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सगे चाचा की हवस का शिकार बनी - Hindi Sex Stories

नमस्कार दोस्तो! मैं श्रेया, उम्र 24 साल।

रंग एकदम गोरा।

Hour-glass फिगर (36-24-36) और उस पर मेरे खुले स्ट्रेट और काले बाल, जो हर किसी को पहली नजर में दीवाना कर दे।

खासतौर पर जब मैं टाइट (बॉडीकॉन, लेगिंग्स) कपड़े पहनूं, तो सबकी हवस जाग जाए।

ऐसी खूबसूरती है मेरी!


मां-बाप की हर ख्वाहिश पूरी करने और उनकी हर परेशानी दूर करने का सपना मैंने बचपन में ही ठान लिया था।

इसका कारण है मेरे जीवन में घटी वो घटना, जो किसी भी जवान और मुझ जैसी सभ्य और संस्कारी लड़की ने कभी ना सोची हो।


अब ज्यादा समय ना लेते हुए सीधे कहानी पर आती हूं।

क्योंकि ये मेरी पहली कहानी है, तो मैं चाहती थी कि आप सभी इस Hindi Sex Stories को उसके ही मुंह से सुनें, जिस राक्षस ने ये करतूत की थी, यानी मेरे अपने चाचा!


नमस्ते दोस्तो!

मैं संजय आज आपको मेरी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूं।

मेरी उम्र 45 साल है।


गांव से शहर आकर एक छोटा व्यापारी बना और बहुत पैसा कमाया।

गांव और समाज में मेरी बहुत इज्जत, सम्मान और रुतबा है।


मेरी कद-काठी भी बहुत बढ़िया है।

मेरी कठोरता और घर में सबसे बड़ा होने के कारण सभी मुझसे थोड़ा डरते थे।


घर में मेरे बेटे राज की शादी की तैयारियां चल रही थीं।


एक हफ्ते बाद शादी थी, और एक-एक कर मेरे परिवार वाले, जो गांव में रहते हैं, आने लग गए थे।

मेरी बहन, उसका पति, मेरी पत्नी का परिवार।


मैं भी सभी रस्मों की तैयारियों और मेहमानों के स्वागत में व्यस्त था।


तभी मेरा छोटा भाई पंकज गांव से पत्नी के साथ आया।

पंकज को देख मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे शहर आने के बाद गांव जाना कम ही होता था और ना वो कभी शहर आ पाता था।


हम दोनों के चेहरों पर खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी।

“भाई!” मैंने उसे गले लगा लिया।


फिर हमने थोड़ी बातें की।


इतने में मेरे ध्यान में आया कि उसकी बेटी श्रेया साथ नहीं आई है।

पंकज ने कहा, “वो कॉलेज हॉस्टल से दोपहर तक आ जाएगी।”


श्रेया मेरी भतीजी है।

सालों बीत गए थे उसे देखे हुए। वो आठवीं कक्षा में थी जब मैंने उसे आखिरी बार देखा था।

बहुत प्यारी थी बच.पन में।

बहुत सभ्य और संस्कारी थी।


उस उम्र में भी बड़ों का आदर, छोटों को संभालना, और मां-बाप की सेवा करना, ऐसे कई गुण थे उसमें।

एकदम सर्वगुण संपन्न।

सारे परिवार में एक आदर्श बेटी थी वो।


अगर संभव होता तो आज राज की शादी उसी से कराता।

ऐसी बहू कौन नहीं चाहेगा भला!


दोपहर के 2-3 बजे मैं गेट पर खड़ा मेहमानों से बात कर रहा था।


तभी कोई मेरे पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगा।

“प्रणाम चाचा जी!” एक 20-21 साल की जवान लड़की थी।


मैं उसे रोकने के लिए थोड़ा झुका और देखा कि वो श्रेया थी।

मैं उसे देख दंग रह गया।


कब वो इतनी बड़ी हो गई, पता ही नहीं चला।

चेहरे पर वही तेज, वही प्यारी मुस्कान, और अब जवानी में पहले से कई ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी थी वो।


उसका चमकता गोरा-गोरा, गदराया बदन, और उसपर काले पतले खुले बाल।

उसका ये रूप देख मैं स्तब्ध हो गया … मानो कोई अप्सरा मेरे सामने खड़ी हो।


उसने डीपनेक सलवार-कमीज पहना था, जिसमें उसके स्तनों का आकार और गलियां साफ दिख रही थीं। उसका hour-glass फिगर था, जो एक बार देखते ही नशा चढ़ा दे।


वो दिखने में बिल्कुल एक्ट्रेस श्री लीला जैसी थी।

मैं भी श्रेया के बदन को देख बहक उठा था।


कुछ देर बाद जब रस्म शुरू हुई तो मैं किसी काम से ऊपरी मंजिल पर गया, जहां सबके कमरे थे।


श्रेया के कमरे के सामने से गुजर रहा था कि अचानक रुक गया।


मैंने देखा कि श्रेया के कमरे का दरवाजा हल्का खुला था।


मेरे मन में पता नहीं क्या विचार आया और मैं कमरे की तरफ बढ़ा।


दरवाजे पर पहुंचते ही जो दिखा, उसे देखकर मेरे अंदर मानो बिजली सी दौड़ पड़ी।

मेरा मुंह खुला रह गया, और पजामे में मेरा पप्पू तन गया।


श्रेया मेरी ओर पीठ किए खड़ी थी।


उसने बाल आगे की ओर कर अपनी कमीज उतारी।

मेरी आंखों के सामने अब उसकी गोरी नंगी पीठ थी और ब्रा का स्ट्रैप, जो उसकी पीठ से कसा हुआ था।


मैं एकदम से बेकाबू होने लगा।

तभी उसने सलवार ढीली की और उतारने लगी।


मेरा मन कर रहा था कि अभी जाकर उसे रौंद कर उसके जिस्म का रस पी लूं; उसके मम्मे दबोचकर चूस लूं।


उसने कमीज गांड तक ही नीचे की थी कि इतने में शायद उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है।


मैंने तुरंत वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी।

लेकिन मन में एक बार तो श्रेया को मेरे नीचे सुलाने की ठान ली।


लेकिन ये कहना जितना आसान था, उतना ही कठिन इसे अंजाम देना था, क्योंकि श्रेया एक आदर्शवादी, निडर और संस्कारी लड़की थी।


श्रेया की जवानी और उसके जिस्म के नशे में मैं पागल हो गया था।

अभी के लिए बाथरूम जाकर उसके नाम की मूठ मारकर अपने आप को शांत किया।


उसे गर्म करके चोदने और उसके मुंह में मेरा काला, मोटा और लंबा केला देने के सपने देखने लगा।


माल गिराने के बाद मैं नीचे आया।


अब श्रेया भी नीचे आ गई थी।


मेरी पत्नी और भाभी के साथ सबको स्नैक्स और जूस बांट रही थी।

वहां मौजूद सभी मर्द उसे वासना भरी नजरों से देख रहे थे।


कुछ लोग तो उसका गोरा-गदराया बदन देखकर इतने पागल हो गए थे कि मैंने 2-3 लोगों के मुंह से सुना, “क्या माल है यार! एकदम पटाखा! किसी मॉडल की तरह! पतली कमर, भरे हुए बूब्स, और गांड का आकार तो… क्या सटीक है! मन करता है, साली को यहीं रगड़ दूं। ऐसा माल रंडीखाने में भी ना मिलेगा!”


मेरे साथ-साथ वे सब भी बस एक मौका ढूंढ रहे थे उसके करीब जाने का, बातें करने का, और मौका मिलते ही उसे रगड़-रगड़ के पेलने का।

जब भी वो झुकती, तब उसकी गलियों का दर्शन होता, और मेरा पप्पू खड़ा होकर सलामी दे देता।


पर मैं मूठ मारने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता था।


मैं बस सही समय का इंतजार करने लगा।


रस्में पूरी होते-होते शाम हो गई।


रात को सब खाना खाकर हॉल में बैठकर बातें कर रहे थे।

मैं सोफे पर बैठा था।


तभी श्रेया वहां आई और मेरे पैरों के बगल में सोफे को पीठ टिकाकर जमीन पर बैठ गई।


उसने अब एक काले रंग का टाइट स्लीवलेस टैंक-टॉप पहना था (जैसे हम मर्दों का बनियान होता है) और नीचे काफी शॉर्ट पैंट, जिनमें उसके बुब्स और गोरी चिकनी गांड के उभार साफ-साफ दिख रहे थे।

उसकी पैंट इतनी छोटी थी कि उसकी गोरी जांघें साफ-साफ दिख रही थी।


उसका बदन मुझे मदहोश किए जा रहा था।


उसके मेरे नजदीक आने से उसके बदन की खुशबू से मैं अब और उत्तेजित हो गया था।


मुझे ऊपर से उसकी गलियों और भरे हुए वक्ष की हल्की-हल्की झलकियां मिल रही थीं।


बड़े हंसी-मजाक में बातें हो रही थीं।

इतने में मेरी साली जी ने आइसक्रीम खाने की बात की।


श्रेया ने भी ये सुनते ही यही इच्छा जताई।

मैंने तुरंत प्लान किया कि श्रेया को साथ ले जाता हूं, शायद मुझे मौका मिल जाए।


मैं तुरंत उठा और श्रेया से कहा, “बेटा, चलो! सबके लिए आइसक्रीम ले आते हैं!”


उसने हां कहा, और हम मेरी गाड़ी (कार) में निकल पड़े।

रात के 11 बजे थे।


मैंने जानबूझकर लंबा और सुनसान रास्ता चुना, जहां रोशनी भी कम थी।


यहीं पर मैंने अपनी होने वाली बहू को रगड़ा था।

ये कहानी भी जल्द ही बताऊंगा।


अब श्रेया पर वापस आता हूं।


बहुत समय बाद मैं श्रेया से मिला था।

दिनभर काम के चक्कर में मुझे श्रेया से बात करने का समय ही नहीं मिला था।

अब जो मौका मिला था, मैं उसका पूरा फायदा उठाना चाहता था।


मैंने बात शुरू की, “श्रेया, ऐसा लगता है कि कल की ही बात है, जब तुम स्कूल से आते ही मुझे गाड़ी से घुमाने कहती थीं। लेकिन कब इतना समय बीत गया और तुम इतनी बड़ी हो गई, पता ही नहीं चला। अब सोचता हूं कि काश तुम्हें अपनी आंखों के सामने बड़ी होते देखता।”


इस पर वो मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोली, “चाचा, क्या आप भी! ऐसे दुखी मत होइएगा! कहा बड़ी हुई हूं, आपके लिए तो हमेशा छोटी ही रहूंगी!”


इतना कहकर मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठ गई।


उसके छूने से मेरे बदन में मानो करंट सा दौड़ पड़ा।

उसके मेरे पास आने से मेरे हाथ की कोहनी उसके नर्म स्तन को साइड से टच कर रही थी।


ऊपर से उसके बदन की खुशबू मुझे और दीवाना कर रही थी।

मेरा पप्पू अब पहले से भी ज्यादा कड़क हो गया।


अब किसी भी हाल में मुझे श्रेया को मेरे नीचे सुलाना था।


मैंने एक हाथ, जिसपर वो सिर टिकाए बैठी थी, पीछे से ले जाकर उसके कंधे पर रखा और हल्के से सहलाने लगा।

उसे सिर पर किस किया।


साथ ही एक हाथ से कार चलाते-चलाते धीमी करके अंधेरे में रोकने लगा।


उसे अब तक मेरी गंदी सोच का अंदाजा नहीं हुआ था।


अब मुझसे रहा नहीं गया।

उस सुनसान अंधेरे रास्ते पर मैंने अपनी गाड़ी एकदम से रोक दी।


झट से श्रेया को अपनी तरफ खींचकर एक हाथ उसकी दोनों पैरों के बीच, जांघों पर से होते हुए उसकी सील-पैक चूत पर ले जाकर तेजी और ताकत से मसलने लगा।

दूसरा हाथ उसके पीछे से लेकर एक बूब्स को मसलने लगा।


उसे मुझे ऐसा करते देख वो कहने लगी, “चाचा जी! ये आप क्या कर रहे हैं! मैं आपकी भतीजी हूं!”


लेकिन मैं ऐसा मौका कहां छोड़ने वाला था।

मैं किसी भूखे भेड़िए की तरह पूरी ताकत लगाकर उसके बुब्स और चूत को हाथों से रगड़ रहा था।


मैंने स्पीड बढ़ा दी।


कुछ देर बाद उसकी चूत भी गीली होने लगी थी।

अब वो बस तेजी से “आह… आह… आह… उमं… आं…” कर सिसकियां ले रही थी।


वो भी गर्म हो रही थी।

लेकिन अब वो मेरा हाथ, जो उसकी चूत रगड़ रहा था, उसे पकड़कर मादकता से कहने लगी, “आंह… चाचा जी, प्लीज मुझे छोड़ दो! रुक जाओ!”


मैंने रगड़ना चालू रखते हुए उसके रसीले गुलाबी होंठों को चूमने लगा, या यूं कहो, उसे खाने लगा।

वो मुंह हटाने लगी।


फिर मैं उसकी गर्दन पर किस करने लगा, उसे चाटने लगा।


वो भी अब और ज्यादा मदहोश होने लगी। उसकी सांसें तेज होने लगीं।


अब मैं पूरे बदन को किस करते-करते उसकी छातियों तक आ गया।

मैं दाएं उरोज को बाहर निकालकर उसे चूसने लगा।


उससे अब कंट्रोल नहीं हो रहा था।

वो पूरी गर्म हो चुकी थी।


मैं पागलों की तरह उसके निप्पल चूसते जा रहा था।


वो मदहोश होकर हल्की आवाज में “आ आआ आआहं … अम्म्ह मममं…” करके सिसकियां लेते जा रही थी।


इस सब में मैं अब भी उसकी चूत को हाथों से तेजी से मसल रहा था।

काफी देर तक ऐसा करने के बाद अब उसने हार मान ली थी।


उसकी सिसकियां बहुत बढ़ गईं और तेज हो गईं।

तुरंत ही वो एक जोरदार चीख के साथ चूत से पानी निकालकर झड़ गई।


मेरा हाथ उसके पानी से पूरा गीला हो गया।

फिर मैंने मेरा तना हुआ औजार बाहर निकालकर श्रेया को नीचे झुकाया।


इसके मुंह में अंदर तक घुसाकर उसका मुंह चोदने लगा।

उसके मुलायम गीले होंठ और उसके मुंह की गर्माई से मेरा मजा दुगना हो गया।


मैंने उसका मुंह काफी देर तक तेजी से ऊपर-नीचे करता रहा।

जैसे ही झड़ने आया, तो मुंह के अंदर तक घुसाकर सारा माल उसके मुंह में ही निकाल दिया।

गाड़ी में वह सब होने के बाद श्रेया चुपचाप बैठी थी।

उसका चेहरा लाल था, आंखें नीचे झुकी थीं।


शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे या करे।


मैंने गाड़ी स्टार्ट की और आइसक्रीम लेने की दुकान की ओर बढ़ा।


रास्ते में मैंने उससे बात करने की कोशिश की।


“श्रेया, बेटा, तुम ठीक तो हो ना?” मैंने नर्म स्वर में पूछा, जैसे कुछ हुआ ही ना हो।


वह बस हल्के से सिर हिलाकर बोली, “हां, चाचा जी!”

उसकी आवाज में कम्पन साफ झलक रही थी।


मैंने सोचा, अभी उसे और गर्म करने की जरूरत है।

वह पूरी तरह मेरे काबू में नहीं आई थी।

लेकिन उसकी चूत का गीलापन और सिसकारियां बता रही थीं कि कहीं ना कहीं वह भी इस आग में जल रही थी।


आइसक्रीम लेकर हम घर वापस लौटे।


घर में सब हंसी-मजाक में व्यस्त थे।

श्रेया ने जल्दी से आइसक्रीम बांटी और अपने कमरे की ओर चली गई।


मैं उसे जाते हुए देख रहा था।

उसकी चाल, उसकी कमर का लचकना, और टाइट शॉर्ट्स में उसकी गोरी जांघें मुझे फिर से बेकरार कर रही थीं।


रात को सोने से पहले मैंने फिर से उसके नाम की मूठ मारी।

मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था कि श्रेया को पूरी तरह अपने नीचे लाना है।


लेकिन ये इतना आसान नहीं था।

वह मेरी भतीजी थी, और घर में इतने लोग थे।

मेरा एक गलत कदम मेरी इज्जत को मिट्टी में मिला सकता था।


फिर भी उसका गदराया बदन मेरी हवस को और भड़का रहा था।


अगले दिन सुबह शादी की तैयारियों में सब व्यस्त थे।


मैंने देखा कि श्रेया अपनी मां और मेरी पत्नी के साथ रसोई में कुछ काम कर रही थी।

उसने आज हल्के गुलाबी रंग का सूट पहना था जो उसके गोरे बदन पर और भी चमक रहा था।


उसका दुपट्टा बार-बार खिसक रहा था, और जब वह झुकती, तो उसके भरे हुए बुब्स की हल्की झलक मिल रही थी।


मैंने मौका देखकर उसे बुलाया, “श्रेया, जरा इधर आना!”


वह थोड़ा हिचकिचाते हुए मेरे पास आई, “जी चाचा जी?”


“बेटा, मेरे साथ बाजार चलना … कुछ सामान लाना है शादी के लिए,” मैंने कहा, ताकि उसे फिर से अकेले में पकड़ सकूं।


वह थोड़ा असहज लगी लेकिन बोली, “ठीक है, चाचा जी, मैं मम्मी को बता देती हूं।”


मैंने उसे रोका, “अरे, कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी मम्मी को बता दूंगा। तू बस तैयार हो जा!”


वह चुपचाप कमरे में चली गई।

मैंने अपनी पत्नी को बता दिया कि श्रेया को साथ ले जा रहा हूं।

मेरी पत्नी को कोई शक नहीं हुआ क्योंकि मैं घर का सबसे बड़ा और सम्मानित व्यक्ति था।


थोड़ी देर बाद श्रेया तैयार होकर आई।

उसने अब एक टाइट जींस और टॉप पहना था, जो उसके फिगर को और उभार रहा था।


मैं उसे देखकर फिर से पागल होने लगा।


हम गाड़ी में बैठे और बाजार की ओर निकल पड़े।


रास्ते में मैंने फिर से बात शुरू की, “श्रेया, कल रात की बात का बुरा मत मानना। तुम इतनी खूबसूरत हो कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।”


वह मेरी बात सुनकर सिर झुकाए चुप रही।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और हल्के से दबाया।


“चाचा जी, प्लीज … ऐसा मत करो। कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?” उसने धीमी आवाज में कहा।

“अरे, कौन देखेगा? हम तो बस चाचा-भतीजी हैं। इसमें क्या गलत है?” मैंने हंसते हुए कहा.


लेकिन मेरा इरादा कुछ और था।

मैंने गाड़ी को फिर से एक सुनसान रास्ते पर मोड़ लिया।


श्रेया ने घबराते हुए पूछा, “चाचा जी, ये रास्ता तो बाजार का नहीं है। हम कहां जा रहे हैं?”

“बस थोड़ा घूमते हैं, बेटा। इतनी जल्दी क्या है?” मैंने कहा और गाड़ी एक जंगल की ओर ले गया, जहां कोई नहीं आता था।


गाड़ी रोकते ही मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया। वह कहने लगी, “चाचा जी, अब फिर आप … !”


लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था। मैंने उसकी एक ना सुनी।

मैंने उसकी जींस का बटन खोल दिया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।

मैंने उसका टॉप ऊपर किया और उसके गोरे, मुलायम बुब्स को बाहर निकालकर चूसने लगा।


“आह … चाचा जी … प्लीज…” वह सिसक रही थी.

लेकिन उसकी सिसकारियों में अब वह तड़प भी थी जो मैंने कल रात सुनी थी।


मैंने उसकी जींस नीचे सरकाई और उसकी गीली चूत को उंगलियों से रगड़ने लगा।


वह अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।

उसकी सांसें तेज थीं, और वह मेरे कंधों को पकड़कर सिसकारियां ले रही थी।


“श्रेया, तू कितनी मस्त है … बस, मजे ले!” मैंने कहा और उसकी चूत में उंगली डाल दी।

“आआह … उममम … चाचा जी … आह…” वह अब पूरी तरह मेरे काबू में थी।


मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे नीचे झुकाकर फिर से उसके मुंह में डाल दिया।

वह अब बिना विरोध के मेरे लंड को चूस रही थी।


मैंने उसके बाल पकड़े और तेजी से उसका मुंह चोदने लगा।


कुछ देर बाद मैंने उसे गाड़ी की सीट पर लिटाया और उसकी टांगें फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा।


वह पागलों की तरह सिसकार रही थी, “आह … चाचा जी … आआह … बस!”


मैंने अब अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा।

वह चीख पड़ी, “आ आआह … नहीं … दर्द हो रहा है!”


लेकिन मैं रुका नहीं … मैंने तेजी से धक्के मारने शुरू किए।

उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे जन्नत का मजा आ रहा था।

वह अब दर्द और मजे के बीच सिसक रही थी।


“आह … श्रेया … तू एकदम माल है!” मैंने कहा और तेजी से उसे चोदता रहा।


कुछ देर बाद वह फिर से झड़ गई।

उसकी चूत से पानी निकल रहा था।


मैं भी अब झड़ने वाला था।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके गोरे पेट पर सारा माल गिरा दिया।


चाचा सेक्स के बाद वह हांफते हुए लेटी रही।

मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके होंठ चूमने लगा।

वह अब कुछ नहीं बोल रही थी।


शायद उसे भी अब इस मजे की आदत पड़ रही थी।


हमने कपड़े ठीक किए और बाजार जाकर सामान लिया।

घर वापस लौटे तो कोई शक नहीं हुआ।


आशा है, आपको मेरी कहानी ने मजा दिया होगा।

Hindi Sex Stories पर अपनी राय और सुझाव जरूर बताएं।


धन्यवाद दोस्तो!

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