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माँ की चिकनी चूत मेरा लम्बा लंड खा गयी - Desi Sex Videos

आज मैं तुम्हें अपनी एक ऐसी गुप्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो शायद ही किसी को पता हो। ये बात मेरे और मेरी माँ के बीच की है, जिसने मेरी जिंदगी को एक नया मोड़ दे दिया। मैंने अपनी सगी माँ को चोदा, और वो पल इतना तीखा और गहरा था कि मैं आज भी उसे याद करके सिहर उठता हूँ। मैं तुम्हें पूरी बात विस्तार से बताता हूँ, ताकि तुम उस रात की गर्मी को महसूस कर सको। मेरा नाम अरविन्द है, उम्र 22 साल, और मैं एक जवान लड़का हूँ, जो कॉलेज में पढ़ता है।


मेरी माँ का नाम सुकन्या है, वो ४५ साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी है कि कोई भी उनको देखकर पागल हो जाए। उनका चेहरा करिश्मा कपूर की तरह चमकता है, और उनका फिगर 36-30-34 का है, जो किसी भी मर्द के होश उड़ा दे। वो साड़ी में इतनी सेक्सी लगती हैं कि उनकी कसी हुई चूचियाँ और भरी हुई गांड हर किसी को ललचाती है। माँ का रंग गोरा है, और उनकी आँखों में एक चुदासी चमक रहती है। वो घर में अक्सर साड़ी पहनती हैं, लेकिन उनका पल्लू उनकी रसीली चूचियों को ढकने में नाकाम रहता है। मेरे चाचा लोग भी उनके दीवाने हैं, और मैंने कई बार सुना है कि वो उनके साथ रंगरलियाँ मना चुकी हैं।


उस रात जनवरी की सर्दी अपने चरम पर थी। घर में हर कोई अपने कमरे में रजाई के अंदर दुबक कर सो रहा था। रात के करीब 10 बज रहे थे, जब मुझे पेशाब करने की जरूरत महसूस हुई। मैं नीचे की टॉयलेट में गया, लेकिन वहाँ पहले से कोई था। मजबूरी में मुझे पहली मंजिल की टॉयलेट में जाना पड़ा। मैंने दरवाजा खोला, अपनी पैंट उतारी, और मूतने लगा। जैसे ही मैं लौटने को हुआ, तभी मुझे माँ के कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। “ओह्ह माँ… ओह्ह माँ… उ उ उ… आह्ह…” ऐसी कामुक सिसकारियाँ थीं कि मेरे कदम रुक गए। मैं समझ गया कि कुछ तो गर्म माजरा चल रहा है।


मैं चुपके से उनके कमरे की तरफ बढ़ा। दरवाजा हल्का सा खुला था, और अंदर का नजारा देखकर मेरे होश उड़ गए। मेरी माँ, सुकन्या, मेरे अनुज चाचा के साथ बिस्तर पर थीं। माँ का नीला ब्लाउस आधा खुला हुआ था, और उनकी बड़ी-बड़ी अनार जैसी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं। उनकी गोरी चमकती चूचियों को देखकर मेरा लंड उस सर्दी में भी तन गया। अनुज चाचा माँ के गले और गालों पर चुम्बन बरसा रहे थे, और माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।


“सुकन्या भाभी, ये लो, थोड़ी रम पी लो। सर्दी में गर्मी देगी!” चाचा ने हँसते हुए कहा और माँ के होंठों पर रम की बोतल लगा दी। माँ ने दो-तीन घूँट गटक लिए, और उनकी आँखों में नशा चढ़ने लगा। चाचा ने माँ का ब्लाउस पूरी तरह खोल दिया और उनकी नंगी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगे। माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… अई… अई…” उनकी चूचियाँ इतनी सफ़ेद और उभरी हुई थीं कि सनी लियोन भी फेल हो जाए। उनके निपल्स के चारों ओर भूरे रंग के बड़े-बड़े गोले थे, जो देखने में बेहद कामुक लग रहे थे। मैं बाहर खड़ा था, लेकिन मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था। मैंने अपनी पैंट खोली और अंडरवियर में हाथ डालकर मुठ मारने लगा।


“अनुज, कितने दिनों बाद तू मेरे पास आया है। मेरी चूचियों को अच्छे से पी!” माँ ने चुदासी लहजे में कहा। चाचा ने माँ को अपनी गोद में लिटाया और उनके होंठों पर चुम्बन शुरू कर दिए। दोनों देर तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। माँ की बेताबी साफ दिख रही थी। वो चाचा की पीठ सहलाते हुए उन्हें अपनी बाहों में जकड़ रही थीं। चाचा ने उनकी चूचियों को फिर से मसलना शुरू किया, और माँ की कामुक आवाजें “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” कमरे में गूँजने लगीं। चाचा ने माँ की एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगे। माँ की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… ईई… ओह्ह… अनुज, और चूस… मेरे दूध का सारा रस पी जा!”


चाचा ने एक चूची को चूसते हुए दूसरी को मसलना जारी रखा। उनकी जीभ माँ के भूरे निपल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और माँ का बदन सिहर रहा था। वो बार-बार अपनी कमर उछाल रही थीं, जैसे उनकी चूत में आग लगी हो। मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर पागल हो रहा था। मेरा लंड अब इतना सख्त हो चुका था कि मैंने अंडरवियर भी उतार दिया और अपने 7 इंच के लौड़े को जोर-जोर से हिलाने लगा।


कुछ देर बाद चाचा ने माँ का पेटीकोट खोल दिया। माँ ने सफ़ेद रंग की चड्डी पहनी थी, जो उनकी गोरी जाँघों के बीच चमक रही थी। चाचा ने चड्डी के ऊपर से माँ की चूत को सहलाना शुरू किया। “भाभी, तेरी चूत तो बिल्कुल चिकनी और सेक्सी है!” चाचा ने कहा और चड्डी को धीरे-धीरे उतार दिया। माँ की चूत पूरी तरह साफ थी, जैसे अभी-अभी शेव की हो। उसकी गुलाबी चूत देखकर चाचा के मुँह से लार टपकने लगी। “ओह भाभी, ये तो जन्नत की सैर है! इतनी चिकनी चूत!” चाचा ने कहा और अपना मुँह माँ की चूत पर लगा दिया।


चाचा की जीभ माँ की चूत के होंठों पर फिसलने लगी। वो बार-बार जीभ को अंदर-बाहर करते, चूत के दाने को चूसते, और माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “आआह्ह… मम्मी… सी सी सी… ऊँ ऊँ ऊँ… अनुज, और चाट… मेरी चूत का सारा रस पी जा!” माँ का बदन हिलोरें मार रहा था। उनकी जाँघें काँप रही थीं, और वो बार-बार अपनी कमर उठाकर चाचा के मुँह को अपनी चूत में दबा रही थीं। चाचा ने अपनी जीभ को और तेजी से चलाना शुरू किया, और माँ की चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया। मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर इतना गर्म हो गया कि मेरा लंड फटने को तैयार था।


“अनुज, मेरे भोसड़े में उंगली डाल… और रगड़… आह्ह… सी सी सी…” माँ ने रंडी जैसे लहजे में कहा। चाचा ने उनकी बात नहीं सुनी और चूत चाटते रहे। कुछ देर बाद चाचा ने अपना अंडरवियर और बनियान उतार दिया। उनका 6 इंच का लंड पूरी तरह तना हुआ था। वो माँ के पेट पर चुम्बन करने लगे, फिर उनकी गहरी नाभि में जीभ डालकर चूसने लगे। माँ की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… अनुज… मेरी नाभि को और चूस… ओह्ह…” चाचा ने माँ की चूचियों को फिर से मसलना शुरू किया और उनकी नाभि को चूसते रहे।


“देवर जी, अब मेरी चूत में उंगली डालो… मुझे और गर्म करो!” माँ ने चुदासी होकर कहा। चाचा ने अपनी दो उंगलियाँ माँ की चूत में डाल दीं और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गईं, “हूँ ऊँ ऊँ… सी सी सी… हा हा हा… और तेज… अनुज, मेरी चूत फाड़ दो!” चाचा की उंगलियाँ माँ की चूत के रस से भीग गईं। वो अपनी उंगलियाँ निकालकर मुँह में डालकर चूसने लगे। “भाभी, तेरी चूत का रस तो अमृत है!” चाचा ने कहा।


करीब 15 मिनट तक चाचा ने माँ की चूत में उंगली की। माँ की बेताबी अब चरम पर थी। “अनुज, अब अपना लौड़ा डाल दे… मेरी चूत को चोद डाल… आह्ह… अब और मत तड़पाओ!” माँ ने रंडी जैसे लहजे में कहा। चाचा ने अपना 6 इंच का लंड हाथ में लिया और उसे माँ की चूत के मुँह पर रगड़ने लगे। वो लंड के सुपाड़े को चूत के दाने पर रगड़ रहे थे, और माँ उछल-उछलकर सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह… सी सी सी… और रगड़ो… मेरी चूत में आग लग रही है!” चाचा ने अपनी चूत पर थूक लगाया और एक जोरदार धक्का मारा। उनका लंड माँ की चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया।


“आऊ… मर गई… धीरे करो, जान लोगे क्या?” माँ चिल्लाईं, लेकिन उनकी आँखों में चुदास साफ दिख रही थी। चाचा ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। फटाक-फटाक की आवाज कमरे में गूँजने लगी। माँ ने अपने घुटनों को मोड़ लिया और अपनी जाँघें और फैला दीं। “उ उ उ… आआह्ह… सी सी सी… और तेज… अनुज, मेरी चूत फाड़ दो!” माँ रंडी जैसे लहजे में चिल्ला रही थीं। चाचा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और माँ के होंठों पर अपने होंठ रखकर लिप-लॉक कर लिया। वो माँ की चूचियों को मसलते हुए, उनकी चूत में लंड पेल रहे थे। मैं बाहर खड़ा ये सब देखकर मुठ मार रहा था। मेरा लंड इतना गर्म हो चुका था कि मैं झड़ गया।


“और चोदो… मेरी चूत को रगड़ डालो… आह्ह… ऊँ ऊँ ऊँ…” माँ चिल्ला रही थीं। चाचा ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। वो माँ के ऊपर सवार हो गए और उनकी चूत में गहरे धक्के मारने लगे। माँ का बदन हिलोरें मार रहा था, और वो जन्नत का मजा ले रही थीं। तभी चाचा ने एक गहरी सिसकारी ली, “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ!” उनका लंड माँ की चूत में माल छोड़ने लगा। माँ की चूत चाचा के माल से भर गई। चाचा माँ के ऊपर से हटे और बगल में लेट गए।


“लाओ, तुम्हारा लौड़ा चूस दूँ!” माँ ने कहा और चाचा के लंड को मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगीं, जैसे कोई रंडी अपने ग्राहक को खुश कर रही हो। कुछ देर बाद माँ को रम का नशा चढ़ गया। वो नंगी ही बिस्तर पर लेट गईं। चाचा रम लेने नीचे गए, लेकिन उन्हें भी नशा चढ़ चुका था। वो अपने कमरे में जाकर सो गए।


इधर मेरी चुदास बेकाबू हो चुकी थी। मैं माँ के कमरे में चला गया। वो नंगी लेटी हुई थीं, उनका गोरा बदन चाँदनी में चमक रहा था। उनकी चूचियाँ, उनकी गहरी नाभि, उनकी चिकनी जाँघें—सब कुछ इतना सेक्सी था कि मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने अपनी शर्ट, पैंट, बनियान और अंडरवियर उतार दिए। मैं माँ के पास गया और उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा। पहले तो माँ ने मुझे चाचा समझा, लेकिन फिर उनकी आँखें खुलीं और वो मुझे देखकर चौंक गईं। “अरविन्द, ये क्या कर रहा है?” वो धीमे स्वर में बोलीं, लेकिन उनकी आँखों में नशा और चुदास थी। उन्होंने सिर हिलाकर मुझे इशारा किया कि वो तैयार हैं।


मैंने उनकी 36 इंच की चूचियों को पकड़ा और जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… अरविन्द… आराम से… मेरे दूध को प्यार से दबा…” माँ ने सिसकारी लेते हुए कहा। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। उनका निपल मेरे मुँह में था, और मैं उसे जीभ से चाट रहा था। माँ की सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… बेटा, और चूस… मेरे दूध का रस पी जा!” मैंने उनकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसा। उनका गोरा बदन मेरे हाथों में था, और मैं उनकी नरम चूचियों को मसलते हुए पागल हो रहा था।


मैंने अपना हाथ उनके पेट पर फेरना शुरू किया। उनकी गहरी नाभि को देखकर मैंने अपनी उंगली उसमें डाल दी। माँ अंगड़ाई लेने लगीं, “आह्ह… अरविन्द… मेरी नाभि को और चाट…” मैंने उनकी नाभि में जीभ डाल दी और चूसने लगा। माँ का बदन काँप रहा था। “बेटा, अब मेरी चूत को चोद… मेरी बुर में आग लगी है… आह्ह… सी सी सी…” माँ ने चुदासी होकर कहा।


मैंने देर नहीं की। मैंने अपना 7 इंच का मोटा लंड पकड़ा और माँ की चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, और मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में समा गया। “आऊ… मर गई… अरविन्द, धीरे… मेरी चूत फट जाएगी!” माँ चिल्लाईं, लेकिन उनकी आँखों में मस्ती थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। फटाक-फटाक की आवाज कमरे में गूँजने लगी। माँ ने अपनी जाँघें और फैला दीं, “आह्ह… सी सी सी… और तेज… बेटा, मेरी चूत को फाड़ दे… ऊँ ऊँ ऊँ…”


मैंने उनकी चूचियों को पकड़ लिया और एक को मुँह में लेकर चूसते हुए चोदने लगा। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… अई… अई… और तेज… मेरी बुर को रगड़ डाल… फाड़ दे इस हरामिन चूत को!” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और गहरे-गहरे धक्के मारने लगा। माँ का बदन हिलोरें मार रहा था, और वो मेरे हर धक्के के साथ जन्नत में थीं।


“माँ, मैं झड़ने वाला हूँ… माल कहाँ निकालूँ?” मैंने हाँफते हुए पूछा। “मेरे मुँह पर निकाल, बेटा!” माँ ने कहा। मैंने जल्दी से अपना लंड उनकी चूत से निकाला और उनके चेहरे के सामने ले गया। मैंने लंड को जोर-जोर से हिलाया, और कुछ ही सेकंड में मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी। माँ का चेहरा मेरे माल से रंग गया। वो मेरे लंड को मुँह में ले लिया और 15 मिनट तक चूसती रही।


इस तरह मेरी माँ की चुदाई पूरी हुई। ये राज मैंने किसी को नहीं बताया, सिवाय तुम्हारे। दोस्तों, ये कहानी कैसी लगी, जरूर बताना। Desi Sex Videos

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Guest
Oct 23
Rated 5 out of 5 stars.

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Guest
Oct 18
Rated 3 out of 5 stars.

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Guest
Oct 17
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