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संध्या भाभी ने अपने देवर को पटाया और चुत चुदवाई - Antarvasna Stories

एक विस्तृत कामुक यात्रा घर की शांति भरी शाम धीरे-धीरे गर्माहट की ओर बढ़ रही थी। बाहर सूरज ढल रहा था, लेकिन अंदर की हवा में एक अजीब सी उत्तेजना घुली हुई थी।


संध्या, पवन की भाभी, मात्र 28 वर्ष की एक बेहद आकर्षक और कामुक स्त्री थी। उसके लंबे, घने काले बाल जो कमर तक लहराते थे, गोरा रंग जो चांद की तरह चमकता था, पतली लेकिन मजबूत कमर जो हर कदम पर लचकती थी, और चौड़े, गोल कूल्हे जो किसी भी पुरुष को पागल बना सकते थे।


उसके स्तन तो जैसे प्रकृति का कमाल थे – भरे-भरे, नरम लेकिन दृढ़, और निप्पल हमेशा साड़ी के ब्लाउज के नीचे उभरे रहते, मानो किसी को आमंत्रित कर रहे हों। आज वह अपनी पसंदीदा काली साड़ी में सजी हुई थी, जो उसके शरीर की हर एक वक्र को बखूबी उभार रही थी। साड़ी का पल्लू हल्का सा ढीला था, जिससे उसके कंधे की चमक झलक रही थी।


नीचे गुलाबी रंग की पैंटी पहनी हुई थी, जो उसके निचले अंगों को बारीकी से ढक रही थी, लेकिन फिर भी उसके रहस्यों को छिपाने में नाकाम साबित हो रही थी। पवन, संध्या का 25 साल का देवर, एक एथलेटिक काया वाला युवक था। उसके चौड़े कंधे, मजबूत छाती और पेशीयों से भरी हुई टांगें उसे एक सशक्त पुरुष बनाती थीं। लेकिन उसके मन में हमेशा से संध्या के प्रति एक गुप्त आकर्षण था।


वह अक्सर चुपके से भाभी के बदन को निहारता, उसकी कमर की लचक, स्तनों की उभार, और कूल्हों की हलचल पर नजरें टिकाए रहता। लेकिन कभी हिम्मत न जुटा पाया कि कुछ कहे या करे। आज घर में सिर्फ वे दोनों अकेले थे।


भाई बाहर गया हुआ था, और नौकरानी को छुट्टी मिल चुकी थी। यह मौका कुछ बदलने का था, और भाग्य ने इसे संभव बनाने का इरादा कर लिया था।


संध्या को अचानक पेशाब की जरूरत महसूस हुई। शाम की गर्मी में उसके शरीर में पसीना आ रहा था, और ब्लैडर भरा हुआ था। वह बाथरूम की ओर चली गई, दरवाजा थोड़ा सा खुला छोड़ दिया। बाहर की गर्मी इतनी थी कि वह सोच रही थी, कोई तो नहीं है घर में जो झांक ले। बाथरूम की नरम पीली लाइट चालू की, जो दीवारों पर एक रोमांटिक छटा बिखेर रही थी।


संध्या ने साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक ऊपर चढ़ा लिया। उसके हाथ कांप रहे थे, लेकिन उत्सुकता से। फिर पैंटी को घुटनों तक नीचे सरका दिया। उसके नितंब पूरी तरह नंगे हो गए – गोल, सफेद, बिल्कुल मुलायम जैसे दूध से बने हों।


हर एक वक्र इतना परफेक्ट कि देखने वाला ललचा जाए। वह शौचालय पर बैठ गई, पैरों को फैलाकर। पेशाब की गर्म धारा बाहर निकली – तेज, सुनाई देने वाली, बाथरूम में गूंजती हुई। पानी की आवाज जैसे संगीत बन गई, जो उसकी राहत को दर्शा रही थी।


नरम लाइट में उसके नंगे बदन की परछाइयां दीवारों पर नाच रही थीं, हर एक सिल्हूट कामुक लग रहा था। चूत की गुलाबी सिलवटें साफ दिख रही थीं, पेशाब की आखिरी बूंदें टपक रही थीं, जो उसके जांघों पर लुढ़क रही थीं। संध्या ने आंखें बंद कर लीं, सिर पीछे झुकाया, और गहरी सांस ली। उसकी सांसें तेज हो रही थीं, शायद इस निजी पल की उत्तेजना से।


इधर पवन हॉल में बिना उद्देश्य के घूम रहा था। उसकी आंखें संध्या की तलाश में थीं। अचानक उसकी नजर बाथरूम के खुली दरवाजे पर पड़ी। दिल की धड़कन रुक सी गई। वह धीरे से करीब गया, दीवार के सहारे छिपकर झांका।


सामने का नजारा ऐसा कि उसका मुंह खुला रह गया। संध्या शौचालय पर बैठी हुई, नितंब नंगे, पेशाब की धारा बह रही। पवन का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, जैसे कोई ड्रम बज रहा हो। उसका लंड तुरंत सख्त हो गया, पैंट में इतना दबाव कि दर्द होने लगा।


वह छिपकर देखता रहा, सांसें तेज और अनियमित। भाभी का यह इतना निजी और वर्जित पल देखना उसे बेहद उत्तेजित कर रहा था। पेशाब की धारा धीरे-धीरे रुक गई। संध्या ने पास रखे टिश्यू पेपर को उठाया, अपनी चूत पर रगड़ा – उंगलियां सिलवटों पर घुमाईं, साफ किया।


हर स्पर्श में एक अजीब सी कामुकता थी। फिर वह धीरे से उठी, पैंटी को ऊपर करने लगी, लेकिन उसके नितंब अभी भी हवा में लहरा रहे थे। पवन की नजर हट ही नहीं रही थी। उसके हाथ अनजाने में पैंट पर चले गए, लंड को बाहर से दबाया, सहलाया। प्रीकम पैंट को गीला कर रहा था।


संध्या को बाहर कुछ हलचल सुनाई दी। वह चौंककर दरवाजे की ओर मुड़ी, और पवन को पकड़ लिया। "पवन! तू यहां क्या कर रहा है?" उसकी आवाज में आश्चर्य था, लेकिन आंखों में एक चमक, एक शरारत भरी मुस्कान।


वह बाहर निकली, साड़ी को जल्दी से ठीक किया, लेकिन उसके चेहरे पर शर्म से ज्यादा उत्साह था। पवन शर्मा गया, पीछे हटने लगा, चेहरा लाल हो गया।


"भाभी... मैं... सॉरी..." लेकिन संध्या ने उसका हाथ पकड़ लिया, जोर से खींचा।


"रुक जा ना... मैंने सब देख लिया तुझे। तू मुझे ऐसे घूर रहा था।" वह करीब आई, इतनी कि उसके स्तन पवन की छाती से सट गए। फिर उसके हाथ सीधे पवन की पैंट पर चले गए। जिपर को धीरे से खोला, हाथ अंदर डाल दिया।


पवन का लंड बाहर आ गया – मोटा, लंबा, नसें उभरी हुईं, टिप पर चमकदार प्रीकम की बूंदें। संध्या ने उसे कसकर पकड़ा, ऊपर-नीचे सहलाया। "वाह पवन... कितना सख्त और गर्म है।


तू मेरी पेशाब करते देखकर इतना उत्तेजित हो गया?" पवन हांफ रहा था, सांसें भारी। "भाभी... सॉरी... लेकिन तुम्हारा वो नजारा... इतना सेक्सी... मैं रोक न सका।" संध्या ने लंड को और जोर से पकड़ा, हल्का सा खींचा।


"चुप... अब बहाने मत बना। चल, अंदर चल मेरे साथ।" वह लंड को पकड़े हुए ही उसे बेडरूम की ओर ले चली। रास्ते में लगातार सहला रही थी, उंगली से टिप पर घुमाई, प्रीकम को फैलाया। पवन के पैर लड़खड़ा रहे थे, हर कदम में उत्तेजना बढ़ रही थी। बेडरूम में पहुंचते ही दरवाजा बंद कर दिया।

संध्या ने पवन को बेड पर धकेल दिया। "अब देखते हैं तू कितना ताकतवर है, देवर जी।" वह अपनी साड़ी खोलने लगी – पहले पल्लू गिराया, फिर ब्लाउज के हुक खोले।


ब्रा को पीछे से खींचा, स्तन बाहर आ गए – भरे हुए, निप्पल सख्त और गुलाबी। फिर साड़ी पूरी तरह गिरा दी, पैंटी को धीरे से नीचे सरकाया। नंगी संध्या खड़ी थी – चूत साफ शेव्ड, पहले से ही गीली चमकती हुई। पवन ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए।


उसका बदन नंगा हो गया – मजबूत मसल्स, पेट पर हल्की लाइनें, और लंड सीधा खड़ा, टिप लाल। संध्या ने उसे बेड पर लिटा दिया, खुद मिशनरी पोजिशन में चढ़ गई, लेकिन वह ऊपर वाली – काउगर्ल स्टाइल। लंड को हाथ में पकड़ा, अपनी चूत पर रगड़ा। गीलापन महसूस हुआ।


"देख पवन, आज मैं तुझे चोदूंगी। तेरी भाभी तेरे लंड पर सवार होगी।" धीरे-धीरे वह नीचे बैठी, लंड का सिरा चूत के होंठों को चीरता हुआ अंदर घुसा।


संध्या की चीख निकली – "आह्ह... कितना मोटा... पूरा भरा हुआ लग रहा है।" वह ऊपर-नीचे होने लगी, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। उसके स्तन उछल रहे थे, निप्पल हवा में लहरा रहे। पवन के हाथ उसकी कमर पर रखे, नीचे से धक्के मारने लगा। बेड की चरचराहट कमरे में गूंज रही थी। संध्या और तेज चली, चूत लंड को कसकर निचोड़ रही, रस बह रहा।


"हां पवन... महसूस कर मेरी चूत... कितनी गर्म और टाइट है।" बेडरूम के किनारे पर ड्रेसिंग टेबल था, जिसमें बड़ा आईना लगा था। दोनों ने एक साथ नजर डाली – आईने में उनका नंगा बदन साफ दिख रहा था। संध्या ऊपर सवार, पवन नीचे लेटा, लंड चूत में अंदर-बाहर हो रहा। परछाईं इतनी कामुक कि उत्तेजना दोगुनी हो गई। संध्या मुस्कुराई,


"देख आईने में पवन... हम कितने हॉट लग रहे हैं। जैसे कोई अश्लील फिल्म चल रही हो।" वह और तेज उछली, आईने की ओर झुककर खुद को देखा। पवन ने उसके स्तन पकड़े, निप्पल को मुंह में लिया, चूसा। जीभ से घुमाया। संध्या का रस तेजी से बहने लगा, चूत और गीली हो गई। कई मिनटों तक चली यह चुदाई, पसीना दोनों के बदन पर चमक रहा।


संध्या का पहला ऑर्गेज्म आ गया – "ओह्ह... आ गया... तेरी चुदाई से..." उसका शरीर कांप उठा, चूत सिकुड़ गई, लेकिन वह रुकी नहीं, जारी रखा। फिर संध्या उतरी, पवन को उठाया। "अब डॉगी स्टाइल में चोद मुझे।" वह बेड पर घुटनों के बल आ गई, नितंब ऊपर उठाए। चूत गीली चमक रही। पवन पीछे खड़ा हो गया, लंड को चूत पर रगड़ा, टिप को सिलवटों में घुमाया।


आईने में सब साफ दिख रहा – संध्या के गोल नितंब, फैली हुई चूत, और पवन का मोटा लंड। एक जोरदार धक्का मारा, लंड पूरा अंदर चला गया। संध्या कराही – "हां... गहरा... तेरी लंबाई मेरी गहराई छू रही है।" पवन चोदने लगा – जोरदार, लंबे धक्के, हर बार नितंब थपथपाते। हाथों से नितंबों पर थप्पड़ मारे, लाल निशान पड़े।


बालों को पकड़कर खींचा। संध्या चिल्लाई, "और जोर से पवन... मुझे दर्द दे... लेकिन मजा भी।" आईने में देखते हुए उत्तेजना और बढ़ गई, जैसे खुद को बाहर से देख रहे हों। पवन की स्पीड तेज हो गई, लंड गहराई तक मार रहा।


संध्या की चूत फिर सिकुड़ गई, दूसरा ऑर्गेज्म – "आह्ह... पवन... तू कमाल है..." पवन अब सहन करने की स्थिति में न था।


"भाभी... मैं झड़ रहा हूं..." उसने लंड बाहर निकाला, संध्या को घुमाया। चेहरे की ओर झाड़ दिया – गर्म, चिपचिपा वीर्य छूटा, होंठों पर, गालों पर, आंखों के पास। संध्या ने जीभ निकाली, चाटा।


"उम्म... तेरा स्वाद कितना अच्छा... नमकीन लेकिन मीठा।" फिर पवन को किस किया, जीभ से वीर्य मुंह में डाल दिया। दोनों हांफ रहे थे, बदन पसीने से तर। लेकिन उत्तेजना अभी बाकी थी। संध्या ने पवन को फिर लिटाया, लंड को मुंह में ले लिया। चूसा, जीभ से टिप घुमाई, गले तक लिया। पवन फिर सख्त हो गया।


"भाभी... अब बाथरूम चलें? पानी के नीचे मजा आएगा।" वे दोनों नंगे ही बाथरूम की ओर गए। संध्या ने शावर चालू कर दिया, खुद सिर्फ पैंटी पहन ली – संध्या की गुलाबी पेंटी, जो अब गीली हो रही थी। पानी उसके बदन पर बहने लगा, संध्या की साड़ी जैसे चूत पर चिपक गई, चूत की आकृति साफ दिखने लगी। पवन दरवाजे से देखता रहा, उसका लंड फिर खड़ा हो गया था। संध्या ने उसकी नजर पकड़ी, और मुस्कुराई।


"आ जा ना देवरजी .. शर्म मत करो।" पवन अंदर घुसा, दरवाजा बंद। संध्या को दीवार से सटा दिया, गहरा किस किया। जीभें आपस में लिपटीं, दोनों की लार मिली। संध्या ने पैंटी उतार दी, और ख़ुद को नंगा कर दिया। पवन घुटनों पर बैठ गया, चूत चाटने लगा – क्लिट को चूसा, होंठों को जीभ से चाटा। संध्या के हाथ उसके बालों में फंस गए।


"हां... चाट ऐसे... पानी के साथ मजा दोगुना हो रहा है।" पानी बह रहा था, लेकिन पवन की जीभ रुकने का नाम न ले रही थी। संध्या ने पवन को खड़ा किया, खुद नितंब फैलाए और गांड को चौड़ा किया। गांड का छेद अब पवन को साफ़ दिख रहा था।


"अब मेरी गांड चाट... जीभ अंदर डाल।" पवन झुका, जीभ लगाई – गुदा के चारों ओर चाटा, फिर अंदर घुसाई। संध्या कांपी, "ओह्ह... कितना अच्छा लग रहा... तेरी जीभ मेरी गांड में।" फिर संध्या ने पवन का लंड पकड़ा, मुंह में लिया।


संध्या पवन का लंड जोर-जोर से चूसने लगी, उसने लंड को गले तक उत्तर दिया, पूरा लंड सलाइवा से गीला हो गया था। पवन कराहा।


पवन ने अब संध्या को पीछे से चोदना चालू किया। पवन के धक्के अब तेज हो गए, कूल्हों से गोटो को टकराने की थाप थाप आवाज़ के साथ अब पानी की आवाज मिक्स हो गई।


पवन ने संध्या के नितंब थपथपाए, संध्या चरम सीमा से चिल्लाई। पवन ने फिर चेहरे पर अपना पानी झाड़ दिया, संध्या ने उसके लंड के टोपे से सारा पानी चाट लिया, आख़िर कतरा तक चाट के निगल गई।


दोनों फिर बाथरूम से बाहर आकर वापस बेडरूम लौटे। दोनों आईने के सामने खड़े हो गए।


अब संध्या ने ख़ुराफ़ात करी। संध्या ने पवन को झुकाया, और अपनी जीभ उसकी गांड के छेद में डाल दी।

गांड गीली हो गई तो संध्या ने अपनी एक उँगली भी उसकी गांड में डाल दी।


पवन कराहा, "भाभी... तेरी जीभ, आह कमाल है, लगता है मेरे लंड फट जाएगा और सारा लावा फूट पड़ेगा।"


फिर दोनों ने 69 पोजिशन कर ली– संध्या पवन के ऊपर आ गई और उसका मुंह लंड के ऊपर था और उसकी चूत पवन के मुंह पर।


दोनों एक दिसरे को चाटते रहे, और लंड चूसते रहे। ये मस्ती रात भर चली। दोनों ने पूरी रात में हर पोजिशन आजमाई।


दोनों रात भर की चुदाई से थक के चूर हो गए। और सो गए। सुबह पवन की आख खुली तो संध्या पवन का लंड मुंह में लिए सो रही थी।


संध्या पवन के कान में फुसफुसाई, "ये हमारा राज रहेगा... लेकिन रोज होगा।" पवन ने अपनी गर्दन हिलाके सहमति दी, और संध्या को किस किया, और दोनों वापस एक राउंड के लिए तैयार हो गए।


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