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मुलायम गांड़ वाली डॉक्टर साहिबा - Free Sex Kahani

स्वागत है जी आपका मेरी कामुक दुनिया में, एक प्यारी सी चुम्मी सभी की चूत पर और प्यार भरा वेलकम सभी लन्ड वालो के लिए।


आज का जो किस्सा है वो मेरी लाइफ में तब का है, जिस समय मैने जॉब के साथ पार्ट टाइम इंटर्नशिप की थी।


तो हुआ कुछ यूं की मैं रात में खाना खाकर लेटा हुआ था, अपने काउंसलिंग करियर की शुरुआत में मैने काफी सारे वॉट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर रखे थे।


उन ग्रुप में मेरे काम से जुड़ी जॉब्स, कोर्सेज आदि आते रहते थे।


उसी रात मैने एक पोस्ट पढ़ी जिसमें एक डॉक्टर ने अपने लिए ऑनलाइन अस्सिटेंट की ज़रूरत बताई थी। डॉक्टर का नाम शशि था। उसके अनुसार काम बस इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालना था, सो मैने हां कर दी।


हमारी बस ऑनलाइन ही बात होती थी। वो मुझे रोज़ टॉपिक बताती और मैं उससे जुड़ी पोस्ट बनाकर डालता।


कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे फिर एक दिन मैं रात में लेटा हुआ था, तो उसकी वॉट्सएप पर फोटो लगी देखी।


मुझे उसके डॉक्टर होने पर शक हुआ उसकी उमर लगभग मेरी जितनी ही लग रही थी।


मैने उससे बहाने से पूछा तो वो बोली - “मेरी पढ़ाई हाल फिलहाल में ही खत्म हुई है और मैं एक सीनियर डॉक्टर की असिस्टेंट हूं, लेकिन अपना हॉस्पिटल खोलने की प्लानिंग में हूं।”


मैने बहुत ज़्यादा पूछताछ नहीं की लेकिन मेरे इरादे अब डॉ.शशि के लिए बदल गए थे।


डॉ.शशि एक लाजवाब हुस्न की मालकिन थी, अच्छी खासी नोएडा में रहने वाली मॉडर्न लड़की जिसका में असिस्टेंट था।


मैं उससे लगभग रोज़ ही कॉल पर बाते करने लगा। खाली समय में उसकी फोटो देखकर मुट्ठी मारता था।


वो एक दम मस्त टाइट कपड़े पहनती थी, उसकी चूची शर्ट के खुले बटन से हमेशा झांकती रहती।


कुछ दिन पहले उसने हॉफ डोगी पोजीशन में फोटो डाली थी तो उसकी गांड़ के नर्म मुलायम गोलाई मुझे ललचाने लगी मैने फोन से ही उसकी गांड़ को चूम लिया।


धीरे धीरे मैने उस के साथ फ्लर्ट करना शुरू करा। कभी मैं उसकी तारीफ कर देता कभी उसको हंसाने के लिए बाते बनाता।


जब मुझे लगा कि वो मेरी बातों का मज़ा ले रही है तो मैने अपनी हिम्मत को बढ़ाया।


मैने उसे दिखाने के लिए किसिंग वाले स्टेटस लगाए व हॉट कामुक वीडियो उसे दिखाने के लिए वॉट्सएप पर मैं लगाने लगा।


वो लगातार मेरी वीडियोज़ देखने लगी, फिर मैने बात आगे बढ़ाने की कोशिश की।


जब उसने अपनी फोटो लगाई तो मैने उसके फिगर की तारीफ की। उसके गडराय चूचे उसकी मखनी गांड़ को नर्म फूलों के गुलदस्ते के जैसा बताया, तो वो इतराने लगी।


उसको खुश होता देख वॉट्सएप पर ही मैने चुम्मी भेजी उसने भी जवाब में चुम्मी दे दी।


न मैने प्यार की कोई बात कही न उसने ऐसा कोई इशारा दिया। थोड़े दिनों में मामला गरमा ने लगा।


हम वीडियो कॉल करने लगे थे, रात को खाने के बाद रोज़ मीठे में उसके जिस्म का नज़ारा मुझे मिलता।


हमारी वीडियो कॉल चलती वो कभी अपनी शर्ट खोलती, मैं कभी अपनी शर्ट खोलता, फिर वो छुप जाती और ब्रा उतार कर कैमरा पर दिखाती, उसे मुझको तड़पाने में मज़ा आता था। मैं भी अपने 6.5 इंच वाले लन्ड के दर्शन उसे करता रहता।


वो अपने चूचे दबा दबा कर मुझे ललचाती उसकी 30 साइज़ की मोटी दुधिया मेरी गर्मी बढ़ा देती थी।


उसका निप्पल को अपने थूक से गिला करते देख मैं कॉल पर ही मुट्ठी मारता और पानी के झरने को बहता हुआ उसे दिखाता।


मेरे लन्ड की वो दीवानी होने लगी थी। मेरा पानी निकलता देखकर वो अपने चूत के छेद को थर्मामीटर से चोदती कैमरा पर ही झड़ते हुए मुझे आंख मारती।


एक दिन मैने उसे बताया कि मैं नोएडा आरा हूं उसका हॉस्पिटल देखना है मुझे।


उसने पहले तो मना कर दिया, लेकिन फिर मान गई। मैं अगले दिन उसके पास पहुंच गया। उसके हॉस्पिटल के नीचे खड़े होकर मैने कॉल करी तो उसने अपने केबिन में आने को बोल दिया।


जब मैं उसके केबिन पहुंचा और दरवाज़ा खोला।


दरवाज़ा खोलते ही देखा कि वो सामने मरीज़ो वाले हिस्से में अकेली बैठी थी। उसका चेहरा मेरी तरफ था किया बताऊं वो कितनी प्यारी लग रही थी।


फोटो में हमेशा मैने उसको कामुक जिस्म में देखा था, आज उसका एक अलग रूप मेरे सामने था। उसने बहुत टाइट गुलाबी रंग की फ्रॉक पहनी थी। उसके चूची को देखकर मुझे तरस आ रहा था। ऐसा लग रहा था के मुझसे आज़ादी की भीख मांग रहे हो।


मेरे मुंह में उसकी चूची देखकर पानी आने लगा। आगे बढ़कर वो मेरी बाहों में सिमट गई। आज पहली बार हम मिले थे।


कॉल पर भले ही मैने उसके जिस्म का कोना कोना देख रहा था। मगर सामने से उसे देखकर मुझे शर्म सी आ रही थी।


मैने उसे अलग करा और वो अपनी छोटी सी टेबल पर बैठकर अपना काम करने लगी, उसके पास रखे हुए पेन से मैं खेलने लगा बीच बीच में उसके ऊपर पेन मारता तो वो कातिलाना मुस्कान देकर मुझे घायल कर देती। मैं उठकर इधर उधर कैबिन देखने लगा।


वो खड़ी हुई अपनी कुर्सी पीछे कर के रिपोर्ट्स सेट करने लगी, मैं उसकी टेबल के पीछे आकर उसकी गांड़ ताड़ने लगा उसे देखकर मेरा लन्ड बेताब होने लगा तो मुझे पेंट ठीक करनी पड़ी।


मुझे लन्ड को ठीक करते देख उसने मेरी आंखों से आँखें मिलाई अपनी ज़ुबान उसने बाहर निकाली फिर अपने होठ से सूखी हुई गहरी गुलाबी लिपस्टिक को गिला किया दांतों से नीचे के होठ दबाए।


उसकी इस अदा ने मेरे काबू को खत्म कर दिया। मैने आजू बाजू देखा वहां बस एक कैमरा था लेकिन उसका मुंह बाहर देख रहा था टेबल की तरफ कोई कैमरा नहीं था।


मैने कांपते हाथ से उसकी गोल गोल मस्त गांड़ सहलाई, सहलाते सहलाते हाथ को पेट पर बांध लिया।


आज मैने पेंट के अंदर कुछ नहीं पहना था, मैने लन्ड को उसकी फ्रॉक पर से ही गांड़ की दरार में फंसाया।


ससससीस! हम्मम! एक नाज़ुक सिसकारी उसके होठों को खोलती हुई बाहर निकली, उसने मेरे हाथ अपने पेट पर पकड़े थोड़ी सी गर्दन एक तरफ झुकाली जिससे उसका गला मुझे साफ दिखने लगा।


उसके बदन से गर्म और मीठी खुशबू आती हुई मेरे दिमाग को चढ़ रही थी।


उसने हल्के से गर्दन घुमाई मेरी आंखों में आंखे डाली, पहली बार उसकी बड़ी काली चमकदार आंखे मैने देखी। उसकी आंखे बहुत ही ज़्यादा प्यारी थी, इतनी गहराई उनमें के अगर में चलते चलते इनमें खो जाऊं तो शायद खंभे से टकरा जाऊंगा।


उसके रस भरे होठ मेरी आंखों के सामने थे, उसके मोटे होठ मेरी नज़रों के सामने थे ।इतने करीब से आज मैने ये होठ देखे तो दिल ललचाने लगा उसके होठों पर पड़ी धारियां मेरा दिल तड़पा रही थी।


मेरे होठ बिना मेरी इजाज़त उसके होठों के करीब होने लगे, एक इंच से भी कम दूरी दोनों के बीच रह गई थी। उसके होठों ने भी मेरे लिए अपने आप को खोल दिया था। वो बोली “कोई आ गया तो” , मगर मैने नहीं सुना।


होठों ने एक दूसरे को छुआ तभी उसके बॉस ने बेल बजाकर उसे बुलाया। हम दोनों चौक गए वो शर्मा कर अंदर भाग गई।

करीब बीस मिनट बाद उसके बॉस की ड्यूटी खत्म हुई तो वो घर चले गए अब पूरा केबिन खाली थी बस हम दोनों उस हिस्से में अकेले थे।


वो लाल पीली फाइल्स को हाथों में लेकर बिगड़े मुंह के साथ आई और टेबल पर सारी फाइल्स पटक दी।


मेरे पूछने पर उसने बताया के बॉस ने शाम को छुट्टी देने से मना कर दिया वो उदास हो गई तो मुझे अच्छा नहीं लगा।


मैने उसे अपनी तरफ कर के गले लगाया। उसके मोटे चूंचे मेरे सीने में दब गए जिससे उसकी सिसकारी छूट गई।


मैने उसका चेहरा अपने हाथ में लिया, होठों को फिर से करीब लाया। होठ की दूरी फिर से खत्म होने लगे अपने होठों से उसके होठ सहलाकर मैने पूछा “ अब तो कोई नहीं आएगा न?” उसने बस “मम हम” कह कर आंखे बंद करली।


हम एक दूसरे के होठों को चूमते रहे उसके होठों में एक अलग मिठास थी या शायद उसकी लिपस्टिक कुछ अलग थी, ऐसा स्वाद मैने कभी नहीं चखा था।


उसने बांहे मेरे गले में डाल दी बेधड़क वो मेरे होठ चूसने लगी। मैने उसे दीवार से लगाया एक टांग अपनी कमर तक उठाई और गहराई तक उसको चूमने लगा।


उसके होठों को छोड़ने का मेरा बिल्कुल मन नहीं हो रहा था। हमने एक दूसरे को इतना चूसा कि दोनों का रस होठ से टपकता हुआ बाहर आने लगा।


हमारी सांसे तो तेज़ थी ही मगर उसकी सांस मुझे चूचियों में महसूस हो रही थी। करीब दस मिनट बाद मैने उसके होठ छोड़े। वो सामने खड़ी रूई की गुड़िया लग रही थी।


मैने उसके चूची पर हाथ रखा तो वो सिहर गई आह! एक हल्की आवाज़ उसने दबे होठों से निकाली।


मैने अपनी शर्ट उतारदी उसने अपनी आंखे बड़ी करली और हाथों से मुंह छुपा लिया। मैं आगे बढ़ा हाथों से उसे बूब्स के पास से पकड़ा और एक एक बार दोनों चूचों पर चूम लिया।


उसने हाथ खोलकर मुझे बाहों में भर लिया अपने चेहरे को मेरे सीने में छुपा लिया। मैं कुछ देर उसकी गर्दन चूमता रहा वो खुशबू से भरी आहे निकालने लगी। मैने उसके गाल चूमे फिर चूमते हुए गाल के नीचे आया उसकी गर्दन पर अपनी जीब फिराई धीरे धीरे उसके चूंचे दबाए।


उसकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी उसने खुदको ढीला छोड़कर अपने हाथ मेरी कमर पर बांध लिए। मैने चूचों को को ज़ोर से दबाते हुए अपने घुटने टेके। एक किस उसके पैर पर करी फिर अपना हाथ फ्रॉक के अंदर डाल दिया।


अपने हाथ फ्रॉक में डाले हुए मैं खड़ा हुआ मेरा हाथ डॉ.शशि के घुटनों से होता हुआ पैंटी पर आ गया। उसने तुरंत मेरे बाल खींचे और ज़ुबान मेरे मुंह में देकर होठ चूसने लगी।


मैने उसकी ज़ुबान लॉलीपॉप की तरह चूसी उसका रस बहुत मीठा था। एक पल हम रुके हमारी आँखें एक दूसरे में खोई हुई थी मैने उसे उठाकर टेबल पर बैठाया।


उसकी जांघ सहलाते हुए उसकी फ्रॉक उतार दी। उस समय जो नज़ारा मैने देखा आज तक वो मेरी आंखों में बसा है, गोरी चिट्ठी एक खूबसूरती की मूरत उभरे जिस्म के साथ मुझे अपने पास बुला रही थी उसकी भारी चूचियों पर आसमानी नीली रंग की ब्रा का पहरा था चूत काली पैंटी में छुपी इठला रही थी।


ऐसा लगता था बर्फीली पहाड़ी पर असमान और नीचे गहरे राज़ छुपाए दरिया मेरा इंतज़ार कर रहा है।


मैं आगे बढ़ा शशि मेरे सीने से हाथ घुमाती हुई लन्ड को पहुंची, उसने लन्ड दबाकर मोटाई का अंदाज़ा किया फिर उतर कर घुटनों पर बैठी।


उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया, पहले लन्ड के एक तरफ चूमा फिर दूसरी तरफ चूमा, लन्ड के नीचे चूमते हुए उसने मुझे चाटना शुरू किया।


ज़ुबान से लन्ड गिला करते हुए वो टोपी तक आई। उसने टोपी को चूमा फिर अपनी बड़ी आंखों से मुझे निहारने लगी।


थोड़ा थोड़ा कर के उसने पूरा लन्ड मुंह में लिया और अंदर बाहर करने लगी, लन्ड चूसते समय मेरी आंखों से वो नज़र नहीं हटा रही थी आम तौर पर ऐसी हालत में लड़कियां आंखे बंद कर लेती है मगर वो सिर्फ मुझे देख रही थी। उसके ऐसा देखने से मुझे मेरी सांसे भारी महसूस हुई।


उसने फिर लन्ड छोड़ा हाथ में लेकर एक बार ज़ोर से चूमकर वो खड़ी हो गई। मैने उसकी पैंटी उतार फेंकी गांड़ को दबाते हुए उसे वापस टेबल पर बैठाया।


उसने अपने हाथों में चेहरा छुपा लिया और टांगे मेरे स्वागत में खोल दी। मैने हाथ में थोड़ा ठुक लेकर चूत पर लगाया फिर लन्ड सेट कर के एक धक्का दिया।


उसकी आह! निकल गई।


उसके चेहरे से मैने हाथ हटाए और होठों में होठ दबा लिए।


उसकी गांड़ दबाकर मैने लन्ड पर खींची और तेज़ी से धक्के देने शुरू कर दिया।


आह! आआह! हार्फफ! बेबी ऑफ!


उसकी दर्द भरी आवाज़ मेरे जोश को बढ़ा रही थी। उसके चूची आज मैने बुरी तरह निचोड़ी उसके निप्पल को मुंह में लिया। छोटे बच्चे जैसे मैने निप्पल चूसे।


अफ़फ! ऊंह! आआह! आह! बेबी चोदो आह! मेरी जान रुकना मत आज।


आह आह आआह! उम्मं!


वो भी तेज़ी से गाड़ को धकेलने लगी। हम बेतहाशा चुदाई के नशे में डूब चुके थे।


मैं उसके चूंचे दबाते दबाते उसकी चुदाई के रहा था।


एक सेकंड मैं रुका और उसे पेट के बल पलटा उसकी चूत से भीगे अपने लन्ड को गांड़ के छेद पर फिट करा।


मैने उसके दोनों भारी भरकम चूंचे हाथों में जकड़े और ज़ोरदार झटके के साथ मैने अपनी बॉस की गांड़ मारनी शुरू कर दी।


उसकी सिसकारियां अब चीखों में बदल गई।


अआह! आगाह! बेबी आह! बहुत दर्द हो रहा है आह! निकालो न जान, आह!


उसकी चिकनी मस्त गांड़ देखकर में खुदको रोक नहीं पाया वो कमर मोड़ कर शानदार घोड़ी बन गई थी। मुझसे रहा नहीं गया मैने एक ज़ोर दार थप्पड़ उसकी गांड़ पर मार दिया।


उसकी चीख मुश्किल से उसने रोकी मगर आंसू न रोक सकी मुझे उसकी हालत पर थोड़ा तरस आया तो मैने चुदाई की रफ्तार बढ़ाई मैने तेज़ी से धक्के लगाना शुरू करा।


अआह! आह! उफ़! मम्मी आह!


मर गई! आह छोड़ दे कुत्ते आह! मम्मी!


साले ने मार ली तेरी बच्ची की गांड़! आगाह! मम्मी।


करते करते वो दबी आवाज़ में रोने लगी, आखिरकार आधे घंटे में जब में चरम सुख को पहुंचा तो फिर से उसे पलट कर चूत चोदना शुरू की।


करीब 15 से 20 धक्के मैने बहुत ज़ोर से पूरी ताकत लगाकर मारे और उसी के अंदर माल छोड़ दिया उसकी एक चीख फिर भी निकली और में उसी के ऊपर लेट कर होठ चूसने लगा। उसकी टांगे भी कांपने लगी चार से छै झटके मार कर वो भी झड़ गई। शाम तक हम यूंही पड़े रहे खाना भी वही मंगा कर खाया।


उससे जल्द ही दोबारा मिलने का वादा कर के जब तक में निकला तो रात हो चुकी थी। ना ही ई लव यू मैने बोला ना ही ऐसा कुछ उसने बोला और आज तक हमारी ये यादें ताज़ा है। अभी तक तो मैने उसे दोबारा नहीं चोदा है आगे का पता नहीं।


Free Sex Kahani कैसी लगी मुझे कॉमेंट कर के ज़रूर बताए।

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