सौतेले परिवार में चूत चुदाई की कहानी
- Kamvasna
- Jan 19
- 15 min read
Updated: Jan 25
दोस्तो, मेरा नाम जयंत है. मैं एमपी का रहने वाला हूँ.मेरी उम्र 23 साल है.
मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, बड़ी बहन शिखा और मुझे मिलाकर हम चार लोग रहते हैं.
पापा सरकारी जॉब में बड़े अधिकारी हैं और मम्मी हाउस वाइफ हैं.
मेरी मम्मी मेरे पापा की दूसरी बीवी हैं.दीदी उनकी बेटी है पहले पति से.
मेरी दीदी मुझसे दो साल बड़ी है.उसका फिगर मस्त है और वह एकदम सुडौल गचचचा माल जैसी है.
यह फॅमिली सेक्स कहानी मेरे ही परिवार की है.
उसे देख कर किसी का भी लंड सलामी देने लग जाए.वह बिल्कुल मेरी मम्मी पर गई है.
मेरी मम्मी के फिगर की तो मैं बात ही क्या करूं, वे तो मेरी बहन से दस गुना ज्यादा मस्त माल हैं.आप सरकारी अधिकारियों की पत्नियों को तो जानते ही हैं, अपने रूप पर कितना पैसा उड़ाती हैं.
मैंने कई बार पापा के लंड से उनकी चूत का भर्ता बनते भी देखा है.
यह बात उस समय की है जब होली का त्योहार आने वाला था.उस वक्त मेरे घर में त्योहार का काम चल रहा था.मम्मी और दीदी घर में त्योहार की तैयारी कर रही थीं.
तभी दीदी मुझे काम में मदद के लिए बुलाने आई.मैं मम्मी का काम में हाथ बंटाने लगा.
दीदी और मैं मिलकर मम्मी के बेड के बॉक्स से कुछ सामान निकाल रहे थे कि तभी मेरा ध्यान बेड के कोने में पड़ी एक ब्लैक पॉलीथिन पर गया.
मैंने उसे उठाया और खोला तो मेरे होश उड़ गए.उसमें 5 पैकेट मैनफोर्स कंडोम, कुछ टैबलेट्स और दो तेल की शीशियां थीं.दीदी मेरे पास में ही थी और मम्मी दूसरे काम को करने में बिजी थीं.
दीदी ने पूछा- क्या है, दिखा?मैंने कहा- कुछ नहीं!
वह बोली- दिखा ना, कोई जरूरी सामान है क्या?ये बोल कर उसने मेरे हाथ से पॉलीथीन ले ली और फिर जब उसने पॉलीथीन देखी तो तुरंत मुझे पॉलीथीन पकड़ा कर बाहर चली गई.
दीदी के बाहर जाते ही मैंने उसमें से चुपके से एक पैकेट निकाल लिया और उसे अपनी जेब में रख लिया.सफाई होने के बाद शाम को मैं कमरे में लेटा सोच रहा था कि मम्मी अब भी चूत चुदवाती हैं पापा से!
मैंने उनकी चुदाई देखने का प्रोग्राम बनाया.जब रात को 11 बजे, तो मुझे उनके कमरे की तरफ से कुछ आवाजें आईं.
मैं चुपके से कमरे की खिड़की के पास गया और इधर उधर देख कर मैंने खिड़की से झाँका.
अन्दर देखा तो पापा मम्मी से बोल रहे थे- आओ ना जान, मेरा लंड तुम्हारी चूत में जाने को पागल हो रहा है!मम्मी बोलीं- वह तो रोज ही रहता है … कौन सा दिन ऐसा होता है, जब मेरी चूत का भर्ता नहीं बनता है. अब तो शिखा भी बड़ी हो गई है, मुझे चोदना कम कर दो. थोड़ा डर लगता हैं कि कहीं किसी दिन देख लिया तो क्या सोचेगी!
पापा बोले- क्या सोचेगी … उसकी चूत पर भी तो कभी न कभी लंड चढ़ेगा ही … वह भी अब माल हो गई है. उसकी बात छोड़ो जान … अब आ जाओ.यह कहकर पापा ने मम्मी के कपड़े निकाल दिए और अपने कपड़े खोलने लगे.
जैसे ही पापा ने अपना अंडरवियर निकाला, तो मैं देख कर दंग रह गया.पापा का लंड तो किसी प्लास्टिक के नकली लंड के जैसा था … वह लंबाई में बहुत बड़ा था; मोटा भी इतना कि समझो किसी लड़की की कलाई जितना.मैं तुरंत समझ गया कि पापा का लंड नेचुरल नहीं है. यह कमाल उन सब तेल और मल्हम आदि का है.
फिर मम्मी की आवाज आई तो मैंने पुनः उन दोनों पर ध्यान दिया.
पापा ने एक तेल निकाला और मम्मी की चूत पर लगाया.फिर कंडोम को अपने लंड पर सैट किया और मम्मी की जांघ पर थपकी दी.
मम्मी ने इशारा पाते ही अपनी दोनों टांगें हवा में ऊपर कर दीं.पापा ने लंड अन्दर पेला और उनकी ठुकाई शुरू कर दी.
पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थीं और मम्मी ‘आह ऊऊऊ मर गई’ की आहों के साथ मधुर आवाज में चिल्ला रही थीं- आह्ह्ह मेरे राजा … बस करो उईईई मर गई!
कुछ 20 मिनट के बाद पापा झड़ गए और कंडोम वीर्य से भर गया.अब मेरा लंड बेकाबू हो रहा था.मैं सोच रहा था कि अभी मैं भी जाकर मम्मी को चोद दूँ.
फिर मैंने ध्यान से सुना तो पापा, मम्मी से शिखा की बात कर रहे थे कि वह यार कमाल की माल है, मन करता है कि उसे भी चोद दूं!मम्मी ने हंस कर कहा- तो आपको रोका किसने है, चोद दो … वह भी तो देखे कि उसके बाप का घोड़े जैसा लंड कैसे उसकी चूत पर दौड़ता है!
पापा ने कहा- पर चोदूं कैसे?मम्मी ने कहा- अगर तुम कहो तो मैं जुगाड़ करूं?
मैं दंग रह गया.
पापा- यह तो बताओ कि करोगी क्या?मम्मी बोलीं- आप वह सब मुझ पर छोड़ दो मेरे राजा, आप तो बस लड़की की चूत का भर्ता बनाने को तैयार रहो.
पापा ने ये सुना तो उन्होंने मम्मी की फिर से चुदाई शुरू कर दी.
अब मैंने भी तय कर लिया कि पापा दीदी को चोदें, उससे पहले मुझे दीदी को चोदना है.फिर मैंने बाथरूम में जाकर मम्मी को सोच कर मुट्ठ मारी और मम्मी और दीदी को चोदने का प्लान करने लगा.
चुदाई करवाने के बाद मम्मी जैसे ही बाथरूम में घुसीं, मैंने ऐसा दिखावा किया जैसे मैंने मम्मी को देखा ही नहीं.मैं बस उनके सामने पेशाब करने लगा.
मम्मी ने मेरा लम्बा मोटा जवान लंड देख लिया.यही मैं चाहता भी था.
तभी मैं घूमा और अपने सामने मम्मी को देख कर एकदम से बोला- अरे मम्मी … आप कब आईं?
बस यह बोल कर मैं बाहर चला गया.मम्मी को शायद मेरा लंड भा गया था.
रात भर मैं दीदी को चोदने का प्लान बनाता रहा.
फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आ गया.
मैंने जो कंडोम का पैकेट निकाल लिया था, उसमें से एक कंडोम निकाला और सुबह 5 बजे उसे अपने लंड पर चढ़ा लिया.
फिर सुबह जब दीदी मुझे चाय देने के लिए मेरे कमरे में आई तो मैंने पहले ही अपनी अंडरवियर को नीचे खिसका दिया था.
मेरा लंड सलामी दे रहा था और मैं सोने का नाटक करने में लगा हुआ था.
जैसे ही दीदी मेरे कमरे में आई, वह एकदम मेरी तरफ देख कर कुछ नहीं बोली. उसका सारा ध्यान मेरे लंड पर ही था.
वह मेरे पास आई और उसने मेरे लंड पर लगे कंडोम को देखा.फिर दीदी ने चाय रखी और जाते जाते ‘भैया चाय पी लो’ बोल कर चली गई.
उसके जाने के बाद मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपनी बहन के नाम की मुट्ठ मारी, फिर कंडोम को जानबूझ कर उधर ही छोड़ दिया.
दीदी नहाने के बाद जब बाहर आई तो मैं हॉल में बैठा था.उसने मुझे एक अलग नजर से ही देखा.
होली आ गई थी, सब बहुत खुश थे.
मेरी मामी ने पापा को होली खेलने के लिए बुलाया, तो पापा मम्मी के बाहर जाने का प्रोग्राम बन गया.वे लोग चार दिन के लिए पचमड़ी जा रहे थे.
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ.
पापा मम्मी के जाने के बाद मैं मार्केट गया और बहुत सारा रंग लेकर घर आ गया.दिन में मैंने खूब होली खेली.
पर असली मजा तो शाम को ही आना था.
उसी वक्त मेरे पड़ोस की भाभी मेरे घर पर होली खेलने आ गईं.वे बोलीं- देवर जी, अपनी जिज्जी से ही खेलोगे होली … थोड़ा हमसे भी खेल लो!
यह कह कर वे मुझ पर टूट पड़ीं और मेरे चेहरे को लाल कर दिया.
फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाल कर लंड को मसल दिया.वे बोलीं- देवर जी, आपका हथियार तो बड़ा मोटा है, इसे अपनी जिज्जी को चखा दो!
ये सुन कर शिखा शर्मा गई.पर भाभी ने फॅमिली सेक्स का रास्ता खोल दिया था.
मैंने बोला- भाभी, अब रंग लगाने की बारी मेरी है.मैं अन्दर गया और बहुत सारा रंग एक बाल्टी में भी रंग घोल कर ले आया.
भाभी बोलीं- देवर जी, ये तो गलत बात है, अपनी जिज्जी को तो तुमने रंग लगाया नहीं और मेरे लिए इतना सारा ले कर आ गए.‘आप खेलो ना होली मेरे साथ!’ ये कहकर दीदी ने बाल्टी उनके ऊपर उड़ेल दी.
फिर भाभी ने कहा- अरे दीदी अब किधर जा रही हो, अब मेरी बारी भी बाकी है.उन्होंने मेरे हाथों से रंग लेकर दीदी के बूब्स में रगड़ना शुरू कर दिया.
थोड़ी ही देर में उन्होंने दीदी के बूब्स लाल कर दिए.भाभी बोलीं- देवर जी से दबवा लिया करो … कब तक इन्हें छुपा कर रखोगी.
ये बोलकर भाभी ने दीदी को जमीन पर गिरा लिया और उनकी पैंटी में हाथ घुसेड़ कर चूत पर कस कर रंग रगड़ दिया.इतने में दीदी ने मुझसे कहा- भैया बचाओ मुझे भाभी से!
मैं भाभी को दीदी से अलग करने लगा, पर भाभी दीदी की चूत को मसलना बंद ही नहीं कर रही थीं.वे अपने लाल हाथों को बस दीदी की चूत पर रगड़ रही थीं.
‘कुछ करो ना भैया, बचाओ न मुझे भाभी से!’जब दीदी ने यह कहा तब तक भाभी बोल पड़ीं- मेरी रानी, तुम्हारी चूत तो पानी छोड़ रही है … लगता है कि लंड चाहती है यह … देवर जी का ले लो … बहुत मोटा है. अभी टटोल कर देखा है मैंने!
यह सुनकर मैं गर्म हो गया और आवेश में आकर मैंने अपनी दीदी की पैंटी में हाथ डाल दिया.दीदी की चूत सच में पानी छोड़ चुकी थी.
फिर मैंने भाभी का हाथ बाहर निकाला तो दीदी बोलीं- पकड़ो भैया जरा इन्हें!मैंने भाभी को जमीन पर गिरा लिया और भाभी के ऊपर बैठ गया.
दीदी अन्दर गईं और बहुत सारा हरा रंग लेकर बाहर आईं.दीदी बोलीं- इन्हें पकड़े रहना भैया, इन्हें आज हरियाली बन्नी बना देती हूँ.
अब दीदी ने गाढ़ा रंग लेकर भाभी के बूब्स पर मला और उसने भाभी के ब्लाउज के हुक भी खोल दिए. भाभी के दूध दिखने लगे थे.
फिर दीदी ने भाभी की दोनों टांगों को अलग किया और चूत को रंग से भर दिया.भाभी बहुत गर्म हो चुकी थीं.वे बोलीं- हम दोनों का तो हो गया दीदी, पर भैया तो बच गए.
फिर तुरंत उन्होंने मुझे नीचे दबा लिया.मैंने जानबूझ कर विरोध नहीं किया, पर मुँह से बोलता रहा कि अरे बस करो भाभी!
वे बोलीं- मुझे तो सब जगह लगा लिया … और खुद बच रहे हो!
यह बोलकर उन्होंने दीदी को रंग लगाने के लिए बोला.दीदी ने मेरे चेहरे पर रंग लगाया.
भाभी बोलीं- क्या यार दीदी, जहां रंग लगाना चाहिए … उधर लगाओ ना!दीदी बोलीं- मुझे शर्म आ रही है.
भाभी बोलीं- तो लो पकड़ो, मैं लगाती हूँ.फिर दीदी ने मुझे पकड़ा और भाभी ने झट से रंग लेकर मेरी लोअर को नीचे खींच दिया.
मेरा फनफनाता हुआ लंड एकदम से बाहर निकल पड़ा.भाभी ने कहा- देखो दीदी, तुम्हारे भाई का लंड कैसे फनफना रहा था तुम्हें चोदने के लिए! अब ले भी लो अपनी चूत में … इसे भी थोड़ा आराम मिल जाएगा.
फिर भाभी ने तुरंत रंग लेकर मेरे लंड को भींच दिया.दीदी सीन देख कर शर्मा गई.
भाभी होली खेल कर चली गईं.अब बस मुझे दीदी को चोदना था, जिसके लिए मैं सुबह से तड़प रहा था.
मैं नहाने गया और मैंने मौका पाकर दीदी को बाथरूम में बुला लिया.
दीदी बोलीं- क्या है?मैंने कहा- थोड़ी पीठ मल दो, बहुत रंग लगा है.
तो दीदी मेरी पीठ से रंग हटाने लगी.
मौका पाकर मैंने दीदी से कहा- भाभी ने तो बहुत गाढ़ा रंग लगाया है मुश्किल से छूटेगा!दीदी बोलीं- तुम्हारा तो छूट भी जाएगा … मेरा कैसे छूटेगा! मम्मी भी नहीं हैं, जो साफ करवा लूँ!
मैं बोला- आप मुझे ना पकड़तीं, तो शायद मुझे नहीं लगता … और आपने तो सब देख भी लिया!दीदी बोलीं- मैं क्या करती, वह तो भाभी ने कहा तो …
‘पर आप अपनी सहेलियों से ना कहती फिरना कि सब देख लिया!’दीदी बोलीं- अरे नहीं कहूंगी, पर भैया मैं तो पहले ही देख चुकी हूँ तुम्हारा!
मैंने पूछा- कब कैसे?‘उस दिन कमरे में चाय देने गई थी तो तुम्हारा लंड तुम्हारी अंडरवियर से बाहर था … एकदम रॉड की तरह बहुत मोटा है! मैं तो डर गई थी, पर मुझे ये जानना है कि तुमने अपने लंड पर कंडोम क्यों लगाया था?
मैं बोला- नहीं, तो ऐसा कुछ भी नहीं था!दीदी बोली- थोड़ा कम झूठ बोलो यार … मैंने उस दिन बाथरूम में भी देखा था. एक पड़ा था तुमने ही फेंका था न, वह बोलो?
मैं कुछ नहीं बोला.दीदी बोली- बोलो, नहीं तो मम्मी से बोलूं क्या?
मैं बोला- नहीं दीदी, मम्मी को कुछ मत बोलना प्लीज … हां मैंने ही फेंका था … वह आपको देखकर मुट्ठ मारी थी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो!
दीदी बोली- आज भाभी रंग लगा रही थी, तबी भी तेरा लंड देखा था मैंने … फटा जा रहा था मुझे चोदने के लिए! वह तो उस समय वहां भाभी थीं, नहीं तो तू तो मुझे उधर ही चोद देता ना!
यह बोलती हुई दीदी ने मुझे किस कर लिया- मेरे राजा भैया, मैं तो कब से पागल हूँ तुमसे चुदने के लिए. जब से तुम्हारा लंड देखा है, मेरी चूत अब तक पानी छोड़ रही है!
मैंने तुरंत दीदी के कपड़े निकाल कर उन्हें पूरी नंगी कर दिया- आपकी चूत तो रंग से लाल हो रही है!दीदी- तो तुम ही साफ कर दो भैया!
मैंने दीदी की चूत पर साबुन लगाया और फिर कस कर धुलाई की.
‘दीदी आपकी चूत पर तो बाल ही नहीं हैं!.‘मेरे राजा, तुमसे चुदने के लिए झांटों को कल ही साफ किया था!’
फिर दीदी ने मेरे लंड पर साबुन लगाया और लंड को साफ किया.वह बोली- भाभी सच कह रही थीं, बहुत मोटा है तुम्हारा लंड!
दीदी ने यह कहते हुए मेरे लंड को मुँह में भर लिया और चूसने लगी.‘उम्ह्ह उम्ह्ह् दीदी … उम्ह्ह्ह आह.’
थोड़ी ही देर बाद मैंने सारा वीर्य दीदी के मुँह में छोड़ दिया.नहाने के बाद दीदी ने कहा- भैया, मम्मी के कमरे में चलो ना, हम दोनों मस्ती करते हैं.
हम दोनों मम्मी के कमरे में पहुंचे और मैंने उनके बेड पर दीदी को गिरा लिया.
दीदी बोली- भैया, आज कोई नहीं है, मुझे जम कर चोद दो … फाड़ दो मेरी चूत. निकाल दो इसका पानी … ये परेशान है तुम्हारा लंड लेने के लिए!‘हां मेरी बहना रानी, अभी लो!’
दीदी बोली- भैया, नीचे मम्मी की चूत का तेल रखा है, लगा दो मेरी चूत पर ताकि लंड आराम से अन्दर तक जा सके!
मैंने बेड से वही पॉलीथीन उठाई और तेल निकाल कर दीदी की चूत पर लगा दिया, फिर फट से एक कंडोम को लंड पर चढ़ा लिया.दीदी बोली- हटा इस पन्नी को … खाल से खाल ना रगड़े तो मजा ही नहीं आता है!
‘पर आप प्रेगनेंट हो गईं तो?’दीदी ने कहा- मैं दवाई खा लूँगी, पर तू अपने लंड का पानी मेरी चूत में जरूर छोड़ देना ताकि ये शांत हो जाए. अब तो मम्मी भी ये पन्नी पापा को नहीं पहनने देतीं, तो फिर मैं क्यों पहनने दूँ तुझे!
‘दीदी आपको कैसे पता?’‘अरे पापा रोज चोदते हैं, मैंने देखा है … और अलमारी में बहुत सारी गर्भ निरोधक गोलियां भी रखी हैं, तू अब मुझे चोद बस!
फिर मैं दीदी पर टूट पड़ा.मैंने दीदी के होंठों को अपने होंठों में कसके दबा लिया.
फिर अपने लंड को दीदी की चूत पर सैट करके एक करारा झटका दे मारा.मेरा लंड बहन की चूत में अन्दर तक धंस गया.
दीदी चीख पड़ी- आह आ आ आई ई ई मर गई भैया … ऊऊ आह!मैंने उसकी चीख पुकार को नजरअंदाज किया और अपनी स्पीड बढ़ा दी.
‘आह आह आ ई ई मर गई भैया, थोड़ा धीरे धीरे … मैं मर जाऊंगी!’‘कुछ भी नहीं होगा दीदी, वह आपको चूत आज पहली बार फटी है न … इसलिए दर्द हो रहा होगा!’ये बोलकर मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.
‘आ आ आ आ आह आह आह ईई उइ अम्मा … आह चोदो … और तेज भाभी ने सही कहा था दीदी, एक बार लेकर देखो आज मिल गया है मोटा लंड … आह अपने लंड की सारी गर्मी इस चूत में निकाल दो … भर्ता बना दो अपनी बहन की चुत का … आह उई आह्ह्ह उम्ह मेरे राजा!’
करीब 20 मिनट के बाद मैंने एक जोर का झटका मारा और अपना सारा माल दीदी की चूत में छोड़ दिया. चुदाई से दीदी की चूत वीर्य से भर गई और वह बोली- मजा आ गया भैया, सच में तुम कमाल का चोदते हो … तुम्हारी बीवी के तो मजे हो जाएंगे.
‘तुम हो ना दीदी, फिर वाइफ की किसे जरूरत है!’दीदी- अच्छा, पर मैं घर पर रोज तो नहीं चुद सकती हूं न!
‘फिर मैं आपको बिना चोदे कैसे रह पाऊंगा दीदी?’‘एक काम करो दीदी आप किसी तरह से मुझसे मम्मी को पटवा दो, फिर कोई प्राब्लम नहीं रहेगी!’
दीदी बोली- पर ये कैसे होगा?‘आप सोचो ना!’‘ठीक है, आने दो मम्मी को वापस … फिर कुछ प्लान करती हूं.’
अगले 4 दिन तक मैंने दीदी की ताबड़तोड़ चुदाई की और वह मम्मी की गर्भनिरोधक गोलियां खाती रही.
फिर मम्मी वापस आ गईं.
दीदी ने मुझसे कहा कि मैं कल तुम्हें चाय देने नहीं आऊंगी, मम्मी को तुम्हारे कमरे में भेजूंगी. तुम अपना लंड निकाल लेना, कुछ तो बात बनेगी मेरे राजा!’
अगले दिन मम्मी चाय देने के लिए जैसे ही किचन से निकलीं, दीदी ने मुझे कॉल किया- मम्मी आ रही हैं मेरे राजा … लंड पोजीशन में तो है न!मैंने कहा- हां दीदी!
मैं सोने का नाटक करने लगा और अपना फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाल लिया.मम्मी आईं और लंड लहराता देख कर एकदम से दंग रह गईं.
वे बस मेरे लंड को ही घूरे जा रही थीं.उन्होंने मुझे एक हल्की आवाज दी, पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया.फिर वे चली गईं.
मम्मी के नीचे पहुंचते ही दीदी ने मम्मी से पूछा- भैया ऊपर है क्या … मुझे काम है थोड़ा उससे?तो मम्मी ने दीदी के जाने से पहले ही कहा- रुको, मैं बुला देती हूँ.
मम्मी फिर से ऊपर गईं और न चाहते हुए भी उन्होंने मेरे पास जाकर मुझे हिलाते हुए कहा- उठो जयंत, उठो!मैं उठ गया और एकदम से मम्मी को देखकर मैंने अपना लंड अन्दर कर दिया.
मम्मी शर्म से पानी पानी हो गईं.
‘मम्मी सॉरी, वह पता नहीं चला ये कब बाहर आ गया!’‘कोई बात नहीं, शिखा बुला रही है तुम्हें!’
फिर मैं नीचे आ गया.
दीदी ने एक हल्की सी स्माइल दी.क्योंकि प्लान काम कर रहा था.
अगले दिन जब मम्मी बाथरूम में थीं तो उन्होंने दीदी से कपड़े मांगे.
दीदी ने मुझे भेज दिया.मैं जैसे ही अन्दर गया तो मम्मी बोलीं- तू? शिखा किधर है?
मैं बोला- उसे सिरदर्द हो रहा है. मैंने फिर सुबह के लिए सॉरी बोलते हुए कहा- मम्मी आपने सब देख लिया!मम्मी ने कहा- तो क्या हुआ बचपन में भी देखती थी! क्या वह बात अलग थी?
‘नहीं मम्मी, पर अब तो मैं बड़ा हो गया हूँ ना … तो शर्म आ रही है!’‘हां बड़ा तो हो गया है, तभी तो तेरा औजार भी बहुत बड़ा हो गया है!’
मम्मी ने हंस कर कहा कि अब जा, शिखा को भेज दे. वह मेरी थोड़ी पीठ मल देगी!
‘पर मम्मी उसकी तबियत ठीक नहीं है. आप कहें तो मैं मल दूँ!’‘ठीक है, मल दे!’
मैं मम्मी की पीठ मलने लगा.मम्मी का पूरा बदन लाल था.उन्हें रंग कसके रगड़ा गया था शायद!
मैंने मौका पाकर मम्मी से कहा- मम्मी आपसे कुछ मांगू, आप मना तो नहीं करेंगी?‘हां मांग!’‘मम्मी आपने मेरा लंड देख लिया, मुझे आपके बूब्स देखने हैं.’
मम्मी बोलीं- पागल है क्या? अकल नहीं है!
‘प्लीज मम्मी, प्लीज आपने भी तो देखा न!’‘ठीक है दिखाती हूँ, पर छूना नहीं!’
फिर मम्मी मेरी तरफ घूम गईं.मम्मी के लाल लाल बूब्स देखकर मेरा लंड उन्हें चोदने के लिए उठ खड़ा हुआ.
मैंने झट से मम्मी का एक बूब दबा दिया, मैंने कहा- मैं साफ कर दूँ?मम्मी- मैं सब समझती हूँ, तेरा ध्यान किधर है!‘आप सब समझती हो तो प्लीज करने दो ना!’
मम्मी- ठीक है, नहा लूँ फिर कर लेना! पहले देखकर आ, शिखा किधर है?नहाने के बाद मम्मी साया पहन कर कमरे में आईं- ले दबा ले जल्दी से!
मैंने मम्मी के बूब्स को दबाना शुरू कर दिया.थोड़ी ही देर में वे गर्म हो गईं.
मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.वे बिल्कुल नंगी हो गईं और मैंने उन्हें बेड पर गिरा लिया.
‘मेरी जान आज तो लेकर ही मानूँगा!’मैंने उनके होंठों को कसके दबा लिया और उनसे कहा- खूब चुदवाती हो पापा से … आज मेरा लेकर देखो, मजा ना आए तो कहना!
‘हां मेरे लाल, बहुत मोटा है तेरा … देखा था कल … अब चूत में डाल कर इसकी आग को पानी दे दे!’मैंने मम्मी की दोनों टांगों को हवा में उठाया और मम्मी की चूत पर लंड सैट करके एक झटका मारा.मेरा लंड अन्दर तक घुस गया.
मां चीख पड़ीं- आह आह आह … मर गई उई … आ ऊऊऊ उम्ह् आ आ.मैंने स्पीड बढ़ा दी और पूरा कमरा फच फच की आवाज से गूंज गया.
करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल मम्मी की चूत में छोड़ दिया.
मैं मम्मी से नंगा लिपटा ही था कि दीदी ने एकदम से गेट खोल दिया- मम्मी भैया, आप दोनों यह सब क्या कर रहे हैं … मम्मी आपको शर्म भी नहीं आती है! आने दो पापा को सब बताऊंगी!मम्मी शिखा को देखकर एकदम से घबरा गईं और उससे माफी मांगने लगीं.
फिर दीदी ने कहा- ठीक है, माफ कर दूँगी, पर एक शर्त पर!मम्मी बोलीं- क्या?
‘मुझे भी भैया का लंड लेना है अपनी चूत में … आप अकेली अकेली दो दो लंड खा रही हैं और मुझे तो एक भी नहीं मिल रहा है!’मम्मी तुरंत मान गईं.
मैंने तुरंत उसी वक्त शिखा को बेड पर लिटा लिया और उसे चोदने लगा.‘आह आह आह भैया … उम्हह ऊंह और तेज … और तेज चोद दो अपनी बहन को … फाड़ तो इस चूत को … आह ऊईईई आई अम्मा!’मैंने सारा माल दीदी की चूत में ही छोड़ दिया.
शाम को मम्मी ने दीदी को गर्भनिरोधक गोली दी और खुद भी खाई.गोली खाने के बाद दीदी ने मम्मी से कहा- मुझे पापा से भी चुदना है!
मम्मी बोलीं- वे तो कबके तुझे अपने लंड की सैर करने को पागल हैं!दीदी बोली- संडे को आप और भैया मार्केट चले जाना, तो मैं और पापा चुदाई कर लेंगे!
मम्मी मुस्कुराईं और बोलीं- ठीक है.फिर संडे को मम्मी और मैं मार्केट चले जाने की कह कर घर से निकल गए.
दीदी नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई और उसने गेट को लॉक नहीं किया.दीदी अन्दर बिल्कुल नंगी थी.
पापा नहाने के लिए जैसे ही अन्दर आए वे दीदी को नंगी देखकर दंग रह गए.
वे बोले- लॉक करना चाहिए न!दीदी ने कहा- सॉरी पापा, ध्यान नहीं दिया!
पापा का लंड पैंट फाड़कर बाहर आना चाह रहा था.
दीदी ने तुरंत पापा से टावल देने के लिए कहा.पापा ने उसे टावल दे दी और उसे लपेट कर दीदी रूम में आने लगी.
दीदी कमरे में जाने से पहले बोली- पापा, आप अब नहा लो.पापा बाथरूम में घुस गए. दीदी ने अपनी पैंटी उधर ही छोड़ दी थी.
उसने लॉक वाले छेद से देखा तो पापा हाथ में पैंटी लेकर अपना लंड हिला रहे थे.‘आह शिखा मेरी जान एक बार चूत दे दो अपनी!’
बस दीदी ने मौका पाकर तुरंत गेट खोल दिया- पापा, वह मेरी पैंटी रह गई.पापा डर गए.
दीदी बोली- पापा आप ये मेरी पैंटी के साथ क्या कर रहे हैं?‘कुछ भी नहीं शिखा … ये लो!’‘पापा इस पर तो कुछ लगा है, पापा आप मुझे चोदना चाहते हैं क्या?
ये कह कर दीदी ने अपने बदन से टावल हटा दी और पापा को किस करने लगी.पापा ने तुरंत उसे घोड़ी बना लिया और लंड लगा कर ठुकाई शुरू कर दी.
‘आह्ह्ह्ह आ ह्ह्ह पापा आराम से चोदो ना …!’‘नहीं शिखा, तेरी बुर बड़ी मुश्किल से मिली है, प्लीज आज अपनी चूत चोदने दो!’
‘ठीक है पापा चोद लो, आज मम्मी भी घर पर नहीं हैं!’फिर उन लोगों ने बहुत देर चुदाई की और पापा ने भी अपना माल मेरी बहन की चूत में कई बार छोड़ा.
शाम को जब मम्मी और मैं वापस आए, तो दीदी ने सब बताया कि चुद गई वह भी पापा से!दोस्तो, यह चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं. rovinkumar@gmail.com
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