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सीनियर्स ने मेरी रैगिंग करके रंडी बनाया - Antarvasna Sex Stories

मेरा नाम नेहा है। दूसरा साल, गर्ल्स हॉस्टल। हमारे कॉलेज में रैगिंग बैन है, पर सीनियर्स फिर भी चुपके-चुपके करती हैं।


उस रात 12 बज रहे थे। मैं बाथरूम में नहा रही थी, सिर्फ एक पतला सा टॉवल लपेटे हुए। हॉस्टल की लाइटें बंद थीं, सिर्फ बाथरूम की ट्यूबलाइट जल रही थी। अचानक दरवाजा खुला। पाँच सीनियर्स अंदर घुस आए — चार लड़के, एक लड़की (वो सबसे क्रूर थी)।


सबके हाथ में फोन, रिकॉर्डिंग ऑन। “नई वाली रंडी तैयार है आज?” वो लड़की (रागिनी दी) हँसी। मैंने टॉवल कसके पकड़ा और बोला, “दी प्लीज… मत करो।” पर अगले ही सेकंड में दो लड़कों ने मेरे हाथ पीछे कर लिए और टॉवल छीन लिया।


मैं पूरी नंगी खड़ी थी उनके सामने। पहला थप्पड़ रागिनी दी ने मारा। “आज तू हमारी रखैल बनेगी 6 घंटे तक। जो बोलेगी करेगी। नहीं तो तेरी नंगी वीडियो पूरे कॉलेज में वायरल कर दूँगी।” फिर शुरू हुआ असली खेल… पहले 30 मिनट – मुँह की चुदाई मुझे घुटनों पर बिठाया।


पाँचों लड़कों ने बारी-बारी से लंड बाहर निकाला। सबके लंड अलग-अलग साइज़ के — एक 8 इंच का काला मोटा, एक पतला पर बहुत लंबा। मुझे जबरदस्ती मुँह में ठूँसा गया। एक साथ दो लंड भी गले तक। मैं उल्टी कर रही थी, लार टपक रही थी, पर वो रुकने वाले नहीं थे। रागिनी दी मेरे बाल पकड़कर आगे-पीछे कर रही थी। “चूस साली… आज तेरी गले की सील टूटेगी।”


अगले 1 घंटा – चूत और गांड की बारी मुझे बाथरूम की दीवार से सटा कर खड़ा किया। एक लड़का पीछे से, एक सामने से। पीछे वाले ने बिना कुछ लगाए सीधा गांड में घुसेड़ दिया। मैं चीखी तो सामने वाले ने मुँह में लंड ठूँस दिया। दोनों तरफ से एक साथ धक्के। मेरी गांड फट गई थी, खून बह रहा था। पर 10-15 मिनट बाद दर्द के साथ एक अजीब सी चुलबुली शुरू हो गई। मेरी चूत खुद-ब-खुद गीली होकर टपकने लगी।


रागिनी दी हँसकर बोली, “देखो, कितनी बेशर्म रंडी है — गांड फट रही है और चूत पानी छोड़ रही है।” फिर आया सबसे गंदा हिस्सा – 2 घंटे का नॉन-स्टॉप गैंगबैंग मुझे फर्श पर लिटा दिया। बारी-बारी से नहीं — एक साथ तीन-तीन लंड। एक चूत में एक गांड में एक मुँह में बाकी दो मेरे चूचे दबा रहे थे, निप्पल्स चूस रहे थे, उँगलियाँ चूत में डालकर चला रहे थे।


हर 10-15 मिनट में पोजीशन बदलते। कभी मैं ऊपर, कभी डॉगी, कभी दीवार से सटाकर। मेरी चूत और गांड से खून, वीर्य और मेरा खुद का पानी मिलकर फर्श पर पोखर बना रहा था। मैंने गिनती छोड़ दी — शायद 12-15 बार झड़ चुकी थी। हर बार मेरी टांगें काँप जातीं, आँखें ऊपर चढ़ जातीं। आखिरी 2 घंटे – पूरी तरह टूट चुकी थी मैं अब वो लोग थक गए थे, पर मज़ा खत्म नहीं करना चाहते थे।


मुझे शावर के नीचे लिटाया। गर्म पानी चलाया। फिर बारी-बारी से मेरे ऊपर मूतने लगे। पूरा शरीर, मुँह, चूत — सब पर। रागिनी दी ने अपना फोन मेरी चूत पर रगड़ा और खुद भी झड़ गई। फिर सबने मिलकर मेरे चूत में, गांड में, मुँह में, चूचों पर — हर जगह वीर्य गिराया। मैं पूरी तरह सफेद हो गई थी। सुबह 6 बजे जब वो गए तो मैं फर्श पर पड़ी थी — टांगें फैली, चूत और गांड से वीर्य बहता हुआ, शरीर पर नीले-काले निशान। मैं हिल भी नहीं पा रही थी। पर जैसे ही अकेली हुई, मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया। एक बार फिर झड़ गई… सिर्फ उस रात को याद करके।


अब हर रात मैं सपने में वही 6 घंटे देखती हूँ। और हॉस्टल की बाथरूम में जाती हूँ तो चूत अपने आप गीली हो जाती है। मैं जानती हूँ — मैं सच में उनकी रंडी बन चुकी हूँ। और मुझे ये ही चाहिए। बार-बार।


उस पहली रात के बाद मैं पूरी तरह टूट चुकी थी… या यूं कहो कि बन चुकी थी। अगली शाम 8 बजे मेरा फोन बजा।


रागिनी दी का मैसेज: “10 बजे छत पर आ, अकेली। कुछ भी पहनने की जरूरत नहीं। वरना आज तेरी वीडियो कॉलेज ग्रुप में।” मैं डर गई… पर चूत अपने आप भीग गई। रात 10 बजे मैं सिर्फ एक पतली सी नाइटी पहनकर (अंदर कुछ नहीं) छत पर पहुँची।


वहाँ पहले से 8 लोग इंतज़ार कर रहे थे — 5 पुराने वाले + 3 नए सीनियर्स (दो लड़के और एक लड़की)। सबके हाथ में बीयर की बोतलें और फोन। रागिनी दी ने आते ही मेरी नाइटी एक झटके में फाड़ दी। “आज तुझे पूरी कॉलोनी को अपनी रंडी दिखानी है।” छत के चारों तरफ 4-5 बिल्डिंगें थीं, सबकी लाइट्स जल रही थीं। नीचे रोड पर लोग घूम रहे थे। पहले 45 मिनट – नंगा परेड मुझे चारों पैरों पर घुटनों के बल चलने को कहा। एक लड़के ने मेरे गले में कुत्ते वाला चेन डाल दिया। रागिनी दी चेन पकड़कर मुझे घुमा रही थी।


हर चक्कर में कोई न कोई मेरी गांड पर थप्पड़ मारता, चूचे मसलता, या चूत में उंगली डालकर चेक करता कि कितनी गीली हूँ। मैं शर्म से मर जाना चाहती थी… पर चूत से पानी की लाइन बन रही थी। फिर शुरू हुआ असली खेल – 3 घंटे का नॉन-स्टॉप गैंगबैंग छत पर पहले 30 मिनट – मुँह और चूत एक साथ मुझे छत के पानी की टंकी पर लिटाया। एक लड़का नीचे से चूत मार रहा था, दूसरा मुँह में।


बाकी लोग वीडियो बना रहे थे। मेरी चीखें पूरी कॉलोनी में गूंज रही थीं। किसी बिल्डिंग से किसी ने टॉर्च मारी। रागिनी दी चिल्लाई, “देखो भाइयों, फ्री में लाइव पोर्न चल रहा है!” अगला 1 घंटा – डॉगी चेन में बाँधकर मुझे चेन से बाँधकर डॉगी बनाया। बारी-बारी से सबने गांड मारी। तीन लड़कों ने एक साथ कोशिश की — दो लंड चूत में, एक साथ घुसाने की। मुझे लगा मैं मर जाऊँगी।


चीखते-चीखते मेरा गला बैठ गया। पर 10 मिनट बाद मेरी चूत ने खुद ही दोनों लंड निगल लिए। मैं खुद की कमर हिलाने लगी। सब हँस पड़े, “देखो, रंडी को अब दो लंड भी कम पड़ रहे हैं।” सबसे गंदा हिस्सा – पब्लिक पेशाब शावर फिर सबने मुझे घेरा लिया। 8 लोग एक साथ मेरे ऊपर मूतने लगे। मुँह खोलने को कहा। मैंने मना किया तो रागिनी दी ने मेरे बाल पकड़कर जबरदस्ती खोला।


गर्म-गर्म मूत मेरे मुँह में, चूचों पर, चूत पर… मैं नहा गई। फिर सबने मिलकर मेरे चूत में बीयर की बोतल घुसेड़ी और झाग निकाल दिया। मैं पागल होकर झड़ गई। आखिरी 1 घंटा – मैंने खुद माँगा अब मैं पूरी तरह टूट चुकी थी। मैंने खुद कहा, “और दो… प्लीज और चोदो मुझे…” रागिनी दी ने रिकॉर्ड किया। फिर सबने बारी-बारी से मुझे गोद में उठाकर चोदा, छत के किनारे पर खड़ा करके — ताकि नीचे वाले साफ देख सकें।


मेरी टांगें हवा में लटकड़क, चीखें आसमान चीर रही थीं। मैंने उस रात 11 बार झड़ी। गिनती रखी थी मैंने। सुबह 5 बजे जब सब गए तो मैं छत पर नंगी ही पड़ी थी। शरीर पर सूखा हुआ वीर्य, मूत के धब्बे, चूचों पर काटने के निशान। पर मेरी उँगलियाँ फिर भी चूत में थीं। मैं फिर झड़ रही थी… सिर्फ सोचकर कि कल फिर आएँगे। अब हर रात 10 बजे मैं खुद छत पर चली जाती हूँ। कभी-कभी वो नहीं भी आते, तो मैं अकेली नंगी होकर उंगली करती हूँ और चिल्लाती हूँ, “लीजिए… आपकी रंडी तैयार है…”


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