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मामी की चूत और कुंवारी गांड मिली - Desi Sex Kahani

यह बात 2010 की है.

उससे पहले मैंने कभी किसी लड़की या औरत के साथ चुदाई नहीं की थी और न ही कभी मुठ मारी थी.


उस वक्त तक मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं था.


यह Desi Sex Kahani उन दिनों की है, जब मेरे मामा की नई नई शादी हुई थी.


उस समय मेरी 19 साल थी और मामी की उम्र 22 साल की थी.

वे दिखने में बेहद ही खूबसूरत थीं.

उनका रंग एकदम दूध सा गोरा था और शरीर भरा हुआ था.


शादी के दो महीने बाद मामा काम के सिलसिले में शहर चले गए थे.

इसलिए उस समय घर में नाना, नानी और मामी ही थीं.


एक दिन मैं अपने चाचा की शादी का कार्ड देने मामा के घर गया हुआ था और शाम होने की वजह से मैं वहीं रुक गया.


मामा की शादी के बाद मैं पहली बार मामी से मिला था.


कुछ ही घंटों में मामी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई.

हम दोनों रात होने से पहले एक दूसरे से काफी हंसी मजाक करते रहे.


मेरे मामा का घर बहुत बड़ा था लेकिन सिर्फ आगे का हिस्सा ही पूरी तरह बना हुआ था.

जबकि पीछे के हिस्सा चारों तरफ से 7 फुट की बाउंड्री बना कर यूं ही छोड़ दिया गया था.


रात को खाना खाने के बाद, नाना और नानी घर के बाहर सोने चले गए.


गर्मियों में गांव के लोग ज्यादातर घर से बाहर ही सोते हैं.


काफी गर्मी होने के कारण मामी ने घर के पीछे बाउंड्री वाले ओपन ग्राउंड में ही मेरा और अपना बिस्तर अलग अलग चारपाई पर लगा दिया.


बिस्तर लगाने के बाद मैं मामी के साथ छेड़खानी करने लगा.

मामी ने भी मजाक मजाक में मुझे बिस्तर पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ गईं.


पहली बार किसी औरत कर स्पर्श पाकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मुझे बहुत मजा आने लगा.

कुछ देर तक हम दोनों पटका पटकी करते रहे.


फिर जब मामी को अहसास हुआ कि मेरा लंड खड़ा हो गया है तो वे मेरे गाल पर किस करके हंसती हुई मुझे छोड़ कर अपने बिस्तर पर चली गईं.


उनके जाने के बाद मैं अपने हाथ से ही अपने लंड को दबा कर शान्त करने लगा.


शायद मामी की भी चूत में आग लग चुकी थी.

लेकिन मेरी तरफ से कोई प्रक्रिया न पाकर मामी खुद ही बोलीं- अक्की … तुम्हारे अन्दर दम नहीं है, अगर दम होता तो तुम मेरे बिस्तर पर आकर अपना किस वापिस लेकर चले जाते.


इतना सुनते ही मैं झट से मामी के बिस्तर पर जाकर उनके बगल में सीधा होकर लेट गया.

लेकिन उन्हें छूने की हिम्मत अब भी नहीं हो रही थी.


उस वक्त मामी आसमानी रंग की साड़ी पहनी हुई थीं और उनके जिस्म की खुशबू मुझे रह रह कर और कामुक कर रही थी.


मामी- बस इतनी ही हिम्मत है?

मैं- पहले आप मेरा किस वापिस कर दीजिए, फिर आपको अपनी हिम्मत दिखाता हूं.


मामी समझ चुकी थीं कि मैं डर रहा हूं.

फिर मामी ने धीरे से अपना पेटीकोट ऊपर करके मेरा हाथ अपनी नंगी चूत पर रख दिया और बोलीं- बस किस ही चाहिए?


मैं पहली बार किसी चूत को छू रहा था.


वाह … क्या चूत थी मामी की … एकदम मख़मली और बहुत ही बड़ी शायद कामसूत्र में कही हुई ‘हथिनी योनि’ जैसी!

उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.


बिना कुछ बोले मैं मामी के अन्दर चल रही कामभावना को समझ चुका था.


आज मेरे लंड को पहली चूत मिलने वाली थी इसलिए मैं कुछ नहीं बोला, बस धीरे धीरे उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा.


मामी को सांसें तेज होने लगीं.

वे मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर अपनी चूत सहलवाती हुई सिसकारियां लेने लगीं- आह्ह्ह … उम्मम्म … उह्ह!


दो मिनट तक चूत सहलाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि उनकी चूत से चिपचिपा पानी जैसा कुछ निकाल रहा है.

वह पदार्थ बिलकुल गर्म घी की तरह था.


अब मेरा लंड उनकी चूत मे जाने के लिए बेचैन हो गया था.


मैं झट से मामी के ऊपर चढ़ कर चुदाई की पोजीशन में आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर सैट करने लगा.

मामी भी मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ती हुई बोलीं- मुझे पता है कि तुम पहली बार कर रहे हो और तुम्हें कुछ पता नहीं है, लेकिन मैं जैसा बोल रही हूं बस वैसा करो और वह भी बिना कुछ सवाल किए, तभी हम दोनों अच्छे से मजा ले पाएंगे!


मैंने उनकी तरफ देखते हुए ‘हां’ में अपना सर हिला दिया.

मामी ने धीरे से मेरे कान में कहा- पहले नीचे सरक कर मेरी चूत चाटो.


मैं- छी: … मामी यह मुझे नहीं हो पाएगा.

मामी गुस्से में बोली- ठीक है. तब तुम अपनी जगह जाकर सो जाओ, कुछ करने की जरूरत नहीं है.


मैं पहली बार चूत चोदने के लिए काफी उत्सुक था इसलिए मैं उन्हें गुस्से में देख कर रिक्वेस्ट करते हुए बोला- प्लीज़ मामी. मैंने आज से पहले ऐसा कुछ नहीं किया है और मुझे आता भी नहीं है.

मामी मेरे सर का पकड़ कर मुझे किस करती हुई आगे को हुईं और उन्होंने अपनी पूरी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल दी.


मैंने भी मामी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनके होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.


मामी जी भी मेरा साथ देने लग गई थीं.

धीरे धीरे मेरा हाथ मामी जी के स्तनों पर जा पहुंचा, मैं ब्लाउज के ऊपर से ही स्तनों को सहलाने लगा.


मामी भी मेरी पीठ को अपने हाथों से सहला रही थीं.

मैंने मामी जी की होंठ चुसाई के बाद उनकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया.


मामी जी गर्म हो गई थीं, वे मेरा पूरा साथ दे रहीं थीं.

उफ्फ … उनके होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था.


हम दोनों एक दूसरे की जीभ और होंठों को बेतहाशा चूसने लगे थे.

कभी कभी तो ऐसा लगता कि मामी मुझे पूरा खा जाना चाहती हैं.


कुछ देर बाद मामी मुझे अलग करती हुई बोलीं- कैसा लगा?

मैं- अहह मामी … मजा मजा आ गया.


फिर मामी मेरे सर पकड़ कर नीचे करती हुई बोलीं- जैसे कुत्ते पानी पीते हैं, बस वैसे अपनी जीभ से मेरी चूत चाटो. उसके बाद तुम्हें और भी मजा आएगा.


मैं समझ गया था कि बिना चूत चाटे वे अपनी चूत नहीं चोदने देंगी.

इसलिए बिना झिझके मैं उनकी दोनों टांगों के बीच आ गया.


चांदनी रात में मामी की नंगी जवानी क्या मस्त लग रही थी.

मामी जी की चूत रात में एकदम चमाचमा उठी थी.

उनकी चिकनी चूत कामरस से भीगी हुई थी.


इस तरह चूत के दीदार करने के साथ मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा दी.

मामी जी एकदम से तिलमिला उठीं.


फिर मैं धीरे धीरे उनकी चूत को जीभ से सहलाने लगा.

मैं उनकी चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच की दरार में अपनी जीभ नीचे से ऊपर करके चूत चाटने लगा.


मामी की सांसें तेज होने लगीं- आआह … उईई … ओह्ह … अई!

वे मादक सिसकारियां भरने लगीं.


अचानक से वे मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरी चड्डी को निकल कर फेंकती हुई बोलीं- आह्ह्ह … मजा आ गया … अब तुम जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे चोद दो.


मेरा लंड कब से इस पल का इंतजार कर रहा था.

मैं जल्दी से अपने हाथ में लंड को पकड़ कर उनकी चूत पर इधर उधर फिराने लगा.

लेकिन मुझे उनकी चूत का छेद नहीं मिल रहा था.


मामी थोड़ी मुस्कुराती हुई मेरे हाथ से लंड अपनी हाथ में लेती हुई बोलीं- मेरे राजा … तुम तो एक छेद भी नहीं ढूंढ पा रहे हो … मेरी चुदाई कैसे करोगे?


फिर वे हंसती हुई अपनी चूत की छेद पर मेरे लंड सैट करती हुई बोलीं- अब धीरे धीरे अन्दर धकेलो.

उनकी बात सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा और उन पर गुस्सा आने लगा.


मैंने गुस्से में अपनी पूरी ताकत के साथ एक ही झटके में अपना पूरा लंड उनकी चूत में पेल दिया.

उस वक्त मेरा लंड सिर्फ पांच इंच का ही था.


मामी की चुदाई शायद काफी दिनों से हुई नहीं थी और मेरे एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर जाने से वह तिलमिला उठीं- अह्ह्ह … बहनचोद … उह्ह्ह … मर गई मादरचोद रुक जा भोसड़ी के!

वे मुझे गन्दी गन्दी गालियां देने लगीं.


मैं उनके दर्द के परवाह किए बगैर ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.

मामी को मैं इतनी तेजी से चोदने लगा कि पट … पट … अह्ह हम्म्म उह्ह … आउच … की आवाजें गूंजने लगीं.


उनकी जोर जोर से चीख निकलने लगी- आह आआआ … हा … उम्म्ह … अहह मर गई प्लीज़ … आराम से करो, बहुत दर्द हो रहा है.

लेकिन मैंने अपना काम जारी रखा.


कुछ धक्के मारने के बाद अब उनका दर्द भी कम हो गया था, वे भी अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई करवाने लगीं.

उनको भी मजा आने लगा और वे अब जोर जोर से सिसकारियां भर रही थीं- ऊफ्फ … ऊऊ श्श्श्श श्श्श्ह्स … म्म्म्ह म्म्म्म्म … चोदो और चोदो मुझे अक्की … मेरी चूत की प्यास बुझा दो … फाड़ डालो मेरी चूत!


करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा.


मैंने एक आह्ह्ह … के साथ अपना पहला गाढ़ा वीर्य उनकी चूत में छोड़ दिया और उनके बगल में लेट गया.


मामी उठ कर बैठती हुई बोलीं- मुझे पता था कि तुम जल्दी झड़ जाओगे.

मैं शर्म के वजह से कुछ नहीं बोला.


मामी अपनी साड़ी को निकालती हुई मुझे देखने लगीं और साड़ी के साथ ही उन्होंने अपने ब्लाउज को भी निकल दिया.

अब वह सिर्फ पेटीकोट और ब्रा में थीं.


फिर उन्होंने अपने पेटीकोट को ऊपर करके अपनी एक टांग मेरे मुरझाए हुए लंड पर रख दी और अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को सहलाती हुई अपना आधा शरीर मेरे ऊपर रख कर लेट गईं.


मैंने भी अपना एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया और एक हाथ से उनकी चूचियों को दबाने लगा.

एक बार फिर उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- उम्म्ह … अहह … हय … याह … आआ आह्हह!


नीचे उनके पैर मेरे पैरों पर रेंग रहे थे.


मैं फिर से ऊपर आकर उनके निर्वस्त्र स्तनों पर जीभ फेरने लगा.

मामी के मुँह से तो बस मादक सिसकारियां निकली जा रही थीं- अह्ह्ह ह्ह्ह्ह … मम्म … और जोर से!


कुछ देर बाद मेरा लंड एक बार और खड़ा हो गया.

अब मामी जी ने कहा- अब तुम नीचे लेट जाओ, मैं तुम्हारे लंड पर बैठ कर अपनी चूत चुदवाऊंगी.


मैं बिस्तर पर सीधा होकर लेट गया.


पहले तो वे मेरे लौड़े को अपने होंठों पर रख कर मुँह के अन्दर लेने लगीं और उसे कुल्फी की तरफ चूसने लगीं.


पहली बार मेरा लंड किसी युवती के मुँह में था, जिससे मेरे मुँह से मादक आवाजें निकलने लगी थीं- आह … हहहह … इस्स … चूस साली रण्डी बड़ा मजा आ रहा है!


मैं भी उत्तेजना से उनके मुँह में अपना लंड घपाघप पेले जा रहा था.

उनके मुँह में इस तरह से लंड पेलने से गों … गों … की आवाज आ रही थी जिससे मैं और उत्तेजित होकर उन्हें और जोर से पेल रहा था.


उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे.

करीब पांच मिनट बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला.


मेरा लंड उनकी लार से भीग चुका था.


उसके बाद जल्दी से मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करके वे धीरे धीरे बैठने लगीं.

मामी के मुँह से ‘आआह … उऊऊ उफ फफ्फ़ … सईई … ’ की आवाजें निकल रही थीं.


मेरा लंड अब पूरी तरह से उनकी चूत में घुस गया था.

मामी जी जोर जोर से सिसकारियां भर रही थीं.


अब मैंने नीचे से ही धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिए.

मामी को मज़ा आने लगा.


वे मुझसे कहने लगीं- उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओर जोर से … जोर जोर से चोदो मुझे अक्की!

मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, मामी भी अपनी कमर को अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुद रही थीं.


मामी पूरे जोश में बोल रही थीं- आह आह्ह उई … उम्म्ह … अहह … हय … याह … उफ ओ आह्ह … अक्की और तेज पेलो … अह्ह्ह!

इस तरह करीब पांच मिनट के बाद चुदाई करते हुए अचानक उनकी सांसें भी जोर जोर से चलने लगीं.


इसी बीच मामी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और चिल्लाईं- आआह हुउऊ सस्सीईई …

बस यही सब करते करते उन्होंने अपना गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और बगल में लेट गईं.


हम दोनों पसीने से भीग चुके थे लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था.


मैंने गुस्से में मामी के बालों को पकड़ते हुए गाल पर खींच कर तमाचा मार दिया और गाली देने लगा- साली रण्डी, जब पहली बार मैं झड़ गया था, तब बहुत नाटक कर रही थी. अब तेरी चूत का पानी निकल गया तो आराम करने लगी. इतनी ही गर्मी थी तुम में, गांड फट गई तेरी!


उनकी आंखों में आँसू आ गए.

मामी दर्द से अह्ह्ह … करके हुए बोली- मादरचोद … तू तो बहुत जल्दी चोदूं बन गया!


मैं फिर एक तमाचा मरते हुए बोला- हां साली … तूने आज मेरी नुन्नू को लौड़ा बना दिया. मेरे कुंवारे लंड का पहला मजा ले लिया!

इस बार मामी ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर सोचती हुई बोलीं- मेरी एक चीज कुंवारी बची है, जो मैं तुम्हें दे सकती हूं. जिससे तेरा लंड शांत हो जाएगा.


मैं- क्या?

मामी चारपाई से उठती हुई बोलीं- चल मेरे साथ कमरे में, वहीं बताऊंगी.

मैं बिना कुछ बोले नंगा ही उनके साथ चल दिया.


मामी के कमरे के अन्दर अंधेरा था, कुछ भी साफ नहीं दिखाई दे रहा था.

मैंने मामी से लाइट चालू करने के लिए कहा, तो उन्होंने मना कर दिया.


वे बोलीं- लाइट चालू होगी तो मम्मी पापा को पता चल जाएगा कि हम दोनों जागे हुए हैं.

इस पर मैं बोला- हां ठीक है, लेकिन जल्दी बताओ कि आपके पास ऐसा क्या है, जो आपकी अब तक कुंवारी है? प्लीज जल्दी बताओ मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.


मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी मखमली गांड पर रखती हुई बोलीं- ये रही मेरी कुंवारी मख़मली गांड, जो आज तक किसी ने नहीं मारी. आज तुम इसे खोल कर मार लो.


मैं उनकी गांड को दबाते हुए बोला- वाउ … मामी हो तो आपकी जैसी!


मामी ने बगल की अलमारी से वैसलीन निकाल कर मेरे लंड पर लगाना शुरू किया.

वे लंड की मसाज करती हुई बोलीं- कुंवारे लंड के लिए कुंवारी गांड तो बनती है!


फिर मामी जल्दी से बेड पर चढ़ कर घोड़ी बनती हुई बोलीं- आओ जल्दी से और मेरी गांड में अपना लंड पेल कर इसकी सील तोड़ दो. तुम्हारे मामा जी ने तो आज तक इसको छुआ तक नहीं है … इसलिए प्लीज थोड़ा रहम दिखाना और आराम से उद्घाटन करना.

मैं ‘ठीक है!’ बोल कर मामी की गांड मारने पीछे की तरफ आ गया.


मैंने मामी जी की कमर को जोर से पकड़ लिया और लंड का सुपारा गांड के छेद पर लगा दिया.


कोरी करारी गांड पर लंड का गर्म गर्म स्पर्श होते ही मामी के बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई.

मैंने धीरे से अन्दर की ओर दबाव बनाया और सुपारे को मामी की गांड के पहले छल्ले में फंसा दिया.


लंड पर वैसलीन लगने की वजह से एक ही बार मेरे लंड का सुपारा मामी जी की गांड में चला गया.

जैसे ही सुपारे का हमला हुआ तो उस वजह वे ज़ोर से चीख पड़ीं- आईईई मैं मर गई … प्लीज … आराम से आह्ह … उई आह आहिस्ते आहिस्ते डालो … प्लीज़ दर्द हो रहा है. मैं पहली बार गांड मरवा रही हूं.


मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया उसके बाद मैंने अपने लंड को एक बार थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से एक धक्का लगा दिया.


इस बार लगभग मेरा आधा लंड मामी की गांड की गहराई में उतर गया था.

मामी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- इईईई … श्श्शशश … अआह … उम्म्ह!


उन्होंने कसकर बेडशीट पकड़ ली और अपनी आंखें बंद कर लीं.

मैंने देखा कि मामी की आँखों में से पानी निकल आया था.

मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा.


जैसे ही मामी थोड़ी नॉर्मल हुईं, मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.

अब उनको भी मज़ा आ रहा था.

वे मादक कराह लेती हुई सिसकारने लगी थीं- हाईई रे … हाई … इसमें तो चूत से भी ज़्यादा मज़ा आता है … और कसकर पेलो मेरे राजा … हाईईई रे सच में बहुत मजा आ रहा है … सीई हाईई … और रगड़ कर चोदो … आह सीईई ईई और कसकर … हाय माँ … आआह … मजा आ गया रे!


यह सुनकर मैं अब उनको बस धकापेल चोदने लगा और ताबड़तोड़ गांड को तबला समझ कर बजाता ही जा रहा था.

वे ‘उफ्फ्फ … स्स्स्सस … ’ करती जा रही थीं.


अब मेरी गोटियां भी मामी के मुलायम नितंबों से टकरा रही थीं.

मैं थूक टपकाता जा रहा था और मस्ती से अपने लंड को मामी की गांड में अन्दर बाहर कर रहा था.


उनकी मक्खन जैसी कोमल मुलायम गांड में मेरा लंड बड़े प्यार से चल रहा था.

साथ ही मैं अपने हाथ की उंगलियों से उनकी चूत के दाने को भी मसल रहा था.


इससे कुछ ही देर में मामी जी बहुत ही उत्तेजित हो गई थीं- अहह हहाआ इईई … श्शशश … आआह … मज़ा आ गया … ऊफ्फफ … फाड़ दे अपने लौड़े से मेरी गांड … अया … अब तो मैं तेरी बीवी हो गई हूँ … आअह सुहागरात को तेरे मामा जी ने मेरी कुंवारी चूत चोदी थी और आज तुम उईई … अहह हहाआ … मेरी कुंवारी गांड मार रहे हो … आह … चोद मेरे राजा चोद मुझे … जी भर के चोद आआअ … उम्म उफ्फ़ हाय मजा आ गया!


इसी के साथ मेरे धक्के और भी तेज होते जा रहे थे, मैं मामी जी को पूरे जोश के साथ चोद रहा था.

मामी फक करते हुए मेरा लंड पच पच की आवाज के साथ अन्दर बाहर हो रहा था.


मैं- मामी जी मेरी जान, आपने तो मुझे जन्नत की सैर ही करवा दी आह … मेरी जान … मैं तो … मैं … तो … ग … गयाआ … आआह … मेरा पानी निकलने वाला है, कहां निकालूँ?

मामी बोलीं- मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दो!


फिर मैंने ‘ये आअहह … ऊहह … लो’ कहा और उनकी गांड में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.

मैं सारा वीर्य उनकी गांड में आखिरी बूँद तक डालकर ऐसे ही कुछ देर तक उनके ऊपर लेटा रहा.


फिर जब मैंने अपना आधा सिकुड़ा हुआ लंड उनकी गांड से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उनकी गांड मेरे वीर्य से लबालब भरी हुई थी और लंड की रगड़ से लाल हो गई थी.

उनकी गांड से थोड़ा थोड़ा करके वीर्य उनकी चूत की तरफ बहने लगा था.


थोड़ी देर बाद मामी ने उठ कर अपनी चूत और गांड को बेडशीट से अच्छे से पौंछ कर साफ किया.


उसके बाद हम दोनों फिर बाहर चारपाई पर आ गए और सुबह तक चुदाई करते रहे.


उस दिन सुबह में मामी ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं.

यह देख कर मैं मुस्कुरा रहा था.


दोस्तो, यह एकदम सच्ची Desi Sex Kahani है आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.

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