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माँ और भाई ने दी चुदाई की शिक्षा - Desi Sex Kahani

मेरा नाम शीतल है।

मैं 20 साल की हूँ और गुजरात की रहने वाली हूँ।


यह मेरी पहली सेक्स कहानी है।

मुझे पहले सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था।


ये कहानी 2 साल पहले, कोरोना के समय की है।


मेरी माँ को पता था कि मुझे सेक्स जैसी चीजों में रुचि नहीं है और इस विषय में मैं ज्यादा जानती भी नहीं थी।


एक दिन माँ ने पूछा, “तुम्हारा कोई दोस्त है?”

मैंने कहा, “मेरी बहुत सारी सहेलियाँ हैं!”


तो माँ ने पूछा, “लड़कों में?”

मैंने कहा, “मुझे कोई रुचि नहीं!”


माँ बोली, “अब तुम बड़ी हो गई हो, तुम्हें सब सीखना होगा!”

मैंने पूछा, “क्या सीखना होगा?”


माँ ने कहा, “शादी के बाद तुम्हें अपने पति को कैसे खुश रखना है!”

मैं बोली, “मुझे नहीं पता कैसे खुश करना है!”


माँ ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं रात को सिखाऊँगी!”


फिर माँ अपने काम में लग गई। रात को हमने खाना खाया।


मेरे पापा चोकीदार हैं, तो रात को घर पर नहीं रहते।


पापा घर पर नहीं थे तो मैं नहाकर नाइटी पहन ली और माँ के कमरे में चली गई।


मैं माँ का इंतज़ार करने लगी।

माँ सारा काम खत्म करके आई और मुझे देखकर मुस्करा दी।


माँ ने साड़ी उतारकर गाउन पहना और बोली, “आज मेरे पास ही सो जाओ!”

फिर लाइट ऑफ करके हम सोने लगे।


तभी माँ ने अपना एक हाथ मेरे पेट पर रखा और सहलाने लगी।

मैं और करीब सरक गई।


माँ ने धीरे-धीरे मेरा हाथ पकड़कर अपने बूब्स पर रख दिया।

उनके बूब्स बहुत बड़े थे!


फिर माँ ने मेरे बूब्स पर हाथ फिराया और हँसने लगी, “इतने छोटे हैं! इन्हें बड़ा करना होगा!”


माँ ने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और ब्रा भी खोल दी।

अब वो मेरे बूब्स सहलाने लगी।


फिर माँ ने मुझे नीचे खिसकाया और गाउन को थोड़ा ऊपर करके अपनी पैंटी के पास ले गई।


वो बोली, “मेरी पैंटी सूँघ!”

मैंने मना किया तो माँ ने मेरा सिर पकड़कर मेरे मुँह को अपनी पैंटी पर लगा दिया।


मुझे माँ के पेशाब की महक आ रही थी।

फिर माँ ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाना शुरू किया।


मेरी साँसें तेज होने लगीं।


अचानक माँ ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे किस करने लगी।

मुझे अच्छा लगने लगा।


करीब 5 मिनट बाद, माँ ने मेरे शरीर पर चूमना शुरू किया।


चूमते-चूमते मेरे बूब्स को चूसा।

फिर माँ ने मेरा सिर पकड़कर जबरदस्ती अपनी चूत चटवाई।


मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था और माँ भी अजीब-अजीब आवाज़ें निकाल रही थी।


थोड़ी देर चूसने के बाद माँ झड़ गई और बोली, “आज मैं थक गई हूँ! तुम्हें कल चुदना सिखाऊँगी!”


फिर मैं माँ के कमरे से निकल गई।

रात के 12 बज रहे थे।


मुझे अब चुदाई सीखनी थी, किसी भी हाल में! मैंने सोचा, क्यों न भाई से सीखा जाए?


मैं रात को भाई के कमरे में गई।

वो कोई फिल्म देख रहा था और उसका एक हाथ कम्बल में, उसके लोअर में था।


मुझे देखकर वो गुस्सा करने लगा।


मैंने कहा, “मेरे कमरे में चूहा है, मुझे डर लग रहा है! क्या मैं तुम्हारे पास सो सकती हूँ?”


मैं डायरेक्ट चुदाई की बात नहीं कर सकती थी इसलिए जैसे-तैसे उसे मनाया।


मेरा भाई मुझसे 2 साल छोटा है और वो लोअर पहनकर ही सोता है।


मैं उसके एकदम पास जाकर कम्बल ओढ़कर सो गई।

वो शायद कोई पोर्न देख रहा था।


उसने फटाफट फिल्म बंद की और बाथरूम चला गया।

थोड़ी देर बाद आकर मेरे पास सोने लगा।


करीब 30 मिनट बाद उसने अपना हाथ मेरे पेट पर रखा।

2 मिनट बाद मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो मेरे पेट पर सहलाने लगा।


मैंने सोने का नाटक किया और उसकी तरफ घूम गई।

मैंने उसके एक पैर पर अपना पैर रख दिया।


वो पहले तो डर गया लेकिन कुछ समय बाद उसने फिर से अपना हाथ मेरी जाँघों पर रख दिया।


मुझे जैसे करंट सा लगा!

फिर उसने अपने एक हाथ को मेरी टी-शर्ट में डालकर मेरे चुचे सहलाने शुरू किए।


मेरी साँसें तेज होने लगीं।

फिर उसने एक पैर मेरे पैरों पर रखकर थोड़ा मेरे ऊपर आ गया।


उसने अपना लंड निकाला और मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत पर लगाकर सहलाने लगा।


वो धीरे-धीरे जैसे धक्के मारने लगा।

मैं चीख पड़ी!


वो लंड अंदर डालकर नींद से उठने की एक्टिंग करने लगा और पूछने लगा, “क्या हुआ?”

मैंने कहा, “मुझे कम्बल में कुछ चुभ रहा है!”

वो डर गया।


मैंने कहा, “कहीं चूहा तो नहीं?”

वो बोला, “हाँ, चूहा ही होगा! तुम डरो मत!”


मैं जानबूझकर नाटक कर रही थी।


मैंने कहा, “ये चूहा काटेगा तो नहीं? मुझे डर लग रहा है!”

भाई बोला, “ये तो बहुत सीधा चूहा है, किसी को काटता नहीं! ये शायद रास्ता भटक गया होगा!”


मैंने पूछा, “इसे कहाँ जाना है?”

वो बोला, “इसके घर जाना होगा!”


मैंने कहा, “इसका घर कहाँ है?”

वो बोला, “बिल में!”


अब भाई ने कहा, “जब तक चूहा बिल में नहीं जाएगा, तब तक ऐसे ही भटकेगा!”


फिर मैं वापस सोने लगी।

कुछ समय बाद फिर से भाई का हाथ मेरे पेट पर था।


वो मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही दबाने लगा।

मैंने कुछ नहीं कहा।


फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखकर हिलाने लगा।

बहुत बड़ा लंड था!


उसने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़कर लंड हिलाया और दूसरे हाथ से मेरे बूब्स दबाए।


करीब 5 मिनट बाद जोर-जोर से करने के बाद कुछ चिपचिपा मेरे हाथों पर गिर गया।


वो जल्दी से बाथरूम जाकर आया और सो गया।

मैंने उसे सूँघा तो बहुत गंदी महक आ रही थी।


फिर मैं भी बाथरूम जाकर हाथ धोए और अपने कमरे में चली गई।


अगली रात मैं फिर से बेचैन थी।


भाई के साथ जो हुआ, उसने मेरे मन में एक अजीब सी उत्सुकता जगा दी थी।

मुझे अब चुदाई के बारे में और जानना था।


मैंने सोचा, माँ ने कहा था कि वो मुझे सिखाएँगी, तो क्यों न उनसे बात करूँ?


रात को खाना खाने के बाद मैं फिर माँ के कमरे में गई।

माँ ने मुझे देखकर मुस्कराते हुए कहा, “आज फिर सीखने का मन है?”


मैं शरमा गई और बोली, “हाँ माँ, आपने कहा था न कि आप सिखाएँगी!”

माँ हँस पड़ी और बोली, “आज तुझे और मज़ा आएगा!”


माँ ने अपना गाउन उतारा और सिर्फ़ पैंटी में मेरे सामने खड़ी हो गई।

मैं उनकी बॉडी देखकर दंग रह गई।


उन्होंने मुझे पास बुलाया और मेरी नाइटी उतार दी।

अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।


माँ ने मेरे कंधों पर हाथ रखा और बोली, “शीतल, आज मैं तुझे औरत का असली सुख सिखाऊँगी!”


उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर आ गईं।

उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं।


माँ ने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे बूब्स को चूमना शुरू किया।

मैं सिहर उठी!


उनका एक हाथ मेरी पैंटी के अंदर चला गया और वो मेरी चूत को सहलाने लगी।

मैं तड़पने लगी।


मुझे ऐसा मज़ा आ रहा था, जैसे मैं किसी और दुनिया में हूँ!


माँ ने धीरे से मेरी पैंटी भी उतार दी।


अब माँ मेरे पैरों के बीच थीं और मेरी चूत को चूम रही थीं।

मैं चीख पड़ी, “माँ, ये क्या कर रही हो!”


माँ ने हँसकर कहा, “बस, मज़ा ले मेरी ब.च्ची!”

उनकी जीभ मेरे अंदर तक जा रही थी और मैं पागल हो रही थी।


कुछ ही देर में मेरे शरीर में जैसे बिजली सी दौड़ गई और मैं झड़ गई।

माँ ने मुझे गले लगाया और बोली, “ये तो बस शुरुआत है!”


मैं थककर उनके बगल में लेट गई।

तभी माँ ने कहा, “अब असली चुदाई का मज़ा तुझे कोई मर्द ही दे सकता है। क्या तू तैयार है?”


मैंने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया।


माँ बोली, “कल रात को अपने भाई को फिर से आज़मा! वो तुझे और सिखाएगा!”


अगली रात मैं फिर भाई के कमरे में गई।


इस बार मैंने जानबूझकर सिर्फ़ एक ढीली टी-शर्ट और पैंटी पहनी थी।

भाई मुझे देखकर चौंक गया।


मैंने कहा, “भाई, आज फिर चूहा मेरे कमरे में आ गया! मैं तेरे पास सो जाऊँ?”

वो हँसकर बोला, “आजा, चूहा फिर रास्ता भटक गया होगा!”


मैं उसके पास लेट गई।


इस बार भाई ने ज़्यादा समय नहीं लिया।

उसने कम्बल में ही मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।


मैंने उसे सहलाना शुरू किया।

उसका लंड और सख्त हो गया।


मैंने शरारत से पूछा, “भाई, ये चूहा तो बहुत बड़ा है!”

वो हँसकर बोला, “हाँ, और ये बिल में जाना चाहता है!”


उसने मेरी टी-शर्ट ऊपर की और मेरे बूब्स दबाने लगा।

मैं गर्म हो रही थी।


फिर उसने मेरी पैंटी में हाथ डाला और मेरी चूत को सहलाने लगा।

मैं सिसकारियाँ लेने लगी।


भाई ने मेरी पैंटी उतार दी और मेरे पैर फैलाए।

उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा।


मैं डर गई और बोली, “भाई, ये क्या कर रहा है?”

वो बोला, “डर मत, चूहा बस बिल में जा रहा है!”


उसने धीरे से लंड अंदर डाला।

मुझे दर्द हुआ और मैं चीख पड़ी।


भाई रुक गया और बोला, “पहली बार थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा!”

उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए।


दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था।

मैं भी अब उसका साथ देने लगी।


कुछ देर बाद भाई जोर-जोर से धक्के मारने लगा और मैं भी चीख रही थी।


अचानक उसने लंड बाहर निकाला और मेरा पेट चिपचिपा हो गया।


वो हाँफते हुए बोला, “मज़ा आया?”

मैं शरमाकर हँस दी।


फिर हम दोनों बाथरूम गए, साफ हुए और सो गए।


मुझे अब चुदाई का मज़ा समझ आने लगा था।

माँ और भाई ने मुझे वो सुख दिया जो मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था।


भाई के साथ उस रात के बाद मेरा मन और बेकरार हो गया था।

मैं अब चुदाई के मजे को और गहराई से समझना चाहती थी।


माँ की सिखाई बातें और भाई का साथ, दोनों ने मेरे अंदर एक नई आग जला दी थी।


मैं सोचने लगी कि अब आगे क्या?


अगले दिन माँ ने मुझे सुबह बुलाया और पूछा, “शीतल, कुछ सीखा या नहीं?”

मैं शरमा गई और चुप रही।


माँ हँस पड़ी और बोली, “तेरी शरम बताती है कि तूने भाई से कुछ तो सीखा! बोल, कैसा लगा?”


मैंने धीरे से कहा, “माँ, बहुत मजा आया! पर थोड़ा डर भी लगा।”

माँ ने मेरे गाल पर हाथ फेरा और बोली, “डर मत, ये सब तो शुरुआत है!”


उस रात माँ ने मुझे फिर अपने कमरे में बुलाया।

इस बार वो पहले से तैयार थीं।


उन्होंने एक पतला सा गाउन पहना था, जिसमें उनकी पूरी बॉडी साफ दिख रही थी।


माँ ने मुझे पास बुलाया और बोली, “आज मैं तुझे कुछ और सिखाऊँगी, जो तेरा पति तुझसे चाहेगा!”


मैं उत्सुक हो गई।


माँ ने मुझे बेड पर बैठाया और एक छोटा सा बैग निकाला।

उसमें से एक लंबा, रबर जैसा चीज निकली।


मैंने चौंककर पूछा, “माँ, ये क्या है?”

माँ ने हँसकर कहा, “ये डिल्डो है, ब.च्ची! इससे तुझे औरत का असली सुख मिलेगा!”


माँ ने मुझे लिटाया और मेरी पैंटी उतार दी।

माँ वो उस डिल्डो को मेरी चूत पर रगड़ने लगी।


मुझे गुदगुदी सी होने लगी।

फिर माँ ने धीरे से उसे मेरे अंदर डाला।

मैं चीख पड़ी, “माँ, ये तो बहुत बड़ा है!”


माँ ने प्यार से कहा, “धीरे-धीरे मजा आएगा!”

वो उसे अंदर-बाहर करने लगी।


पहले तो दर्द हुआ लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा।

मैं सिसकारियाँ लेने लगी।

माँ भी मेरे साथ मजा ले रही थी।


कुछ देर बाद मैं फिर से झड़ गई।

माँ ने मुझे गले लगाया और बोली, “अब तू तैयार है असली मजे के लिए!”


अगली रात मैं फिर भाई के कमरे में गई।

इस बार मैंने जानबूझकर एक टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे।


भाई मुझे देखकर मुस्कराया और बोला, “फिर चूहा आ गया क्या?”

मैंने शरारत से कहा, “हाँ, और इस बार वो बिल में जाना चाहता है!”


भाई हँस पड़ा और मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।

उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरे बूब्स को चूसने लगा।


मैं गर्म हो रही थी।

मैंने भी उसका लोअर नीचे किया और उसके लंड को पकड़ लिया।

वो पहले से सख्त था।


मैंने माँ की सिखाई बात याद की और नीचे झुककर उसके लंड को मुँह में लिया।

भाई सिसकारी भरने लगा, “शीतल, ये तूने कहाँ से सीखा!”


मैंने हँसकर कहा, “बस, सीख रही हूँ!”

सेक्स ट्रेनिंग इन फॅमिली की बात दबा कर मैं उसे चूसने लगी।

भाई का लंड मेरे मुँह में और बड़ा हो रहा था।


फिर भाई ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे शॉर्ट्स उतार दिए।

उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया।


मैं पागल हो रही थी।

मैंने कहा, “भाई, अब डाल दे!”


भाई ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक झटके में अंदर डाल दिया।

इस बार दर्द कम था और मजा ज्यादा।


भाई जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

मैं भी उसका साथ दे रही थी।


हम दोनों की साँसें तेज थीं।

मैं चीख रही थी, “भाई, और तेज!” कुछ देर बाद भाई ने लंड निकाला और मेरे पेट पर झड़ गया।


हम दोनों हाँफ रहे थे।


भाई ने मुझे गले लगाया और बोला, “शीतल, तू तो अब मास्टर हो गई!”

मैं हँस दी।


उस रात के बाद मैं और भाई अक्सर ऐसे ही मजे लेने लगे।


माँ भी मुझे नई-नई चीजें सिखाती थी।

मुझे अब चुदाई का पूरा मजा समझ आ गया था।


मैं सोचने लगी कि शादी के बाद अपने पति को कैसे खुश करूँगी!


तो मिलते हैं अगली कहानी में!

तब तक आप इस Desi Sex Kahani पर अपने विचार मुझे बताएं.

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