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गोवा की रातों में रिश्तों की सारी सीमाएँ तोड़ दीं - Family Sex Stories

दोस्तों, घर में मेरे अलावा मम्मी-पापा और एक बड़ी बहन थी, और पापा को अपने काम से कभी फुर्सत नहीं मिलती थी, इसलिए हम दोनों भाई-बहन ज्यादातर मम्मी के साथ ही घूमते-फिरते थे। मेरी बड़ी बहन अधिकतर घर से बाहर रहती थी, कभी नाना-नानी के पास चली जाती, कभी दादा-दादी के यहाँ या किसी दूसरे रिश्तेदार के पास, और इसी चक्कर में उसकी पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाई थी। मम्मी खुद अच्छी पढ़ी-लिखी और बेहद मॉडर्न विचारों वाली महिला थीं, जो कभी दकियानूसी सोच नहीं रखती थीं, हम भाई-बहन में कभी कोई भेदभाव नहीं किया, और इसी वजह से हम लोग आपस में बहुत खुलें हुए थे, किसी भी बात पर बेझिझक अपनी राय रख सकते थे, घर में हमारे बीच कोई परदा नहीं था।


मम्मी और दीदी मुझसे कभी शर्मा नहीं थीं, मेरे सामने ही ऊपरी कपड़े बदल लेती थीं, कभी तौलिये की आड़ में तो कभी पीठ करके, और मैं चुपके से निगाहें चुराकर उनके मांसल बदन का भरपूर मजा लेता था, उनकी गोरी त्वचा पर हल्की पसीने की चमक, हवा में फैलती उनकी बॉडी लोशन की हल्की मीठी खुशबू, और कपड़ा सरकते वक्त उभरते वक्रों की झलक देखकर अंदर ही अंदर लंड में गर्मी सी दौड़ जाती थी। बचपन से मैं भोला-सा दिखता था, इसलिए कोई शक नहीं करता था, लेकिन अंदर से मैं कितना हरामी था, ये कोई नहीं जानता था।


मम्मी की उम्र उस वक्त करीब 37-38 थी, क्योंकि शादी 17-18 की उम्र में हुई थी और 19-20 में दीदी पैदा हुई थी, कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने हम दोनों के जन्म के बाद पूरी की थी। उनका बदन अब भी गठीला और इतना मादक था कि देखते ही मन डोल जाता, कद लगभग 5 फुट 5 इंच, जहाँ जरूरी था वहाँ भरपूर मांस, कहीं अतिरिक्त चर्बी नहीं, और वो 30-32 से ज्यादा की बिल्कुल नहीं लगती थीं। दीदी भी ठीक वैसी ही थी, उस वक्त 18-19 साल की, गजब का नशीला जिस्म, गोरी चमकती त्वचा, भारी उभार, और मेरे दोस्त चोरी-छुपके उसे घूरते थे, पीठ पीछे गंदी बातें करते थे, मुझे सुनकर मजा आता था कि घर में मुझे वो सब मिल रहा है जिसके लिए ये तरसते हैं।


उन दिनों दीदी थोड़ी मोटी लगने लगी थी, क्योंकि दादा-दादी के यहाँ लाड़-प्यार में खूब खाया-पिया था, और मम्मी ने उसे कहा कि रोज एक्सरसाइज कर, नहीं तो और फूल जाएगी, दीदी डर गई और हामी भर दी। फिर वो रोज सुबह-शाम हमारे कमरे में कसरत करने लगी, हम बचपन से एक ही कमरे में सोते थे, एक डबल बेड था, सुबह 6 बजे अलार्म बजता और दीदी फ्रेश होकर सिर्फ स्पोर्ट्स ब्रा और निक्कर में एक्सरसाइज करती, मैं आधी आँख खोलकर उसका भूगोल निहारता, उसके उछलते बोबे पर पसीने की बूंदें लुढ़कतीं, जाँघें चमकतीं, गांड की हल्की हिलोर और हवा में फैलती उसकी गर्म साँसों की आवाज सुनकर लंड तन जाता। कभी-कभी मम्मी भी एक्सरसाइज सिखाने आतीं, साड़ी खोलकर सिर्फ ब्लाउज-पेटीकोट में, उनके भारी बोबे ब्लाउज में हिलते, पेटीकोट गांड से चिपक जाता, पसीने की हल्की गंध कमरे में फैल जाती, मेरा दिमाग खराब हो जाता और लंड दबाकर रखता। ऐसा महीनों चलता रहा, मैं बुद्धू बनकर चुपके-चुपके मजा लेता रहा।


फिर हम पापा के पीछे पड़ गए कि सबको कहीं घुमाने ले चलो, पापा बोले समय निकालने की कोशिश करता हूँ, लेकिन समय बीतता गया और दीदी ने चाचा-चाची के साथ टूर प्लान कर लिया, 15-20 दिनों के लिए चली गई। हम दोनों मम्मी-बेटा पापा से नाराज हो गए, कुछ दिन बाद पापा ने कहा कि उनके एक दोस्त का गोवा में गेस्ट हाउस है, अभी खाली है, तुम दोनों चले जाओ, मैं बाद में आ जाऊँगा, दीदी भी मेरे साथ आएगी। हम उनके बिना जाना नहीं चाहते थे, लेकिन समझाने पर मैं और मम्मी गोवा चले गए। ऑफ सीजन था, बारिश के कारण टूरिस्ट कम थे, लेकिन रास्ते में गोवा के सेक्सी नजारे देखकर, हवा में समंदर की नमकीन खुशबू सूँघकर लगा कि यहाँ आना सही फैसला था।


गेस्ट हाउस से एक आदमी हमें लेने आया, बोला सब सामान अंदर है, कुछ चाहिए तो फोन करो, पास में ही दुकान है, सुबह-शाम सफाई वाली आएगी। मम्मी खुश थीं कि होटल का भारी चार्ज नहीं लगेगा, कम पैसों में ज्यादा दिन मजा करेंगे। गेस्ट हाउस में कार थी, किचन फ्रिज भरा हुआ, बड़ा कंपाउंड, चारों तरफ ऊँची दीवारें, पीछे उफनता समंदर, सुनसान इलाका जहाँ चारों तरफ सिर्फ समंदर की लहरों की गूँज और बड़े पत्थर थे। अलमारी में ढेर सारे कपड़े, स्विमिंग कॉस्ट्यूम इतने छोटे कि हाथ में लेते ही शरम आती, पतले कपड़े जो बदन से चिपककर हर वक्र उभार देते। यहाँ कोई परिचित नहीं था, शरम की कोई गुंजाइश नहीं। मम्मी दीदी से फोन पर बोलीं कि यहाँ इतनी आजादी है कि चाहो तो नंगे बीच पर दौड़ लगाओ, कोई देखने वाला नहीं, पीछे स्विमिंग पूल नीले आसमान सा लग रहा था, सच में जैकपॉट लग गया था।


अगली सुबह मैं उठा तो मम्मी नहीं थीं, दूसरे कमरे में गईं तो अलमारी खोलकर स्विमिंग कॉस्ट्यूम देख रही थीं, मुझे देखकर बोलीं चल बदल ले, स्विमिंग करेंगे, और मैं कब से इंतजार कर रहा था। जल्दी फ्रेश होकर पूल साइड पहुँचा तो मम्मी ने ब्रेकफास्ट पूल साइड रखवाया था, सफाई वाली को भेज दिया था, अब सिर्फ हम दोनों थे। मम्मी आईं तो मेरे होश उड़ गए, उन्होंने एक साइज छोटा कॉस्ट्यूम पहना था, उनका मांसल बदन बाहर आने को मचल रहा था, भारी बोबे ऊपर से उभरे हुए, गांड का आधा हिस्सा बाहर, जाँघें पूरी नंगी, गीले होने से पहले ही कपड़ा बदन से चिपककर हर उभार दिखा रहा था, हवा में उनकी बॉडी की गर्मी और हल्की परफ्यूम की खुशबू मेरी नाक में घुस रही थी। मैं फटी आँखों से देखता रह गया, मम्मी मुस्कुराईं और एक कॉस्ट्यूम मुझे थमाया, बदल ले।


मैंने तौलिये में बदला, लेकिन मेरा तना लंड साफ दिख रहा था, शरमा रहा था, मम्मी हँसकर बोलीं, “क्या रे, लड़कियों से भी गया-गुजरा है तू, तेरी जगह मैं या तेरी दीदी होती तो अब तक नंगी होकर बीच पर दौड़ लगा रही होती,” कहकर मेरा तौलिया खींच लिया, अब मैं बस छोटी सी कॉस्ट्यूम में था। शरमाकर पानी में बैठ गया, क्योंकि तैरना नहीं आता था, मम्मी को भी अच्छे से नहीं आता था, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा, उनकी गर्म हथेली की फील से लंड में झनझनाहट हुई, धीरे-धीरे पानी में उतरीं, जल्दी ही हम सीने तक डूब गए। पहली बार मम्मी को इतना बिंदास देखा, शरम नाम की कोई चीज नहीं, अपने जवान बेटे के साथ पानी में मस्ती कर रही थीं, उनका कॉस्ट्यूम गीला होकर और चिपक गया, निप्पल साफ उभर आए, पानी की ठंडक और उनके बदन की गर्मी मिलकर कमाल का एहसास दे रही थी, मेरा लंड पागल हो रहा था, बड़ी मुश्किल से दबाए रखा।


दो घंटे बाद भूख लगी तो बाहर आए, मम्मी ने मेरे सामने ही तौलिये की आड़ में बिकनी उतारी, छोटी सी पारदर्शी नाइटी पहन ली जो घुटनों से ऊपर थी, अंदर कुछ नहीं, नाइटी गांड में घुस रही थी, कड़ी निप्पल साफ दिख रही थीं, हल्की गीली त्वचा पर रोशनी पड़कर चमक रही थी, मुझे लगा जानबूझकर कर रही हैं, अपनी दबी इच्छा पूरी करना चाहती हैं। फिर हम टीवी देखते रहे, लोकल चैनल पर विदेशी टूरिस्ट नंगे मजा ले रहे थे, उनके बदनों की चमक, हँसी-ठिठोली की आवाजें, मैं शरमा रहा था लेकिन मम्मी चैनल नहीं बदल रही थीं, उनकी साँसें थोड़ी तेज हो रही थीं।


शाम को मम्मी गेट पर नाइटी में खड़ी थीं, मैं चुपके पीछे जाकर खड़ा हो गया, सामने सुनसान बीच पर एक विदेशी जोड़ा पत्थरों के बीच संभोग जैसी मुद्रा में मस्त था, उनकी कराहटें हवा में तैर रही थीं, डूबते सूरज की रोशनी में मम्मी की नाइटी पारदर्शी हो रही थी, पूरा जिस्म आर-पार, उनके कर्व्स की छाया साफ दिख रही थी। मैं उनके ठीक पीछे पहुँचा तो देखा एक हाथ नाइटी के अंदर, चूत रगड़ रही हैं, हल्की कराहटें निकल रही थीं “आह्ह…”, गर्म साँसों की आवाज, हवा में उनकी उत्तेजना की हल्की मुश्की खुशबू। मुझे देखकर बेशरम हँसीं, “देख, वो दोनों बीच पर कितने मजा ले रहे हैं, और तू अंदर भी शरमा रहा है, लगता है तेरे साथ आकर गलती की।” मैं बोला, “नहीं मम्मी, बस शुरू में झिझक थी, अब आप साथ हो तो शरम कैसी,” मम्मी बोलीं, “देख बेटा, ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता, दबी इच्छाएँ पूरी करने का, लाखों खर्च करो तब भी इतनी प्राइवेसी नहीं मिलेगी, तू जवान है, मुझे तो बुढ़ापे में मौका मिला, शरम छोड़, भूल जा हम माँ-बेटे हैं, जवानी का मजा लूट ले,” उनकी आवाज में हल्की काँप और लालच था।


अगले दिन सुबह जोरदार बारिश थी, समंदर उफन रहा था, लहरों की तेज गर्जना कमरे में गूँज रही थी, कीपर का फोन आया कि सफाई वाली नहीं आएगी, बाहर मत निकलना। मम्मी बोलीं आज टीवी देखेंगे, खूब खाएँगे, स्टीम बाथ लेंगे, बेसमेंट में स्टीम बाथ था मुझे पता ही नहीं था, मम्मी पापा के साथ पहले ले चुकी थीं। ब्रेकफास्ट के बाद हम बेसमेंट में गए, मम्मी ने स्विच ऑन किया, ग्लास केबिन में गर्म भाप भरने लगी, हवा में नमी और गर्मी की खुशबू फैल गई। बोलीं पहले स्किन क्रीम लगा लो, कहकर अपनी नाइटी उतार दी, अंदर सिर्फ ब्रा-पैंटी, टाँगें चौड़ी कीं तो पैंटी से झाँटें बाहर झाँक रही थीं, हल्की मुश्कान के साथ बोलीं “देख बेटा, ड्रॉअर में हेयर रिमूवर है क्या?” मैंने दिया, अनफ्रेंच क्रीम थी, फिर बोलीं तू अंदर जा तापमान देख, मैं केबिन में गया, तिरछी नजर मारी तो मम्मी पैंटी नीचे कर रही थीं, उनका गोल गांड हल्का हिल रहा था, दिमाग घूम गया।


केबिन में भाप से बाहर कुछ दिख नहीं रहा था, अचानक मम्मी अंदर आईं, बोलीं ऐसे मत बैठ बदन पर हाथ फेरकर मालिश कर, फिर पीठ करके बोलीं मेरी ब्रा खोल दे पीठ पर अच्छे से मालिश कर, मैंने हुक खोला, उनकी गर्म मांसल पीठ पर हाथ फेरने लगा, पसीना और भाप मिलकर बदन चिपचिपा हो रहा था, उनकी त्वचा की गर्मी हाथों में महसूस हो रही थी, साँसों की गर्म हवा मेरे चेहरे पर लग रही थी, मम्मी के हाथ अभी भी बोबों पर थे दर्शन नहीं हो रहे थे। आधे घंटे बाद बाहर आए, मम्मी ने कंधों पर तौलिया डाला, उनकी गीली त्वचा से भाप उठ रही थी। शाम को पापा का फोन आया कि वो और दीदी कल आ रहे हैं, मैं उदास हो गया।


रात में मम्मी ने हल्का डिनर बनाया, टीवी के सामने बैठे, बारिश थम रही थी, मम्मी बोलीं मेरी पीठ पर मालिश कर दे, उन्होंने टी-शर्ट और निक्कर पहना था, टी-शर्ट ऊपर की तो ब्रा, हुक खोलकर ऑयल से मालिश करने लगा, ऑयल की खुशबू और उनकी त्वचा की गर्मी मिलकर कमाल कर रही थी, फिर बोलीं निक्कर थोड़ा नीचे कर हिप्स की भी कर दे, मैं सेक्सी सपने देखते हुए मालिश करता रहा, कुछ देर में मम्मी सो गईं, पीठ और हिप्स खुले थे, मैं देर तक निहारता रहा, उनकी गर्म साँसें सुनता रहा, फिर उनके पास सो गया।


रात 2-3 बजे मम्मी करवट लीं, मेरी आँख खुली, वे चित सोई थीं, नींद गहरी देखकर टी-शर्ट ऊपर की, ब्रा ऊपर कर उनके रसीले स्तनों को देखने लगा, भूरे निप्पल पर हल्की चमक, मैं पागल हो गया, धीरे से मुँह में लिया, चूसने लगा, चपचप की हल्की आवाज, निप्पल पर जीभ फिराई तो वो और कड़े हो गए, एक हाथ निक्कर में डाला, हुक खुला था, दो उंगलियाँ चूत में सरकाईं, अंदर गर्म चिकना स्पर्श, चूत बाल साफ थे सुबह क्रीम लगा ली थीं, चूत का रस उंगलियों पर लग रहा था, हल्की मुश्की खुशबू, मम्मी की साँसें तेज हो गईं लेकिन मैं नहीं रुका, चूसते-चूसते थककर सो गया।


अगली सुबह आसमान साफ था, सफाई वाली ने सब साफ किया, मम्मी साड़ी पहनकर मंदिर का पता पूछ रही थीं, मैंने सोचा नाटक कर रही हैं, बाई गई तो मम्मी बोलीं नाश्ते के बाद बीच चलेंगे, मम्मी ने काली बिकनी पहनी फिर छोटी साइज, बदन फटने को था, रास्ते में बोलीं “रात में अच्छी नींद आई ना? सुबह पता चला क्या-क्या हुआ,” उनकी आँखों में शरारत थी, मैं चुप रहा समझ गया सब जानती हैं। बीच पर कोई नहीं था सुनसान, समंदर में रेत ज्यादा थी गंदा लग रहा था, मम्मी बोलीं पत्थरों की तरफ चलो, हम उथले पानी में पत्थरों पर बैठ गए, लहरें हमें डुबोने की कोशिश करतीं, पानी की ठंडक और उनके बदन की गर्मी मिलकर बिजली सी दौड़ाती, मैं मौका पाकर मम्मी को सीने से लगा लेता, उनके गीले बोबे मेरे सीने से रगड़ खाते, निप्पल की कड़क फील, लंड पागल हो रहा था।


तभी एक बाइक आई, 50 साल का अधेड़ और 25 साल की लड़की, शराब की बोतलें, बिकनी-बरमूडा में, पत्थरों के बीच आड़ में चूमने-चाटने लगे, उनकी कराहटें और शराब की खुशबू हवा में, मम्मी बोलीं चुपके से देखते हैं लड़की उसकी बेटी की उम्र की है बुड्ढे को जवानी चढ़ी है। वो दारू पीते रहे फिर बुड्ढे ने लड़की के होंठ चूसे ब्रा उतारी, लड़की हँसकर भागी हमारी तरफ, मम्मी बोलीं ऐसे करो जैसे कुछ देखा ही न हो, वो लोग भी पास आए, लड़की ब्रा पहनने की कोशिश करने लगी, आदमी मुस्कुराया बोला “आप भी जिंदगी का मजा ले रहे हो?” मम्मी बोलीं “जी हाँ बिल्कुल,” तभी बड़ी बॉल तैरकर आई लड़की ने पकड़ी हमारे साथ खेलो, हम खेलने लगे, मम्मी झुकतीं तो आदमी उनके बोबे घूरता पीठ करतीं तो गांड, उनके पसीने और समंदर की खुशबू मिल रही थी।


एक घंटे बाद वो गए, मुझे धीरे से बोला “मैंने पैसे देकर किया है लेकिन तूने तो मस्त माल पटा लिया तेरी बड़ी बहन लगती है ना? पूरे गोवा में ऐसी नहीं देखी,” हम वापस आए, मम्मी बोलीं पूल में रेत साफ कर लें, मैं तौलिया लेने गया तो देखा मम्मी नंगी होकर पूल में खड़ी थीं पीठ मेरी तरफ, उनका गोल गांड पानी में चमक रहा था, मैं चौंका, फोन बजा दीदी का कल सुबह आ रही है, मैंने कहा कपड़े मत खरीदो यहाँ ढेर हैं।


अगले दिन लंच तक पापा-दीदी गोवा आ गए, मम्मी छोटा स्कर्ट-टॉप में दीदी टाइट वाइट टॉप-जींस में बोबे और गांड कयामत ढा रहे थे, दीदी बोली पापा ने ऐसे कपड़े दिलाए कि घर में पहनने की हिम्मत नहीं होती, पूल साइड गपशप चली, पापा बोले ये गेस्ट हाउस बॉस का है खास लोगों को देते हैं प्राइवेसी गजब की, मम्मी का स्कर्ट हवा से उड़ता जाँघें दिखतीं मम्मी बेफिक्र। शाम को डिनर बाहर, मम्मी बैकलेस ब्लाउज दीदी लंबे कट वाला स्कर्ट जाँघें बाहर, रात को मम्मी छोटी नाइटी दीदी सिल्क कुर्ता बोबे झांकते, दीदी पैर फैलाकर बैठी पैंटी साइड से दिख रही पापा मम्मी की जाँघें दबाते हुए दीदी को देख रहे थे।


अगली सुबह पापा स्विम कॉस्ट्यूम में लंड तना हुआ, मम्मी-दीदी छोटी बिकनी, पापा बोले खूब मजा करो पता नहीं फिर मिले न मिले, हम समंदर में दूर तक गए, पापा मम्मी-दीदी की बिकनी खींचते बोबे बाहर आने को, वापस पूल में मम्मी ने बिकनी उतारकर पूल में कूद गई, मैं अंदर आ गया, दीदी पीछे आई “पागल हो क्या शरमाता है ऐसे माँ-बाप नहीं मिलेंगे मैं होती तो नंगी कूद जाती,” झाँका तो मम्मी-पापा नंगे पूल में मस्ती कर रहे थे दीदी खंबे की आड़ में चूत मसल रही थी, उसकी उंगलियों की हल्की चपचप सुनाई दे रही थी।


शाम को नाइट क्लब गए लगभग अधनंगे, शराब नंगा नाच, पापा बोले जो चाहो करो कोई शरम नहीं, मैं और दीदी नाचे बियर-वाइन पी, नशे में हम औरत-मर्द बन गए, मैंने दीदी के उभार दबाए वो बोली “भाई अब मत रुक सारी हदें तोड़ दो एक हो जाओ,” मम्मी नशे में शर्ट हिलाकर डांस कर रही थीं बटन खुले बोबे बाहर, उनके आसपास लोग छूने की कोशिश कर रहे थे वो बुड्ढा भी था, पापा एक जवान लड़की के साथ मस्ती कर रहे थे, आधी रात बाद हम लौटे मास्टर बेडरूम में घुसे, कपड़े उतार दिए, गर्मी थी एसी के बावजूद नंगे हो गए, पापा दीदी पर टूट पड़े मम्मी मुझे खींचकर लपेट लिया।


मैं मम्मी पर चढ़ गया जींस उतारकर चिकनी चूत मुँह में ली जोर से चूसी “चपचप स्स्स आह्ह बेटा कितना रस है तेरे लिए,” चूत का गर्म मीठा रस जीभ पर फैल रहा था, दीदी पैंटी उतारकर पापा के मुँह पर बैठ गई, पापा ने चाटा तो दीदी मूतने लगी “आअह्ह्ह पापा पी लो सारा रस,” पापा पी गए, मम्मी कराह रही थीं “बेटा ये हिम्मत पहले क्यों नहीं की मैं कब से तड़प रही थी आह्ह्ह चूस जोर से,” उनकी चूत से रस टपक रहा था।


अगली सुबह सफाई वाली आई तो मम्मी ने बेडरूम छोड़ बाकी साफ करवाया, हम नंगे पड़े थे पापा का लंड दीदी की चूत में मेरा हाथ दीदी के बोबों पर, दोपहर बाद फिर बिस्तर पर इकट्ठे हुए, इस बार बिना नशे मैंने दीदी को चोदा “फचफच थपथप आह्ह भाई जोर से फाड़ दो,” मम्मी पापा से चुदवाईं फिर मेरे लंड को मुँह में लेकर खड़ा किया “ग्ग्ग्ग गों गों आह्ह बेटा कितना मोटा है,” पापा दीदी की चूत चाट रहे थे, कई दिन और रहे दिन में कई बार नंगा नाच, घर में नंगे घूमते कपड़े सिर्फ बाहर के लिए, मम्मी पापा से कहतीं जल्दी फिर ऐसी ट्रिप प्लान करो।


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