुंह घुमा लिया। मैं खिड़की से बाहर देखने लगा।


स्टेशन पहुंचते ही गांव के लिए कोई गाड़ी या सवारी मिलेगी या नहीं यही चिंता मुझे खाए जा रही थी, सो मैने रात स्टेशन पर ही गुजारने की सोची की चलो सुबह होते ही किसी घोड़ागाड़ी को पकड़ के गांव चल देंगे।


सोचते सोचते जब मैने उन लड़कीयो को दोबारा देखना चाहा तो वो अपनी सीट पर नहीं थी। ठंड का मौसम था ज़ोरो की सर्दी थी।


बीच मे कुछ स्टेशन आते गए और सवारी उतरती गई। मेरे सीट के ऊपर वाला हिस्सा खाली हो गया तो में पैर सीधे करने के लिए वहां चढ़ गया।


मेरे पास सुबह का एक अख़बार था तो टाइम पास के लिए में उसे पढ़ने लगा, इतने में मुझे आहट हुई कि शायद कोई सवारी मेरे पास आकर बैठी है।


मैने अख़बार हटाया तो वही सावली लड़की मेरे बराबर में आकर बैठी हुई थी। मैं उससे तब कुछ नहीं बोला बस हल्की सी मुस्कान देकर अकबर पढ़ने लगा।


कुछ देर में उसने मुझसे समय पूछा, इधर उधर के लोग सो चुके थे कुछ सवारियां भी ज़्यादा हो गई थी। नीचे ज़्यादा तर सब एक दूसरे का सहारा लेकर सो चुके थे।


दो चार आदमी पीकर नशे में बढ़ बड़ा रहे थे वो लड़की भी हल्की हल्की मुझसे टेकी लगाकर सो गई थी, मेरा खुद पर से थोड़ा काबू खो गया। मैने एक हाथ अपने पेट से निकलकर उसके बूब्स पर उंगली से छुआ।


उस लड़की ने अपने ऊपर लाल रंग की एक चादर ले रखी थी। मैने भी थोड़ा उससे चिपक कर अपने बैग से एक चादर निकाली और हम दोनों पर डाली, अपना सर पीछे लगाकर सोने का नाटक करने लगा।


मैने अखबार हमारे बीच खोलकर रख दिया, जब उसकी तरफ़ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैने उसकी जांघ सहलाने शुरू करदी।


उसकी अचानक आंख खुली , मैने अपनी आंख एकदम बंद की ओर सोने का नाटक करने लगा।


अपने कपड़े ठीक करे और अपने सर को पीछे लगाकर सोने लगी , हमारी वाले सीट पर कुछ लोग बैठ गए थे। जिस वजह से वो मुझसे दूर नहीं हो पाई। मैने सामने देखा तो वो गोरी लड़की भी आ चुकी थी।


नीचे कोई नशे में अचानक बोला "अगले डेढ़ घंटे में कमगनी गांव आने वाला है भाई जल्दी सो जाओ इस गांव के बारे में एक बात मशहूर है कि कोई यहां से गुज़रे तो पहले ताबीज़ और कंडोम अपने पास रखले क्यों की यह भूत और चूत कभी भी मिल सकती है, साला! अपने पास तो कुछ भी नहीं है।"


में सोचने लगा किया बक्चोदी है, मैने अपना ध्यान वापस लड़की की तरफ करा एक ख्याल तो मुझे भी आया के कंडोम तो वैसे होना ही चाहिए था मेरे पास , ताबीज़ तो पहना ही हुआ हूं।


मैने फिर से उसकी जांघ सहलाने शुरू करदी। ट्रेन में एक झटका आया जिससे वो मेरी तरफ झुक गई। मैने अपने हाथ को उसकी चूत के करीब लगा कर घुमाने लगा।


वो थोड़ा कसमसाई और उसका मेरे हाथ के ऊपर आया तुरंत उसने मुझे पकड़ लिया। में घबरा गया और अपना हाथ हटाने लगा।


लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैने आंखे खोलकर उसकी तरफ देखा तो वो मुझे ही घूर रही थी। मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई।


उस लड़की ने चिल्लाना शुरू कर दिया, नीचे जो आदमी भूत और चूत का ज्ञान दे रहा था वो खड़ा होकर मुझे नीचे खींच लिया। उसके साथी ओर आसपास के लोग खड़े हो कर मुझे मारने को चढ़े, तभी ट्रेन में एक झटका लगा और मैं ख्यालों से बाहर आ गया। वो मेरा सपना था ये सोच के मुजे शांति मिली।


मैने ध्यान दिया वो बस मेरा डर से सोचा हुआ ख्याल था, अपने होश वापस लाते हुए मैने उस लड़की की तरफ देखा , वो मुझे देख रही थी।


इधर उधर नज़र घुमाकर वो मेरे करीब आई और बोली "कहा जा रहे हो ?"


मैने बताया " कमगनी गांव जाना है मुझे।"


उसने कुछ सोचा फिर मुझसे पूछा "ताबीज़ है ओर कंडोम हैं ?"


मुझे ये बात अटपटी लगी फिर भी में थोड़ा घबराया हुआ था तो मैने अपने कंधे पर बंधा ताबीज़ उसे दिखा दिया और बोला “लेकिन कंडोम नहीं है।”


मैने उतनी ही दबी आवाज़ में कहा जितनी आवाज़ में उसने पूछा था। वो मुस्कुराई और अपना हाथ धीरे धीरे मेरे लन्ड की तरफ बढ़ाने लगी।


मैं भी उसी गांव की हूं, मुझे सब हनी बोलते है। " कहते हुए उसने मेरा लन्ड दबा दिया। मेरी एक हल्की सी आह! निकली।


मेरे दिमाग के फ्यूज़ उड़ गए। मैने अपनी ओर उसी चादर मिलकर हमारे ऊपर ढकी, अपना हाथ उसकी कमर पर ले गया और उसकी जांघ सहलाने लगा।


उसने अपनी कुर्ती कसी अपने सीने को उभरा फिर मुझसे सट कर बैठ गई। में उसकी उभरे दूध देखने लगा मेरी आँखें भी गड़ी रह गई जब तक उसने दोबारा मेरा लन्ड नहीं दबाया।


हमने एक दूर की आंखों में देखा, इतना करीब से मैने उसे अब देखा था उसका सावला रंग शहद जैसा मीठा लग रहा था। उसके गांव वाले सख्त गाल उसकी चूत की मज़बूती का अंदाज़ा दे रहे थे।


उसके कामुक होठ मुझे अपनी तरफ बुला रहे थे। में बस उसकी बड़ी बड़ी हिरणी जैसी आंखों में खोता चला गया, ऐसे ही खोते हुए हम दोनों ने होठ मिल गए। मैने अपने होठों में उसके निचले होठ को दबाया उसने अपने होठों में मेरे ऊपरी होठ को दबाया।


मैने अपनी ज़ुबान थोड़ी सी उसके मुंह में डाली, उसने दोनों होठ दबाते हुए मेरी ज़ुबान को अपने मुंह में खींचा। वो अपने हाथ मेरी पीठ पर ले गई, उसने मुझे अपने करीब लेकर सीने से चिपका लिया।


मैने अपने मुंह में उसके दोनों होठ भर लिए। उसने अपनी आधी से ज़्यादा ज़ुबान मेरे मुंह में डाल दी, मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसकी ज़ुबान से बहते रस को चूसने लगा।


हमारे होठ बारी बारी एक दूसरे के होठ को चूसते चूमते। मैं बस उसकी बड़ी बड़ी आंखों में खोता चला जा रहा था,


इसी तरह हम एक दूसरे को चखते रहे।


मुझसे रहा नहीं गया तो मैने उसकी कुर्ती ऊपर करी मैं बस उसे उतारने ही वाला था तभी उसने मुझे रोक कर कहा "सफर खत्म होने वाला है, पूरा मत उतारो"।


मैने घड़ी में देखा मेरे पास समय कम था, फिर से मैने उसे चूसना चाटना शुरू किया एक बात मैने सोची के इसकी मंज़िल भी वही है जो मेरी है काफी समय मिलेगा हम दोनों को।


मैने घूमकर पीठ टिकाली वो थोड़ा आगे खिसकी हमने चुसाई शुरू कर दी, उसने अपनी बहे मेरे गले में बांधी। मैने ध्यान दिया सामने बैठी गोरी लड़की हम दोनों को देख रही है।


मेरे पास वाली की आवाज़ थोड़ी भारी थी उसकी आहे! ओर सांसों की गर्मी मेरा जोश बढ़ा रही थी।


मैने उसकी जींस का बटन ओर जिप खोली। अपना हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया तो पता चला वो पानी छोड़ चुकी थी उसकी चूत भट्टी की तरह दहक रही थी। यह कहानी आप गरम कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।


जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत को छुआ वो मेरी जांघों के बीच चढ़ आई। वो भूखी शेरनी की तरह मेरे होठ खा रही थी, बारी बारी वो मेरे होठ चूसती अपनी ज़ुबान मेरी ज़ुबान से लड़ाती।


मैने उसकी गांड़ पकड़ी, उसे खींचा, अपना लन्ड उसकी चूत पर दबा दिया। उसके कपड़ों के ऊपर से ही में उसके बूब दबा दबा कर! दबा दबा कर! मज़ा ले रहा था।


उसके हाथ उसके नाखून मेरी पीठ को घिस रहे थे, उसने मेरे एक पल के लिए होठ छोड़े मेरी आंखों में देखा बाहर से आती जाती रोशनी में उसका चेहरा उसके होठ चांदी जैसे चमक रहे थे।


वो अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मेरी आंखों में झाक रही थी। मैं अपना हाथ नीचे लेकर गया , अपने लन्ड को पकड़ा उसकी चूत पर धीमे से उंगली फेरी।


थोड़ा सा आगे सरका उसे अपनी तरफ सरकाया उसके होठों के करीब जाते हुए उसकी चूत को लन्ड से सहलाया।


उस पल हमारे होठों के बीच दूरी एक इंच से भी कम बची थी और में उसके होठों को चूमने ही वाला था तभी मैने अपना लन्ड उसकी चूत में उतार दिया।


उसकी आह! निकलने को थी कि मैने अपने होठ रख कर उसकी आह! को दबा दिया। वो बेताब हो गई, हम दोनों सदियों किसी प्यासे की तरह एक दूसरे के मुंह के रस को पी रहे थे।


मेरा मन था की में उसकी आह! को सुनूं मगर वहां इतने लोग थे अगर उन मे से कोई भी हमे देखता तो बवाल हो जाता।


वो मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी, मैं नीचे से वो ऊपर से , हम दोनों एवं पूरा जोश दिखा रहे थे। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लगा की शायद वो कुंवारी है लेकिन उसकी अदाओं को देखकर मुझे पता चल रहा था कि ये कुंवारी नहीं है।


हम एक दूसरे को आवाजों को अपने होठों में दबाने की पूरी कोशिश में लगे थे। मुझे अपने नंगे लन्ड पर उसके चूत की गर्मी बहुत ज़्यादा महसूस हो रही थी।


ठंडे मौसम में हमे पसीने आ रहे थे, हमारी सांसे फूलने को थी मगर जोश में आह! निकलने के डर से हम होठों को नहीं छोड़ सकते थे।


उसकी जींस जब चूदाई में परेशान करने लगी तो मैने उसे गांड़ से नीचे कर दिया मगर पूरा नहीं उतारा। ऐसे ही धक्का पेल करते करते करीब बीस मिनट हो चुके थे। मेरा माल छूटने वाला था।


मैने अपने होठ उससे अलग करे "मेरा होने वाला है, कहा निकालू? " मैने उससे हांफते हुए कहा। " मुझे तुम्हारी गर्मी महसूस करनी है, अंदर ही निकाल दो"।


आह! आह! तीन भरी झटको के साथ में उसके अंदर ही झड़ गया, वो भी अपनी आवाज़ नहीं रोक पाई , एक आह! एक उफ़! उसकी भी निकली। नीचे किसी के हिलने की आहत हुई तो हम मूर्ति जैसे खामोश हो गए। मैने देखा सामने वाली लड़की मुझे नज़रे गड़ाए घूर रही थी।


गनीमत थी और किसी ने हमें नहीं देखा न ही वो कुछ बोली। स्टेशन आने में पंद्रह मिनट थे, हम अलग हुए मैने प्यार से उसकी चूत साफ करी। अपने कपड़े ठीक करे।


कोई मुझे देखे न इसलिए में उतर कर दरवाज़े पर खड़ा हो गया। उसको मैने बोल दिया के स्टेशन से गांव तक साथ चले उसने भी हां करदी।


जैसे ही स्टेशन आया तो मैं उतरा और उसके आने का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में वो भी आ गई। मैं सफर और चूदाई से बहुत थक गया था इसलिए उसको एक कुर्सी पर लेकर बैठ गया।


उससे कुछ बात कर के पता चला कि वो गांव के बीच वाले हिस्से में रहती है, गांव से दिल्ली पड़ने गई थी कभी कभी यहां आती है।


अगले दिन सुबह पांच बजे मेरी खुली , में सोचने लगा कि मेरी आँख कब लगी रात में? उठकर सब से पहले मैने हनी को देखा, वो कही नहीं थी।


मुझे लगा बाथरून गई हो शायद काफी देर तक मैने उसका इंतज़ार किया लेकिन मुझे वो कही नहीं दिखी "रात को उसे कोई लेने आया होगा तो वो उसके साथ चली गई थी, में सो रहा था इसलिए उसने मुझे नहीं उठाया।"


सामने एक घोड़ा गाड़ी दिखी तो में उसमें बैठकर चल दिया उसमें कुछ आदमी ओर भी थे जो शादी बाहर से ही आय हुए थे। मैने रात को उस लड़की से मिलने का इरादा बनाया।


गाड़ी आगे बढ़ाते हुए हमसे बोला “बाबु साहब ये कमगनी गांव है! यहां पर ताबीज़ ओर कंडोम साथ रखना पड़ता है, क्योंकि भूत ओर चूत कही भी मिल सकती है!”


तभी गाड़ी का एक पहिया गड्ढे में से होकर निकला तो वो थोड़ी हिली मेरी नज़र एक खंभे पर गई जहां एक पर्चा लगा था, उसे देख कर मेरी हालत बिगड़ गई।


उसपर उसी लड़की की यानी हनी की तस्वीर लगी थी । उसपर लिखा था गुमशुदा की तलाश और तारीख दो साल पहले की लिखी थी।


मैने उस गाड़ी वाले से पूछा तो वो बोला। बाबू साहब ये बच्ची दिल्ली के लिए गांव से निकली थी लेकिन उसके बाद बहुत महीनो तक कोई पता नहीं चला फिर एक दिन ट्रेन की पटरियों के पास कुछ लोगों को इसकी लाश मिली।

अब ये कभी कभी ट्रेन में सवारियो को दिख जाती है। आप को तो नहीं मिली ना ये?


अब मुझे समझ आया यहां ताबीज़ और कंडोम साथ क्यों रखना ज़रूरी है! Antarvasna Sex Stories

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