सहेली ने मेरे पति का मोटा लंड देखा और ललचा गई - Indian Sex Stories
- Kamvasna
- 6 days ago
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हैलो दोस्तों, मेरा नाम सोनम है, फिगर 40-34-38, भारी-भरकम मम्मे और मटकती हुई गोल गाँंड, शादी को अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए थे जब ये सब हुआ।
मेरी सबसे पक्की सहेली सविता की शादी भी मुंबई में ही हुई थी, कॉलेज टाइम से हम दोनों एक-दूसरे की हर गंदी बात शेयर करती थीं। शादी के बाद हमने जानबूझकर एक ही सोसाइटी में बगल के फ्लैट ले लिए, ताकि पति ऑफिस जाएँ तो हम दोनों दिन भर मस्ती करें।
सुबह दस बजे से शाम पाँच बजे तक हमारा रूटीन था, कभी मेरे घर, कभी उसके घर, चाय पीते-पीते बातें चुदाई तक पहुँच ही जाती थीं।
एक दिन सविता मेरे घर आई, स्कर्ट-टॉप में उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, बैठते ही बोली, “यार कल अंकित ने मुझे मार-मार के चोदा, आज तक चूत में जलन हो रही है।”
मैंने हँसते हुए पूछा, “क्या किया साले ने?”
“वो कोई नया मोटा-डॉटेड कंडोम लाया था, उभरे हुए दाने जैसे, पहले तो घुस ही नहीं रहा था, फिर ढेर सारा तेल लगाकर जब जोर से ठोका तो लगा मेरी चूत फट जाएगी, आह्ह्ह… आज तक दर्द है और खुजली भी।”
मैंने मजाक में उसकी स्कर्ट ऊपर उठाई और पैंटी के ऊपर से सहलाते हुए बोली, “देखूँ तो सही कितना निशान पड़ा है।”
सविता ने पैर फैला दिए, पैंटी गीली थी, मैंने उँगली से रगड़ा तो वो सिहर उठी, “आह्ह… मत कर यार, सुबह ही अंकित ने बाथटब में फिर पेला था, मना करने पर भी पीछे का छेद मार लिया, पर सच बता रही हूँ सोनम, गाँंड मारने का मजा ही अलग है, आह्ह्ह्ह… लंड एकदम अंदर तक घुस जाता है।”
मैंने तंज कसा, “कमिनी, शादी को साल भी नहीं हुआ और तूने गाँंड मारवा ली, मुझे तो बताया तक नहीं।”
वो शरमाते हुए बोली, “पहले तो मना करती थी, पर जब रोज मांगने लगा तो तरस खाकर दे दिया, पहली बार जब मारा तो दर्द के साथ इतना मजा आया कि मैं खुद ही कमर उछालने लगी, ऊईईई… अब तो हफ्ते में तीन-चार बार गाँंड ही मारता है।”
फिर बात उसके एक्स-बॉयफ्रेंड तक पहुँची, वो अभी भी चोदने आता था, पिछले हफ्ते तो दोस्त को साथ लाया था। सविता ने हँसते हुए बताया, “मैंने मना कर दिया था, पर उसका दोस्त दरवाजे पर खड़ा मेरी चुदाई देखता रहा और लंड हिलाता रहा, जाते वक्त मेरी गाँंड दबाकर बोला, अगली बार मुझे भी मौका देना भाभी।”
मैंने पूँछा, “तूने दिया क्या?”
“फिलहाल नहीं, पर सोच रही हूँ दे दूँ, बेचारा दूर से आया था मेरी चुदाई की आस लिए।”
बातों-बातों में मैंने अपनी हनीमून की पेनड्राइव निकाली, जिसमें मेरे पति मयंक का 8 इंच का मोटा लंड मेरी चूत और गाँंड में धँस रहा था। सविता की आँखें फटी की फटी रह गईं, “बाप रे! इतना बड़ा? तू कैसे लेती है? ये तो मेरे पति से २-३ इंच बड़ा है।
मैंने मुस्कुरा कर कहा, “आदत हो गई, रोज दो-तीन बार तो पेलता ही है, कभी मुँह, कभी चूत, कभी गाँंड।”
सविता ने अचानक मेरे कंधे पर हाथ रखा और धीरे से बोली, “सोनम… एक बार मुझे तेरी चुदाई लाइव देखनी है, प्लीज मुझे अपने बेडरूम में छिपा दे।”
मैं हिचकिचाई, पर उसकी आँखों में चुदास थी, मैं मान गई।
अगले दिन मैंने मयंक को जल्दी बुला लिया, सविता को अलमारी के पर्दे के पीछे छिपा दिया। मैंने लाल रंग की ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी थी, अंदर कुछ नहीं। मयंक आते ही मुझे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गए, दोनों नंगे होकर नहाए, मैंने उनका लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… पूरा गले तक ले लिया, मयंक की साँसें तेज हो गईं।
बाहर बेड पर आए तो मयंक ने मुझे घोड़ी बनाया, आज उन्होंने भी वही मोटा डॉटेड कंडोम चढ़ाया था। जैसे ही लंड चूत में घुसा, जलन हुई, आह्ह्ह्ह… मैंने करवट बदल कर मुँह में ले लिया, पर वो और जोश में आ गए, मुझे फिर घोड़ी बनाया और जोर-जोर से ठोकने लगे, ठप-ठप-ठप… मेरी चूचियाँ लहरा रही थीं, मैं बार-बार सविता की तरफ देख रही थी, वो पर्दे के पीछे से अपनी चूत सहला रही थी, उसकी साँसें सुनाई दे रही थीं।
मैंने मयंक से बोला, “आज चूत में बहुत जलन हो रही है, बाकी गाँंड में कर लो।”
मयंक ने खुश होकर मेरी कमर पकड़ी और एक ही झटके में गाँंड में घुसा दिया, आह्ह्ह्ह्ह… ऊईई माँ… मैं चीख पड़ी, पर मजा भी इतना था कि मैं खुद पीछे को धक्के मारने लगी, ठपठपठपठप… कमरा हमारी चुदाई की आवाजों से गूँज रहा था।
अचानक मयंक को शक हुआ, वो लंड निकाल कर उठे और पर्दा हटाया, सविता नंगी खड़ी थी, उसकी चूत से पानी टपक रहा था।
मयंक मुस्कुराए और मुझे बाहर ले गए, टीवी रूम में बैठ कर पूछा, “बता क्या माजरा है?”
मैंने सब बता दिया। मयंक हँसे, “तो तेरी सहेली को भी चुदाई का शौक है? अगर तू राजी है तो मुझे क्या एतराज, नई चूत मिलेगी, वो भी बगल में रहती है, जब मन करे तब चोद लूँगा।”
मैं चौंकी, पर अंदर से गर्मी भी हुई। शाम को सविता का फोन आया, “क्या हुआ?”
मैंने बताया तो वो बेसब्री से बोली, “प्लीज सोनम, एक बार मयंक से चुदवा दे।
मैंने कुछ दिन सोचा फिर उसपर अमल करने का फ़ैसला किया। मैंने सविता को फोन लगाया, बोली, “चल साली मार्केट चल, कुछ ऐसी चूत फाड़ने वाली ब्रा-पैंटी लेते हैं, तेरी चूत को तो मयंक का लंड फाड़ने वाला है, कुछ हॉट पहनकर आएँगी तो सीधे लंड खड़ा हो जाएगा।” सविता हँसते हुए बोली, “सेक्स के टाइम क्या ब्रा-पैंटी चाहिए रंडी? नंगी ही तो लंड खाना है, पर चल, तेरे साथ मज़ा आएगा।”
दोपहर में मार्केट पहुँचे, दुकान में घुसीं तो मैंने दुकानदार से बोला, “भैया, सबसे सेक्सी चीज़ दिखाओ, मेरी सहेली की हनीमून है।” सविता मेरी गांड पर चिकोटी काटकर बोली, “वाह कुत्ती, सही बोल रही है तू।”
ट्रायल रूम में घुसीं, मैंने सविता को पूरा नंगा कर दिया, उसके भारी-भारी दूध और मोटी गांड देखकर बोली, “आज तो तेरी चूत-गांड दोनों फटेंगी साली।” उसने भी मुझे नंगा किया और बोली, “तेरी चूत भी तो आज फिर माल खाएगी ना रंडी।” हमने डबल पैंटी पहनी और चोरी-चोरी बाहर निकल आईं।
अगले दिन सविता सुबह-सुबह आ गई, मयंक ने दारू पी रखी थी, मैं उसे चूम ही रही थी कि सविता अंदर घुसी, बोली, “वाह चुदक्कड़, पहले से शुरू हो गई?” मैंने कहा, “आ जा कुत्तिया, आज तेरी चूत की बारी है, मयंक का लौड़ा तैयार है।”
सविता अपनी मटकती गांड हिलाते हुए आई, ट्रांसपेरेंट ब्रा में उसके काले निप्पल साफ दिख रहे थे, मयंक का लंड देखते ही खड़ा हो गया। वो बोला, “आजा मेरी रंडी नंबर दो।” सविता मयंक की गोद में बैठ गई और बोली, “आज मेरी चूत फाड़ दो साहब, पूरा लंड अंदर चाहिए।”
मैंने पूछा, “जानू, पहले किसकी चूत लोगे?” मयंक ने लंड पकड़कर हिलाते हुए कहा, “जिसकी चूत पहले गीली हो जाए।” सविता बोली, “दोनों की चूत एक साथ लो ना, दोनों रंडियाँ तैयार हैं।”
कपड़े उतारते देर न लगी, मयंक ने हम दोनों को नंगा कर दिया, हमने भी उसका मोटा लौड़ा बाहर निकाला। मैं और सविता दोनों ने मिलकर लंड पकड़ा, सविता बोली, “वाह सोनम, कितना मोटा है, आज मेरी चूत फट जाएगी।” मयंक आह्ह्ह्ह भरा और बोला, “दोनों रंडियों के हाथ एक साथ, मज़ा आ गया।”
मयंक ने सविता को लिटाया और उसके दूध चूसने लगा, चट-चट की आवाज़ करते हुए, सविता चिल्लाई, “आह्ह्ह चूसो साहब, पूरा दूध निचोड़ दो, ओह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ रहा है।” मैं नीचे बैठकर सविता की चूत में दो उंगलियाँ पेल दीं, फच्च-फच्च आवाज़ आई, सविता तड़पी, “आह्ह्ह सोनम रंडी, कितनी जोर से उंगली कर रही है, मेरी चूत फाड़ देगी।”
फिर मयंक ने अपना लौड़ा सविता की चूत पर रखा और एक झटके में आधा अंदर कर दिया, सविता चीखी, “आअह्ह्ह्ह्ह माँ मर गई, कितना मोटा है, धीरे साहब, चूत फट जाएगी आह्ह्ह्ह्ह्ह।” मैं हँसते हुए बोली, “ले साली, आज तेरी चूत का भोसड़ा बनना है।” कुछ देर बाद सविता खुद कमर उचकाने लगी, “चोदो मयंक, पूरा लंड पेलो, आह्ह्ह्ह्ह फाड़ दो मेरी चूत।”
मयंक बोला, “आह्ह्ह्ह इस रंडी की चूत में तो अलग मज़ा है सोनम, कितनी टाइट और रसीली है।” मैंने कहा, “हाँ हाँ, आज से ये तेरी दूसरी रखैल है, रोज़ चोदना इसे।”
फिर मयंक ने मुझे सविता के ऊपर लिटाया, पहले मेरी चूत में लंड पेला, दस-पंद्रह जोरदार धक्के, फिर निकालकर सविता की चूत में, इस तरह हम दोनों की चूत बारी-बारी से चुद रही थीं। सविता चिल्ला रही थी, “हाँ ऐसे ही, दोनों रंडियों को एक साथ चोदो।”
अचानक मयंक ने सविता की गांड में लंड सटा दिया, सविता बोली, “नईइइइइइ, गांड मत मारो,” पर मयंक ने झटके से पूरा लंड गांड में उतार दिया, सविता की चीख निकली, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँआआआ फट गई मेरी गांड, आह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है, फिर भी चोदो साहब, गांड फाड़ दो आज।” थप्प्प्प-थप्प्प्प की आवाज़ से कमरा गूँज उठा।
फिर मेरी गांड में भी लंड घुसा, दोनों सहेलियों की गांड एक ही दिन में फट गई। मयंक ने आखिर में सविता की चूत में झड़ दिया, सविता काँपते हुए बोली, “ऊईईईई माँआआ, पूरा माल मेरी चूत में, झड़ गई मैं भी।”
मैं अभी तक नहीं झड़ी थी, सविता को बाथरूम ले गई और बोली, “साली, अभी और लंड चाहिए क्या?” वो बोली, “हाँ रंडी, तेरे पति का लौड़ा छोड़ूँगी नहीं आज।” बाहर आते ही सविता ने मयंक का लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग्ग-गी-गी-गी करते हुए पूरा गले तक उतारा, फिर घोड़ी बनकर बोली, “चोदो साहब, फिर से चूत फाड़ दो।”
चुदाई के बाद मैं नंगी चाय बनाने गई, सविता बोली, “तेरा पति मत छीन लेना रे।” मैंने कहा, “नहीं साली, तू तो बस रखैल बनकर चुदवाती रह।” चाय पीते-पीते फिर सविता ने एक और चुदाई करवा ली, बोली, “तेरा पति का लंड नहीं छोड़ूँगी कभी।”
एक दिन मैं रोटी बना रही थी, सविता सिर्फ़ मैक्सी में आई, आते ही मयंक को किस करने लगी, बोली, “साहब जल्दी लंड पेलो, चूत में आग लगी है।” मयंक ने उसे स्लैब पर घोड़ी बनाया और मेरे सामने लंड पेल दिया, सविता चिल्लाई, “आह्ह्ह्ह सोनम देख, तेरे पति मेरी चूत फाड़ रहे हैं, कितना मज़ा आ रहा है।” मैं रोटी सेंकते हुए बोली, “चुद साली, खूब चुद।”
फिर फर्श पर मयंक लेट गया, सविता उसकी गोद में लंड गांड में लेकर उछलने लगी, बोली, “आज गांड भी फाड़ दो साहब।” मैंने उसकी गांड दबाई और बोली, “कितनी मोटी गांड हो गई है तेरी रंडी।” वो हँसकर बोली, “अंकित भी रोज़ गांड मारते हैं, मज़ा बहुत आता है।”
मैं भी नंगी हो गई, मयंक के मुँह में चूत देकर बैठ गई, वो चाटते हुए बोला, “दोनों रंडियों की चूत एक साथ खा रहा हूँ।” सविता झड़ गई तो मैं बेडरूम ले गई और खूब चुदवाई, सविता दरवाजे पर खड़ी देखती रही और बोली, “जल्दी खत्म करो, मेरी बारी है फिर।”
अब तो सविता को लत लग गई, कभी भी आ जाती और मयंक से चुदवा लेती, कभी अपने घर भी बुला लेती। हम तीनों बहुत खुश हैं।
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