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सुहागरात में पेल पेल कर बत्तख बना दिया पति ने - Free Sex Kahani

दोस्तों, मेरे पति अतुल एकदम जोशीले और ठरकी मिजाज के इंसान हैं। उनकी कामवासना ऐसी है कि हमारी सुहागरात की रात को उन्होंने मुझे ऐसा चोदा कि मेरी सारी शर्म-हया पानी-पानी हो गई। उस रात की शुरुआत इतनी गर्म थी कि आज भी सोचकर मेरा बदन सिहर उठता है। अतुल ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे मेरी लाल साड़ी उतार दी, जो मैंने अपनी शादी में पहनी थी। वो साड़ी को ऐसे खोल रहे थे जैसे कोई अनमोल तोहफा खोल रहे हों। मेरी धड़कनें तेज थीं, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी। मैंने सोचा था कि अतुल शायद थोड़े संकोची होंगे, लेकिन मैं कितनी गलत थी!


जब साड़ी उतरी, तो उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए। मेरे 38 इंच के मम्मे उस टाइट ब्लाउज में पहले से ही उभरे हुए थे। जैसे ही हुक खुले, मेरे मम्मे जैसे आजाद हो गए। अतुल की आँखों में एक चमक थी, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार को देख रहा हो। “हाय रे, डार्लिंग, तू तो एकदम माल है!” वो बोले और मेरे मम्मों पर टूट पड़े। उनकी गर्म जीभ मेरे निप्पल्स पर फिसली, और वो उन्हें ऐसे चूसने लगे जैसे कोई बच्चा अपनी पसंदीदा मिठाई चूसता है। मैं “आआह्ह… उउह्ह…” की सिसकियाँ ले रही थी। मेरे निप्पल्स उनके मुँह में सख्त हो गए थे, और हर चूसने पर मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ रही थी।


फिर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा और उसे उतार फेंका। अब मैं सिर्फ अपनी पैंटी में थी, जो मेरी चूत के गीलेपन से चिपक चुकी थी। अतुल ने मेरी पैंटी को धीरे से नीचे खींचा और मेरी चिकनी, शेव की हुई चूत को देखकर बोले, “हाय… ये तो जन्नत का टुकड़ा है!” उनकी उंगलियाँ मेरी चूत की फांकों पर फिरीं, और फिर वो नीचे झुके और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को छेड़ रही थी, और मैं “ओह्ह… माँ… आआह्ह…” करके सिसक रही थी। वो मेरी चूत को ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। लगभग दो घंटे तक वो मेरी चूत को चाटते और चूसते रहे। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं बस सिसकियाँ ले रही थी। “अतुल… अब बस करो… और नहीं…” मैंने हल्की शर्मिंदगी के साथ कहा, पर वो कहाँ मानने वाले थे।


उन्होंने अपनी पैंट उतारी और उनका ७ इंच का मोटा लंड मेरे सामने था। मैंने पहले कभी इतना बड़ा लंड नहीं देखा था। वो किसी लोहे की रॉड की तरह तनकर खड़ा था, और उसका सुपाड़ा गुलाबी और चमकदार था। “डार्लिंग, अब तुझे असली मजा देता हूँ,” वो बोले और मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत में अपना लंड सटाया। मैं डर रही थी कि इतना बड़ा लंड मेरी चूत में कैसे जाएगा। अतुल ने धीरे से लंड को मेरी चूत की फांकों के बीच रगड़ा और फिर एक हल्का सा धक्का मारा। “आआह्ह… मम्मी…” मैं जोर से चिल्लाई। मेरी चूत में उनका लंड धीरे-धीरे अंदर जा रहा था, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत फट जाएगी।


पहला धक्का लगते ही मेरी चूत से खून की बूँदें टपकीं। बिस्तर की चादर पर लाल निशान बन गए। अतुल ने मेरी चूत को अपने लंड से कूटना शुरू कर दिया। “ढच… ढच… ढच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मैं “आआह्ह… उउह्ह… ओह्ह… अतुल… धीरे…” चिल्ला रही थी, पर वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उनकी आँखों में एक जंगलीपन था। “तेरी चूत तो स्वर्ग है, डार्लिंग!” वो बोले और तेजी से धक्के मारने लगे। मैंने सोचा था कि वो कुछ मिनटों में झड़ जाएँगे, पर वो तो पूरे एक घंटे तक मुझे पेलते रहे। मेरी चूत में जलन होने लगी थी, और मैं थककर चूर हो चुकी थी। आखिरकार, एक घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद उनका माल मेरी चूत में गिरा। मैं पूरी तरह थक चुकी थी।


मैंने सोचा कि अब रात खत्म हुई। मैं बिस्तर पर दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई और थोड़ा आराम करने की कोशिश करने लगी। लेकिन अभी आधा घंटा भी नहीं बीता था कि अतुल फिर मेरे पास आए। “डार्लिंग, अपनी टाँगें खोल, अभी तो सुहागरात बाकी है!” वो बोले। मैं हैरान थी। “अतुल, बस करो ना… अभी तो तुमने एक घंटे तक मुझे थकाया है। सुबह मुझे माँ जी के साथ मंदिर भी जाना है। कल रात को जी भरकर प्यार कर लेना,” मैंने हल्की नाराजगी और शर्म के साथ कहा। लेकिन अतुल ने मेरी एक न सुनी। “अरी डार्लिंग, ये हमारी सुहागरात है। आज रात सोना नहीं, बस प्यार करना है!” वो बोले और मेरी टाँगें फिर से चौड़ी कर दीं।


उन्होंने मेरी चूत में फिर से अपना लंड सटाया और धक्के मारने शुरू किए। “ढच… ढच… ढच…” की आवाज फिर से कमरे में गूँजने लगी। मैं “आआह्ह… उउह्ह… मम्मी… धीरे करो…” चिल्ला रही थी। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ दर्द और सुख का मिश्रण हो रहा था। अतुल का स्टैमिना देखकर मैं दंग थी। वो मुझे सुबह 4 बजे तक चोदते रहे। इस बार भी वो आधे घंटे से ज्यादा पेलते रहे, और मेरी चूत पूरी तरह भुरता बन चुकी थी। जब वो आउट हुए, तो मैं थककर चूर थी। सुबह मैं बत्तख की तरह लंगड़ाकर चल रही थी। मेरी चूत में इतना दर्द था कि मैं ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी।


सुबह जब मैं नीचे आई, तो मेरी सास ने मुझे लंगड़ाते देखा और चिंता से पूछा, “अरी बहू, ये क्या हाल है? लंगड़ा-लंगड़ा क्यों चल रही है?” मैंने शर्म से सिर झुकाते हुए, संकोच के साथ कहा, “माँ जी, बस… रात को थोड़ा ज्यादा थक गई। आपके बेटे ने मुझे सोने का मौका ही नहीं दिया।” मेरी सास मेरी बात समझ गईं और हल्का सा मुस्कुराते हुए बोलीं, “अरे बेटा, नई-नई शादी है, जोश तो होगा ही। पर थोड़ा ध्यान रखा कर, बेचारी बहू को इतना थकाना ठीक नहीं। धीरे-धीरे प्यार किया कर!” उनकी बात में ममता थी, और मैं उनकी इज्जत करती थी, इसलिए मैंने सिर्फ सिर हिलाया और चुप रही।


धीरे-धीरे हमारा वैवाहिक जीवन मजे से चलने लगा। अतुल मुझे हर दिन नई-नई स्टाइल में चोदते। कभी मिशनरी में, कभी मुझे अपनी कमर पर बिठाकर, कभी सोफे पर लिटाकर, कभी गोद में उठाकर, तो कभी मेज पर बिठाकर पेलते। इसके अलावा वो मुझे कुतिया बनाकर भी चोदते थे और हर दूसरे दिन मेरी गांड मार लेते थे। मेरी जिंदगी मजे से कट रही थी, पर कभी-कभी चुदाई की अति हो जाती थी। कई बार अतुल ने मेरी चूत को इतना बेरहमी से चोदा कि खून निकल आया। मैं दर्द से कराहती थी और मना करती थी, पर उनका लंड तो जैसे बिजली का खंभा था, आउट होने का नाम ही नहीं लेता था। जब मैं चूत देने से मना करती, तो वो मुठ मार लेते थे।


फिर एक दिन बरसात का मौसम आया। जुलाई का महीना था, और आसमान से झमाझम पानी बरस रहा था। अतुल ने मुझे देखकर कहा, “डार्लिंग, कभी बरसात में चुदाई की है?” मैंने शर्माते हुए कहा, “नहीं… ये क्या बात कर रहे हो?” वो बोले, “चल, आज तेरी रसीली चूत को बारिश में चोदता हूँ। प्लीज, चल ना!” मैं थोड़ा हिचक रही थी, पर वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे जबरदस्ती छत पर ले गए। छत पर मौसम बड़ा सुहावना था। ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी, और बारिश की बूँदें मेरे चेहरे पर गिर रही थीं। कुछ ही देर में मेरी साड़ी पूरी तरह भीग गई। मेरे 38 इंच के मम्मे साड़ी के ऊपर से साफ दिख रहे थे, और मेरा गोरा जिस्म पानी में चमक रहा था। मैं एकदम चोदने लायक माल लग रही थी।


अतुल ने मुझे छत की जमीन पर लिटा दिया और मेरी साड़ी खोलने लगे। मेरी साड़ी और ब्लाउज पानी से चिपक गए थे। उन्होंने धीरे-धीरे मेरा ब्लाउज खोला और मेरे मम्मों को आजाद कर दिया। मेरी ब्रा और पैंटी भी उतार दी गई। अब मैं पूरी तरह नंगी थी, और बारिश की बूँदें मेरे नंगे जिस्म पर गिर रही थीं। अतुल भी अपने सारे कपड़े उतारकर नंगे हो गए। वो मेरे मम्मों को चूसने लगे। मेरे निप्पल्स बारिश के पानी से और सख्त हो गए थे। वो मेरे मम्मों को दबाते और चूसते हुए बोले, “तेरे ये मम्मे तो किसी रसीले आम की तरह हैं!” मैं “आआह्ह… उउह्ह… धीरे…” सिसक रही थी। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर फिसल रही थी, और मैं ठंड और जोश के मारे काँप रही थी।


फिर अतुल मेरे होंठों पर टूट पड़े। मेरे गुलाबी होंठों को वो ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई भूखा इंसान खाना खा रहा हो। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी, और वो मेरी जीभ को चूसने लगे। हम दोनों बारिश में भीगते हुए एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे। आधे घंटे तक हमारा ये गर्मागर्म चुम्बन चलता रहा। मैं पूरी तरह जोश में आ चुकी थी। “उफ्फ… अतुल… ये क्या कर रहे हो…” मैं सिसकते हुए बोली। मेरे जिस्म में चुदाई का नशा चढ़ रहा था।


अतुल ने कहा, “डार्लिंग, अब मेरा लंड चूस!” मैंने उनकी बात मानी और उनके 10 इंच के मोटे लंड को अपने हाथ में लिया। बारिश के पानी से उनका लंड और भी चमक रहा था। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। “स्स्सी… आआह्ह…” वो सिसक रहे थे। मैं उनके लंड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मेरे गीले बाल मेरे चेहरे पर लटक रहे थे, और मैं एकदम रंडी की तरह लग रही थी। मैंने उनके लंड का सुपाड़ा चूसा, उनकी गोलियों को मुँह में लिया, और फिर तेजी से उनका लंड चूसने लगी। अतुल मेरे गीले पुट्ठों को सहला रहे थे और मजे ले रहे थे।


कुछ देर बाद अतुल ने मुझे सीधा लिटाया और मेरी चूत पर टूट पड़े। मेरी चूत बारिश के पानी से पूरी तरह गीली थी, और वो उसे किसी कुत्ते की तरह चाटने लगे। “आआह्ह… उउह्ह… मम्मी…” मैं चिल्ला रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छेड़ रही थी, और मेरा जिस्म सनसनी से भर गया था। मेरी चूत बिल्कुल फूली हुई और गुलाबी थी, और अतुल उसे ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई रसीला फल खा रहे हों। आधे घंटे तक वो मेरी चूत चूसते रहे, और मैं बस सिसकियाँ लेती रही।


फिर अतुल ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगे। “आआह्ह… ओह्ह… माँ…” मैं चिल्ला रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में डाला और धक्के मारने शुरू किए। “ढच… ढच… ढच…” की आवाज बारिश की आवाज के साथ मिल रही थी। मैं “आआह्ह… उउह्ह… धीरे… मम्मी…” चिल्ला रही थी। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों को कूट रहा था। मैं शर्म से अपनी आँखें बंद किए हुए थी, पर मजे की सैर कर रही थी।


अतुल ने मुझे अपनी बाहों में भरा और मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे पेलते रहे। वो मेरे होंठ चूस रहे थे, मेरे मम्मों को दबा रहे थे, और नीचे से मुझे चोद रहे थे। “तेरी चूत तो जन्नत है, डार्लिंग!” वो बोले और और तेजी से पेलने लगे। आधे घंटे तक वो मुझे पेलते रहे, और फिर मेरी चूत में ही उनका माल गिर गया। मैं उनसे लिपट गई और उनके होंठ चूसने लगी। उस दिन शाम 5 बजे तक अतुल ने मुझे छत पर बारिश में पांच बार चोदा। मेरी चूत पूरी तरह भुरता बन चुकी थी, और मैं मजे से थककर चूर थी।


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