शादी से पहले सुहागरात की सच्ची कहानी - Free Sex Kahani
- Jack Infinium
- Sep 21
- 12 min read
Updated: Sep 22
में जैक राजकोट में रहता हूँ। यह मेरी असली कहानी है जिसमे मेरे जीवन के सबसे मधुर पलों में से एक का वर्णन कर रहा है।
ये कहानी असली है, इसलिए जो अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी से पहेली बार सेक्स करना चाहता हो वो जरूर से पढ़े। क्योंकि दूसरी कहानियाँ की तरह इसमें कुछ फेक नहीं है।
ये बात आज से २० साल पहेले यानी २००५ की है, जब मैं गुजरात की एक नामी कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा था। मैं एक प्राइवेट हॉस्टल में रहता था, जहां सब शानदार सुविधाएं थीं। मैंने पीजी में नया ही एडमिशन लिया था। जब मैं पहले दिन क्लास में एंटर हुआ तो मैंने देखा कि क्लास में सब लड़के ही थे। क्योंकि मेरा सब्जेक्ट बहुत कम लड़कियां पसंद करती है। तब मैंने सोचा कि साला पीजी भी बेकार जाएगा। क्योंकि ग्रेजुएशन में भी हमारी क्लास में कोई भी लड़की नहीं थी। कोलेज की कुछ लड़कियों के साथ दोस्ती जरूर थी, लेकिन किसी के साथ क्लोज होने का मौका नहीं आया।
कॉलेज के 3-4 दिन तो मेरा परिचय करने में ही निकल गया। बाद में मेरे सहपाठियों से सुनने को आया कि हमारी कक्षा में एक लड़की ने प्रवेश लिया है। और वो आउट स्टेट की है. तब मैंने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। पता नहीं कैसी होगी और कॉम्पिटिशन भी बहुत ज्यादा था कि 50 के क्लास में केवल एक लड़की। हालांकी में पढाई में क्लास में सबसे होशियार था। दिखाने में भी स्मार्ट लगता हूँ, और मेरे पास बाइक और लड़कियों पर खर्च करने के लिए पैसे भी थे। क्योंकि मैं उच्च मध्यमवर्गीय परिवार से था। उन दिनों में कॉलेज में बाइक और मोबाइल बहुत कम लोगो के पास थे।
एक दिन क्लास शुरू होने के बाद एक लड़की ने क्लास का दरवाजा खोलकर बोला, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ मैम। और पुरा क्लास शॉक्ड हो गया. और मैं भी. क्योंकि वो लड़की बहुत ही खूबसूरत थी। उसने सिंपल सा पंजाबी सूट पहनना हुआ था। मगर बहुत आकर्षक दिख रही थी। तब मैडम ने परिचय करवाया कि ये प्रियंका है जो देहरादून से है, और इसने हमारे क्लास में ही मैनेजमेंट कोटा में एडमिशन लिया है। तब मैंने अपने आप से कहा कि चाहे कुछ भी हो, इस लड़की को तो पटानी ही है।
आम तौर पर मैं सबसे पहली पंक्ति में ही बैठता था। क्योंकि मैं बहुत होशियार था। दूसरे लड़के आगे बैठने से डरते थे, क्योंकि प्रोफेसर आगे वालो को ज्यादा सवाल पूछते थे। मेरे बाजु वाली सीट खाली थी. तो मैंने वो ऑफर किया. और वो धन्यवाद बोलके बैठ गई।
लेकिन वो कुछ दिन देर से एडमिशन लिया था तो उसका कुछ विषय समझ में नहीं आ रहा था। और वो लाइब्रेरी में पढ़ रही थी, तब मैंने उसके पास जाकर हेलो बोला। तो उसने बोला कि मैडम ने बोला है कि कुछ समाज में ना आए तो तुम जैक से पूछ सकती हो। और मैंने उसे वो टॉपिक समझा। मैंने उससे बात करना चालू किया। तब पता चला कि वो देहरादून के एक अमीर परिवार से थी।
६ महीने तो दोस्ती बातो में ही बीत गया। मगर क्लास में भी वो 2-4 लड़कों के अलावा ज़्यादा किसी से बात नहीं करती थी। मुझे कुछ कुछ पता चल गया था कि वो भी मुझसे प्यार करती है। एक दिन मैंने उसे बोला कि भूख लगी है। चलो कोई रेस्टोरेंट में जाता है। खाना ऑर्डर करने के बाद मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लेके प्रोपोज किया एयर पूछा, "क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?" वो दिन मुजे आज भी याद है कि वो २ अक्टूबर था और गांधी जयंती की छुट्टी थी।
वो कुछ बोली नहीं. मगर मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसकी आँखों से पानी बह रहा था। वो काफ़ी देर बाद नार्मल हुई और बोली कि जैक, ये पल का हर लड़की इंतज़ार करती है। मगर मैंने ऐसे ही किसी से प्यार नहीं कर सकती। मेरे संस्कार इसकी इजाजत नहीं देते। मैंने अपने आप से वादा किया था कि में सिर्फ़ मेरे पति से ही प्यार करूँगी।
अगर तुम मेरा साथ जीवन भर देने का वादा करोगे? क्या मुझसे शादी करोगे. मैंने बिना कुछ सोचे ही हा बोल दिया, क्योंकि संस्कार, रूप और व्यवहार में एक परफ़ेक्ट वाइफ मटेरियल थी । मुजे सोचने की ज़रूरत ही नहीं थी। ख़ाली अंतर था तो हमारे अलग राज्यो और भाषा का। में गुजरात से था और वो उत्तराखंड से। और प्रॉब्लम था हमारे परिवार को मनाने का। मैंने सोच लिया की इसके लिए अगर दुनिया से लड़ना पड़े तो लड़ लूँगा।
बाद में मुझे पता चला कि वो हर बात अपने पापा से शेयर करती थी और वो मेरे साथ जहां भी जाती थी तो उसके पापा को पहले सूचित करती थी। उनको भी कोई समस्या नहीं थी, उनको अपने बेटी पर पूरा भरोसा था. (सिर्फ उसने दोस्ती की ही बात बताई थी, प्रपोज और शादी की नहीं।) बाद में वो मेरे साथ ऐसी ही बात करती थी और मेरी छोटी छोटी बातों का भी ऐसे ख्याल रखती थी कि जैसे मैंने मेरी पत्नी से उम्मीद की थी। एक दिन मैंने उसे बोला कि गर्मी बहुत है चलो मेरे एक दोस्त के फ्लैट पर चल के बैठते हैं।
उसने हा बोला. मुझे पता था कि मेरे दोस्त के फ्लैट पर कोई नहीं है। मैंने पहले ही उससे चाबी ली थी। फ्लैट पे जाके हम कुछ देर तक बात करते रहे। अचानक मैंने उसे बहो में लेके लिप किस करना चालू कर दिया। ये मेरी पहेली लिप किस थी. उसने मुझे रोक के बोला कि जैक मेरी एक बात मानोगे? मैं सुहागन बनना चाहती हूँ। मेरी मांग में सिन्दूर भर दो। बाद में मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूं। मैंने दोस्त के घर के पूजा कक्ष से सिंदोर ढूंढा और उसकी मांग में भर दिया। उसने मेरे पैर छुए। और बोला कि मैं अब सिर्फ तुम्हारी ही हूं। मुझे कभी नहीं छोड़ना, कभी धोखा मत देना, वरना में जी नहीं सकूँगी।और वो मुझे लिपट गई. मैंने उसको एक बच्चे की तरह उठा लिया और बेडरूम में ले गया। उसका वजन कुछ 50 किलो से इतना पास होगा।
मैंने उसको बहुत देर तक लिप किस किया। उसके लिप्स बहो नरम और रसीले थे। उसके भी मेरे होठों को चूस कर चालू कर दिया। वो बहुत मस्ती से चूस कर रही थी। कुछ 15-20 मिनट तक चूसें करने के बाद मैंने उसकी टी-शर्ट में हाथ डालके उसके स्तनों को दबाना शुरू किया। वो दर्द और मजे के मारे से सिर्फ उठी क्योंकि उसका ये पहेली बार था।थोड़ी देर बाद मैंने उसकी टी-शर्ट उरार फैका। उसके काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसके स्तन ३२ डी साइज के थे वो मुझे उसकी ब्रा के स्टिकर से पता चला।
कुछ देर के बाद मैंने उसके निपल्स चूसना शुरू कर दिया। और उसने आँखें बंद कर दी। कुछ देर बाद मैंने उसकी जींस उतार दी। उसकी काली पैंटी मुझ पर नज़र आई। मैं ये नजारा लाइफ में पहेली बार देख रहा था। तब मैंने उसके पूरे बदन पर गौर किया तो एकदम दूध सा बदन था। अब कॉलेज के सब लड़कों की ड्रीम गर्ल मेरी बाहो में थी। मैं बहुत एक्साइटेड हो गया हूं, अब तक मेरे कपड़े नहीं उतरे थे। मगर मेरे अंदर ही मेरा लंड खड़ा हो गया था। (दूसरे लोगो की तरह मैं आपको अपना साइज ज्यादा नहीं बताऊंगा। मेरे लंड का साइज तो 5.5 इंच है, मगर औसत से बहुत मोटा है और डंडे जैसा कड़क है।। और मेरी पत्नी इससे बहुत संतुष्ट है)
मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया। मैंने देखा कि पैंटी बीच में से गिली हो चुकी थी। मुझे समझ आ गया है कि चूत चुदवाने के लिए तैयार हो चुकी हूं। अभी तक वो कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी। सिर्फ मुझसे लिपटके, आंखें बंद करके मजे ले रही थी। मैंने उसकी चूत को देखा तो वो एक दम साफ थी उसके छोटे-छोटे बाल थे और बीच की दरार बिल्कुल गुलाबी रंग की थी जैसी मैंने फ़िल्मों में देखी थी। शायद उसके 3-4 दिन पहले ही झाँटे साफ किये होगे। उसके होंठ गुलाब की पंखडियों की तरह थे। हमसे हमारे और होठों के ऊपर एक गुलाबी दाने जैसा था। मुझे समझ आया कि ये उसका सबसे संवेदनशील बिंदु है। मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाके उसकी चूत पे हल्के से हाथ फिराना चुरू कर दिया।
मैंने आपको बताया कि मैंने बहुत बीएफ देखी है और बहुत सी चुदाई वाली कहानी पढ़ी है, तो थ्योरी तो सब अच्छे से जानता था। और आज उन्हें व्यावहारिक रूप से लागू करने का पहला मौका मिला। कुछ देर तक चूत की मालिश करने के बाद मैंने उसके दाने को टच किया तो वो मजे की वजह से जोर से चिल्ला उठी। और शांत हो गई. पहेली बार छूटे ही उसका ऑर्गेज्म आ गया था। उसकी चूत से सफ़ेद रंग का पानी निकलने लगा। अभी मेरे लंड की हालत ख़राब हो रही थी। मैंने अपने सारे कपड़े और कपड़े उतार दिये।
मैंने उसकी चूत को स्मेल किया। हमसे बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी। मैंने उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया तो वो चिल्ला उठी आह.. आह पियाजी आप ये क्या कर रहे हो। मैं जोश में आ गया और जोर जोर से उसकी चूत चटने लगा। मैंने उसके दोनों होठों को फैला दिया। और चौड़ा किया। वो दर्द से कांप उठी. मैंने अपनी जीभ का जादू दिखाना शुरू कर दिया। उसने अपनी दोनो पैर फेला दिये। और मेरे सर को बालों से पकड़के अपनी चूत में प्रेस कर रही थी। उसे भी अब बहुत मजा आने लगा था।
मैंने करीब 15 मिनट तक चाट के उसकी चूत को साफ कर दिया था। अभी भी उसके होठ भींचे हुए थे। शायद वो मेरे लंड का इंतज़ार कर रहे थे। मुझे तब ध्यान आया कि मेरे पास कंडोम ही नहीं है। (वो टाइम में आई-पिल नहीं मिल रही थी) तो मैंने मेरे दोस्त को फोन किया। आम तौर पर वो अपनी गर्लफ्रेंड के लिए स्टॉक रखता था। उसने मुझे बताया कि कंडोम की दराज में से निकाल लो। मैंने देखा तो उसमें ड्यूरेक्स के दो पैकेट पड़े हुए थे, मैंने एक पैकेट ले लिया। अब मैंने मेरा लंड उसके हाथों में दे दिया। तो उसने आँख खोल के मेरे प्यारे से लंड को देखा। वो घबरा गई, और बोली की पियाजी, मैंने अब तक तो छोटे बच्चों को देखा है। इतना बड़ा तो मैं नहीं जेल पाउंगी। वो अभी भी लंड और चूत बोलने से शर्मा रही थी। मैंने बोला कि मेरी जान इस लंड को बोलती है। अब हम पति पत्नी बन गए हैं तो फिर कैसा शर्माना। उसने बोला कि पियाजी आप का लंड मेरी चूत में कैसे जाएगा। मेरी चूत को फाड़ दोगे क्या? उसके मुँह से इतना सुनते ही मैं जोश में आ गया।
मैंने कंडोम निकाला, तो वो कंडोम को देख रही थी। उसने वो पहेली बार देखा था। मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और उसकी चूत के दरवाज़े पर रख दिया। वो मजे से आहे भरने लगी और बोली पियाजी आज हमारी सुहाग रात है। मुझे जी समा जाओ, मैं कब से प्यासी हूं। आज तक मेरे पति के लिए जो चीज़ संभाली थी, वो तुम्हें साँप रही हूँ। मेरा भरोसा मत तोड़ना वरना में जी नहीं पाऊँगी।
मैंने एक हल्का सा धक्का मारा। वो दर्द से कराह उठी, क्योंकि मेरा लंड बहुत मोटा है। वो अन्दर ही नहीं जा रहा था. क्योंकि उसकी चूत कुंवारी और बहुत टाइट थी। मैंने बहुत कोशिश की मगर वो अंदर ही नहीं जा रहा था। फिर मैंने कंडोम के ऊपर उसके पर्स से सनस्क्रीन लोशन निकलके लगा दिया और मेरी उंगली पे थोड़ा सा लोशन लगाके उसकी चूत में डाला और अंदर घूमने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने दूसरी उंगली भी अंदर घुसे दी। अब हमसे थोड़ी सी जगह हो गई थी। अब मेरे धीरज की सीमा आ गयी थी. मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया, जिसकी उसकी चूत एकदम ओपन हो गई। मैंने उंगली निकालके अपना लंड चूत पे रखा और हल्के से धक्का दे दिया। मगर मेरा लंड बाहर फिसल गया। मैंने कुछ 5 मिनट तक कोशिश की। मैं नहीं चाहता था कि उसको ज्यादा दर्द हो। मजबूरन मैंने मेरे लंड से जोर से धक्का मारा। उसका सुपाड़ा अंदर चला गया. वो ज़ोर से चिल्ला उठी.. आआयी……पियाजी…. दरद हो.. रहा है. निकल दो...
तो मैंने उसके होठों को चूसने लगा, क्योंकि आस-पास वालो को पता चल जाता है कि यहाँ चुदाई हो रही है। थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई। मैंने वापस लंड का सुपाड़ा अंदर डालना शुरू किया। अब मुझे पता था कि मेरी जानू की सील (जीली) टूटने वाली है। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखके ज़ोर से धक्का मारा। उसने ज़ोर से मेरे हाथ काट लिया क्योंकि उससे बहुत दर्द हो रहा था।
मैंने देखा कि मेरा आधा लंड अब अंदर था। कंडोम में भी उसकी चूत की गर्मी मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मुझे ऐसा लगता है कि मैं एक धधकती भठ्ठी में घुस गया हूं। मैंने जब स्ट्रोक लगाना चालू किया तो देखा उसकी चूत से थोड़ा खून आने लगा था। मैंने जल्दी से बाजू से मेरा रुमाल उठाया और उसकी गांड के नीचे रख दिया। क्योंकि मेरे दोस्त की बेडशीट ख़राब हो जाती है। मैंने मेरी जानू को कुछ नहीं बताया क्योंकि इससे वी घबरा जाती है। अब मैंने उसके स्तन चुनना चालू किया तो उसका दर्द थोड़ा कम हो गया। वो आहे भरने लगी. आह…. आआआ… ह्ह्ह….. बस वो आहे भरती जा रही थी लेकिन उसके मुँह से कोई लब्ज़ नहीं निकल पा रहे थे। और मैं पागल हो जा रहा था। थोड़ी देर बाद वो खुद अपनी गांड हिलाने लगी और मेरे बालों में उंगली घुमाने लगी। तब मुझे पता चल गया कि उसका दर्द ख़तम हो गया है। और मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो भी अपनी चूतड हिलाके साथ देने लगी।
कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो चुदाई हिलाके मेरा साथ दे रही थी। और मस्ती से आहे भारी जा रही थी। उसका ये रूप देखकर मैं हैरान हो गया। कि बहार एक सीधी सादी दिखने वाली लड़की ऐसी हॉट भी हो सकती है। 10-15 मिनट तक चुदाई के बाद उसने जोर से मेरे बाल भींच लिए और गाल पड़ी, आ…ह…ह…… आ…आई ……पिया……जइइइ, और जोर से करुओन्नआआ…।
वो मेरे चूतड़ पकड़के अपनी चुत की और धक्के मारने लगी जैसे मुजे पूरा चूत में समा लेने वाली हो। और कुछ देर बाद वो शांत हो गई। मुझे पता चल गया कि वो झड़ गई है। मगर मैं अभी भी जोश में था। मैंने धक्के लगाना बंद करके, बिना लंड बाहर निकले उसके स्तन चूसना चालू कर दिया। एक बार झड़ जाने की वजह से उसका पानी लुब्रिकेशन जैसा काम कर रहा था। थोड़ी देर बाद वो वापस जोश में आ गई और चूतड उठाने लगी। मैंने उसको बोला कि मेरे ऊपर आ जाओ। मैने उसकी चूत से लंड निकला बिना पलट गया। मेरे लंड के ऊपर वो बैठ गयी. अब लंड पूरा अंदर होने की वजह से उसकी गर्भाशय को स्पर्श कर रहा था। वो धना धन शुरू हो गई. मैंने दोनों हाथों से उसके स्तनों को मचलना शुरू कर दिया। अपनी उंगली पर थूक लगाके उसके दाने को भी मसलने लगा। अब पागल सी हो गई है और मेरे नियंत्रण के बाहर थी। वो आअहह…आ ह्ह्हहा…. करती जा रही थी।
अब वो चिल्लाने लगी और मेरी छाती पर अपना हाथ घुमाने लगी। कुछ देर बाद वो वापस लेट गई। बोली, दर्द हो रहा है अंदर। तो मैंने वापस उसको नीचे पलटा और जोर से धक्के मारने लगा। कुछ देर बाद मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में ही चोद दिया। कुछ देर बाद हम दोनो ऐसे ही लेते रहे। मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो कंडोम अंदर ही फंस गया।
अब वो मुजसे खुल गई थी। वो बोली: पियाजी, शादी के बाद तो आपका ये पानी तो मेरी चूत में होगा। बाद में मैंने कपड़े से उसकी चूत को और मेरे खून से सने लंड ली गोटियों को साफ किया।
हम दोनों ने कपडे पहने। और बैठ गए. मैने बोला कैसा रही सुहागरात। वो बोली, आप बहुत बेशरम हो। फिर उसने मेरा कानो में बोला, "बहुत मजा आया, मगर अभी भी थोड़ा दर्द हो रहा है। पियाजी शादी के बाद हर रोज़ ऐसे ही प्यार करोगे ना?
मैने बोला हा जानू। बोलके उसको बाहो में भर लिया।
फिर मैंने पूछा कि तुमने मुझपे इतना यकीन था कि, तुम्हें पता होने के बावजूद भी अकेले फ्लैट पर चली आई और अपना सब कुछ मुझे दे दिया। तो वो बोली,"पियाजी, आप पे यकीन नहीं करूंगी तो और किस्से यकीन करु। आप मेरे हो, और मैं आपकी। भले ही दुनिया की नज़रों में हम पति-पत्नी नहीं हैं मगर मैंने तो आप को ही अपना पति मानके अपना सब कुछ दे दिया है। पियाजी, कभी मुझे धोखा नहीं दोगे ना, मुझे कभी छोड़के नहीं जाओगे ना..”
मैंने उससे पूछा कि कॉलेज में तुम्हें और कोई लड़का पसंद है क्या। तो वो बोली, "छि, आप ये कैसी बातें कर रहे हैं। आप के होते हुए मुझे भला क्यों किसी की ज़रूरत पड़े।"
मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया। कुछ 15 मिनट तक हम एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे।
बाद में मैंने उसको उसके हॉस्टल में ड्रॉप करने जा रहा था तो स्पीड ब्रेकर आने पर वो देखती आई पियाजी धीरे-धीरे चलो पियाजी, अंदर दर्द हो रहा है।
फ़िर जब वो हॉस्टल गई। आधे घंटे में उसका फोन आया, वो कुछ घबराई लग रही थी, मैंने पूछा, "जानू क्या हुआ।" वो बोली, "पियाजी अभी 6 दिन ही हुए हैं, मुझे वापस पीरियड आ गया। मेरी पैंटी खराब हो गई।"
मैं उसकी नादानियत पे हस पड़ा। और उसको समझाया कि तुम्हारी झिल्ली फटने से ये खून निकला था, मगर मैंने तुम्हें बताया नहीं कि शायद तुम घबरा जाओगी। और ऐसा सिर्फ पहेली बार ही होता है। वो बोली,”पियाजी, आप बहुत गंदे हो।”
हम दोनों ने पूरे साल बहुत मजे किये। मुजे कभी भी महसूस नहीं हुआ कि हमारी शादी नहीं हुई है। हम कभी कभी जी भरके चुदाई करते थे।
लेकिन मैंने अपना वादा निभाया। हम दोनों ने अपने परिवार को मनाकर शादी कर ली। हम हनीमून पे केराला गए और जी भर के चुदाई की। वो कॉलेज के दो साल हमारी ज़िंदगी के सबसे हसीन पल थे। हम आज भी उसको याद करते है।
दोस्तो, आज वो मेरी बीवी है। हमारी शादी को १७ साल हो गए। और हमारे २ प्यारे बच्चे भी है। करीब ८ साल विदेश में बिताने के बाद हम भारत वापस आ गया। अब में एक बिजनेसमैन भी हूँ। विदेश में भी मैंने बहुत चुदाई की जिसकी कहानी आप कामवासना पे पढ़ सकते है।
हम दोनों जी भरके हर रोज़, हर स्टाइल में चुदाई करते हैं, आज भी वो उतना ही मजा देती है, जितनी पहेली बार दिया था, शायद उससे भी ज्यादा। अब तो हमारी चुदाई घंटो तक चलती है। जिसमें वो पूरी तरह मेरा साथ देती है। पहले वो लंड की चुसाई नहीं करती थी. मगर अब तो वो लंड को जी भरकर चूसती है।
जब भी उसको लंड चूसने का मन हो तो वो छोटे बच्चे जैसी बोलती है कि, “पियाजी, लॉलीपॉप खानी है।” और मेरे पैंट की ज़िप खोलकर चालू पड़ जाती है। कभी-कभी ज्यादा मस्ती आ जाती है तब अपनी गांड भी मरवाती है। तो दोस्तों कैसी लगी मेरी रियल लाइफ Free Sex Kahani। मुझे मेल जरूर दीजिए और मुजे मेल करे jack.infinium@gmail.com

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