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बीवी की सहेली को उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ चोदा - Hindi Sex Stories

दोस्तो, मैं जैक आपके लिए अपनी नयी सत्य कहानी लेकर आया हूँ.


इससे पहले आप मेरी सेक्सी कहानी

पढ़ चुके हैं। मेरी सभी कहानी बिल्कुल सच्ची होती हैं।यह २०१० की बात है, तब मेरी शादी के लगभग तीन साल हो गये थे और मेरा विवाहित जीवन बहुत आराम से कट रहा था।


मेरी बीवी भी एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में जॉब करती थी। मगर उसका वीकली ऑफ़ सिर्फ़ रविवार को रहता था जबकि मेरा शनि और रवि दोनों दिन!

एक दिन शुक्रवार को मैं ऑफिस में था तब मेरे पास एक फोन आया- जीजू, पहचाना मुझे?

तो मैं सोच में पड़ गया, कि मेरी तो कोई साली है भी नहीं तो नयी साली किसकी चूत से आ टपकी।

तो मैं बोला- सॉरी, मैंने नहीं पहचाना!

तो वो बोली- जीईईईज़ूउऊ मुझे नहीं पहचाना?


तब ख़याल आया कि यह तो अमीषा की आवाज़ थी, उसके जीजू बोलने के स्टाइल से दिमाग़ की बत्ती जली।

अमीषा ग्रेजुएशन के समय पर मेरी बीवी की रूम मेट थी और जूनियर भी। वो काफ़ी बार हमारे साथ घूमने भी आती थी।


मगर अचानक उसका ऐसे फोन काल आएगा, इसका अंदाज़ा नहीं था। अमीषा बहुत छोटी हाइट की थी, मुश्किल से 4 फीट 10 इंच की होगी और हाइट काम होने की वजह से थोड़ी मोटी तो नहीं मगर गदराई दिखती थी।


उसके बारे में मेरी बीवी ने बताया था कि कोई लड़का इसको अपना कज़िन बोल के हॉस्टल में मिलने भी आता था तो मेरी बीवी को थोड़ा शक भी था कि किसी के साथ इसका अफेयर चल रहा है, लेकिन सीनियर होने की वजह से मेरी बीवी से बातों में ज़्यादा खुली भी नहीं थी और उसकी रिस्पेक्ट भी बहुत करती थी तो उसकी पर्सनल लाइफ़ के बारे में ज़्यादा पता नहीं था। वो पढ़ाई की जगह पे हर समय बोल्ड इंग्लिश नॉवल पढ़ती रहती थी और मुझसे कभी कभी फ़्लर्ट भी करती रहती थी।


ख़ैर अब वापस कहानी पर आते हैं।

मैंने उसको बोला- ओह्हो साली साहिबा, आज कैसे हमको याद किया?

तो उसने बताया कि वो सूरत से बड़ोदा आ रही है और उसका जॉब इंटरव्यू है।


शादी के बाद मेरी बीवी से भी उसका कोई सम्पर्क नहीं था, मगर मेरा मोबाइल नम्बर अभी भी कोलेज वक़्त का ही था तो मेरा नम्बर उसके पास था। तब फ़ेसबुक भी इतना पॉप्युलर नहीं था।


मैंने उसको पूछा- कब आ रही हो?

तो बोली- शनिवार सुबह को इंटरव्यू है और मैं सीधे कम्पनी ऑफिस जाऊँगी, फिर जब वहां से फ़्री हो जाऊँगी तो आप से बात करती हूँ, दीदी से भी मिलना है, काफ़ी समय हो गया उनसे बात तक नहीं हुई।

मैं बोला- ठीक है, जैसा भी हो, मुझे फोन करना, मैं तुमको पिक कर लूँगा। शनिवार वैसे भी घर पे अकेला ही होता हूँ।


शाम को मैंने अपनी बीवी को बताया। जिसने मेरी पुरानी कहानी पढ़ी होगी उसको पता होगा कि मेरी बीवी बहुत भोली और सिम्पल सी है, उसने तुरंत बोल दिया- ठीक है, आप वैसे भी फ़्री हो, उसको पिक करके लंच करवाना और घर पे आ जाना, मैं चार बजे तक आने की कोशिश करूँगी।


वैसे वो घर पर शाम छह बजे तक ही पहुँचती थी।


अब तक मेरे मन में कोई बुरा ख्याल नहीं आया था लेकिन बाद में सुबह मैंने सोचा कि काफ़ी दिन हो गए कोई नयी चुत नहीं मिली, चलो कोशिश करते हैं।

सुबह मैं तैयार होकर नयी टीशर्ट जींस डाल कर बिल्कुल कोलेज बॉय की तरह तैयार हो गया और उसके फोन का इंतज़ार करने लगा। मुझे लगता था कि वो खुले विचारों वाली है और मुझसे फ़्लर्ट भी किया करती थी तो आसानी से पट जाएगी।


उसका 11 बजे कोल आया- मैं अभी फ़्री हो गयी हूँ और कम्पनी ने परिणाम के लिए एक हफ़्ता इंतज़ार करने को बोला है। और मैं कम्पनी के नीचे ही खड़ी हूँ।


मैं उसके बताए पते पर पहुँच गया, वो मेरा ही वेट कर रही थी। मैंने उसको क़रीब तीन साल के बाद देखा था। उसने प्रोफ़ेशनल दिखने वाला टॉप और जींस पहना था, उसके बूब्ज़ 3 साल में काफ़ी बड़े हो गए थे, थोड़ी और मोटी भी हो गयी थी।


मुझे देखते ही बोली- हेलो जीजू, आप तो तीन साल में बिल्कुल नहीं बदले।

मैं तुरंत बोला- लेकिन तुमने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है।

मेरा मतलब वज़न और बूब्ज़ से था जो काफ़ी बड़े हो गए थे।

मुझे पता नहीं वो मेरा मतलब समझी या नहीं, लेकिन ग़ुस्सा करके बोली- वेरी फ़नी जीजू, अब भी मेरी खिंचाई करना नहीं छोड़ा।


रास्ते में थोड़ी बातें करके हम हेवमोर रेस्टोरंट में बैठे, खाना खाया और फिर घर पर लेकर गया। मैंने पहले ही उसको बता दिया था कि प्रियंका जॉब पे गयी है। (मुजे शनि रवि की छुट्टी रहती थी जब की मेरी बीवी को सिर्फ़ रविवार की। उस दिन शनिवार था।) कोई एतराज़ नहीं था। हम अलग अलग सोफ़ा पर बैठे और टीवी देखते देखते बातें करने लगे।


घर में हम दोनों जवान लड़का लड़की अकेले बैठे थे, तो उसका तो पता नहीं लेकिन मैंने तो उसको चोदने का मन बना लिया था। मेरा लंड अपने शबाब पर था। मगर मुझे डर लगता था कि कुछ करूँ और मेरी बीवी को बोल देगी तो पंगा हो जाएगा। और उसको पटाने में समय लग गया तो मेरी बीवी आ जाएगी और मेरा लंड नयी चूत से वंचित रह जाएगा, और कल वो चली जाएगी।


वैसे मेरा यह भी प्लान था कि अगर उसकी यह जॉब लग गयी तो दूसरी चुत का परमानेन्ट जुगाड़ हो जाएगा।

मैंने अपनी सेफ़ साइड के लिए मेरी बीवी को फ़ोन लगाया, तो उसने बताया कि वो ओफिस में ही थी और क़रीब ६ बजे घर आ पाएगी।

चूँकि ऑफ़िस से घर आने में 35-40 मिनट का समय लगता था, तो मेरे लिए कोई टेंशन की बात नहीं थी, मैंने अपना प्लान बनाना चालू किया।


मैंने उसके बूब्ज़ को घूरना चालू किया, उसका 2-3 बार ध्यान पड़ा तो वो उठ कर दूसरी तरफ़ बैठ गयी। मैंने सोचा साली आज तो हाथ नहीं आएगी। वो उठ के रसोई में पानी पीने के लिए गई तो में उसके पीछे पीछे गया और उसको बाँहों में भर लिया और उसकी गर्दन पे किस करने लगा।


वो हैरान हो गयी, शायद उसको अचानक मुझसे ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी और वो छूटने के लिए छटपटाने लगी। मगर मैं उसको छोड़ने नहीं चोदने वाला था।


वो बोली- जीजू बस… बस करो, ये ठीक नहीं है, आप लिमिट क्रॉस कर रहे हैं।

मगर मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। मैंने पहले ही बताया कि वो बहुत छोटी है, तो उसको हेंडल करने में मुझे ज़्यादा मुश्किल नहीं आ रही थी।


मैंने उसको अपनी गोदी में उठाके बेड पे लिटा दिया।

वो अब भी बोल रही थी- जीजू छोड़ दो मुझे, ये आप ठीक नहीं कर रहे हैं।

मगर मैंने उसको ऐसे दबोच लिया था कि वो हिल भी नहीं सकती थी और मेरे जैसे चोदने के लिए तैयार हट्टे कट्टे मर्द के सामने कितनी ताक़त कर पाती।


मैंने उसके सारे चेहरे पे किस करना चालू कर दिया, और उसके मुँह में जीभ घुसाने की कोशिश करने लगा, मगर वो मुँह ही नहीं खोल रही थी। मैंने क़रीब 5 मिनट तक ट्राई किया मगर साली चुदवाने के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी।

मैंने ऊपर से ही उसके बूब्ज़ को दबाना चालू कर दिया। उसके मुँह से आह निकली और मैंने उसके मुँह खोलते ही अपनी जीभ घुसा दी।


मैंने उसके टॉप के नीचे से हाथ डाल दिया। और ब्रा के अंदर हाथ डालके निप्पल को मसलने लगा। अभी भी वो सहयोग नहीं कर रही थी और रो रही थी, लेकिन उसका विरोध कम हो गया था। अभी वो सिसकारने लगी, बोलने लगी- जीजू, धीरे… दर्द हो रहा है!

लेकिन मेरे ऊपर चोदने का भूत सवार था ऊपर से अनछुई चुत… उसकी बातों को अनसुना कर के मैं लग पड़ा, उसके पूरे बदन को चूमने लगा, वो बस बिना कुछ रिस्पोंस किए लेटी रही।


वो समझ चुकी थी कि मैं उसको चोदे बिना नहीं छोड़ने वाला तो छटपटाने का कोई फ़ायदा नहीं है तो फिर थोड़ी ढीली हो गयी।

मैं उसके कान में फुसफुसाया- थोड़ा को-ओपरेट करोगी तो आसानी होगी।

मगर उसने कुछ नहीं बोला।


मैंने उसके टॉप को ऊपर करके उसकी ब्रा पर से ही बूब्ज़ चूसने लगा। टॉप उतारने का तो सवाल ही नहीं था, क्यूँकि अभी भी वो खुली नहीं थी। मैंने उसकी ब्रा ऊपर करके उसके मम्मे देखे।

बिल्कुल सफ़ेद, जैसे किसी ने कटोरी उलटी कर के बनाया हो, ज़रा भी लचीले नहीं, ऊपर से मटर के दाने से भी छोटी गुलाबी घुंड़ी और पूरे बदन पे हल्के रोयेंदार बाल।


मैं बारी बारी साली के मम्मों को हल्के से दबाने लगा और उँगलियों से घुंड़ी मसलने लगा। मैं सब कुछ बहुत हल्के से कर रहा था क्यूँकि मुझे पता था कि ये या तो बिल्कुल अनचुदी है या फिर ऊपर ऊपर से ही इसने मज़े लिए हैं।

ज़रा सा ज़ोर से बूब्ज़ दब जाते तो उसकी दर्दभरी आह निकल जाती थी।


उसकी आँखे बता रही थी कि वो अब थोड़ी गरम हो चुकी थी। मैंने अपने ड्रोवर से कोंडोम और डयूरेक्स जेली निकाली। वो देख कर ही बोली- जीजू, यहीं तक ठीक था, अब बस, बहुत हो गया, बस मुझे छोड़ दो।

मैंने उसको बताया- देख, मैं बाद का अभी नहीं सोचता, बस कोलेज से ही तुमको पाने की चाह थी, मगर कभी बता नहीं सका तुमको!

वो बोली- जीजू, आप भी मुझे अच्छे लगते हैं, मगर दीदी आप से बहुत प्यार करती थी, और मैं आपको उससे छीनना नहीं चाहती।

वैसे मैं आपको बताऊँ कि मेरी बीवी के सामने अमीषा का कोई मुकाबला नहीं है, मैं अमीषा को सिर्फ चोदने के फ़िराक़ में ही था, प्रेमिका बनाने की नहीं।


मैं बोला- तो चलो अधूरा काम आज ही पूरा कर लेते हैं।

वो बोली- नहीं जीजू, आप अभी दीदी के ही हो, आप की शादी हो चुकी है तो अब मेरा आप पर कोई हक़ नहीं बनता। कोलेज की मस्ती अलग थी।


अब हम थोड़ी थोड़ी बातचीत कर रहे थे। मगर मेरे हाथ की सफ़ाई उसके बदन पे चालू ही थी, ताकि वो गरम ही रहे। क्यूँकि जब औरत या मर्द गरम हो गए हो, उसका दिमाग़ काम करना बंद और शरीर के होर्मोन काम करना शुरू कर देते हैं।


वो कुछ बोली नहीं, तो मैं उसकी जींस उतरने लगा, अब वो कुछ विरोध नहीं कर रही थी, उसके नीचे उसने फूलो वाली पेंटी पहनी हुई थी। मैंने पेंटी साइड में करके उसकी चुत पे हाथ लगाया, तो थोड़ी गीली हो चुकी थी, उसके आसपास ट्रिम किए हुए काले बाल थे, लगता था कि उसने 15-20 दिन से नहीं काटे थे। उसकी चुत कुछ और बोल रही थी और दिमाग़ कुछ और!


मैंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, बस निक्कर में ही था, अब वो आँखें बंद करके लेटी रही, मानो बोल रही हो- जीजू, जो करना है कर लो… कर लो अपनी मनमानी।

मैंने उसकी पेंटी उतारी और उस पर अपनी जीभ का कमाल दिखाने लगा। थोड़ी देर में उसका पानी रिसना चालू हो गया.


अब वो मेरे बालों को पकड़ रही थी और मेरा मुँह अपनी चुत से हटाने के लिए हल्का ज़ोर भी लगा रही थ। उसको भी मज़ा आ रहा था मगर थोड़ी हिचकिचाहट भी हो रही थी।

थोड़ी देर में मैंने अपना निक्कर उतारा। मेरा साढ़े पाँच इंच लम्बे और डेढ़ इंच मोटे (बिल्कुल रियल और नपी हुई साइज़ है) लोहे के रोड जैसे कड़क लंड का सुपारा अपना प्रीकम बहा रहा था और पूरा चिकना हो गया था। कोंडोम का पेकेट तोड़ के सावधानी से अपने लंड पे चढ़ा दिया क्यूँकि एक तो कुँवारी लड़की, ऊपर से कुछ गड़बड़ हो गया तो बहुत प्रॉब्लम में फँस सकता था तो सावधानी ज़रूरी थी।


मैंने अपनी उंगली पर डुरेक्स जेल, जो मेरी बीवी की गांड मारने के लिए हमेशा बेड के ड्रॉवर में रखता हूँ, वो लगा कर उसकी चुत को ढीला करने की कोशिश कर रहा था, ताकि उसकी चुत में लंड डालते समय ज़्यादा दर्द ना हो।

वो उंगली डालते ही कराह उठी और मेरा हाथ पकड़ के रुकने के लिए कहने लगी। जब मेरी उंगली डालने से भी उसको दर्द हो रहा था तो मेरे लंड से उसका क्या होगा, वो सोच रहा था।


वैसे अब तक दो कुँवारी लड़कियों की चुत की सील तोड़ चुका था, मगर इस बार का माजरा थोड़ा अलग था। क्यूँकि इस बार लड़की कुछ ज्यादा को-ओपरेट भी नहीं कर रही थी, ऊपर से मेरी भी थोड़ी फटी पड़ी थी।

मगर अगर कुछ काम शुरू किया है तो अंजाम तक तो पहुँचना ही था।


दोस्तो, जब भी कुँवारी लड़की को चोदें, भले ही लुब्रिकेटेड कोंडोम हो, मगर जेल ज़रूर लगाए, यह मेरे तीन कुँवारी चुत चोदने के अनुभव से बोल रहा हूँ। जेल की वजह से मेरी बीवी की टाइट गांड में भी लंड चला जाता है तो कुँवारी चुत भी हमेशा गांड से तो ढीली ही होती है।


थोड़ी देर में आसानी से उंगली अंदर बाहर होने लगी। हालाँकि मेरी उंगली पे कोई ख़ून नहीं आया, तो पता नहीं कि वो कुँवारी थी या नहीं, लेकिन जो भी थी, लंड से फटी हुई चूत तो नहीं ही थी ये दावे के साथ कह सकता था।


मैंने उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया ताकि जब में उसकी चुत में अपना लंड डालू तो वो चिल्लाए ना।

मैंने सोचा, अगर वो मुँह में ले ले तो मज़ा आ जाए। मगर फिर वो विचार छोड़ दिया।


मैंने धीरे से उसकी चूत पे लंड रगड़ने लगा और सुपारा अंदर डालने लगा। मैंने कंधे से उसको पकड़ के रखा क्यूँकि वो ऊपर ही सरकती जा रही थी। धीरे धीरे से मैंने मेरा लंड अंदर डाला। एक तो लुब्रिकेटेड कोंडोम और ऊपर से चुत में जेल, तो आसानी से लंड अंदर जा रहा था, मगर उसका दर्द और टाइट चुत दोनों मुझे महसूस हो रहे थे, एक हल्के ज़टके के साथ मैंने पूरा लंड चुत की गहराई में उतार दिया।

दर्द से उसकी बंद आँखों से आँसू बह रहे थे।


हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे, थोड़ी देर के बाद मैंने हल्के से झटके देना चालू किया, मगर उसकी चुत बहुत टाइट होने की वजह से उसका शरीर भी लंड के साथ खिंचा चला आता था। तो मैंने उसको कंधे से पकड़ा और हल्के से धक्के लगना चालू किया, वो धीरे धीरे कराह रही थी। थोड़ी देर में उसने मेरी पीठ पे हाथ फिरना चालू कर दिया तो लगा कि साली अब मज़े ले रही है, तो मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी, साथ साथ में उसके निप्पल भी चूस रहा था, मगर उसकी हाइट छोटी होने की वजह से में धक्के लगना और निप्पल चूसना एक साथ करना मुश्किल हो रहा था तो मैं घुटनों के बल बैठ गया, और हाथों से उसके दोनों मम्मों को हल्के से मसलने लगा और बैठे बैठे धक्के मारने लगा।


थोड़ी देर में मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, लेकिन उतनी भी नहीं जितनी बीवी के साथ करता था, क्यूँकि मुझे ध्यान था कि मैं एक कुँवारी लड़की की चुदाई कर रहा हूँ, जब भी कोई ज़ोर से धक्का लगता था, उसके मुँह से आह निकल जाती थी।


फिर भी मैंने एक सी रफ़्तार से चुदाई चालू रखी। उसकी चुत के पानी, डुरेक्स जेल और कोंडोम के लुब्रिकेंट की वजह से अब आसानी से लंड अंदर बाहर हो रहा था। अब मैंने थोड़े तेज़ धक्के लगाने चालू किए। ए सी 20 डिग्री पे चल रहा था फ़िर भी मुझे पसीना आने लगा।


थोड़ी देर में वो अकड़ी और ढीली हो गयी। मुझे पता चल गया कि वो झड़ गयी है। लेकिन मैं भी 15 मिनट से धक्के मार रहा था पर धीरे धीरे चोद रहा था तो मेरा लंड महाराज झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।

अब मैंने थोड़ी स्पीड बढ़ा दी और 30-40 धक्कों के साथ ही मैंने कोंडोम में अपना सारा पानी छोड़ दिया और लंड को बाहर निकाले बिना उसके ऊपर ढीला होकर गिर गया।


कुछ देर के बाद मेरा लंड ढीला हो गया और मैंने बाहर निकाला तो कोंडोम पे उसके सफ़ेद पानी के साथ ख़ून के 2-3 स्पॉट लगे हुए थे। लेकिन ज़्यादा ख़ून नहीं था वो मेरे लिए सुकून की बात थी। वो अभी भी आँखें बंद करके लेटी थी।

अब तीन बज गए थे, अब सब कुछ समेटने का समय था, क्यूँकि छे बजे के बाद मेरी बीवी कभी भी आ सकती थी।


मैंने सब कुछ साफ़ किया, कोंडोम को फ़्लश में डाला, अपने कपड़े ठीक किए, और उसके बाजु में लेट के उसके होंठों को चूसने लगा। अब उसने धीरे से आँखें खोली, मुझे देख कर हल्की सी मुस्कायी, बोली- जीजू, कर ली अपने मन की? लेकिन मेरे मन में तीस रहेगी कि मैंने और तुमने दीदी को धोखा दिया. यह ठीक है कि आपकी शादी से पहले मैं आपकी ओर आकर्षित थी लेकिन आपकी और दीदी की शादी के बाद मैंने आपको अपने दिल से दूर करने की कोशिश की थी. लेकिन अब आपने फिर से मेरे मेरे दिल में घुसपैंठ कर ली.


मैंने उससे पूछा- तुम्हे अच्छा लगा या नहीं!

वो मेरे वक्ष से लिपट कर बोली- जीजू…

और हाँ में अपनी गर्दन हिला दी.


इसके बाद बिना कुछ कहे वो धीरे से खड़ी हुई अपना टॉप ठीक क्या और जींस और पेंटी हाथ में लेके वाशरूम चली गयी।


क़रीब दस मिनट तक बाहर नहीं आयी तो मुझे टेंशन हो गया, जब मैंने उसको आवाज़ दी, तो थोड़ी देर में वो ठीक ठाक होकर बाहर आयी और मुझसे लिपट के रोने लगी। वो रोते हुए बोली- जीजू, हमने ये गलत किया ना?

मैंने कहा- तुम मुझे चाहती हो ना? सच सच बताना?

वो बोली- हाँ!

तो मैंने कहा- प्यार में सब जायज है! अमीषा, कोलेज से ही मैं मन ही मन तुमको प्यार करता था, मगर तुम प्रियंका की सहेली थी तो डर था, कि तुम अगर मुझे ना बोलोगी तो मैं तुम दोनों को खो दूँगा, तो कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया। बस आज तीन साल से दबी हुई सारी इच्छाएँ निकाल दी।

वो बोली- जीजू, प्यार तो में भी आप से करती थी, मगर आज जो हो गया सो हो गया, मैंने भी वासना में बह कर आपको नहीं रोका, अब बस इसे एक बुरा हादसा समझ लेंगे और दोबारा ऐसा कुछ नहीं करेंगे.


फिर हम दोनों बिना कुछ बोले टीवी देखने लगे। थोड़ी देर में मेरी बीवी आयी तो उससे लिपट गयी उसकी आँखो से आँसू निकल गए।

मेरी बीवी ने पूछा तो बोली- तीन साल के बाद मिले हैं तो ख़ुशी के आँसू हैं.


थोड़ी देर में डिनर करके उसने सरदर्द का बहाना करके उसने मेरी बीवी से दर्द की गोली माँगी। वो खाकर गेस्ट रूम में सो गयी।

सुबह आठ बजे उठ कर अमीषा तैयार हो गई और नाश्ता कर के मुझको बोली- चलो जीजू, मुझे स्टेशन तक छोड़ दो।


मैं उसको स्टेशन तक छोड़ने गया। रास्ते में उसने बोला- जीजू, जो हुआ उसको हम दोनों एक बुरा हादसा समझकर भूल जाएँगे।… मैं कल वाला दिन पूरी ज़िंदगी भर याद रखूँगी और आप को भी!

मैंने भी उसको बोला की मुजे हो सके तो माफ कर दो और ट्रेन में छोड़ के आ गया।

अभी वो २०२१ में मुजे एक कॉलेज में अनायास ही मिल गई। वो अभी भी गुजरात की एक कॉलेज में लेक्चरर है। और उसने अब तक शादी नहीं की है। हमने उस दिन के बारे में कोई बात नहीं की। और ना ही मैंने उस दिन के बाद उससे बात की। हा, वो मेरी बीवी के साथ फ़ोन पे कभी कभी बात करती रहती है। मगर उसने कभी उस दिन के बारे में उसको नहीं बताया है।


दोस्तो, यह बिल्कुल सत्य घटना है, इसमें मैंने कोई तड़का या अपनी फेंटेसी नहीं डाली है। आपको मेरी Hindi Sex Stories अच्छी लगी या नहीं, मुझे मेल करना और अपने सुझाव देना।

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3 Comments

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Guest
Sep 21

Ye aachi hai paani nikal gya

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Guest
Sep 21

बहुत बढ़िया याद है कोई हमको भी ऐसी मिल जाये

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Kamvasna
Sep 20

Mast story hai bro.

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